प्रवेशद्वार:हिन्दी
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हिंदी साहित्य
![Thumb image](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/8/87/Hindi.png)
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जनवरी मास का प्रमुख लेख...
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अंतर्जाल पर हिंदी के प्रमुख कडियाँ
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प्रमुख घटनाएँ
![कुइयाँजान](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/thumb/e/e7/Kuiyanjan.jpg/90px-Kuiyanjan.jpg)
- २७ जून २००८ सुप्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा को उनके उपन्यास कुइयाँजान के लिए लंदन के हाउस ऑफ़ लॉर्डस में यू के कथा सम्मान से सम्मानित किया गया।
- अमेरिका के पाँच शहरों - सैन डियागो, लास एन्जेल्स, ब्लूमिंगटन, फ़ोर्ट वर्थ और केन्ट के स्कूल/युनिवर्सिटी में छात्रों के लिए जून से अगस्त तक हिन्दी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलेंगे। इस कार्यशाला का उद्देश्य अमेरिका के स्कूलों में हिन्दी का पठन-पाठन हाई स्कूल स्तर से शुरू करना है ताकि वे विश्वविद्यालय स्तर तक हिन्दी पढ़ें और इस भाषा को पूर्णरूपेण आत्मसात कर सकें।
- १३ जून २००८ हिन्दी नई कविता की जानी मानी मुखर कवयित्री कीर्ति चौधरी का लंदन में निधन हो गया।
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इस माह के प्रमुख विषय
हिंदी साहित्य
आदिकाल | आधुनिक काल | आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास | आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास | छायावादी युग | प्रवासी हिंदी साहित्य | ब्रिटेन का प्रवासी हिंदी साहित्य । भक्ति काल । हिंदी साहित्य | हिन्दी गद्यकार | आधुनिक काल | रीति काल । विद्यापति । हिंदी की विभिन्न बोलियां और उनका साहित्य
हिंदी के प्रमुख साहित्यकार
आचार्य रामचंद्र शुक्ल | आमिर खुसरो | चंद बरदाई | जयशंकर प्रसाद | दण्डपाणी जयकान्तन | धर्मवीर भारती । नरोत्तमदास । नागार्जुन । निर्मल वर्मा । पं महावीर प्रसाद द्विवेदी | प्रेमचंद | फणीश्वर नाथ रेणु | भारतेंदु हरिश्चंद्र | भीष्म साहनी । मनोहर श्याम जोशी । मलिक मोहम्मद जायसी । मीरा बाई। मैथिलीशरण गुप्त | रहीम । संत कबीर । सुमित्रानंदन पंत । सूरदास । सूर्यकांत त्रिपाठी निराला | हजारी प्रसाद द्विवेदी|
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इस माह का चित्र
महादेवी वर्मा (26 मार्च, 1907 — 11 सितंबर, 1987) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने व्यापक समाज में काम करते हुए भारत के भीतर विद्यमान हाहाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण होकर अन्धकार को दूर करने वाली दृष्टि देने की कोशिश की। उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी।