घूमर

इसे राजस्थान के नृत्यों की आत्मा कहते हैं। विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश

घूमर

घूमर राजस्थान का एक परंपरागत लोकनृत्य है। इसका विकास भील जनजाति ने मां सरस्वती की आराधना करने के लिए किया था और बाद में बाकी राजस्थानी बिरादरियों ने इसे अपना लिया। यह नाच मुख्यतः महिलाएं घूंघट लगाकर और एक घुमेरदार पोशाक जिसे "घाघरा" कहते हैं, पहन कर करती हैं। इस नृत्य में महिलाएं एक बड़ा घेरा बनाते हुए अन्दर और बाहर जाते हुए नृत्य करती हैं। घूमर नाम हिन्दी शब्द घूमना से लिया गया है जो कि नृत्य के दौरान घूमने को सूचित करता है।[1]

सामान्य तथ्य मूल नाम, विधा ...
घूमर
A Rajput Woman performing Ghoomar
मूल नामघूमर
विधालोक नृत्य
उपकरणढोल, शहनाई
उत्पत्तिस्थलराजस्थान, भारत
बंद करें

घूमर प्रायः विशेष अवसरों जैसे कि विवाह समारोह, त्यौहारों और धार्मिक आयोजनों पर किया जाता है, और अक्सर कुछ घंटो तक चलता है।

घूमर गीत

Thumb
राजपूत महिला द्वारा घूमर नाच

सामान्यतः निम्न गीतों पर घूमर नृत्य किया जाता है।

  • "म्हारी घूमर"
  • "चिरमी म्हारी चिरमली"
  • "आवे हिचकी" - पारम्परिक राजस्थानी घूमर गीत
  • "घूमर"
  • "जंवाई जी पावणा"
  • "तारां री चुंदड़ी"
  • "म्हारो गोरबन्द नखतरालो"
  • "म्हारी घूमर"
  • "घूमर रे घूमर रे"
  • "घूमर" - 2018 की फिल्म पद्मावत से

ये नृत्य गणगौर के अवसर पर आयोजित होता है ।। इस नृत्य की वेशभूषा 80/120 कली का लंहगा है। घूमर नृत्य को राजस्थान का रजवाड़ी नृत्य भी कहते है।

चित्र

सन्दर्भ

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