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बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
'वन्दे मातरम्' गीत के रचयिता / From Wikipedia, the free encyclopedia
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय (बांग्ला: বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায়) (२७ जून १८३८ - ८ अप्रैल १८९४) बांग्ला भाषा के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। भारत का राष्ट्रगीत 'वन्दे मातरम्' उनकी ही रचना है जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था। रबीन्द्रनाथ ठाकुर के पूर्ववर्ती बांग्ला साहित्यकारों में उनका अन्यतम स्थान है।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय | |
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स्थानीय नाम | বঙ্কিমচন্দ্র চট্টোপাধ্যায় |
जन्म | 27 जून 1838 नैहाटी, बंगालਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
मौत | 8 अप्रैल 1894(1894-04-08) (उम्र 55) कोलकाता, बंगालਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
कब्र | ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
पेशा | लेखक, कवि, उपन्यासकार, निबन्धकार, पत्रकार, व्याख्यानकार एवं राजनेता |
भाषा | बांग्ला, अंग्रेजी |
उच्च शिक्षा | कलकत्ता विश्वविद्यालय |
विषय | साहित्य |
आंदोलन | बंगाली पुनर्जागरण |
उल्लेखनीय कामs | दुर्गेशनन्दिनी कपालकुण्डला देवी चौधुरानी आनन्द मठ वन्दे मातरम् |
हस्ताक्षर | ![]() |
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आधुनिक युग में बंगला साहित्य का उत्थान उन्नीसवीं सदी के मध्य से शुरु हुआ। इसमें राजा राममोहन राय, ईश्वर चन्द्र विद्यासागर, प्यारीचाँद मित्र, माइकल मधुसुदन दत्त, बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय और रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने अग्रणी भूमिका निभायी। इसके पहले बंगाल के साहित्यकार बंगला की जगह संस्कृत या अंग्रेजी में लिखना पसन्द करते थे। बंगला साहित्य में जनमानस तक पैठ बनाने वालों मे शायद बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय पहले साहित्यकार थे।