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शब-ए-क़द्र
इस्लाम में एक पवित्र रात / From Wikipedia, the free encyclopedia
शब-ए-क़द्र (अंग्रेजी: Laylat al-Qadr, उर्दू: شب قدر) या लैलतुल-क़द्र मुस्लिम समुदाय रमज़ान के पवित्र महीने की एक शुभ रात है।[1] उस रात की विशेषता मुस्लिम मान्यता के अनुसार कुरान की आयतों का पृथ्वी पर जिब्रील जिबरील नाम के फ़रिशते के ज़रिए पैगम्बर मुहम्मद पर अवतरण (नाज़िल) होना शुरू हुआ था। कुरआन के अनुसार वो रमज़ान की कोई भी रात हो सकती है। हदीस में यह रात आम तौर से 27वे रमज़ान और आखरी १० दिन में की भी मानी जाती है जिसमें मुसलमान जागते हैं और अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से क्षमा माँगते हैं।[2]
इस रात की निश्चित पहचान ना होने के कारण आस्थावान मुसलमान लगातार दस दिनों तक उपासना करने के लिए एतिकाफ़ अर्थात दस दिनों तक लगातार मस्जिद में रहकर भी इबादत करते हैं।
शब-ए-क़द्र | |
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आधिकारिक नाम | ليلة القدر (लई लतुल क़द्र क़द्र) |
अन्य नाम | शब ए क़द्र, लैलतुल-क़द्र |
अनुयायी | मुस्लिम |
तिथि | देखें |
![]() इसलामी संस्कृति पर एक शृंखला का भाग |
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