उत्तर अफ़्रीका (अरबी: شمال أفريقيا, शुमाल अफ़्रीक़िया) अफ़्रीका के महाद्वीप का उत्तरी भाग है। इसके और उप-सहारा अफ़्रीका के दरमयान सहारा का विशाल रेगिस्तान आता है जो उत्तर अफ़्रीका और बाक़ी अफ़्रीका में इतना बड़ा फ़ासला बना देता है के उत्तर अफ़्रीका की जातियाँ, भाषाएँ, रीति-रिवाज, मौसम और जानवर बाक़ी अफ़्रीका के काफ़ी भिन्न हैं। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार उत्तर अफ़्रीका में सात राष्ट्र आते हैं: मोरक्को, अल्जीरिया, तूनीशीया, लीबिया, मिस्र, सूडान और पश्चिमी सहारा। इस भूभाग में कुछ छोटे-से स्पेन-नियंत्रित उत्तर अफ़्रीकी क्षेत्र भी आते हैं। उत्तर अफ़्रीका में अरबी, बर्बरी भाषाएँ और कुछ अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं। मोरक्को, अल्जीरिया, तूनीशीया, लीबिया और मौरितानिया के समूह को "मग़रिब" भी कहा जाता है, जिसका अर्थ अरबी में (और हिन्दी-उर्दु में भी) "पश्चिमी" है।
भूगोल
इस इलाक़े के उत्तरी भाग में एटलस पर्वत शृंखला मोरक्को, उत्तरी अल्जीरिया और तुनिशिया में स्थित हैं। इन पहाड़ों में कहीं-कहीं वन और झाड़ हैं और अन्य स्थानों पर ज़मीन पत्थरीली और बंजर है। इनमें कहीं-कहीं सर्दियों के मौसम में बर्फ़ भी पड़ती है और छोटे-मोटे नदी-नाले प्रवाह करते हैं। थोड़ा सा दक्षिण में और पूर्व की दिशा में यह पहाड़ ख़त्म हो जाते हैं और घास और झाड़ के खुले फैले हुए मैदान हैं, जो और दक्षिण की और जाकर सहारा रेगिस्तान की रेत में समाप्त हो जाते हैं। उत्तरी अफ़्रीका का 75% भाग यही सहारा रेगिस्तान है। सहारा का बहुत सा हिस्सा दरअसल एक पठार पर स्थित है और इसमें बहुत सी चट्टानें और सूखे पहाड़ स्थित हैं। पूर्व की और मिस्र में नील नदी की घाटी में काफ़ी हरियाली है और मिस्र की अधिकाँश आबादी इसी नदी के पास रहती है। सहारा के रेगिस्तान में भी कहीं-कहीं पर नख़लिस्तान (ओएसिस) मिलते हैं। पूरे उत्तरी अफ़्रीका में समुद्र के किनारे का इलाका थोड़ा-बहुत हरियाला है और वहाँ शहर-क़स्बे बसे हुए हैं।
उत्तर अफ़्रीका का सब से उत्तरी छोर तुनीसिया का "रास बिन सक्का" है जो 37°21' उत्तर अक्षांश (लैटिट्यूड) पर स्थित है। यह लगभग कश्मीर के सब से उत्तरी छोर के बराबर है।
देशों का ब्यौरा
देश | क्षेत्रफल (वर्ग किमी) | जनसँख्या | आबादी का घनत्व (व्यक्ति प्रति वर्ग किमी) |
राजधानी | सकल घरेलू उत्पाद | प्रति व्यक्ति की औसत वार्षिक आय | मुद्रा | सरकार की व्यवस्था | मानक भाषाएँ |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
अल्जीरिया | 2,381,741 | 34,586,184 | 14.5 | अल्जियर्ज़ | $254.7 अरब (2010 est.)[1] | $7,400 (2010 est.) | अल्जीरियाई दिनार | राष्ट्रपति-प्रधान गणतंत्र | अरबी और फ़्रांसिसी |
मिस्र | 1,001,450 | 80,471,869 | 80.4 | क़ाहिरा | $500.9 अरब (2010) | $6,200 (2010) | मिस्री पाउंड | राष्ट्रपति-प्रधान गणतंत्र | अरबी |
लीबिया | 1,759,540 | 6,461,454 | 3.7 | त्रिपोली | $89.03 अरब (2010)[2] | $13,800 (2010) | लीबिया दिनार | तानाशाही (गृहयुद्ध जारी है) | अरबी |
मोरक्को | 446,550 | 31,627,428 | 70.8 | रबात | $153.8 अरब (2010)[3] | $4,900 (2010) | मोरक्क्वी दिरहम | संवैधानिक राजशाही | अरबी, लेकिन क्षेत्रीय स्तर पर फ़्रांसिसी और बर्बरी |
सूडान | 2,505,813 | 43,939,598 | 17.5 | ख़ारतूम | $98.79 अरब (2010)[4] | $2,200 (2010) | सूडानी पाउंड | तानाशाही | अरबी और अंग्रेज़ी |
दक्षिण सूडान | ??? | 43,939,598 | 17.5 | जूबा | $98.79 अरब (2010)[5] | $2,200 (2010) | सूडानी पाउंड | प्रजातत्र | अरबी और अंग्रेज़ी |
ट्यूनिशिया | 163,610 | 10,589,025 | 64.7 | तूनिस | $100.3 अरब (2010)[6] | $9,500 (2010) | तूनिशियाई दिनार | तानाशाही / गणतंत्र | अरबी |
पश्चिमी सहारा[7] | 266,000 | 491,519 | 1.8 | ऍल आइउन | $90 करोड़ (2007)[8] | $2,500 (2007) | मोरक्क्वी दिरहम | मोरक्को द्वारा नियंत्रित | अरबी, फ़्रांसिसी और स्पैनिश |
कुल, उत्तर अफ़्रीका | 8,524,704 | 208,167,077 | 24.4 | $12 खरब | $5,700 | ||||
स्रोत और टिपण्णी: |
संस्कृति
उत्तर अफ़्रीका की संस्कृति चार मुख्य धाराओं के तालमेल से बनी है -
- पूर्वी भाग में मिस्र की प्राचीन सभ्यता नील नदी और उसके पास के क्षेत्रों में हज़ारों वर्षों तक चरम पर रही है। मिस्र के कोप्ती ईसाई (जिन्हें अंग्रेजी में कॉप्टिक क्रिश्चन कहते हैं) समुदाय पर इस प्राचीन मिस्री सभ्यता की गहरी छाप देखी जा सकती है।
- दूसरी धारा पश्चिमी भाग की बर्बर जातियाँ और बर्बरी भाषाओँ को लेकर बनी है, जो इस भाग का प्राचीन विरसा है। नील नदी से कुछ पश्चिम में मिस्र के ही सीवा नख़लिस्तान (ओएसिस) से बर्बर प्रभाव दिखने लगता है और यह पश्चिम में अंध महासागर तक फैला हुआ है।
- तीसरी धारा अरबी संस्कृति की है। अरबों ने इस्लामी दौर की शुरुआत के बाद उत्तर अफ़्रीका पर आक्रमण करके उसको अरब संस्कृति के साथ जोड़ लिया था। सदियों के बीतने से मिस्र की प्राचीन भाषा लगभग ख़त्म हो गयी और वह लोग अरबी बोलने लगे। बर्बर इलाक़ों पर भी अरबी प्रभाव इतना पड़ा के इन समाजों में बर्बरी की तुलना में अरबी बोलने वाले अधिक हो गए और अधिकाँश बर्बरी मूल के लोग अपने-आप को अरब समाज का हिस्सा समझने लगे।
- चौथी धारा 18वी सदी से 20सदी के मध्य तक चलने वाले यूरोपियाई साम्राज्यवाद की है, जिसमें उत्तर अफ़्रीका में मिस्र पर इंग्लैण्ड, लीबिया पर इटली और बाक़ी हिस्सों पर फ्रांस को बुलंदी मिली। समय के साथ-साथ इटली का प्रभाव तो जाता रहा है, लेकिन फ़्रांसिसी भाषा और कई तौर-तरीक़े अभी भी उत्तर अफ़्रीका के "मग़रिब" क्षेत्र में देखे जा सकते हैं।
20वी सदी में बहुत से बर्बर मूल के लोगों में अपनी प्राचीन संस्कृति के लिए जागृति पैदा हुई। कुछ लोग सामाजिक, कला और सरकारी जीवन में बर्बरी भाषाओँ को मान्यता मिलने के लिए आन्दोलन चलाने लगे। इसके विपरीत कुछ अन्य लोगों को लगा के इस से अरब एकता को धक्का लगता है और वे इसका विरोध करने लगे। यह विवाद जारी है, हालांकि मोरक्को, अल्जीरिया और अन्य देशों में बर्बरी भाषाओँ की मान्यता धीरे-धीरे बढ़ती गयी है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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