हिन्दी सिनेमा, जिसे बॉलीवुड के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दी भाषा में फ़िल्म बनाने का उद्योग है। बॉलीवुड नाम अंग्रेज़ी सिनेमा उद्योग हॉलीवुड के तर्ज़ पर रखा गया है। हिन्दी फ़िल्म उद्योग मुख्यतः मुम्बई शहर में बसा है। ये फ़िल्में हिन्दुस्तान, पाकिस्तान और विश्व के कई देशों के लोगों के दिलों की धड़कन हैं। अधिकतर फ़िल्मों में कई संगीतमय गाने होते हैं। इन फ़िल्मों में हिन्दी की "हिन्दुस्तानी" शैली का चलन है। हिन्दी और उर्दू (खड़ीबोली) के साथ साथ अवधी, बम्बइया हिन्दी, पंजाबी जैसी भाषाओं का भी संवाद और गानों में उपयुक्त होते हैं। प्यार, देशभक्ति, परिवार, अपराध, भय, इत्यादि मुख्य विषय होते हैं। ज़्यादातर गाने उर्दू शायरी पर आधारित होते हैं। भारत में सबसे बड़ी फिल्म निर्माताओं में से एक, शुद्ध बॉक्स ऑफिस राजस्व का 43% का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तमिल और तेलुगू सिनेमा 36% का प्रतिनिधित्व करते हैं,क्षेत्रीय सिनेमा के बाकी 2014 के रूप में 21% का गठन है। बॉलीवुड दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। बॉलीवुड कार्यरत लोगों की संख्या और निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी फिल्म उद्योगों में से एक है।
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भारतीय चलचित्र |
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भारतीय फिल्मों की सूची |
बॉलीवुड |
प्रसिद्ध बॉलीवुड फिल्में |
1930s |
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1940 1941 1942 1943 1944 1945 1946 1947 1948 1949 |
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1950 1951 1952 1953 1954 1955 1956 1957 1958 1959 |
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1970 1971 1972 1973 1974 1975 1976 1977 1978 1979 |
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1980 1981 1982 1983 1984 1985 1986 1987 19881989 |
1990s |
1990 1991 1992 1993 1994 1995 1996 1997 1998 1999 |
2000s |
2000 2001 2002 2003 2004 2005 2006 2007 2008 2009 |
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टॉलीवुड |
Telugu films by year |
| 1930s 1940s 1950s 1960s 1970s 1980s 1990s |
2000s |
2000 2001 2002 2003 2004 2005 2006 2007 2008 2009 |
कॉलीवुड |
प्रसिद्ध तमिल फिल्में |
1930s 1940s 1950s 1960s 1970s 1980s 1990s 2000s |
मलयालम |
|1928–1959 1960s1970s 1980s 1990s 2000s |
कन्नड़ |
कन्नड़ फिल्मों की सूची |
बांग्ला |
बांग्ला फिल्मों की सूची |
असमी |
असमी फिल्मों की सूची |
इतिहास
भारत में प्रारंभिक सिनेमा
1895 में लूमियर ब्रदर्स ने पेरिस सैलून सभाभवन में इंजन ट्रेन की पहली फिल्म प्रदर्शित की थी। इन्हीं लूमियर ब्रदर्श ने 7 जुलाई 1896 को बंबई के वाटसन होटल में फिल्म का पहला शो भी दिखाया था। एक रुपया प्रति व्यक्ति प्रवेश शुल्क देकर बंबई के संभ्रात वर्ग ने वाह-वाह और करतल ध्वनि के साथ इसका स्वागत किया। उसी दिन भारतीय सिनेमा का जन्म हुआ था। जनसमूह की जोशीली प्रतिक्रियाओं से प्रोत्साहित होकर नावेल्टी थियेटर में इसे फिर प्रदर्शित किया गया और निम्न वर्ग तथा अभिजात्य दोनों वर्गों को लुभाने के लिए टिकट की कई दरें रखी गईं। रूढ़िवादी महिलाओं के लिए जनाना शो भी चलाया गया। सबसे सस्ती सीट चार आने की थी और एक शताब्दी बाद भी यही चवन्नी वाले ही सिनेमा, इनके सितारों, संगीत निर्देशकों और दरअसल भारत के संपूर्ण व्यावसायिक सिनेमा के भाग्य विधाता हैं। 1902 के आसपास अब्दुल्ली इसोफल्ली और जे. एस. मादन जैसे उद्यमी छोटे, खुले मैदानों में घूम-घूमकर तंबुओं में बाइस्कोप का प्रदर्शन करते थे। इन्होंने बर्मा (म्यांमार) से लेकर सीलोन(श्रीलंका) तक सिनेमा के वितरण का साम्राज्य खड़ा किया। प्रारंभिक सिनेमा पियानो अथवा हारमोनियम वादक पर निर्भर होता था जिनकी आवाज प्रोजेक्टर की घड़घड़ाहट में खो जाती थी। लेकिन आयातित फिल्मों और डाक्यूमेंट्री फिल्मों के नयेपन का आकर्षण बहुत जल्दी ही दम तोड़ने लगा। फिर फिल्म प्रदर्शकों को अपनी प्रस्तुतियों को आकर्षक बनाने के लिए नृत्यांगनाओं, करतबबाजों और पहलवानों को मंच पर उतारना पड़ा।
शुरुआती दिनों में विवेकशील भारतीय दर्शक विदेशी फिल्मों से स्वयं को जुड़ा हुआ नहीं पाते थे। 1901 में एच.एस. भटवाड़ेकर ('सावे दादा' के नाम से विख्यात) ने पहली बार भारतीय विषयवस्तु और न्यूज रीलों की शूटिंग की। इसके तुरंत बाद तमाम यूरोपीय और अमेरिकी कंपनियों ने भारतीय दर्शकों के लिए भारत में शूट की गई भारतीय न्यूज रीलों का लाभ लिया। फरवरी, 1901 में कलकत्ता के क्लासिक थियेटर में मंचित ‘अलीबाबा’, ‘बुद्ध’, ‘सीताराम’ नामक नाटकों की पहली बार फोटोग्राफी हीरालाल सेन ने की। यद्यपि भारतीय बाजार यूरोपीय और अमेरिकी फिल्मों से पटा हुआ था, लेकिन बहुत कम दर्शक इन फिल्मों को देखते थे क्योंकि आम दर्शक इनसे अपने को अलग-थलग पाते थे। मई 1912 में आयातित कैमरा, फिल्म स्टॉक और यंत्रों का प्रयोग करके हिंदू संत ‘पुण्डलिक’ पर आधारित एक नाटक का फिल्मांकन आर. जी. टोरनी ने किया जो शायद भारत की पहली फुललेंथ फिल्म है।
पहली फिल्म थी 1913 में दादासाहेब फालके द्वारा बनाई गई राजा हरिश्चन्द्र। फिल्म काफी जल्द ही भारत में लोकप्रिय हो गई और वर्ष 1930 तक लगभग 200 फिल्में प्रतिवर्ष बन रही थी। पहली बोलती फिल्म थी अरदेशिर ईरानी द्वारा बनाई गई आलम आरा। यह फिल्म काफी ज्यादा लोकप्रिय रही। जल्द ही सारी फिल्में, बोलती फिल्में थी।
आने वाले वर्षो में भारत में स्वतंत्रता संग्राम, देश विभाजन जैसी ऎतिहासिक घटना हुई। उन दरमान बनी हिंदी फिल्मों में इसका प्रभाव छाया रहा। 1950 के दशक में हिंदी फिल्में श्वेत-श्याम से रंगीन हो गई। फिल्मों का विषय मुख्यतः प्रेम होता था और संगीत फिल्मों का मुख्य अंग होता था। 1960-70 के दशक की फिल्मों में हिंसा का प्रभाव रहा। 1980 और 1990 के दशक से प्रेम आधारित फिल्में वापस लोकप्रिय होने लगी। 1990-2000 के दशक में बनी फिल्में भारत के बाहर भी काफी लोकप्रिय रही। प्रवासी भारतीयो की बढती संख्या भी इसका प्रमुख कारण थी। हिंदी फिल्मों में प्रवासी भारतीयों के विषय लोकप्रिय रहे।
फिल्मी शहर
चर्चित फिल्मकार अविजित मुकुल किशोर[1] की फिल्में बदलते शहर, कस्बे और उनमें रहने वाले लोगों और जगहों की बात करती हैं। अपने कैमरे के ज़रिए वे यहां होने वाले बदलाव को बहुत ही खूबसूरती से कैद करते हैं। ‘फिल्मी शहर’ ऑनलाइन मास्टरक्लास में अविजित मुकुल किशोर[2] के साथ मिलकर सिनेमा की भाषा एवं उसके नज़रिए की पड़ताल की गई है। द थर्ड आई[3] की ये पहल, कोशिश है हिन्दी भाषा में फिल्मों एवं उनके द्वारा गढ़ी जा रही छवियों पर बात करने की। साथ ही यह पता लगाने की, की हमारा सिनेमा तेज़ी से बदल रहे हमारे गांव और शहर को कैसे देख रहा है। ‘फिल्मी शहर’[4] में सिनेमा के भीतर मौजूद वर्ग, जाति[5], जेंडर, यौनिकता[6] और विभिन्न तरह की असमानताओं की परतें एक के बाद एक खुलती जाती हैं।
भारतीय सिनेमा के प्रवर्तक : दादा साहब फालके
राजा हरिश्चंद्र (१९१३) भारत में बनी पहली हिंदी फिल्म थी। इसे दादासाहेब फाल्के ने निर्देशित किया था। मूक फिल्मों के दौर में फिल्मों के सीनों का फिल्मांकन दिन में ही पूर्ण कर लिया जाता था क्योंकि कृत्रिम रौशनी का प्रयोग असंभव था।
प्रमुख कलाकार
प्रमुख अभिनेता
- अमिताभ बच्चन
- अभिषेक बच्चन
- अनिल कपूर
- अमरीश पुरी
- अक्षय खन्ना
- अनुपम खेर
- अक्षय कुमार
- अमोल पालेकर
- आमिर ख़ान
- ओम पुरी
- अजय देवगन
- अर्जुन रामपाल
- दिलीप कुमार
- देव आनन्द
- नाना पाटेकर
- नसीरुद्दीन शाह
- राज कपूर
- राज कुमार
- राजेश खन्ना
- राजेन्द्र कुमार
- ऋषि कपूर
- राकेश रोशन
- हृथिक रोशन
- शम्मी कपूर
- शशि कपूर
- सुनील दत्त
- संजय दत्त
- संजीव कुमार
- सैफ अली खान
- सतीश शाह
- सलमान ख़ान
- शाहरुख खान
- सुनील शेट्टी
- सन्नी देओल
- बॉबी देओल
- जितेन्द्र
- जॉन अब्राहम
- जैकी श्रॉफ
- गोविन्दा
- धर्मेन्द्र
- विवेक ओबेरॉय
- मिथुन चक्रवर्ती
- पंकज त्रिपाठी
- मनोज बाजपेई
प्रमुख अभिनेत्रियाँ
- मीना कुमारी
- मधुबाला
- मौसमी चटर्जी
- माधुरी दीक्षित
- मल्लिका शेरावत
- महिमा चौधरी
- मनीषा कोइराला
- मीनाक्षी शेषाद्री
- ममता कुलकर्णी
- नूतन
- आशा पारेख
- अमृता अरोरा
- अमृता सिंह
- अमीषा पटेल
- साधना
- सायरा बानो
- शिल्पा शेट्टी
- शिल्पा शिरोडकर
- स्मिता पाटिल
- सोनाली बेन्द्रे
- वैजयन्ती माला
- जया बच्चन
- जया भादुरी
- जूही चावला
- रेखा
- रवीना टण्डन
- रानी मुखर्जी
- पूजा भट्ट
- करिश्मा कपूर
- करीना कपूर
- काजोल
- उर्मिला मातोंडकर
- डिम्पल कपाड़िया
- दीया मिर्ज़ा
- भूमिका चावला
- ग्रेसी सिंह
- श्रीदेवी
- प्रीती ज़िंटा
- प्रियंका चोपड़ा
- ऐश्वर्या राय
- हेमा मालिनी
- ईशा देओल
- बिपाशा बसु
- उर्मिला मातोंडकर
- दीपिका पादुकोण
- सोनम कपूर
- तनुश्री दत्ता
- कैटरीना कैफ़
प्रमुख निर्देशक
प्रमुख गायक
प्रमुख गायिका
प्रमुख संगीतकार
प्रमुख गीतकार
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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