विष्णु
हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक / From Wikipedia, the free encyclopedia
विष्णु सनातन धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं जिनको नारायण और हरि के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु को जगत का पालनकर्ता माना जाता है, जब अधर्म और पाप बढ़ता है तब वे अवतार लेते हैं। वैष्णववाद के भीतर सर्वोच्च हैं, जो समकालीन हिन्दू धर्म के भीतर प्रमुख परंपराओं में से एक है।
विष्णु | |
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Member of त्रिमूर्ति | |
भगवान विष्णु | |
अन्य नाम |
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संबंध | |
निवासस्थान | |
मंत्र |
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अस्त्र | |
प्रतीक | |
दिवस | गुरुवार (बृहस्पतिवार) |
जीवनसाथी | लक्ष्मी , तुलसी और भूदेवी |
भाई-बहन | पार्वती या दुर्गा (शैववाद के अनुसार आनुष्ठानिक बड़ी बहन) |
संतान | |
सवारी | |
शास्त्र | |
त्यौहार |
हिन्दू धर्म के आधारभूत ग्रन्थों में बहुमान्य पुराणानुसार भगवान विष्णु परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप हैं। पुराणों में त्रिमूर्ति भगवान विष्णु को विश्व या जगत का पालनहार कहा गया है। त्रिमूर्ति के अन्य दो रूप ब्रह्मा और शिव को माना जाता है। ब्रह्मा जी को जहाँ विश्व का सृजन करने वाला माना जाता है, वहीं शिव जी को संहारक माना गया है। मूलतः भगवान विष्णु, शिव तथा ब्रह्मा भी एक ही हैं यह मान्यता भी बहुशः स्वीकृत रही है। न्याय को प्रश्रय अन्याय के विनाश तथा जीव (मानव) को परिस्थिति के अनुसार उचित मार्ग-ग्रहण के निर्देश हेतु विभिन्न रूपों में अवतार ग्रहण करनेवाले के रूप में भगवान विष्णु मान्य रहे हैं। कल्की अवतार १०वां (आखिरी) अवतार है।
पुराणानुसार भगवान विष्णु की पत्नी देवी लक्ष्मी हैं। पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी भी भगवान् विष्णु को लक्ष्मी के समान ही प्रिय है[1] और इसलिए उसे 'विष्णुप्रिया' के रूप में मान्यता प्राप्त है। भगवान विष्णु का निवास क्षीरसागर है। उनका शयन शेषनाग के ऊपर है। उनकी नाभि से कमल उत्पन्न होता है जिसमें ब्रह्मा जी स्थित हैं।
वह अपने नीचे वाले बाएँ हाथ में पद्म कमल), अपने नीचे वाले दाहिने हाथ में गदा (कौमोदकी) ,ऊपर वाले बाएँ हाथ में शंख (पाञ्चजन्य) और अपने ऊपर वाले दाहिने हाथ में चक्र(सुदर्शन) धारण करते हैं।[2]
जिवन के मुखय स्त्रोत व देवो के संहायक|अपनी दोनों पत्नियों के साथ गरुड़ पर भगवान विष्णशेष शय्या पर आसीन विष्णु, लक्ष्मी व ब्रह्मा के साथ, चम्बा पहाड़ी शैली के एक लघुचित्र में।]]