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हेमचन्द्राचार्य
भारतीय लेखक / From Wikipedia, the free encyclopedia
जैन आचार्य हेमचन्द्र (१०८८-११७२) कलिकाल सर्वज्ञ महान गुरु, समाज-सुधारक, धर्माचार्य, गणितज्ञ एवं अद्भुत प्रतिभाशाली मनीषी थे। भारतीय चिंतन, साहित्य और साधना के क्षेत्र में उनका नाम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। साहित्य, दर्शन, योग, व्याकरण, काव्यशास्त्र, वाङ्मय के सभी अंङ्गो पर नवीन साहित्य की सृष्टि तथा नये पंथ को आलोकित किया। संस्कृत एवं प्राकृत पर उनका समान अधिकार था।
आचार्य हेमचन्द्र सूरीजी | |
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![]() ताड़पत्र-प्रति पर आधारित हेमचन्द्राचार्यजी की छवि | |
धर्म | जैन धर्म |
उपसंप्रदाय | श्वेताम्बरਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ | |
जन्म |
चांगदेव १०८८ ई.(टिप्पणि देखें) धंधुकाਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
निधन |
११७२ ई.(टिप्पणि देखें) अन्हिलवाड़ पाटनਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
शांतचित्त स्थान | ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
संस्कृत के मध्यकालीन कोशकारों में हेमचन्द्र का नाम विशेष महत्व रखता है। वे महापण्डित थे और 'कलिकालसर्वज्ञ' कहे जाते थे। वे कवि थे, काव्यशास्त्र के आचार्य थे, योगशास्त्रमर्मज्ञ थे, जैनधर्म और दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान् थे, टीकाकार थे और महान कोशकार भी थे। वे जहाँ एक ओर नानाशास्त्रपारंगत आचार्य थे वहीं दूसरी ओर नाना भाषाओं के मर्मज्ञ, उनके व्याकरणकार एवं अनेकभाषाकोशकार भी थे।
आचार्य हेमचन्द्र को पाकर गुजरात अज्ञान, धार्मिक रुढियों एवं अंधविश्वासों से मुक्त हो कीर्ति का कैलास एवं धर्म का महान केन्द्र बन गया। अनुकूल परिस्थिति में कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचंद्र सर्वजनहिताय एवं सर्वापदेशाय पृथ्वी पर अवतरित हुए। १२वीं शताब्दी में पाटलिपुत्र, कान्यकुब्ज, वल्लभी, उज्जयिनी, काशी इत्यादि समृद्धिशाली नगरों की उदात्त स्वर्णिम परम्परा में गुजरात के अणहिलपुर ने भी गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया।