शेषनाग
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शेषनाग या अदिशेष,ऋषि कश्यप और कद्रू के सबसे बड़े पुत्र हैं। वह नागराज भी थे। परंतु ये राजपाट छोड़कर विष्णु की सेवा में लग गए क्योंकि उनकी माता कद्रू ने अरुण और गरुड़ की माता तथा अपनी बहिन और उनकी विमाता विनता के साथ छल किया था। वह विष्णु भगवान के परम भक्त हैं और उनको शैया के रूप में आराम देते हैं। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, शेषनाग का दूसरा नाम अनंत भी हैं। इनके अनंत मस्तक हैं, इनका शरीर अनंत विशाल हैं और इनका कही अंत नहीं हैं इसीलिए इन्हें 'अनंत' भी कहा गया हैं। वह भगवान विष्णु के साथ क्षीरसागर में ही रहते हैं। भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी क्षीर सागर में शेषनाग के आसन पर ही निवास करते हैं। मान्यताओं के अनुसार शेष ने अपने पाश्चात वासुकी और वासुकी ने अपने पश्चात् तक्षक को नागों का राजा बनाया वह सारे ग्रहों को अपनी कुंडली पर धरे हुए हैं। ऐसा माना जाता है कि जब शेषनाग सीधे चलते हैं कब ब्रह्मांड में समय रहता है और जब शेषनाग कुंडली के आकार में आ जाते हैं तो प्रलय आती हैं। वह भगवान विष्णु के भक्त होने के साथ-साथ उनके अवतारों में भी उनका सहयोग करते हैं। जैसे कि त्रेता युग के राम अवतार में शेषनाग ने लक्ष्मण भगवान का रूप धरा था। वैसे ही द्वापर युग के कृष्ण अवतार में शेषनाग जी ने बलराम जी का अवतार लिया था। जब वसुदेव जी भगवान कृष्ण भगवान को टोकरी में डालकर नंद जी के यहां ले जा रहे थे तब शेषनाग जी उनकी छतरी की तरह उनको बारिश से बचा रहे थे। इनके अन्य छोटे भाई वासुकी , तक्षक , कालिया नाग , पद्म , महापद्म , धनञ्जय , शन्ख आदि नाग थे।
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शेषनाग | |
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नागराज और भगवान विष्णु की शैया व भक्त | |
हजार सिर वाले नाग नागों के राजा शेषनाग | |
अन्य नाम | कद्रूनन्दन , संकर्षण , लक्ष्मण, बलभद्र, आदिशेष |
संबंध |
विष्णु भक्त नागों का राजा |
निवासस्थान | क्षीर सागर |
अस्त्र | विषैले फन |
जीवनसाथी | नागलक्ष्मी[1] |
माता-पिता | |
भाई-बहन | वासुकी , तक्षक , कालिया , शन्ख , महापद्म , पद्म , कर्कोटक , धनञ्जय आदि नाग |
संतान | सुनयना (जनक की पत्नी) , महाबलवान और सुलोचना (इन्द्रजीत की पत्नी) |
त्यौहार | नाग पञ्चमी |