कोशकर्म
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शब्दकोश निर्माण से सम्बन्धित सकल कार्यों का समुच्चय कोशकर्म या कोशविद्या (Lexicography) कहलाती है। इस कार्य में प्रवीण लोग कोशकार (lexicographer) कहलाते हैं।
विषयों की दृष्टि से शब्दकोशों के वर्ग या विभाग बनाना कठिन है। अलग-अलग कोशकर अपनी समझ के अनुसार इस प्रकार के विषयविभाग बनाया करते थे। उनका न तो कोई निश्चित क्रम होता था और न हो ही सकता था। इसलिए लोगों को प्रायः सारा कोश कंठस्थ करना पड़ता था। इसी कारण पाश्चात्य देशों में शब्दकोश अक्षरक्रम से बनने लगे। ऐसे कोश रटने नहीं पड़ते थे और आवश्यकतानुसार जब जिसका जी चाहता था, तब वह उसका उपयोग कर सकता था। आजकल प्रायः सभी देशों और सभी भाषाओं में कोश के क्षेत्र मे इसी क्रम को प्रयोग होने लगा है : जो जिज्ञासु की दृष्टि से सबसे अधिक सुभीते का होता हैं। इसीलिए कोश के जितने प्रकार होते हैं, उन सब में प्रायः अक्षरक्रम का ही प्रयोग किया जाता है।