ईद अल-अज़हा
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ईदुल-अज़हा (अन्य नाम: बक़्रईद, बक़्रीद, क़ुरबानी की ईद, इदे क़ुरबाँ) अरबी में عید الاضحیٰ; ईद-उल-अज़हा अथवा ईद-उल-अद्'हा - जिसका मतलब क़ुरबानी की ईद) इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग ७० दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है।[1] अरबी भाषा में 'बक़र' का अर्थ है गाय[2]
[3] लेकिन इधर हिंदी उर्दू भाषा के बकरी-बकरा से इसका नाम जुड़ा है, अर्थात् इधर के देशों में बकरे की क़ुर्बानी के कारण असल नाम से बिगड़कर आज भारत, पाकिस्तान व बांग्ला देश में यह 'बकरा ईद' से ज्यादा विख्यात हैं।[4] ईद-ए-कुर्बां का मतलब है बलिदान की भावना। अरबी में 'क़र्ब' नजदीकी या बहुत पास रहने को कहते हैं मतलब इस मौके पर अल्लाह् इंसान के बहुत करीब हो जाता है। कुर्बानी उस पशु के जि़बह करने को कहते हैं जिसे 10, 11, 12 या 13 जि़लहिज्ज (हज का महीना) को खुदा को खुश करने के लिए ज़िबिह किया जाता है। कुरान में लिखा है: हमने तुम्हें हौज़-ए-क़ौसा दिया तो तुम अपने अल्लाह के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो।
बकरा ईद में लोगों को एक बकरे की कुर्बानी दे और एक बकरे का भी पालन करें।
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कुरबानी की ईद जानवरों से बर्बरता करने की खुली छूट | |
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ईद-उल-अज़हा | |
अनुयायी | मुस्लिम |
प्रकार | इस्लाम |
आरम्भ | 10 ज़ु अल-हज्जा |
समापन | 13 ज़ु अल-हज्जा |
तिथि | 10 Dhu al-Hijjah |
इसलामी संस्कृति पर एक शृंखला का भाग |
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इस ईद को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे
- ईदुल अज़हा
- ईद अल-अज़हा
- ईद उल-अज़हा
- ईद अल-अधा
- ईद उल ज़ुहा