रामनरेश त्रिपाठी
कवि, लोक साहित्य के अध्येता / From Wikipedia, the free encyclopedia
रामनरेश त्रिपाठी (4 मार्च, 1889 - 16 जनवरी, 1962) हिन्दी भाषा के 'पूर्व छायावाद युग' के कवि थे। कविता, कहानी, उपन्यास, जीवनी, संस्मरण, बाल साहित्य सभी पर उन्होंने कलम चलाई। अपने 72 वर्ष के जीवन काल में उन्होंने लगभग सौ पुस्तकें लिखीं। ग्राम गीतों का संकलन करने वाले वह हिंदी के प्रथम कवि थे जिसे 'कविता कौमुदी' के नाम से जाना जाता है। इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को सुना और चुना। वह गांधी के जीवन और कार्यो से अत्यन्त प्रभावित थे। उनका कहना था कि मेरे साथ गांधी जी का प्रेम 'लरिकाई को प्रेम' है और मेरी पूरी मनोभूमिका को सत्याग्रह युग ने निर्मित किया है। 'बा और बापू' उनके द्वारा लिखा गया हिंदी का पहला एकांकी नाटक है।
पं० रामनरेश त्रिपाठी | |
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चित्र:टठडढण | |
जन्म | ४ मार्च, १८८१। [1] कोइरीपुर नगर पंचायत, सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश, भारतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
मौत | १६ जनवरी, १९६२ इलाहाबाद,उत्तर प्रदेश, भारतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
कब्र | ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
पेशा | अध्यापक, लेखक, स्वतन्त्रता सेनानी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | पूर्व छायावादी युग |
विधा | गद्य और पद्य |
विषय | कविता, उपन्यास, नाटक, बाल साहित्य |
आंदोलन | छायावाद व मानवतावाद |
उल्लेखनीय कामs | पथिक १९२० ई., कविता कौमुदी, मिलन १९१७ ई., स्वपनों के चित्र १९३० ई. |
‘स्वप्न’ पर इन्हें हिंदुस्तानी अकादमी का पुरस्कार मिला।[2]