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एक प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, पटकथालेखक व निर्देशक विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
विशाल भारद्वाज भारतीय हिन्दी फिल्म उद्योग बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, पटकथा लेखक व निर्देशक हैं। उन्हे गॉडमदर और इश्किया के लिये सर्वश्रेष्ठ संगीत के राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। विशाल के शब्दों मे "गुलजार" उनके प्रेरणास्त्रोत रहे हैं।
विशाल भारद्वाज | |
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आवास | बिजनौर, उत्तर प्रदेश, भारत |
पेशा |
निर्देशक, गीतकार, संगीतकार, पटकथा लेखक, निर्माता |
जीवनसाथी | रेखा भारद्वाज |
"विशाल भारद्वाज" का जन्म 04 अगस्त 1965 में उतर प्रदेश के बिजनौर जिले के शिकारपुर नामक ग्राम में हुआ था। उनका बचपन मेरठ में गुजरा। उनके पिता राम भारद्वाज शुगरकेन इंसपेक्तर थे और शौकिया तौर पर हिन्दी फिल्मो के लिये गाने लिखते थे। पिता यह चाहने पर उन्होने संगीत सीखा। दिल्ली आने पर एक दोस्त की वजह से उनकी संगीत में दिलचस्पी हुई। विशाल ने राज्य स्तरीय क्रिकेट मैच भी खेले हैं।[1] शुरुआती दौर मे उन्होने पेन म्यूजिक रिकॉर्डिंग कंपनी मे भी काम किया। तभी दिल्ली में उनकी मुलाकात गुलजार साहब से हुई। गुलजार के साथ उन्होने ‘चड्डी पहन के फूल खिला है’ गीत की रिकॉर्डिंग की। उसके बाद से उन्हे माचिस के लिए संगीत बनाने का मौका मिला।[2]
विशाल ने अपना सफर गुलजार के साथ मिलकर छोटे पर्दे पर द जंगल बुक, एलिस इन वंडरलैंड और गुब्बारे के साथ शुरु किया। इसके बाद उन्होने गुलजारनिर्देशित फिल्म माचिस का संगीत दिया। इस फ़िल्म के गीतों ने अपार लोकप्रियता हासिल की और विशाल भारद्वाज रातों रात सुर्खियों में आ गए। इस फिल्म के लिये उन्हे वर्ष १९९६ के फिल्मफेयर आर. डी. बर्मन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९९९ मे आयी फिल्म गॉडमदर के लिये उन्हे श्रेष्ठ संगीत का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार भी मिला। वर्ष २०११ मे एक बार फिर फिल्म इश्किया के लिये उन्हे यह पुरस्कार दिया गया। इश्किया का निर्माण भारद्वाज ने किया है। इसी फिल्म के लिये उनकी पत्नी रेखा भारद्वाज को भी राष्ट्रीय पुरस्कार मिला।[3] विशाल ने कई सारी हिन्दी फिल्मों के लिये संगीत दिया है जिसमे सत्या, चाची ४२०, मकबूल, ओंकारा, इश्किया, कमीने (2007) सात खून माफ (2012) और हैदर (2014) प्रमुख हैं।
विशाल निर्देशित पहली फिल्म मकङी थी। इसके बाद उन्होने शेक्सपियर के नाटक मैकबेथ पर आधारित फिल्म मकबूल बनाई। मक़बूल को बर्लिन फ़िल्म समारोह सहित कई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म समारोहों में जगह मिली।[4] वर्ष २००६ मे उन्होने शेक्सपियर द्वारा रचित नाटक ओथेलो पर आधारित फिल्म ओंकारा निर्देशित की। विशाल भारद्वाज ने इस फिल्म के निर्देशन और पटकथा लेखन के साथ-साथ फ़िल्म के संवाद भी लिखे।[5] मक़बूल के बाद एक बार शेक्सपियर की रचनाओं पर फिल्म बनाकर भारद्वाज ने अपनी निर्देशन क्षमता का लोहा मनवाया। इस फिल्म की सफलता ने उन्हे नई पीढ़ी के ऊर्जावान, उत्साही और कल्पनाशील निर्देशको की पंक्ति ला खङा किया। 30वें ‘कायरो फिल्म समारोह’ में फिल्म ओंकारा के लिए उन्हे सर्वश्रेष्ठ निर्देशक घोषित किया गया।[6] ओंकारा के लिए विशाल को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार समिति का विशेष पुरस्कार प्रदान किया गया।[7] इसके बाद उन्होने रस्किन बॉन्ड के उपन्यास पर आधारित बच्चों के लिये फिल्म द ब्लू अम्ब्रेला का निर्देशन किया। २००९ मे उनकी फिल्म कमीने प्रदर्शित हुई। इस फिल्म को दर्शकों से लेकर आलोचक तक सबकी प्रशंसा मिली।[8] कमीने के लिए विशाल को पहले ग्लोबल इंडियन म्यूज़िक अवॉर्ड्स मे सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[9] वर्ष २०१० मे आयी अभिषेक चौबे निर्देशित फिल्म इश्किया जिसका निर्माण, संवाद, संगीत और पटकथा लेखन विशाल ने किया था, के लिये विशाल को विशाल सर्वश्रेष्ठ संगीतकार और उनकी पत्नी रेखा भारद्वाज को सर्वश्रेष्ठ गायिका का राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार मिला।[10] २०११ मे उन्होने रस्किन बांड की सुज्ज़न'स सेवन हस्बेंड्स पर आधारित फिल्म ७ खून माफ़ निर्देशित की। इस फिल्म को दर्शकों और आलोचकों की मिली जुली प्रतिक्रिया मिली। २०१४ मे आई फिल्म हैदर ने एक बार फिर ये बता दिया कि शेक्सपियर के नाटक का निर्देशन विशाल भारद्वाज से अच्छा कोई नहीं कर सकता। यह फिल्म नाटक हेमलेट पर आधारित थी हैदर ने विशाल भारद्वाज को संगीत तथा पटकथा लेखन के लिए फिल्म फेयर अवार्ड दिलाए।
इस प्रकार २०१૪ मे शेक्सपीयर के उपन्यास हेलमेट पर आधारित उनकी फिल्म हैदर आई जिसमे उन्होनें एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया और फिल्म ने ५ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते
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