बुर्क़ा (अरबी: برقع); इस्लामी संस्कृति में महिलाओं का बाहरी पीराहन है।[1] विशेषकर इसका उपयोग पर्दे के रूप में होता है।[2] इस तरह का पर्दा दुनिया के सभी मुस्लिम समूहों में पाया जाता है। लेकिन अलग अलग स्थानों में अलग अलग नाम से पर्दा का अहतमाम रहा है। बुर्का, अरबी देशों और उपमहाद्वीप में इस्तेमाल आम है।
इसलामी संस्कृति पर एक शृंखला का भाग |
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प्रचलन
बुर्क़ा मुस्लिम समाज की स्त्रियों में महिलाओं द्वारा घर से बाहर निकलने के अवसर पर अनिवार्य रूप से पहना जाता है। बुर्क़े को इस्लाम धर्मावलंवी स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने वाला साधन मानते हैं। पर्दा कोई प्रथा नही है यह एक इस्लमिक वेश भूषा है बुर्का पहनना किसी भी स्त्रियों पर किसी भी तरह का कोई कोई जोर दबाओ नही है लेकिन जो महिला इस्लाम की तालीम जानती है वह खुद ही बिर्खा का इस्तेमाल करती है
प्रतिबंध
बुर्क़ा का आत्मघाती कार्यवाइयों में इस्तेमाल तथा उसका अपराधियों द्वारा स्वयं को छुपाने के उपकरण के रूप में प्रयोग करने की घटनाओं के बाद उसके सार्वजनिक स्थलों में प्रयोग पर गंभीर विवाद खड़ा हो गया। इसके पश्चात अनेक इसाई बहुल पश्चिमी देशों ने सार्वजनिक स्थलों पर बुरका पहनने को प्रतिबंधित कर दिया।
इन्हें भी देखें
- हिजाब
- अबाया
- नकाब
सन्दर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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