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संथाली भाषा
आस्ट्रो-एशियाई भाषा / From Wikipedia, the free encyclopedia
संताली (ओल चिकि: ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ) संताल परिवार की प्रमुख भाषा है। यह असम, झारखंड, ओड़िशा, छत्तीसगढ, बिहार, त्रिपुरा तथा बंगाल में संताल जनजाति द्वारा बोली जाती है।
संताली | |
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ᱥᱟᱱᱛᱟᱲᱤ | |
![]() ओलचिकी लिपि में "संताली" शब्द | |
बोलने का स्थान | भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान |
तिथि / काल | 2001 census – 2011 |
समुदाय | संताल/संथाल |
मातृभाषी वक्ता | 76 लाख |
भाषा परिवार |
आस्ट्रेलियायी-एशियायी
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उपभाषा |
मोहली
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लिपि | ओल चिकि |
भाषा कोड | |
आइएसओ 639-2 | sat |
आइएसओ 639-3 |
इनमें से एक: sat – संताली mjx – मोहली |
![]() संथाली भाषा का भारत में विस्तार | |
![]() संथाली भाषा का भारत में विस्तार |
संताली ऑस्ट्रो-एशियाई भाषा-परिवार की मुंडा शाखा की एक भाषा है, जो हो, मुण्डारी और भूमिज से संबंधित है। भारत, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में लगभग ७६ लाख लोग यह भाषा बोलते हैं।
ब्रितानी काल में संताली रोमन में लिखी जाती थी। वर्तमान में संताली भाषा को देवनागरी, ओलचिकी या रोमन में लिखा जाता है। ओडिशा और उत्तरी झारखंड के कुछ हिस्सों में संताली लिखने के लिए ओल चिकी लिपि का उपयोग किया जाता है।
संताल परगना में स्वतंत्रता के बाद से संताली भाषा की पढ़ाई के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग हो रहा है। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भी संताली भाषा के लिए देवनागरी लिपि को प्राथमिकता दी गई है। ओलचिकी लिपि का प्रयोग एक सीमित क्षेत्र की बोली पर आधारित है। देवनागरी संताली लिपि संताल परगना, असम, बिहार, नेपाल और बांग्लादेश की संताली भाषा के अनुरूप है। [1] जय हिंदुस्तान