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रमेश पोखरियाल "निशंक" (जन्म 15 जुलाई १९५८) एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान भारत सरकार में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रहेे है वे उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं और एक हिन्दी कवि भी हैं।वे वर्तमान समय में हरिद्वार क्षेत्र से लोक सभा सांसद है और लोक सभा आश्वासन समिति के अध्यक्ष हैं। रमेश पोखरियाल जी उत्तराखण्ड राज्य के पाँचवे मुख्यमंत्री रहे हैं।
रमेश पोखरियाल | |
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पद बहाल 31 मई 2019 – 07 जुलाई 2021 | |
पूर्वा धिकारी | प्रकाश जावड़ेकर |
पद बहाल २७ जून २००९ – ११ सितम्बर २०११ | |
उत्तरा धिकारी | भुवन चन्द्र खण्डूरी |
जन्म | 15 जुलाई १९५८ पिनानी, पौड़ी गढ़वाल |
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
धर्म | हिन्दू |
उनका जन्म पिनानी ग्राम, पौड़ी गढ़वाल तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखण्ड) परमानन्द पोखरियाल और विश्वम्भरी देवी के घर में हुआ था। रमेश पोखरियाल 'निशंक' का विवाह कुसुम कांत पोखरियाल से हुआ।
उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्री नगर , (गढ़वाल) उत्तराखंड से कला स्नातकोत्तर, पीएचडी (ऑनर), डी लिट् (ऑनर) की डिग्री प्राप्त की।छात्र ज़ीवन के दौरान, उन्होंने अकादमिक और अतिरिक्त गतिविधियों (पाठ्यक्रम के अतिरिक्त) दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया हैं।
रमेश पोखरियाल 'निशंक' भारतीय जनता पार्टी से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।1991 में वे प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद 1993 और 1996 में पुनः उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1997 में वे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें। वह 16 वीं लोकसभा में संसद के एक सदस्य है, तथा 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे।
वर्तमान में लोकसभा में उत्तराखंड के हरिद्वार संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करतें है और भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य है।
2009 से 2011 तक उत्तराखंड के पाँचवे मुख्यमन्त्री रहें। डॉ निशंक ने मुख्य्मंत्रीकाल में राजनैतिक कौशल, ज्ञान और ध्वनि समन्वय कौशल की सहायता से उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार और उधम सिंह नगर को शामिल करने जैसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों को सुलझाया। अंतरराष्ट्रीय फोरम में हिमालयी संस्कृति को लाने के लिए अनगिनत सफल प्रयास किए गए।राज्य से संचालित करने के लिए लघु उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय बिक्री कर 4% से 1% कम किया। राज्य के सभी आवश्यक वस्तुओं और वस्तुओं के लिए 364 डिपो खोले और इस तरह से 61.75 करोड़ से 128 करोड़ रुपये के राजस्व में वृद्धि हुई। कुल कर संग्रहण में 575 करोड़ रुपये से 1100 करोड़ की बढ़ोतरी |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन शैली और जीवन शैली के स्तर को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं को प्रारंभ किया। गंगा नदी की स्वछता तथा उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरुआत की।
निशंक बचपन से ही कविता और कहानियां लिखते रहे। हालांकि उनका पहला कविता संग्रह वर्ष 1983 में ‘समर्पण’ प्रकाशित हुआ। अब तक आपके 10 कविता संग्रह, 12 कहानी संग्रह, 10 उपन्यास, 2 पर्यटन ग्रन्थ, 6 बाल साहित्य, 2 व्यक्तित्व विकास सहित कुल 4 दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं आज भी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद उनका लेखन जारी है।
रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ मौलिक रूप से साहित्यिक विधा के व्यक्ति हैं। अब तक हिन्दी साहित्य की तमाम विधाओं (कविता, उपन्यास, खण्ड काव्य, लघु कहानी, यात्रा साहित्य आदि) में प्रकाशित उनकी कृतियों ने उन्हें हिन्दी साहित्य में सम्मानजनक स्थान दिलाया है। राष्ट्रवाद की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी हुई है। यही कारण है कि उनका नाम राष्ट्रकवियों की श्रेणी में शामिल है।
यह ‘निशंक’ के साहित्य की प्रासंगिकता और मौलिकता है कि अब तक उनके साहित्य को विश्व की कई भाषाओं (जर्मन, अंग्रेजी, फ्रैंच, तेलुगु, मलयालम, मराठी आदि) में अनूदित किया जा चुका है। इसके अलावा उनके साहित्य को मद्रास, चेन्नई तथा हैंबर्ग विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। उनके साहित्य पर अब तक कई शिक्षाविद् ( श्यामधर तिवारी, डाॅ0 विनय डबराल, डाॅ0 नगेन्द्र, डाॅ0 सविता मोहन, डाॅ0 नन्द किशोर और डाॅ0 सुधाकर तिवारी) शोध कार्य तथा पी.एचडी. रिपोर्ट लिख चुके हैं।
अब भी डाॅ0 ‘निशंक’ के साहित्य पर कई राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों (गढ़वाल विश्वविद्यालय, कुमाऊं विश्वविद्यालय, सागर विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश, रोहेलखण्ड विश्वविद्यालय, मद्रास विश्वविद्यालय, हैंबर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी, लखनऊ विश्वविद्यालय तथा मेरठ विश्वविद्यालय) में शोध कार्य जारी है।
अब तक डाॅ0 ‘निशंक’ की प्रकाशित कृतियां निम्न हैः-
1. रोशनी की एक किरण (1986)
2. बस एक ही इच्छा (1989)
3. क्या नहीं हो सकता (1993)
4. भीड़ साक्षी है (1993)
5. एक और कहानी (2002)
इसके अतिरिक्त भी उनके अन्य कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके है |
1. मेजर निराला (1997)
2. पहाड़ से ऊंचा (2000)
3. बीरा (2008)
4. निशान्त (2008)
इसके अतिरिक्त भी उनके अन्य उपन्यास संग्रह प्रकाशित हो चुके है |
1. हिमालय का महाकुम्भः नन्दा देवी राजजात (पावन पारम्परिक यात्रा), 2009
2. स्पर्श गंगा: उत्तराखण्ड की पवित्र नदियां
3. आओ सीखें कहानियों से (बाल कहानियां- हिन्दी एवं अंग्रेजी), 2010
4. सफलता के अचूक मंत्र (व्यक्तित्व विकास- हिन्दी एवं अंग्रेजी), 2010
5. कर्म पर विश्वास करें, भाग्य पर नहीं (व्यक्तित्व विकास), 2011
1. खड़े हुए प्रश्न (कहानी संग्रह) En Kelvikku Ennabathil (तमिल)
2. ऐ वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) Tayanade Unakkad (तमिल)
3. ऐ वतन तेरे लिए (कविता संग्रह) Janmabhoomi (तेलुगु)
4. भीड़ साक्षी है (कहानी संग्रह) The Crowd Bears Witness (अंग्रेजी)
5. बस एक ही इच्छा (कहानी संग्रह) Nur Ein Wunsch (जर्मन)
इसके अतिरिक्त भी उनकी कविता, उपन्यास , कहानी आदि का कई भाषाओ मई अनुवादन हो चूका है |
पोखरियाल ज्योतिष में एक कट्टर आस्तिक है, यह दावा करते हुए कि "ज्योतिष (ज्योतिष) पूरी दुनिया के लिए नंबर एक विज्ञान है"।[1][2] भगवान गणेश के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि एक गंभीर सिर को प्रत्यारोपण करने के लिए ज्ञान भारत में मौजूद था। उन्होंने यह भी दावा किया है कि ऋषि कणाद ने हजारों साल पहले परमाणु परीक्षण किया था। उनके जन्म की दो अलग-अलग तारीखों पर भी सवाल उठाया गया था, जिसमें उन्होंने जवाब दिया कि विसंगति हिंदू राशिफल के कारण है।[3]
90 के दशक में, कोलंबो के ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी (OIU), श्रीलंका ने एक डी.लिट को सम्मानित किया। साहित्य में उनके योगदान के लिए। और फिर, कुछ साल पहले उन्होंने एक और डी.लिट प्राप्त किया। विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए एक ही विश्वविद्यालय से डिग्री। हालाँकि, OIU न तो विदेशी विश्वविद्यालय के रूप में पंजीकृत है और न ही श्रीलंका में एक घरेलू विश्वविद्यालय के रूप में, श्रीलंका विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा पुष्टि की गई है।[4]
अगस्त 2019 में, पोखरियाल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुम्बई के 57 वें दीक्षांत समारोह में एक विवादास्पद बयान दिया कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने स्वीकार किया है कि संस्कृत (दुनिया की एकमात्र वैज्ञानिक भाषा के रूप में) के कारण बात करने वाले कंप्यूटर वास्तविकता बन सकते हैं।[5][6] उन्होंने यह भी गलत बताया कि चरक, जिन्हें आयुर्वेद के प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक के रूप में माना जाता है, पहले व्यक्ति थे जिन्होंने परमाणुओं और अणुओं पर शोध किया और खोज की।[7][8] वास्तव में यह छठी शताब्दी ईसा पूर्व के दार्शनिक कणाद थे जिन्होंने संस्कृत के पुस्तक वैशेषिक दर्शन सूत्र में भौतिकी और दर्शन के लिए एक परमाणु दृष्टिकोण की नींव विकसित की थी।[9] उन्होंने कहा कि प्राचीन चिकित्सक सुश्रुत दुनिया के पहले सर्जन थे।
अगस्त 2019 में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के कार्यालय में रमेश पोखरियाल की मंत्री के रूप में ’फर्जी 'डॉक्टरेट डिग्री का हवाला देते हुए अयोग्यता के लिए अपील दायर की गई थी। [10][11]
‘‘डाॅ0 रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, साहित्यिक विधाओं का बेजोड़ संगम हैं। उनकी कविताएं जहां एक ओर आमजन को राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ती हैं, वहीं उनकी कहानियां पाठकों को आम आदमी के दुःख-दर्द व यथार्थता से परिचित कराती हैं। मैं गर्व से कह सकता हूँ कि मैं भारत के एक ऐसे व्यक्ति से मिला हूँ, जो विलक्षण, उदार हृदय, विनम्र, राष्ट्रभक्त, प्रखर एवं संवेदनशील साहित्यकार है।’’
-सर अनिरुद्ध जगन्नाथ, महामहिम राष्ट्रपति, माॅरिशस गणराज्य
‘‘डाॅ0 ‘निशंक’ जैसे रचनात्मक एवं संवेदनशील साहित्यकार को सम्मानित करते हुए मैं गर्व का अनुभव कर रहा हूँ। डाॅ0 निशंक द्वारा लिखी गई कहानियों को मैंने गंभीरता से पढ़ा। उनकी कहानियों में हिमालयी जीवन के दुःख-दर्द एवं जीवट परिस्थितियों का साक्षात प्रतिविम्ब देखा जा सकता है।
-डाॅ0 नवीन रामगुलाम, मा. प्रधानमंत्री, माॅरिशस गणराज्य
‘‘राजनीति में अत्यंत व्यस्त होने के बावजूद निरंतर लेखन डाॅ. निशंक की साहित्य प्रतिभा को दर्शाता है। उनका लेखन राष्ट्र और लोगों को आपस में जोड़ता है।’’
-पद्मश्री रस्किन बाॅण्ड, विख्यात साहित्यकार
‘‘डाॅ. निशंक की रचनाएं पिछड़े और गरीब तबके की पीड़ा को सामने लाता है। जो समस्त विश्व के पिछड़े समाज के संघर्ष को प्रदर्शित करता है।’’
-डेविड फ्राउले, सुप्रसिद्ध अमेरिकी लेखक।
‘‘मैंने डाॅ0 निशंक की महान कृति ‘ए वतन तेरे लिए’ को पढ़ा, समझा और उनका मनन किया। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि हिमालय से निकली ‘निशंक’ की गंगामयी काव्यधारा राष्ट्र के निर्माण में नींव का पत्थर बनेगी। डाॅ0 निशंक ने कवि के रूप में दैदीप्यमान सूर्य की तरह सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। उनकी अबाध साहित्यिक यात्रा हिन्दी की समृद्धि एवं श्रीवृद्धि में बड़ी भूमिका निभाएगी।’’
-डाॅ0 एपीजे अब्दुल कलाम, भारत के तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति। (जून 2007)
‘‘सक्रिय राजनीति में रहते हुए भी जिस तरह से डाॅ0 ‘निशंक’ साहित्य के क्षेत्र में लगातार संघर्षरत हैं, वह आम आदमी के बस की बात नहीं है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि वे अपनी लेखनी के जरिए देश के नीति नियंताओं के समक्ष विभिन्न मुद्दों को लेकर अनेक प्रश्न खड़े करते रहेंगे।’’
-श्री अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री। (मई 2007)
‘‘समर्पण एवं नवांकुर की कविताएं अत्यंत सुंदर हैं। सरल और सरस भाषा के माध्यम से कवि बहुत कुछ कह गया है।’’
-श्री हरिवंशराय बच्चन, विख्यात साहित्यकार
‘‘मैं हमेशा से ही ‘निशंक’ की राष्ट्रभक्ति से परिपूर्ण कविताओं से प्रभावित रहा हूँ। मैंने उन्हें सदैव राष्ट्रकवि के रूप में देखा है।’’
-पद्मश्री रामानन्द सागर, फिल्म निर्माता, निर्देशक।
‘‘शब्द कभी नहीं मरते। डाॅ0 निशंक के ये देशभक्तिपूर्ण गीत हमेशा के लिए लोगों की जुबां पर रहेंगे।’’
-अमिताभ बच्चन, सदी के महानायक।
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