राजा राममोहन राय
भारतीय बंगाली धार्मिक, सामाजिक और शैक्षिक सुधारक (1772-1833) / From Wikipedia, the free encyclopedia
राजा राममोहन रॉय (22 मई 1772 - 27 सितंबर 1833) को भारतीय पुनर्जागरण का अग्रदूत और आधुनिक भारत का जनक कहा जाता है। इनके पिता का नाम रमाकांत तथा माता का नाम तारिणी देवी था। इन्होने तीन विवाह किए।भारतीय सामाजिक और धार्मिक पुनर्जागरण के क्षेत्र में उनका विशिष्ट स्थान है। वे ब्रह्म समाज के संस्थापक, भारतीय भाषायी प्रेस के प्रवर्तक, जनजागरण और सामाजिक सुधार आंदोलन के प्रणेता तथा बंगाल में नव-जागरण युग के पितामह थे। राघव सिहं राठौर उ भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और पत्रकारिता के कुशल संयोग से दोनों क्षेत्रों को गति प्रदान की। उनके आन्दोलनों ने जहाँ पत्रकारिता को चमक दी, वहीं उनकी पत्रकारिता ने आन्दोलनों को सही दिशा दिखाने का कार्य किया| राजा राम मोहन राय को राय की उपाधि अकबर द्वितीय ने दी थी। इन्होने अपनी पहली पुस्तक फारसी भाषा में एकेशवरवाद का उपहार (तुहफाल उल मुहावादिनी) लिखी।।इनको ,भारत के पुनर्जागरण का पिता, कहा जाता है। राजा राम मोहन राय ने सबसे पहले ( आत्मीय सभा) की स्थापना किए थे। इनको भारत का प्रथम आधुनिक पुरुष माना जाता है। इनकी समाधि ब्रिस्टल (इंग्लैंड) में है।
राजा राममोहन रॉय | |
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चित्र:Portrait of Raja Ram Mohan Roy, 1833.jpg | |
जन्म |
ल. 22 May 1772 |
मौत |
27 सितम्बर 1833(1833-09-27) (उम्र 61) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | सामाजिक और धार्मिक सुधारक;लेखक |
प्रसिद्धि का कारण | बंगाल पुनर्जागरण, ब्रह्म सभा(सामाजिक, राजनीतिक सुधार) |
हस्ताक्षर |