रहीम
कोहिनूर / From Wikipedia, the free encyclopedia
अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना या रहीम, एक मध्यकालीन कवि, सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, एवं विद्वान थे। वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। उनका व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न था। वे एक ही साथ कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे। जन्म से एक मुसलमान होते हुए भी हिंदू जीवन के अंतर्मन में बैठकर रहीम ने जो मार्मिक तथ्य अंकित किये थे, उनकी विशाल हृदयता का परिचय देती हैं। हिंदू देवी-देवताओं, पर्वों, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं का जहाँ भी उनके द्वारा उल्लेख किया गया है, पूरी जानकारी एवं ईमानदारी के साथ किया गया है। वे जीवनभर हिंदू जीवन को भारतीय जीवन का यथार्थ मानते रहे। रहीम ने काव्य में रामायण, महाभारत, पुराण तथा गीता जैसे ग्रंथों के कथानकों को उदाहरण के लिए चुना है और लौकिक जीवनव्यवहार पक्ष को उसके द्वारा समझाने का प्रयत्न किया है, जो भारतीय संस्कृति की वर झलक को पेश करता है।
- छिमा बड़न को चाहिये, छोटन को उतपात।
- का रहीम हरि को घट्यौ, जो भृगु मारी लात॥
बच्चे: जाना बेगम
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अब्दुर्रहीम | |
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जन्म | 17 दिसम्बर 1556 दिल्ली, मुगल साम्राज्यਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
निधन | 1 अक्टूबर 1627(1627-10-01) (उम्र 70) आगरा, मुगल साम्राज्यਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
समाधि | अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना का मकबरा, दिल्ली ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
जीवनसंगी | मह बानू बेगम |
संतान | 2 |
पिता | बैरम खान |
माता | सुल्ताना बैगम (जमाल खाँ की बेटी) |
धर्म | इस्लाम |