भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, अंग्रेज़ी: Republic of India, लिप्यन्तरण: रिपब्लिक ऑफ़ इंडिया) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है। भारत भौगोलिक दृष्टि से विश्व का सातवाँ सबसे बड़ा देश है, जबकि जनसंख्या के दृष्टिकोण से दुनिया का सबसे बड़ा देश है[20]। भारत के पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर पश्चिम में अफगानिस्तान, उत्तर-पूर्व में चीन, नेपाल और भूटान, पूर्व में बांग्लादेश और म्यान्मार स्थित हैं। हिंद महासागर में इसके दक्षिण पश्चिम में मालदीव, दक्षिण में श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व में इंडोनेशिया से भारत की सामुद्रिक सीमा लगती है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत तथा दक्षिण में भारतीय महासागर स्थित है। दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है।
भारत गणराज्य Republic of India (अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में देखें) | |
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भारत द्वारा नियंत्रित क्षेत्र को गहरे हरे रंग में दिखाया गया है; दावा किया गया लेकिन नियंत्रित नहीं किया गया क्षेत्र हल्के हरे रंग में दिखाया गया है | |
राजधानी | नई दिल्ली 28°36′50″N 77°12′30″E |
सबसे बड़ा शहर | |
आधिकारिक भाषाएँ | |
मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय भाषाएँ | कोई नहीं (भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है)[7] |
मान्यताप्राप्त क्षेत्रीय भाषाएँ | |
स्थानीय भाषाएं | 447 बोली[f] |
धर्म (2011) | |
निवासीनाम | भारतीय |
सरकार | संघीय संसदीय संवैधानिक गणराज्य |
द्रौपदी मुर्मू | |
जगदीप धनखड़ | |
नरेंद्र मोदी | |
धनंजय चंद्रचूड़ | |
ओम बिड़ला | |
विधानमंडल | भारतीय संसद |
• ऊपरी सदन | राज्य सभा |
लोक सभा | |
स्वतंत्रता | |
• अधिराज्य | 15 अगस्त 1947 |
• गणराज्य | 26 जनवरी 1950 |
क्षेत्रफल | |
• कुल | 3,287,263[1] कि॰मी2 (1,269,219 वर्ग मील)[g] सातवाँ) |
• जल क्षेत्र (%) | 9.6 |
जनसंख्या | |
• 2023 आकलन | 1,428,627,663[13] (प्रथम) |
• 2011 जनगणना | 1,210,854,977[14][15] (द्वितीया) |
• जनघनत्व | 427.1/किमी2 (1,106.2/मील2) ([[30वाँ]]) |
जीडीपी (पीपीपी) | 2024 प्राक्कलन |
• कुल | $14.594 trillion[16] (तृतीया) |
• प्रति व्यक्ति | $10,123[16] (125वाँ) |
जीडीपी (सांकेतिक) | 2024 प्राक्कलन |
• कुल | $3.937 trillion[16] (5वीं) |
• प्रति व्यक्ति | $2,731[16] (136वीं) |
गिनी (2021) | 32.8[17] मध्यम |
HDI (2022) | 0.644[18] मध्यम · 134वाँ |
मुद्रा | भारतीय रुपया (₹) (INR) |
समय मंडल | UTC+05:30 (आईएसटी) |
डीएसटी नहीं देखा गया। | |
दिनांक प्रारूप |
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वाहन चलते हैं | left[19] |
दूरभाष कोड | +91 |
ISO 3166 कोड | IN |
इंटरनेट टीएलडी | .in (अन्य) |
1,200 ईसा पूर्व संस्कृत भाषा संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में फैली हुए थी और तब तक यहां पर हिंदू धर्म का उद्धव हो चुका था और ऋग्वेद की रचना भी हो चुकी थी।[21] इसी समय बौद्ध एवं जैन धर्म उत्पन्न हो रहे होते थे।[22] प्रारंभिक राजनीतिक एकत्रीकरण ने गंगा बेसिन में स्थित मौर्य और गुप्त साम्राज्यों को जन्म दिया।[23] उनका समाज विस्तृत सृजनशीलता से भरा हुआ था। [24]
प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में, ईसाई धर्म, इस्लाम, यहूदी धर्म और पारसी धर्म ने भारत के दक्षिणी और पश्चिमी तटों पर जड़ें जमा लीं।[25] मध्य एशिया से मुस्लिम सेनाओं ने भारत के उत्तरी मैदानों पर लगातार अत्याचार किया,[26] अंततः दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई और उत्तर भारत को मध्यकालीन इस्लाम साम्राज्य में मिला लिया गया।[27] 15 वीं शताब्दी में, विजयनगर साम्राज्य ने दक्षिण भारत में एक लंबे समय तक चलने वाली समग्र हिंदू संस्कृति बनाई।[28] पंजाब में सिख धर्म की स्थापना हुई।[29] धीरे-धीरे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का विस्तार हुआ, जिसने भारत को औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था में बदल दिया तथा अपनी संप्रभुता को भी मज़बूत किया।[30] ब्रिटिश राज शासन १८५८ में शुरू हुआ। धीरे धीरे एक प्रभावशाली राष्ट्रवादी आंदोलन शुरू हुआ जिसे अहिंसक विरोध के लिए जाना गया और ब्रिटिश शासन को समाप्त करने का प्रमुख कारक बन गया।[31] 1947 में ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य को दो स्वतंत्र प्रभुत्वों में विभाजित किया गया, भारतीय अधिराज्य तथा पाकिस्तान अधिराज्य, जिन्हें धर्म के आधार पर विभाजित किया गया।[32][33]
१९५० से भारत एक संघीय गणराज्य है। भारत की जनसंख्या १९५१ में ३६.१ करोड़ से बढ़कर २०११ में १२१.१ करोड़, २०२१ में बढ़कर १४०.७६ करोड़ हो गई।[34] प्रति व्यक्ति आय $64 से बढ़कर $1,498, 2020- 21 में $2150, शुरुआती 2022- 23 में $2450 हो गई और इसकी साक्षरता दर 16.6% से बढ़कर 74.04% पुरुषों के लिए एवम 64% महिलाओं की हो गई। भारत एक तेज़ी से बढ़ती हुई प्रमुख अर्थव्यवस्था और सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं का केंद्र बन गया है।[35] अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत ने उल्लेखनीय तथा अद्वितीय प्रगति की। भारतीय फ़िल्में, संगीत और आध्यात्मिक शिक्षा वैश्विक संस्कृति में विशेष भूमिका निभाती हैं।[36] भारत ने ग़रीबी दर को काफ़ी हद तक कम कर दिया है।[37] भारत देश परमाणु बम रखने वाला देश है। भारत-चीन सीमा पर भारत का चीन से विवाद चल रहा है। कश्मीर क्षेत्र को लेकर भारत और पाकिस्तान में विवाद है।[38] लैंगिक असमानता, बाल शोषण, बाल कुपोषण,[39] ग़रीबी, भ्रष्टाचार, प्रदूषण इत्यादि भारत के सामने प्रमुख चुनौतियाँ है।[40] 21.4% क्षेत्र पर वन है।[41] भारत के वन्यजीव, जिन्हें परंपरागत रूप से भारत की संस्कृति में सहिष्णुता के साथ देखा गया है,[42] इन जंगलों और अन्य जगहों पर संरक्षित आवासों में निवास करते हैं। 12 फ़रवरी वर्ष 1948 में महात्मा गाँधी के अस्थि कलश जिन 12 तटों पर विसर्जित किए गए थे, त्रिमोहिनी संगम भी उनमें से एक है |
नामोत्पत्ति
भारत के दो आधिकारिक नाम हैं- हिंदी में भारत और अंग्रेज़ी में इंडिया (India)। इंडिया नाम की उत्पत्ति सिंधु नदी के अंग्रेज़ी नाम "इंडस" से हुई है।[43] श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार भारत नाम मनु के वंशज तथा ऋषभदेव के सबसे बड़े बेटे एक प्राचीन सम्राट भरत के नाम से लिया गया है। [44][45][46][47][48][49] एक व्युत्पत्ति के अनुसार भारत (भा + रत) शब्द का मतलब है आंतरिक प्रकाश या विदेक-रूपी प्रकाश में लीन। एक तीसरा नाम हिंदुस्तान भी है जिसका अर्थ हिंद की भूमि, यह नाम विशेषकर अरब तथा ईरान में प्रचलित हुआ। [50] [51] बहुत पहले भारत का एक मुंहबोला नाम सोने की चिड़िया भी प्रचलित था। [52] संस्कृत महाकाव्य महाभारत में वर्णित है की वर्तमान उत्तर भारत का क्षेत्र भारत के अंतर्गत आता था। भारत को कई अन्य नामों इंडिया, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान, जंबूद्वीप आदि से भी जाना जाता है।
इतिहास
प्राचीन भारत
लगभग 55,000 वर्ष पहले (प्राचीन भारत) [53] आधुनिक मानव या होमो सेपियंस अफ्रीका से भारतीय उपमहाद्वीप में पहुँचे थे। [54][55][56] दक्षिण एशिया में ज्ञात मानव का प्राचीनतम अवशेष 30,000 वर्ष पुराना है।[57] भीमबेटका, मध्य प्रदेश की गुफाएँ भारत में मानव जीवन का प्राचीनतम प्रमाण हैं जो आज भी देखने को मिलता है। प्रथम स्थाई बस्तियों ने 9000 वर्ष पूर्व स्वरुप लिया था। 6,500 ईसा पूर्व तक आते आते मनुष्य ने खेती करना, जानवरों को पालना तथा घरों का निर्माण करना शुरू कर दिया था, जिसका अवशेष मेहरगढ़ में मिला था जो कि अभी पाकिस्तान में है। [58] यह धीरे-धीरे सिंधु घाटी सभ्यता के रूप में विकसित हुए,[59][58] जो की दक्षिण एशिया की सबसे प्राचीन शहरी सभ्यता है।[60] यह 2600 ईसा पूर्व और 1900 ईसा पूर्व के मध्य अपने चरम पर थी।[61] यह वर्तमान पश्चिम भारत तथा पाकिस्तान में स्थित है।[62] यह मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, धोलावीरा, और कालीबंगा जैसे शहरों के आसपास केंद्रित थी और विभिन्न प्रकार के निर्वाह पर निर्भर थी, यहाँ व्यापक बाजार था तथा शिल्प उत्पादन होता था।[60]
2000 से 500 ईसा पूर्व तक ताम्र पाषाण युग संस्कृति से लौह युग का आगमन हुआ।[63] इसी युग को हिंदू धर्म से जुड़े प्राचीनतम धर्म ग्रंथ,[64] वेदों का रचनाकाल माना जाता है[65] तथा पंजाब तथा गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्र को वैदिक संस्कृति का निवास स्थान माना जाता है।[63] कुछ इतिहासकारों का मानना है की इसी युग में उत्तर-पश्चिम से भारतीय-आर्यन का आगमन हुआ था।[64] इसी अवधि में जाति प्रथा भी प्रारंभ हुई थी।[66]
वैदिक सभ्यता में ईसा पूर्व 6 वीं शताब्दी में गंगा के मैदानी क्षेत्र तथा उत्तर-पश्चिम भारत में छोटे-छोटे राज्य तथा उनके प्रमुख मिल कर 16 कुलीन और राजशाही में सम्मिलित हुए जिन्हे महाजनपद के नाम से जाना जाता है। [67] [68] बढ़ते शहरीकरण के बीच दो अन्य स्वतंत्र अ-वैदिक धर्मों का उदय हुआ। महावीर के जीवन काल में जैन धर्म अस्तित्व में आया।[69] गौतम बुद्ध की शिक्षाओं पर आधारित बौद्ध धर्म ने मध्यम वर्ग के अनुयायिओं को छोड़कर अन्य सभी वर्ग के लोगों को आकर्षित किया; इसी काल में भारत का इतिहास लेखन प्रारंभ हुआ। [70][71][72] बढ़ती शहरी संपदा के युग में, दोनों धर्मों ने त्याग को एक आदर्श माना,[73] और दोनों ने लंबे समय तक चलने वाली मठ परंपराओं की स्थापना की। राजनीतिक रूप से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक मगध साम्राज्य ने अन्य राज्यों को अपने अंदर मिला कर मौर्य साम्राज्य के रूप में उभरा। [74] मगध ने दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे भारत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया लेकिन कुछ अन्य प्रमुख बड़े राज्यों ने इसके प्रमुख क्षेत्रों को अलग कर लिया। [75][76] मौर्य राजाओं को उनके साम्राज्य की उन्नति के लिए तथा उच्च जीवन सतर के लिए जाना जाता है क्योंकि सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म की स्थापना की तथा शस्त्र मुक्त सेना का निर्माण किया।[77][78]180 ईसवी के आरंभ से मध्य एशिया से कई आक्रमण हुए, जिनके परिणामस्वरूप उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यूनानी, शक, पार्थी और अंततः कुषाण राजवंश स्थापित हुए। तीसरी शताब्दी के आगे का समय जब भारत पर गुप्त वंश का शासन था, भारत का स्वर्णिम काल कहलाया।[79]
तमिल के संगम साहित्य के अनुसार ईसा पूर्व 200 से 200 ईस्वी तक दक्षिण प्रायद्वीप पर चेर राजवंश, चोल राजवंश तथा पांड्य राजवंश का शासन था जिन्होंने बड़े सतर पर भारत और रोम के व्यापारिक संबंध और पश्चिम और दक्षिण पूर्व एशिया के साम्राज्यों के साथ व्यापर किया।[80][81] चौथी-पाँचवी शताब्दी के बीच गुप्त साम्राज्य ने वृहद् गंगा के मैदानी क्षेत्र में प्रशासन तथा कर निर्धारण की एक जटिल प्रणाली बनाई; यह प्रणाली बाद के भारतीय राज्यों के लिए एक आदर्श बन गई। [82][83] गुप्त साम्राज्य में भक्ति पर आधारित हिन्दू धर्म का प्रचलन हुई। [84] विज्ञान, कला, साहित्य, गणित, खगोलशास्त्र, प्राचीन प्रौद्योगिकी, धर्म, तथा दर्शन इन्हीं राजाओं के शासनकाल में फले-फूले, जो शास्त्रीय संस्कृत में रचा गया। [83]
मध्यकालीन भारत
६०० से १२०० के बीच का समय क्षेत्रीय राज्यों में सांस्कृतिक उत्थान के युग के रूप में जाना जाता है।[85] कन्नौज के राजा हर्ष ने ६०६ से ६४७ तक गंगा के मैदानी क्षेत्र में शासन किया तथा उसने दक्षिण में अपने राज्य का विस्तार करने का प्रयास किया किन्तु दक्क्न के चालुक्यों ने उसे हरा दिया।[86] उसके उत्तराधिकारी ने पूर्व की और राज्य का विस्तार करना चाहा लेकिन बंगाल के पाल शासकों से उसे हारना पड़ा।[86] जब चालुक्यों ने दक्षिण की और विस्तार करने का प्रयास किया तो पल्ल्वों ने उन्हें पराजित कर दिया, जिनका सुदूर दक्षिण में पांड्यों तथा चोलों द्वारा उनका विरोध किया जा रहा था।[86] इस काल में कोई भी शासक एक साम्राज्य बनाने में सक्षम नहीं था और लगातार मूल भूमि की तुलना में दुसरे क्षेत्र की ओर आगे बढ़ने का क्रम जारी था।[85] इस अवधि में नये शासन के कारण जाति में बांटे गए सामान्य कृषकों के लिए कृषि करना और सहज हो गया।[87] जाति व्यवस्था के परिणामस्वरूप स्थानीय मतभेद होने लगे।[87]
6 और 7 वीं शताब्दी में, पहली भक्ति भजन तमिल भाषा में बनाया गया था। पूरे भारत में उनकी नकल की गई और हिंदू धर्म के पुनरुत्थान और इसने उपमहाद्वीप की सभी आधुनिक भाषाओं के विकास का नेतृत्व किया। राजघरानो ने लोगों को राजधानी की आकर्षित किया। शहरीकरण के साथ शहरों में बड़े स्तर पर मंदिरों का निर्माण किया।[88] दक्षिण भारत की राजनीतिक और सांस्कृतिक व्यवस्था का प्रभाव दक्षिण एशिया के देशों म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और जावा में देखा जा सकता है।[89]
१० वीं शताब्दी के बाद घुमन्तु मुस्लिम वंशों ने जातियता तथा धर्म द्वारा संघठित तेज घोड़ों से युक्त बड़ी सेना के द्वारा उत्तर-पश्चिमी मैदानों पर बार बार आकर्मण किया, अंततः १२०६ इस्लामीक दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।[90] उन्हें उतर भारत को अधिक नियंत्रित करना था तथा दक्षिण भारत पर आकर्मण करना था। भारतीय कुलीन वर्ग के विघटनकारी सल्तनत ने बड़े पैमाने पर गैर-मुस्लिमों को स्वयं के रीतिरिवाजों पर छोड़ दिया।[91][92] १३ वीं शताब्दी में मंगोलों द्वारा किये के विनाशकारी आकर्मण से भारत की रक्षा की। सल्तनत के पतन के कारण स्वशासित विजयनगर साम्राज्य का मार्ग प्रशस्त हुआ।[93] एक मजबूत शैव परंपरा और सल्तनत की सैन्य तकनीक पर निर्माण करते हुए साम्राज्य ने भारत के विशाल भाग पर शासन किया और इसके बाद लंबे समय तक दक्षिण भारतीय समाज को प्रभावित किया।[94][93]
प्रारंभिक आधुनिक भारत
१७वीं शताब्दी के मध्यकाल में पुर्तगाल, डच, फ्रांस, ब्रिटेन सहित अनेक यूरोपीय देशों, जो भारत से व्यापार करने के इच्छुक थे, उन्होंने देश की आतंरिक शासकीय अराजकता का फायदा उठाया हालांकि अंग्रेजों ने व्यापार करने के बहाने से देश में आए और आंतरिक विद्रोह करवाने की कोशिश की ताकि वे आपस में लड़ाई करवाकर भारतीयों को कमजोर कर सकें । इसमें वे कामयाब हुए और १८४० तक लगभग संपूर्ण देश पर शासन करने में सफल हुए। वास्तव में ये शासन की दृष्टि से नहीं आए बल्कि वे देश की भोलीभाली जनता को लूटना चाहते थे । क्योंकि भारत देश में बाहर से आया हर कोई मेहमान होता है और उसे वे देवता का दर्जा देते हैं । इसी का फायदा अंग्रेजों ने उठाया और धीरे धीरे आंतरिक अशांति इस प्रकार फैलाई की सबसे पहले यहां की शिक्षा व्यवस्था को बदला जो की दुनियां में सबसे अच्छी व्यवस्था थी । और वर्ण व्यवस्था को जाती वाद में बदल दिया गया । ऊंची नीची जातियों में विभाजन किया । मुस्लिम धर्म वालों को धक्के से गाय माता की हत्या करवाने में लगा दिया । और फिर हिंदुओं को बोला की देखो आपके मुस्लिम भाई , आपकी माता की हत्या कर रहे हैं । ये तो आपके भाई कहलाने के लायक भी नहीं है । इस प्रकार देखते ही देखते दंगा फैला दिया । लेकिन१८५७ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरुद्ध असफल विद्रोह, जो भारतीय स्वतन्त्रता के प्रथम संग्राम से भी जाना जाता है, के बाद भारत का अधिकांश भाग सीधे अंग्रेजी शासन के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गया।[95]
आधुनिक भारत
बीसवी सदी के प्रारम्भ में आधुनिक शिक्षा के प्रसार और विश्वपटल पर बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के चलते भारत में एक बौद्धिक आन्दोलन का सूत्रपात हुआ जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तरों पर अनेक परिवर्तनों एवम आन्दोलनों की नीव रखी। १८८५ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ने स्वतन्त्रता आन्दोलन को एक गतिमान स्वरूप दिया। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में लम्बे समय तक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये विशाल अहिंसावादी संघर्ष चला, जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी, जो आधिकारिक रूप से आधुनिक भारत के 'राष्ट्रपिता' के रूप में संबोधित किये जाते हैं, इसी सदी में भारत के सामाजिक आन्दोलन, जो सामाजिक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए भी विशाल अहिंसावादी एवं क्रांतिवादी संघर्ष चला, जिसका नेतृत्व डॉ॰ बाबासाहेब आंबेडकर ने किया, जो ‘आधुनिक भारत के निर्माता’, ‘संविधान निर्माता' एवं ‘दलितों के मसिहा’ के रूप में संबोधित किये जाते है। इसके साथ-साथ चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, आदि के नेतृत्व में चले क्रांतिकारी संघर्ष के फलस्वरुप १५ अगस्त, १९४७ भारत ने अंग्रेजी शासन से पूर्णतः स्वतंत्रता प्राप्त की। तदुपरान्त २६ जनवरी, १९५० को भारत एक गणराज्य बना।
एक बहुजातीय तथा बहुधार्मिक राष्ट्र होने के कारण भारत को समय-समय पर साम्प्रदायिक तथा जातीय विद्वेष का शिकार होना पड़ा है। क्षेत्रीय असंतोष तथा विद्रोह भी हालाँकि देश के अलग-अलग हिस्सों में होते रहे हैं, पर इसकी धर्मनिरपेक्षता तथा जनतांत्रिकता, केवल १९७५-७७ को छोड़, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा कर दी थी, अक्षुण्ण रही है।
भारत के पड़ोसी राष्ट्रों के साथ अनसुलझे सीमा विवाद हैं। इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है। १९६२ में चीन के साथ, तथा १९४७, १९६५, १९७१ एवं १९९९ में पाकिस्तान के साथ लड़ाइयाँ हो चुकी हैं।
भारत गुटनिरपेक्ष आन्दोलन तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्य देशों में से एक है।
१९७४ में भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था जिसके बाद १९९८ में ५ और परीक्षण किये गये। १९९० के दशक में किये गये आर्थिक सुधारीकरण की बदौलत आज देश सबसे तेज़ी से विकासशील राष्ट्रों की सूची में आ गया है।
भूगोल एवं जलवायु
भू-आकृतिक विशेषतायें
भारत पूरी तौर पर भारतीय प्लेट के ऊपर स्थित है जो भारतीय आस्ट्रेलियाई प्लेट (Indo-Australian Plate) का उपखण्ड है। प्राचीन काल में यह प्लेट गोंडवानालैण्ड का हिस्सा थी और अफ्रीका और अंटार्कटिका के साथ जुड़ी हुई थी। तकरीबन ९ करोड़ वर्ष पहले क्रीटेशियस काल में भारतीय प्लेट १५ सेमी. वर्ष की गति से उत्तर की ओर बढ़ने लगी और इओसीन पीरियड में यूरेशियन प्लेट से टकराई। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के मध्य स्थित टेथीस भूसन्नति के अवसादों के वालन द्वारा ऊपर उठने से तिब्बत पठार और हिमालय पर्वत का निर्माण हुआ। सामने की द्रोणी में बाद में अवसाद जमा हो जाने से सिन्धु-गंगा मैदान बना। भारतीय प्लेट अभी भी लगभग ५ सेमी./वर्ष की गति से उत्तर की ओर गतिशील है और हिमालय की ऊँचाई में अभी भी २ मिमी./वर्ष कि गति से उत्थान हो रहा है।
भारत के उत्तर में हिमालय की पर्वतमाला नए और मोड़दार पहाड़ों से बनी है। यह पर्वतश्रेणी कश्मीर से अरुणाचल तक लगभग १,५०० मील तक फैली हुई है। इसकी चौड़ाई १५० से २०० मील तक है। यह संसार की सबसे ऊँची पर्वतमाला है और इसमें अनेक चोटियाँ २४,००० फुट से अधिक ऊँची हैं। हिमालय की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई २९,०२८ फुट है जो नेपाल में स्थित है।
हिमालय के दक्षिण सिन्धु-गंगा मैदान है जो सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र और उनकी सहायक नदियों द्वारा बना है। हिमालय (शिवालिक) की तलहटी में जहाँ नदियाँ पर्वतीय क्षेत्र को छोड़कर मैदान में प्रवेश करती हैं, एक संकीर्ण पेटी में कंकड पत्थर मिश्रित निक्षेप पाया जाता है जिसमें नदियाँ अंतर्धान हो जाती हैं। इस ढलुवाँ क्षेत्र को भाबर कहते हैं। भाबर के दक्षिण में तराई प्रदेश है, जहाँ विलुप्त नदियाँ पुन: प्रकट हो जाती हैं। यह क्षेत्र दलदलों और जंगलों से भरा है। तराई के दक्षिण में जलोढ़ मैदान पाया जाता है। मैदान में जलोढ़ दो किस्म के हैं, पुराना जलोढ़ और नवीन जलोढ़। पुराने जलोढ़ को बाँगर कहते हैं। यह अपेक्षाकृत ऊँची भूमि में पाया जाता है, जहाँ नदियों की बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता। इसमें कहीं कहीं चूने के कंकड मिलते हैं। नवीन जलोढ़ को खादर कहते हैं। यह नदियों की बाढ़ के मैदान तथा डेल्टा प्रदेश में पाया जाता है जहाँ नदियाँ प्रति वर्ष नई तलछट जमा करती हैं।
उत्तरी भारत के मैदान के दक्षिण का पूरा भाग एक विस्तृत पठार है जो दुनिया के सबसे पुराने स्थल खंड का अवशेष है और मुख्यत: कड़ी तथा दानेदार कायांतरित चट्टानों से बना है। पठार तीन ओर पहाड़ी श्रेणियों से घिरा है। उत्तर में विंध्याचल तथा सतपुड़ा की पहाड़ियाँ हैं, जिनके बीच नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है। नर्मदा घाटी के उत्तर विंध्याचल प्रपाती ढाल बनाता है। सतपुड़ा की पर्वतश्रेणी उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है और पूर्व की ओर महादेव पहाड़ी तथा मैकाल पहाड़ी के नाम से जानी जाती है। सतपुड़ा के दक्षिण अजंता की पहाड़ियाँ हैं। प्रायद्वीप के पश्चिमी किनारे पर पश्चिमी घाट और पूर्वी किनारे पर पूर्वी घाट नामक पहाडियाँ हैं। कई महत्वपूर्ण और बड़ी नदियाँ जैसे गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, गोदावरी और कृष्णा भारत से होकर बहती हैं।
जलवायु
कोपेन के वर्गीकरण में भारत में छह प्रकार की जलवायु का निरूपण है किन्तु यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि भू-आकृति के प्रभाव में छोटे और स्थानीय स्तर पर भी जलवायु में बहुत विविधता और विशिष्टता मिलती है। भारत की जलवायु दक्षिण में उष्णकटिबंधीय है और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक ऊँचाई के कारण अल्पाइन (ध्रुवीय जैसी), एक ओर यह पुर्वोत्तर भारत में उष्ण कटिबंधीय नम प्रकार की है तो पश्चिमी भागों में शुष्क प्रकार की।
कोपेन के वर्गीकरण के अनुसार भारत में निम्नलिखित छह प्रकार के जलवायु प्रदेश पाए जाते हैं:
- अल्पाइन – (ETh);
- आर्द्र उपोष्ण – (Cwa);
- उष्ण कटिबंधीय नम और शुष्क – (Aw);
- उष्ण कटिबंधीय नम – (Am);
- अर्धशुष्क – (BSh);
- शुष्क मरुस्थलीय – (BWh).
परंपरागत रूप से भारत में छह ऋतुएँ मानी जाती रहीं हैं परन्तु भारतीय मौसम विज्ञान विभाग चार ऋतुओं का वर्णन करता है जिन्हें हम उनके परंपरागत नामों से तुलनात्मक रूप में निम्नवत लिख सकते हैं:
शीत ऋतु (Winters) – दिसंबर से मार्च तक, जिसमें दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने होते हैं; उत्तरी भारत में औसत तापमान १० से १५ डिग्री सेल्सियस होता है।
ग्रीष्म ऋतु (Summers or Pre-monsoon) – अप्रैल से जून तक जिसमें मई सबसे गर्म महीना होता है, औसत तापमान ३२ से ४० डिग्री सेल्सियस होता है।
वर्षा ऋतु (Monsoon or Rainy) – जून से सितम्बर तक, जिसमें सार्वाधिक वर्षा अगस्त महीने में होती है, वस्तुतः मानसून का आगमन और प्रत्यावर्तन (लौटना) दोनों क्रमिक रूप से होते हैं और अलग अलग स्थानों पर इनका समय अलग अलग होता है। सामान्यतः १ जून को केरल तट पर मानसून के आगमन तारीख होती है इसके ठीक बाद यह पूर्वोत्तर भारत में पहुँचता है और क्रमशः पूर्व से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण की ओर गतिशील होता है इलाहाबाद में मानसून के पहुँचने की तिथि १८ जून मानी जाती है और दिल्ली में २९ जून।
शरद ऋतु (Post-monsoon ot Autumn) - उत्तरी भारत में अक्टूबर और नवंबर माह में मौसम साफ़ और शांत रहता है और अक्टूबर में मानसून लौटना शुरू हो जाता है जिससे तमिलनाडु के तट पर लौटते मानसून से वर्षा होती है।
भारत के मुख्य शहर हैं – दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलोर (बेंगलुरु)|
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राजनीति एवं सरकार
राजनीति
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। बहुदलीय प्रणाली वाले इस संसदीय गणराज्य में छ: मान्यता-प्राप्त राष्ट्रीय पार्टियां, और ४० से भी ज़्यादा क्षेत्रीय पार्टियां हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जिसकी नीतियों को केंद्रीय-दक्षिणपंथी या रूढिवादी माना जाता है, के नेतृत्व में केंद्र में सरकार है जिसके प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी हैं। अन्य पार्टियों में सबसे बडी भारतीय राष्ट्रीय कॉंग्रेस (कॉंग्रेस) है, जिसे भारतीय राजनीति में केंद्र-वामपंथी और उदार माना जाता है। २००४ से २०१४ तक केंद्र में मनमोहन सिंह की गठबन्धन सरकार का सबसे बड़ा हिस्सा कॉंग्रेस पार्टी का था। १९५० में गणराज्य के घोषित होने से १९८० के दशक के अन्त तक कॉंग्रेस का संसद में निरंतर बहुमत रहा। पर तब से राजनैतिक पटल पर भाजपा और कॉंग्रेस को अन्य पार्टियों के साथ सत्ता बांटनी पडी है। १९८९ के बाद से क्षेत्रीय पार्टियों के उदय ने केंद्र में गठबंधन सरकारों के नये दौर की शुरुआत की है।
गणराज्य के पहले तीन चुनावों (१९५१–५२, १९५७, १९६२) में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में कॉंग्रेस ने आसान जीत पाई। १९६४ में नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री कुछ समय के लिये प्रधानमंत्री बने, और १९६६ में उनकी खुद की मौत के बाद इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। १९६७ और १९७१ के चुनावों में जीतने के बाद १९७७ के चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पडा। १९७५ में प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने राष्ट्रीय आपात्काल की घोषणा कर दी थी। इस घोषणा और इससे उपजी आम नाराज़गी के कारण १९७७ के चुनावों में नवगठित जनता पार्टी ने कॉंग्रेस को हरा दिया और पूर्व में कॉंग्रेस के सदस्य और नेहरु के केबिनेट में मंत्री रहे मोरारजी देसाई के नेतृत्व में नई सरकार बनी। यह सरकार सिर्फ़ तीन साल चली, और १९८० में हुए चुनावों में जीतकर इंदिरा गांधी फिर से प्रधानमंत्री बनीं। १९८४ में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी कॉंग्रेस के नेता और प्रधानमंत्री बने। १९८४ के चुनावों में ज़बरदस्त जीत के बाद १९८९ में नवगठित जनता दल के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय मोर्चा ने वाम मोर्चा के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई, जो केवल दो साल चली। १९९१ के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, परंतु कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनी, और पी वी नरसिंहा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार बनी जो अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही।
१९९६ के चुनावों के बाद दो साल तक राजनैतिक उथल पुथल का वक्त रहा, जिसमें कई गठबंधन सरकारें आई और गई। १९९६ में भाजपा ने केवल १३ दिन के लिये सरकार बनाई, जो समर्थन ना मिलने के कारण गिर गई। उसके बाद दो संयुक्त मोर्चे की सरकारें आई जो कुछ लंबे वक्त तक चली। ये सरकारें कॉंग्रेस के बाहरी समर्थन से बनी थीं। १९९८ के चुनावों के बाद भाजपा एक सफल गठबंधन बनाने में सफल रही। भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग, या एनडीए) नाम के इस गठबंधन की सरकार पहली ऐसी सरकार बनी जिसने अपना पाँच साल का कार्यकाल पूरा किय। २००४ के चुनावों में भी किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, पर कॉंग्रेस सबसे बडी पार्टी बनके उभरी, और इसने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग, या यूपीए) के नाम से नया गठबंधन बनाया। इस गठबंधन ने वामपंथी और गैर-भाजपा सांसदों के सहयोग से मनमोहन सिंह के नेतृत्व में पाँच साल तक शासन चलाया। २००९ के चुनावों में यूपीए और अधिक सीटें जीता जिसके कारण यह साम्यवादी (कॉम्युनिस्ट) दलों के बाहरी सहयोग के बिना ही सरकार बनाने में कामयाब रहा। इसी साल मनमोहन सिंह जवाहरलाल नेहरू के बाद ऐसे पहले प्रधानमंत्री बने जिन्हे दो लगातार कार्यकाल के लिये प्रधानमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। २०१४ के चुनावों में १९८४ के बाद पहली बार किसी राजनैतिक पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ, और भाजपा ने गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई।
सरकार
भारत का संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य घोषित करता है। भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसकी द्विसदनात्मक संसद वेस्टमिन्स्टर शैली की संसदीय प्रणाली द्वारा संचालित है। भारत का प्रशासन संघीय ढांचे के अन्तर्गत चलाया जाता है, जिसके अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर केंद्र सरकार और राज्य स्तर पर राज्य सरकारें हैं। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का बंटवारा संविधान में दी गई रूपरेखा के आधार पर होता है। वर्तमान में भारत में २८ राज्य और ८ केंद्र-शासित प्रदेश हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में, स्थानीय प्रशासन को राज्यों की तुलना में कम शक्तियां प्राप्त होती हैं। भारत का सरकारी ढाँचा, जिसमें केंद्र राज्यों की तुलना में ज़्यादा सशक्त है, उसे आमतौर पर अर्ध-संघीय (सेमि-फ़ेडेरल) कहा जाता रहा है, पर १९९० के दशक के राजनैतिक, आर्थिक और सामाजिक बदलावों के कारण इसकी रूपरेखा धीरे-धीरे और अधिक संघीय (फ़ेडेरल) होती जा रही है।
इसके शासन में तीन मुख्य अंग हैं:- न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका।
विधायिका संसद को कहते हैं, जिसके दो सदन हैं – उच्चसदन राज्यसभा, अथवा राज्यपरिषद् और निम्नसदन लोकसभा. राज्यसभा में २४५ सदस्य होते हैं जबकि लोकसभा में ५४५। राज्यसभा एक स्थाई सदन है और इसके सदस्यों का चुनाव, अप्रत्यक्ष विधि से ६ वर्षों के लिये होता है। राज्यसभा के ज़्यादातर सदस्यों का चयन राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा किया जाता है, और हर दूसरे साल राज्य सभा के एक तिहाई सदस्य पदमुक्त हो जाते हैं। लोकसभा के ५४३ सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से, ५ वर्षों की अवधि के लिये आम चुनावों के माध्यम से किया जाता है जिनमें १८ वर्ष से अधिक उम्र के सभी भारतीय नागरिक मतदान कर सकते हैं।
कार्यपालिका मंत्रिमंडल को कहते हैं। प्रधानमन्त्री मंत्रिमंडल का प्रमुख है और कार्यपालिका की सारी शक्तियाँ उसी के पास होती हैं। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संसद में बहुमत प्राप्त करने पर की जाती है। बहुमत बने रहने की स्थिति में इसका कार्यकाल ५ वर्षों का होता है। संविधान में किसी उप-प्रधानमंत्री का प्रावधान नहीं है पर समय-समय पर इसमें फेरबदल होता रहा है। मंत्रिमंडल के प्रत्येक मंत्री को संसद की सदस्यता के योग्य होना अनिवार्य है। कार्यपालिका संसद के प्रति उत्तरदायी होती है, और प्रधानमंत्री और उनका मंत्रिमण्डल लोक सभा में बहुमत के समर्थन के आधार पर ही अपने कार्यालय में बने रह सकते हैं।
भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का ढाँचा त्रिस्तरीय है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय, जिसके प्रधान प्रधान न्यायाधीश है; २४ उच्च न्यायालय और बहुत सारी निचली अदालतें हैं। सर्वोच्च न्यायालय को अपने मूल न्यायाधिकार (ओरिजिनल ज्युरिडिक्शन), और उच्च न्यायालयों के ऊपर अपीलीय न्यायाधिकार के मामलों, दोनो को देखने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय के मूल न्ययाधिकार में मौलिक अधिकारों के हनन के इलावा राज्यों और केंद्र, और दो या दो से अधिक राज्यों के बीच के विवाद आते हैं। सर्वोच्च न्यायालय को राज्य और केंद्रीय कानूनों को असंवैधानिक ठहराने के अधिकार है। भारत में २४ उच्च न्यायालयों के अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं। संविधान ने न्यायपालिका को विस्तृत अधिकार दिये हैं, जिनमें संविधान की अंतिम व्याख्या करने का अधिकार भी सम्मिलित है।
प्रशासनिक प्रभाग
वर्तमान में भारत 28 राज्यों तथा 8 केन्द्रशासित प्रदेशों में बँटा हुआ है। राज्यों की चुनी हुई स्वतंत्र सरकारें हैं, जबकि केन्द्रशासित प्रदेशों पर केन्द्र द्वारा नियुक्त प्रबंधन शासन करता है, हालाँकि पॉण्डिचेरी और दिल्ली की लोकतांत्रिक सरकार भी हैं।
अन्टार्कटिका और दक्षिण गंगोत्री और मैत्री पर भी भारत के वैज्ञानिक-स्थल हैं, यद्यपि अभी तक कोई वास्तविक आधिपत्य स्थापित नहीं किया गया है।
- राज्यों के नाम निम्नवत हैं (कोष्ठक में राजधानी का नाम)
- केन्द्रशासित प्रदेश
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†चंडीगढ़ एक केंद्रशासित प्रदेश है तथा यह पंजाब और हरियाणा दोनों राज्यों की राजधानी है। 26 जनवरी 2020 को दादरा एव नगर हवेली तथा दमन द्वीप का विलय करके एक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया है। अब इसका पूरा नाम दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन द्वीप है।
विदेश-सम्बन्ध
1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद, भारत के अधिकांश देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है। 1950 के दशक में, भारत ने पुरजोर रूप से अफ्रीका और एशिया में यूरोपीय उपनिवेशों की स्वतंत्रता का समर्थन किया और गुट निरपेक्ष आंदोलन में एक अग्रणी की भूमिका निभाई।[97] 1980 के दशक में भारत दो पड़ोसी देशों के निमंत्रण पर, सेना के द्वारा संक्षिप्त सैन्य हस्तक्षेप किया, एक श्रीलंका में और दुसरा मालदीव में। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के साथ एक तनाव भरा संबंध है और दोनों देशों के बीच चार बार युद्ध हुआ था, 1947, 1965, 1971 और 1999 में। कश्मीर विवाद इन युद्धों का प्रमुख कारण था।[98] 1962 के भारत - चीन युद्ध और पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद भारत और सोवियत संघ के साथ सैन्य संबंधों में बहुत बढ़ोतरी हुई। 1960 के दशक के अन्त में सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरी थी।[99]
रूस के साथ सामरिक संबंधों के अलावा, भारत का इजरायल और फ्रांस के साथ विस्तृत रक्षा संबंध हैं। हाल के वर्षों में, भारत ने क्षेत्रीय सहयोग और विश्व व्यापार संगठन के लिए एक दक्षिण एशियाई एसोसिएशन में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। [100] भारत ने 100,000 सैन्य और पुलिस कर्मियों को चार महाद्वीपों भर में संयुक्त राष्ट्र के पैंतीस शांति अभियानों में सेवा प्रदान की है।[101] भारत ने विभिन्न बहुपक्षीय मंचों, सबसे खासकर पूर्वी एशिया के शिखर बैठक और जी-8 5 में एक सक्रिय भागीदारी निभाई है। आर्थिक क्षेत्र में भारत का दक्षिण अमेरिका, एशिया, और अफ्रीका के विकासशील देशों के साथ घनिष्ठ संबंध है।[102] [103]
सैन्य शक्ति
लगभग 13 लाख सक्रिय सैनिकों के साथ, भारतीय सेना दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी है। भारत की सशस्त्र सेना में एक थलसेना, नौसेना, वायु सेना और अर्द्धसैनिक बल, तटरक्षक, जैसे सामरिक और सहायक बल विद्यमान हैं। भारत के राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर है।
1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से, भारत ने ज्यादातर देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखा है। 1950 के दशक में, भारत ने दृढ़ता से अफ्रीका और एशिया में यूरोपीय कालोनियों की स्वतंत्रता का समर्थन किया और गुट निरपेक्ष आंदोलन में एक अग्रणी भूमिका निभाई। 1980 के दशक में भारत ने आमंत्रण पर दो पड़ोसी देशों में संक्षिप्त सैन्य हस्तक्षेप किया। मालदीव, श्रीलंका और अन्य देशों में ऑपरेशन कैक्टस में भारतीय शांति सेना को भेजा गया। हालाँकि, भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ एक तनावपूर्ण संबंध बने रहे और दोनों देशों में चार बार युध्द (1947, 1965, 1971 और 1999 में) हुए हैं। कश्मीर विवाद इन युद्धों के प्रमुख कारण था, सिवाय 1971 के, जो कि तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में नागरिक अशांति के लिए किया गया था। 1962 के भारत-चीन युद्ध और पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध के बाद भारत ने अपनी सैन्य और आर्थिक स्थिति का विकास करने का प्रयास किया। सोवियत संघ के साथ अच्छे संबंधों के कारण सन् 1960 के दशक से, सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में उभरा।
आज रूस के साथ सामरिक संबंधों को जारी रखने के अलावा, भारत विस्तृत इजरायल और फ्रांस के साथ रक्षा संबंध रखा है। हाल के वर्षों में, भारत में क्षेत्रीय सहयोग और विश्व व्यापार संगठन के लिए एक दक्षिण एशियाई एसोसिएशन में प्रभावशाली भूमिका निभाई है। १०,००० राष्ट्र सैन्य और पुलिस कर्मियों को चार महाद्वीपों भर में पैंतीस संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सेवा प्रदान की है। भारत भी विभिन्न बहुपक्षीय मंचों, खासकर पूर्वी एशिया शिखर बैठक और जी-८५ बैठक में एक सक्रिय भागीदार रहा है। आर्थिक क्षेत्र में भारत दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के विकासशील देशों के साथ घनिष्ठ संबंध रखते है। अब भारत एक "पूर्व की ओर देखो नीति" में भी संयोग किया है। यह "आसियान" देशों के साथ अपनी भागीदारी को मजबूत बनाने के मुद्दों की एक विस्तृत शृंखला है जिसमे जापान और दक्षिण कोरिया ने भी मदद किया है। यह विशेष रूप से आर्थिक निवेश और क्षेत्रीय सुरक्षा का प्रयास है।
1974 में भारत अपनी पहले परमाणु हथियारों का परीक्षण किया और आगे 1998 में भूमिगत परीक्षण किया। जिसके कारण भारत पर कई तरह के प्रतिबन्ध भी लगाये गए। भारत के पास अब तरह-तरह के परमाणु हथियारें है। भारत अभी रूस के साथ मिलकर पाँचवीं पीढ़ के विमान बना रहे है।
हाल ही में, भारत का संयुक्त राष्ट्रे अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ आर्थिक, सामरिक और सैन्य सहयोग बढ़ गया है। 2008 में, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच असैनिक परमाणु समझौते हस्ताक्षर किए गए थे। हालाँकि उस समय भारत के पास परमाणु हथियार था और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के पक्ष में नहीं था यह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) से छूट प्राप्त है, भारत की परमाणु प्रौद्योगिकी और वाणिज्य पर पहले प्रतिबंध समाप्त. भारत विश्व का छठा वास्तविक परमाणु हथियार राष्ट्रत बन गया है। एनएसजी छूट के बाद भारत भी रूस, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और कनाडा सहित देशों के साथ असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर करने में सक्षम है।
वित्त वर्ष 2014-15 के केन्द्रीय अंतरिम बजट में रक्षा आवंटन में 10 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करते हुए 224,000 करोड़ रूपए आवंटित किए गए। 2013-14 के बजट में यह राशि 203,672 करोड़ रूपए थी।[104] 2012–13 में रक्षा सेवाओं के लिए 1,93,407 करोड़ रुपए[105] का प्रावधान किया गया था, जबकि 2011–2012 में यह राशि 1,64,415 करोइ़[106] थी। साल 2011 में भारतीय रक्षा बजट 36.03 अरब अमरिकी डॉलर रहा (या सकल घरेलू उत्पाद का 1,83%)। 2008 के एक SIRPI रिपोर्ट के अनुसार, भारत क्रय शक्ति के मामले में भारतीय सेना के सैन्य खर्च 72.7 अरब अमेरिकी डॉलर रहा। साल 2011 में भारतीय रक्षा मंत्रालय के वार्षिक रक्षा बजट में 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, हालाँकि यह पैसा सरकार की अन्य शाखाओं के माध्यम से सैन्य की ओर जाते हुए पैसों में शमिल नहीं होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़े हथियार आयातक है।
२०१४ में नरेन्द्र मोदी नीत भाजपा सरकार ने मेक इन इण्डिया के नाम से भारत में निर्माण अभियान की शुरुआत की और भारत को हथियार आयातक से निर्यातक बनाने के लक्ष्य की घोषणा की। रक्षा निर्माण के द्वार निजी कंपनियों के लिए भी खोल दिए गए और भारत के कई उद्योग घरानों ने बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में पूंजी निवेश की योजनाएँ घोषित की। फ्राँस की डसॉल्ट एविएशन ने अंबानी समूह के साथ साझेदारी में रफेल लड़ाकू विमान[107], तथा अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन ने टाटा समूह के साथ साझेदारी लड़ाकू विमान एफ-१६ [108] का निर्माण भारत में प्रारंभ करने की घोषणाएँ की हैं। अन्य प्रतिष्ठित समूह जैसे एल एंड टी,[109][110] महिंद्रा, कल्याणी आदि भी कई परियोजनाओं के निर्माण की पहल कर चुके हैं जिनमें तोपें, असला, जलपोत व पनडुब्बियों का निर्मान शामिल है। रूस के साथ कमोव हेलीकॉप्टर का निर्माण भी भारत में करने के लिए समझौता हुआ है।
अर्थव्यवस्था
मुद्रा स्थानांतरण की दर से भारत की अर्थव्यवस्था विश्व में दसवें और क्रयशक्ति के अनुसार तीसरे स्थान पर है। वर्ष २००३ में भारत में लगभग ८% की दर से आर्थिक वृद्धि हुई है जो कि विश्व की सबसे तीव्र बढती हुई अर्थव्यवस्थओं में से एक है। परंतु भारत की अत्यधिक जनसंख्या के कारण प्रतिव्यक्ति आय क्रयशक्ति की दर से मात्र ३,२६२ अमेरिकन डॉलर है जो कि विश्व बैंक के अनुसार १२५वें स्थान पर है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार २६५ (मार्च २००९) अरब अमेरिकी डॉलर है। मुम्बई भारत की आर्थिक राजधानी है और भारतीय रिजर्व बैंक और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का मुख्यालय भी। यद्यपि एक चौथाई भारतीय अभी भी निर्धनता रेखा से नीचे हैं, तीव्रता से बढ़ती हुई सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के कारण मध्यमवर्ग में वृद्धि हुई है। १९९१ के बाद भारत में आर्थिक सुधार की नीति ने भारत के सर्वंगीण विकास में बड़ी भूमिका निभाई है।
१९९१ के बाद भारत में हुए आर्थिक सुधारोँ ने भारत के सर्वांगीण विकास में बड़ी भूमिका निभाई। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कृषि पर अपनी ऐतिहासिक निर्भरता कम की है और कृषि अब भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का केवल २५% है। दूसरे प्रमुख उद्योग हैं उत्खनन, पेट्रोलियम, बहुमूल्य रत्न, चलचित्र, वस्त्र, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, तथा सजावटी वस्तुऐं। भारत के अधिकतर औद्योगिक क्षेत्र उसके प्रमुख महानगरों के आसपास स्थित हैं। हाल ही के वर्षों में $१७२० करोड़ अमरीकी डालर वार्षिक आय २००४-२००५ के साथ भारत सॉफ़्टवेयर और बीपीओ सेवाओं का सबसे बड़ा केन्द्र बन कर उभरा है। इसके साथ ही कई लघु स्तर के उद्योग भी हैं जोकि छोटे भारतीय गाँव और भारतीय नगरों के कई नागरिकों को जीविका प्रदान करते हैं। पिछले वर्षों में भारत में वित्तीय संस्थानों ने विकास में बड़ी भूमिका निभाई है।
केवल तीस लाख विदेशी पर्यटकों के प्रतिवर्ष आने के बाद भी भारतीय पर्यटन राष्ट्रीय आय का एक अति आवश्यक, परन्तु कम विकसित स्रोत है। पर्यटन उद्योग भारत के जीडीपी का कुल ५,३% है। पर्यटन १०% भारतीय कामगारों को आजीविका देता है। वास्तविक संख्या ४.२ करोड है। आर्थिक रूप से देखा जाए तो पर्यटन भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग $४०० करोड डालर प्रदान करता है। भारत के प्रमुख व्यापार सहयोगी हैं अमरीका, जापान, चीन और संयुक्त अरब अमीरात।
भारत के निर्यातों में कृषि उत्पाद, चाय, कपड़ा, बहुमूल्य रत्न व आभूषण, साफ़्टवेयर सेवायें, इंजीनियरिंग सामान, रसायन तथा चमड़ा उत्पाद प्रमुख हैं जबकि उसके आयातों में कच्चा तेल, मशीनरी, बहुमूल्य रत्न, उर्वरक (फ़र्टिलाइज़र) तथा रसायन प्रमुख हैं। वर्ष २००४ के लिये भारत के कुल निर्यात $६९१८ करोड़ डालर के थे जबकि उसके आयात $८९३३ करोड़ डालर के थे।
दिसम्बर 2013 के अंत में भारत का कुल विदेशी कर्ज 426.0 अरब अमरीकी डॉलर था, जिसमें कि दीर्घकालिक कर्ज 333.3 अरब (78,2%) तथा अल्पकालिक कर्ज 92,7% अरब अमरीकी डॉलर (21,8%) था। कुल विदेशी कर्ज में सरकार का विदेशी कर्ज 76.4 अरब अमरीकी डॉलर (कुल विदेशी कर्ज का 17.9 प्रतिशत) था, बाकी में व्यावसायिक उधार, एनआरआई जमा और बहुउद्देश्यीय कर्ज आदि हैं।[111]
जनसांख्यिकी एवं भाषाएँ
भारत चीन के बाद विश्व का दूसरा सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। भारत की विभिन्नताओं से भरी जनता में भाषा, जाति और धर्म, [112]सामाजिक और राजनीतिक सौहार्द और समरसता के मुख्य शत्रु हैं। भारत में २०११ की जनगणना के अनुसार ७४.०४ प्रतिशत साक्षरता [113]है, जिस में से ८२.१४% पुरुष और स्त्रियो की साक्षरता ६५.४६ हैं। [114] लिंग अनुपात की दृष्टि से भारत में प्रत्येक १००० पुरुषों के पीछे मात्र ९४० महिलायें हैं। कार्य भागीदारी दर (कुल जनसंख्या में कार्य करने वालों का भाग) ३९.१% है। पुरुषों के लिए यह दर ५१,७% और स्त्रियों के लिये २५,६% है। भारत की १००० जनसंख्या में २२.३२ जन्मों के साथ बढ़ती जनसंख्या के आधे लोग २२.६६ वर्ष से कम आयु के हैं।
धर्म
यद्यपि भारत की ७९.८० प्रतिशत या ९६.६२ करोड़ जनसंख्या हिन्दू है,[116] १४.२३ प्रतिशत या १७.२२ करोड़ जनसंख्या के साथ भारत विश्व में मुसलमानों की संख्या में भी इंडोनेशिया और पाकिस्तान के बाद तीसरे स्थान पर है। अन्य धर्मावलम्बियों में ईसाई (२.३० % या २.७८ करोड़), सिख (१,७२ % या २.०८ करोड़), बौद्ध (०,७० % या ८४.४३ लाख), जैन (०,३७ % या ४४.५२ लाख), अन्य धर्म (०,६६ % या ७९.३८ लाख) इनमें यहूदी, पारसी, अहमदी और बहाई आदि धर्मीय हैं। नास्तिकता ०,२४% या ३८.३७ लाख है।
भारत की जनजातियां
- गोंड - गोंड भारत की जनजाति है , मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में इनका शासन था ।
- भील - भील देश की सबसे विस्तृत क्षेत्र में फैली हुई जनजाति है , यह जनजाति मुख्यरूप से राजस्थान , मध्यप्रदेश , गुजरात और महाराष्ट्र में निवास करती है , इस जनजाति का इतिहास बेहद ही गौरवशाली रहा है , यह जनजाति प्राचीन समय में एक कबीले में ना रह कर , देश के कई क्षेत्रों पर शासन किया । भील जनजाति देश में भील रेजिमेंट और भील प्रदेश चाहती है।
- मीणा - मीणा राजस्थान की मुख्य जनजाति है। मध्य प्रदेश में मीणाओं को पूर्ण रूप से अनुसूचित जनजाति के रूप में प्रस्तावित किया गया है, जिस पर भारत सरकार विचार कर रही है।
- नागा - नागा जनजाति मुख्यरूप से नागालैंड में पाई जाती है , देश में नागा रेजिमेंट है।
- गारो - एक जनजाति
- भूमिज - भारत की सबसे प्राचीन जनजाति; पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, उड़ीसा और असम में पाई जाती है।
भाषाएँ
भारत दो मुख्य भाषा-सूत्रों: आर्य और द्रविड़ भाषाओं का स्रोत भी है। भारत का संविधान कुल २३ भाषाओं को मान्यता देता है। हिन्दी और अंग्रेजी केन्द्रीय सरकार द्वारा सरकारी कामकाज के लिए उपयोग की जाती हैं। संस्कृत और तमिल जैसी अति प्राचीन भाषाएं भारत में ही जन्मी हैं। संस्कृत, संसार की सर्वाधिक प्राचीन भाषाओं में से एक है, जिसका विकास पथ्यास्वस्ति नाम की अति प्राचीन भाषा/बोली से हुआ था। तमिल के अलावा सारी भारतीय भाषाएँ संस्कृत से ही विकसित हुई हैं, हालाँकि संस्कृत और तमिल में कई शब्द समान हैं, कुल मिला कर भारत में १६५२ से भी अधिक भाषाएं एवं बोलियाँ बोली जातीं हैं। भाषाओं के मामले में भारतवर्ष विश्व के समृद्धतम देशों में से है। संविधान के अनुसार हिन्दी भारत की राजभाषा है, और अंग्रेजी को सहायक राजाभाषा का स्थान दिया गया है। १९४७-१९५० के संविधान के निर्माण के समय देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी भाषा और हिन्दी-अरबी अंकों के अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप को संघ (केंद्र) सरकार की कामकाज की भाषा बनाया गया था, और गैर-हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी के प्रचलन को बढ़ाकर उन्हें हिन्दी-भाषी राज्यों के समान स्तर तक आने तक के लिये १५ वर्षों तक अंग्रेजी के इस्तेमाल की इजाज़त देते हुए इसे सहायक राजभाषा का दर्ज़ा दिया गया था। संविधान के अनुसार यह व्यवस्था १९५० में समाप्त हो जाने वाली थी, लेकिन् तमिलनाडु राज्य के हिन्दी भाषा विरोधी आन्दोलन और हिन्दी भाषी राज्यों राजनैतिक विरोध के परिणामस्वरूप, संसद ने इस व्यवस्था की समाप्ति को अनिश्चित काल तक स्थगित कर दिया है। इस वजह से वर्तमान समय में केंद्रीय सरकार में काम हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषाओं में होता है और राज्यों में हिन्दी अथवा अपने-अपने क्षेत्रीय भाषाओं में काम होता है। केन्द्र और राज्यों और अन्तर-राज्यीय पत्र-व्यवहार के लिए, यदि कोई राज्य ऐसी मांग करे, तो हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं का होना आवश्यक है। भारतीय संविधान एक राष्ट्रभाषा का वर्णन नहीं करता। हिंदी और अंग्रेजी भारत सरकार की आधिकारिक भाषाएं हैं, लेकिन कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है। भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ हैं, जिनमें से प्रत्येक को बड़ी संख्या में लोग बोलते हैं। हालाँकि, हिंदी का उपयोग अनिवार्य नहीं है, और अन्य आधिकारिक भाषाओं का भी उपयोग किया जा सकता है।
हिन्दी और अंग्रेज़ी के इलावा संविधान की आठवीं अनुसूची में २० अन्य भाषाओं का वर्णन है जिन्हें भारत में आधिकारिक कामकाज में इस्तेमाल किया जा सकता है। संविधान के अनुसार सरकार इन भाषाओं के विकास के लिये प्रयास करेगी, और अधिकृत राजभाषा (हिन्दी) को और अधिक समृद्ध बनाने के लिए इन भाषाओं का उपयोग करेगी। आठवीं अनुसूची में दर्ज़ २२ भाषाएँ यह हैं:
राज्यवार भाषाओं की आधिकारिक स्थिति इस प्रकार है:
संस्कृति
भारत की सांस्कृतिक धरोहर बहुत संपन्न है। यहाँ की संस्कृति अनोखी है और वर्षों से इसके कई अवयव अब तक अक्षुण्ण हैं। आक्रमणकारियों तथा प्रवासियों से विभिन्न चीजों को समेट कर यह एक मिश्रित संस्कृति बन गई है। आधुनिक भारत का समाज, भाषाएं, रीति-रिवाज इत्यादि इसका प्रमाण हैं। ताजमहल और अन्य उदाहरण, इस्लाम प्रभावित स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने हैं।
भारतीय समाज बहुधर्मिक, बहुभाषी तथा मिश्र-सांस्कृतिक है। पारंपरिक भारतीय पारिवारिक मूल्यों को बहुत आदर की दृष्टि से देखा जाता है।
विभिन्न धर्मों के इस भूभाग पर कई मनभावन पर्व त्यौहार मनाए जाते हैं - दिवाली, होली, दशहरा, पोंगल तथा ओणम, ईद उल-फ़ित्र, ईद-उल-जुहा, मुहर्रम, क्रिसमस, ईस्टर आदि भी बहुत लोकप्रिय हैं।
भारत में संगीत तथा नृत्य की अपनी शैलियां भी विकसित हुईं, जो बहुत ही लोकप्रिय हैं। भरतनाट्यम, ओडिसी, कथक प्रसिद्ध भारतीय नृत्य शैली है। हिन्दुस्तानी संगीत तथा कर्नाटक संगीत भारतीय परंपरागत संगीत की दो मुख्य धाराएं हैं। लोक नृत्यों में शामिल हैं पंजाब का भांगड़ा, असम का बिहू, झारखंड का झुमइर और डमकच, झारखंड और उड़ीसा का छाऊ, राजस्थान का घूमर, गुजरात का डांडिया और गरबा, कर्नाटक जा यक्षगान, महाराष्ट्र का लावनी और गोवा का देख्ननी ।
हालाँकि हॉकी देश का राष्ट्रीय खेल है, क्रिकेट सबसे अधिक लोकप्रिय है। वर्तमान में फुटबॉल, हॉकी तथा टेनिस में भी बहुत भारतीयों की अभिरुचि है। देश की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम 1983 और 2011 में दो बार विश्व कप और 2007 का 20–20 विश्व-कप जीत चुकी है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2003 में वह विश्व कप के फाइनल तक पहुँची थी। 1930 तथा 40 के दशक में हॉकी भारत में अपने चरम पर थी। मेजर ध्यानचंद ने हॉकी में भारत को बहुत प्रसिद्धि दिलाई और एक समय भारत ने अमरीका को 24–0 से हराया था जो अब तक विश्व कीर्तिमान है। शतरंज के जनक देश भारत के खिलाड़ी विश्वनाथ आनंद ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
वैश्वीकरण के इस युग में शेष विश्व की तरह भारतीय समाज पर भी अंग्रेजी तथा यूरोपीय प्रभाव पड़ रहा है। बाहरी लोगों की खूबियों को अपनाने की भारतीय परंपरा का नया दौर कई भारतीयों की दृष्टि में उचित नहीं है। एक खुले समाज के जीवन का यत्न कर रहे लोगों को मध्यमवर्गीय तथा वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। कुछ लोग इसे भारतीय पारंपरिक मूल्यों का हनन भी मानते हैं। विज्ञान तथा साहित्य में अधिक प्रगति न कर पाने की वजह से भारतीय समाज यूरोपीय लोगों पर निर्भर होता जा रहा है। ऐसे समय में लोग विदेशी अविष्कारों का भारत में प्रयोग अनुचित भी समझते हैं।
भारतीय पर्व
भारत में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं, जिसमें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस, 2 अक्टूबर को गांधी जयंती, दिवाली, होली, नवरात्रि, रामनवमी, दशहरा और ईद पूरे देश में मनाई जाती है। इसके अलावा अन्य पर्व राज्यों के अनुसार होते हैं।
सिनेमा और टेलीविज़न
भारतीय फिल्म उद्योग, दुनिया की सबसे ज्यादा देखी जाने वाली सिनेमा का उत्पादन करता है। इसके अलावा यहाँ असमिया, बंगाली, भोजपुरी, हिंदी, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, गुजराती, मराठी, ओडिया, तमिल और तेलुगू भाषाओं के क्षेत्रीय सिनेमाई परंपराएं भी मौजूद हैं। दक्षिण भारतीय सिनेमा का राष्ट्रीय फिल्म राजस्व में 75% से अधिक का हिस्सा है। भारत में सितंबर 2016 तक 2200 मल्टीप्लेक्स स्क्रीन सिनेमाघर थे तथा इसके 2019 तक 3000 तक बढ़ने की अपेक्षा की गई हैं।[145]
1959 में भारत में टेलीविजन का प्रसारण, राज्य संचालित संचार के माध्यम के रूप में शुरू हुआ, और अगले दो दशकों तक इसका धीमी गति से विस्तार हुआ। 1990 के दशक में टेलीविजन प्रसारण पर राज्य के एकाधिकार समाप्त हो गया, और तब से, उपग्रह चैनलों ने भारतीय समाज की लोकप्रिय संस्कृति को आकार दिया है। आज, भारत में टेलीविज़न मनोरंजन का सबसे प्रचलित माध्यम हैं, तथा इसकी पैठ समाज के हर वर्ग तक फैली हैं। उद्योग के अनुमान हैं कि भारत में 2012 तक 462 मिलियन उपग्रह या केबल कनेक्शन के साथ, कुल 554 मिलियन से अधिक टीवी उपभोक्ता हैं, मनोरंजन के अन्य साधनो में प्रेस मीडिया (350 मिलियन), रेडियो (156 मिलियन) तथा इंटरनेट (37 मिलियन) भी सम्मलित हैं
पाक-शैली (खानपान)
भारतीय खानपान बहुत ही समृद्ध है। शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनों ही तरह का खाना पसन्द किया जाता है। भारतीय व्यंजन विदेशों में भी बहुत पसन्द किए जाते हैं।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
टिप्पणी सूची
बाहरी कड़ियाँ
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