राशिदून ख़लीफ़ा
सुन्नियों के दृष्टिकोण से, चार खलीफा जिन्होंने मुहम्मद के बाद खिलाफत का पद संभाला / From Wikipedia, the free encyclopedia
![]() | इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जून 2019) स्रोत खोजें: "राशिदून ख़लीफ़ा" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
खलीफ़ा राशिदून : (خلیفۃ راشدون) - रुष्द व हिदायत पाये खलीफ़ा। मुसलमानों के लिए पैगम्बर मुहम्मद की मृत्यु के बाद, सन् ६३२ से लकर सन् ६६१ के मध्य के खलीफ़ा (प्रधानों) को राशिदून या अल खलीफ़ उर्र-राशिदून (सही दिशा में चलते हुए) कहते हैं। कार्यकाल के अनुसार ये चार खलीफ़ा हैं। (इब्न माजा, अबी दाऊद) [1]
- अबुबक्र सिद्दीक (632-634)
- उमर बिन अल ख़त्ताब (634-644)
- उसमान बिन अफ़्फ़ान (644-656)
- अली बिन अबि तालिब (656-661)
खलीफ़ा, इस्लाम का राजनैतिक तथा धार्मिक प्रधान होता था जिसकी नियुक्ति एक समिति द्वारा या उसके पूर्व के खलीफ़ा द्वारा होती थी। हसन को सन् ६६१ में खलीफ़ा बनाया गया था और उसी साल उनकी मृत्यु हो गई थी। कुछ सुन्नी मुसलमान उन्हें भी राशिदुन खलीफ़ा मानते हैं।