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'पद्मावत' एक भारतीय ऐतिहासिक फ़िल्म है जिसका निर्देशन संजय लीला भंसाली ने किया है और निर्माण भंसाली प्रोडक्शन्स और वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स ने किया है। फ़िल्म में मुख्य भूमिका में दीपिका पादुकोण, शाहिद कपूर और रणवीर सिंह हैं।[2] पहले यह फ़िल्म 1 दिसम्बर 2017 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होने वाली थी;[3] परंतु फिर कुछ लोगों के विरोध और सुप्रीम कोर्ट में चली कानूनी कार्यवाही के बाद यह २५ जनवरी २०१८ को रिलीज हुई।[4]
पद्मावत | |
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पोस्टर | |
निर्देशक | संजय लीला भंसाली |
लेखक |
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पटकथा | संजय लीला भंसाली |
निर्माता |
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अभिनेता |
दीपिका पादुकोण शाहिद कपूर रणवीर सिंह |
छायाकार | सुदीप चटर्जी |
संपादक |
जयंत जाधर संजय लीला भंसाली अकिव अली |
संगीतकार | संजय लीला भंसाली |
निर्माण कंपनी |
भंसाली प्रोडक्शन्स |
वितरक | वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषायें |
हिन्दी राजस्थानी |
लागत | ₹215 करोड़[1](US$33 million) |
कुल कारोबार | ₹585 करोड़(US$89.8 million) |
इस फ़िल्म में चित्तौड़ की प्रसिद्द राजपूत रानी पद्मिनी का वर्णन किया गया है जो रावल रतन सिंह की पत्नी थीं। यह फ़िल्म दिल्ली सल्तनत के तुर्की शासक अलाउद्दीन खिलजी का १३०३ ई. में चित्तौड़गढ़ के दुर्ग पर आक्रमण को भी दर्शाती है। पद्मावत के अनुसार, चित्तौड़ पर अलाउद्दीन के आक्रमण का कारण रानी पद्मिनी के अनुपन सौन्दर्य के प्रति उसका आकर्षण था। अन्ततः 28 जनवरी 1303 ई. को सुल्तान चित्तौड़ के क़िले पर अधिकार करने में सफल हुआ। राणा रतन सिंह युद्ध में शहीद हुये और उनकी पत्नी रानी पद्मिनी ने अन्य स्त्रियों के साथ आत्म-सम्मान और गौरव को मृत्यु से ऊपर रखते हुए जौहर कर लिया।
१३वीं सदी में अफगानिस्तान में, दिल्ली के सिंहासन को जब्त करने के लिए खिलजी वंश के जलालुद्दीन खिलजी (रजा मुराद) लगातार चालें चलता रहता है। उसका भतीजा अलाउद्दीन खिलजी (रणवीर सिंह) एक दिन उसे उपहार स्वरुप एक शुतुरमुर्ग देता है, और बदले में उसकी बेटी, मेहरुनिसा (अदिति राव हैदरी), से शादी करने का आग्रह करता है, जिस पर जलालुद्दीन राज़ी हो जाता है। अलाउद्दीन की शादी की रात ही वह दूसरी महिला से व्यभिचार करता है और रंगे हाथों पकड़े जाने पर जलालुद्दीन के एक दरबारी को मार देता है। इस बीच, राजपूत शासक महाराज रतन सिंह (शाहिद कपूर) अपनी पत्नी नागमती के लिए दुर्लभ मोती हासिल करने के लिए सिंहल जाते हैं। इस यात्रा के दौरान सिंहल राजकुमारी पद्मावती (दीपिका पादुकोण) अनजाने में एक हिरण का शिकार करते समय रतन सिंह को घायल कर देती है। दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं, और उनका विवाह हो जाता है।
जलालुद्दीन दिल्ली के सिंहासन पर कब्ज़ा कर लेता है, और अलाउद्दीन को कारा सूबे का अधिकारी बना देता है। दिल्ली में मंगोल आक्रमण के समय अलाउद्दीन उनसे लड़ने जाता है, परन्तु साथ साथ वह देवगिरी पर भी आक्रमण कर देता है। राज्य पर कब्ज़ा कर लेने की अलाउद्दीन की महत्वाकांक्षाओं का अपता जब जलालुद्दीन को चलता है, तो वह उससे मिलने कारा के लिए निकल जाता है। अलाउद्दीन देवगिरी की राजकुमारी का अपहरण कर लेता है, और उसे अपने हरम में रख लेता है। जलालुद्दीन कारा पहुंचकर अलाउद्दीन को मलिक कफूर नामक एक गुलाम उपहार स्वरुप देता है, परन्तु अलाउद्दीन जलालुद्दीन और उसके पहरेदारों की हत्या कर खुद को दिल्ली का सुल्तान घोषित कर देता है।
पद्मावती रतन सिंह के साथ मेवाड़ आ जाती हैं, लेकिन रतन की पहली पत्नी पद्मावती से ईर्ष्या करने लगती है। रतन और पद्मावती जब अंतरंग हो रहे होते हैं तो उनके शाही पुजारी, राघव चेतन को उन्हें देखते हुए पकड़ा जाता है, और इसके फलस्वरूप उसे राज्य से निकाल दिया जाता है। चेतन आवेश में आकर दिल्ली चला जाता है, और पद्मावती की सुंदरता के बारे में खिलजी को सूचित करता है। अलाउद्दीन राजपूतों को दिल्ली आमंत्रित करता है, और उनकी अस्वीकृति के बारे में जानने के बाद चित्तौड़ पर हमला करने का आदेश दे देता है। चित्तौड़ पर कब्जा करने के कई असफल प्रयासों के बाद, खिलजी शांति का आह्वान करता है और मित्र के तौर पर चित्तौड़ में प्रवेश करता है, जहां उसकी मुलाकात रतन से होती है। वह पद्मावती को देखने की बात कहता है, जिसे सुनकर वहां स्थित राजपूत क्रोधवश उसे धमकाकर भेज देते हैं। हालांकि पद्मावती के आग्रह पर रतन सिंह उसे पद्मावती को क्षण भर के लिए देखने की अनुमति दे देता है।
अलाउद्दीन रतन सिंह को अपने शिविर में अकेले बुलाकर कैदी बना लेता है, और रिहा करने के बदले पद्मावती को दिल्ली भेजने की मांग करता है। रानी नागमती द्वारा जोर देने पर, पद्मावती खिलजी से मिलने के लिए दिल्ली जाने को सहमत हो जाती है। वह अपने साथ महिलाओं के भेष में ८०० राजपूत सैनिकों को लेकर दिल्ली जाने का निर्णय करती है। इस बीच अलाउद्दीन का भतीजा उसकी हत्या करने का प्रयास करता है, जिसमें अलाउद्दीन घायल हो जाता है। सल्तनत की सीमाओं पर पहुंचकर, राजपूत सुबह नमाज के समय में खिलजी के सैनिकों पर घात करने की योजना बनाते हैं। पद्मावती मेहरुनिसा की सहायता से रतन को मुक्त करवाती है, और एक गुप्त सुरंग से निकल जाती है। अलाउद्दीन के सैनिक प्रार्थना छोड़ उनका पीछा करने लगते हैं, लेकिन महिलाओं के रूप में प्रच्छन्न राजपूत उन पर हमला कर देते हैं। इस आक्रमण में सभी राजपूतों की हत्या ही जाती है। रतन को सुरक्षित बचाकर लाने के कारण पद्मावती को चित्तौड़ में देवी के रूप में सम्मानित किया जाता है।
अलाउद्दीन राजपूतों की मदद करने के लिए मेहरुनिसा को कारावास में कैद कर देता है, और चित्तौड़ पर चढ़ाई करने के लिए दोबारा निकल पड़ता है। युद्धक्षेत्र में उसके और रतनसिह के बीच द्वंद्वयुद्ध होता है। अलाउद्दीन लगभग रतन द्वारा पराजित हो ही चुका होता है पर मलिक कफूर की अगुवाई में खिलजी की सेना रतन सिंह पर बाणवर्षा कर उसे मार देती है। खिलजी सेना राजपूतों को पराजित कर चित्तौड़ में प्रवेश करने में तो सफल हो जाती है, लेकिन तब तक पद्मावती अन्य राजपूत महिलाओं के साथ जौहर कर चुकी होती हैं।
फ़िल्म का निर्माण जुलाई २०१६ में शुरू हुआ। उसी महीने में पार्श्वगायिका श्रेया घोषाल ने ट्वीट किया कि वे फ़िल्म में भंसाली द्वारा संगीतबद्ध एक गीत गाएंगी। मीडिया में यह कयास लगाए जा रहे थे कि रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण, जिन्होंने भंसाली की फ़िल्में गोलियों की रासलीला रामलीला (२०१३) और बाजीराव मस्तानी (२०१५) में मुख्य किरदार निभाये थे, इस फ़िल्म में अल्लाउदीन खिलजी और रानी पद्मिनी की भूमिका निभाएंगे।
अक्टूबर २०१६ में यह घोषित हुआ कि भंसाली, वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स के साथ मिलकर फ़िल्म का निर्माण करेंगे जिसमें शाहिद कपूर, रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिका निभाएंगे।
जनवरी २०१७ में जयपुर में फ़िल्म की शूटिंग के दौरान श्री राजपूत करणी सेना के कुछ सदस्यों ने फ़िल्म का विरोध किया और जयगढ़ दुर्ग में फ़िल्म के सेट पर तोड़फोड़ की। उन्होंने आरोप लगाया की फ़िल्म में ऐतिहासिक तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गयी है। कुछ समय बाद फ़िल्म के निर्माताओं ने यह आश्वासन दिलाया की फ़िल्म में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। [8] ६ मार्च २०१७ को इन सदस्यों ने फिर से चित्तौड़गढ़ किला का भंडाफोड़ किया और रानी पद्मिनी के महल में स्थापित दर्पण को तोड़ दिया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों के मुताबिक, इन दर्पणों को लगभग ४० साल पहले चित्तौड़गढ़ किले में रखा गया था।
१५ मार्च २०१७ को अज्ञात लोगों के एक समूह ने फिर से तोड़फोड़ की और कोल्हापुर में इस फ़िल्म के सेट पर आग लगा दी जिससे उत्पादन सेट, वेशभूषा और गहने जल गए। फ़िल्म का उत्पादन बजट १६० करोड़ से बढ़कर २०० करोड़ हो गया है, जो कि कई बर्बरता के कारण संभावित उत्पादन में हुई क्षति के कारण बढ़ गया है और अब यह सबसे महंगी बॉलीवुड फ़िल्म होने की उम्मीद की जा रही है।
गोलियों की रासलीला रामलीला (२०१३) तथा बाजीराव मस्तानी (२०१५) के बाद इस फिल्म के गीत भी स्वयं संजय लीला भंसाली ने ही सृजित किये। संचित बल्हारा ने फिल्म में पार्श्व संगीत दिया, और फिल्म के गीत ए.एम. तुराज़ और सिद्धार्थ-गरिमा ने लिखे हैं। फिल्म की संगीत एल्बम टी-सीरीज़ द्वारा रिलीज़ की गई है, और इसमें छह गाने शामिल हैं। फ़िल्म का पहला गीत "घूमर" २५ अक्टूबर २०१७ को रिलीज़ किया गया था।[9][10] दीपिका पादुकोण इस गीत में एक सेट पर पारम्परिक राजस्थानी लोकनृत्य घूमर करती हुईं दिखाई गई हैं,[11] जो चित्तौड़गढ़ किले के अंदरूनी हिस्सों की प्रतिकृति है। ११ नवंबर २०१७ को फिल्म का दूसरा गाना, "एक दिल एक जान" जारी किया गया था।[12] राग यमन पर आधारित यह गीत दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर पर फिल्माया एक प्रेमगीत है। २१ जनवरी २०१८ को फिल्म की पूरी एल्बम को रिलीज़ किया गया जिसमें चार अन्य गाने शामिल हैं: "खलीबली", "नैनोवाले ने", "होली" और "बिन्ते दिल"।[13] श्रेया घोषाल के अनुसार, "फ़िल्म में बहुत ही खूबसूरत गानें हैं। फ़िल्म में लोकसंगीत और प्रभावशाली वाद्य यंत्रों का संयोजन अद्भुत है।
फ़िल्म निर्माण के दौरान विवाद का विषय बन गया। श्री राजपूत करणी सेना द्वारा आरोप लगाया गया कि यह फ़िल्म ग़लत तथ्यों का चित्रण कर रही है।तोड़ -फोड़ के परिणामस्वरूप चित्तौड़ किले में स्थापित पुराने दर्पण भी टूट गये, जो कि भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार 40 वर्ष पुराने थे।
मार्च 2017 में, जबकि कास्ट और चालक दल मसाई पठार में एक दृश्य फ़िल्मा रहे थे, रात में कोल्हापुर में, लगभग 20-30 लोगों ने पेट्रोल बम, पत्थरों और लाठी के साथ सशस्त्र रूप में उन पर आरोप लगाते हुए उस समय सेट पर मौजूद जानवरों को चोट पहुंचायी और कई वेशभूषा को नष्ट कर डाला। कुछ हमलों के कारण रूप में राजपूत समूहों का दावा है कि फ़िल्म में एक सपना अनुक्रम शामिल है, जहां पद्मावती और अलाउद्दीन खिलजी को एक अंतरंग स्थिति में दिखाया जाएगा। अक्टूबर 2017 में, पहली पोस्टर के एक रंगोली को फ़िल्म से जारी किया गया था, जिसे बनाने में कथित तौर पर 48 घंटे लगते थे, लगभग 100 लोगों के एक समूह ने धार्मिक नारे लगाते हुए नष्ट कर दिया। दीपिका पादुकोण ने इस कार्रवाई की निंदा की और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर गुस्सा व्यक्त किया, जिसके बाद पुलिस अधिकारियों ने कार्रवाई की।
करणी सेना ने हिंसा की धमकी दी, कथित तौर पर सिनेमाघरों को जला देने की धमकी दी। उनका कहना है कि फ़िल्म दर्शकों के लिए जारी करने से पहले उन्हें मूल्यांकन के लिए दिखाया जाय। भंसाली ने कहा कि पद्मिनी और खिलजी के बीच एक रोमांटिक सपना वाले अनुक्रम की अफवाहें झूठी हैं और इस फ़िल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है। दूसरा प्रमुख आरोप पद्मावती को दरबार में नाचते दिखाये जाने का है जिसका ट्रेलर रूप में समाचार चैनलों पर अनेक बार प्रदर्शन किया गया है। नवंबर 2017 में, रिलीज होने से पहले ही चार राज्यों में फ़िल्म दिखाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कहा गया है कि "राजपूत रानी नृत्य कैसे कर सकती है और बिना घूँघट के कैसे दिख सकती है? यह राजपूत संस्कृति और गर्व के खिलाफ है। कोई भी समुदाय इसे बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।" केंद्रीय फ़िल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य अर्जुन गुप्ता ने भंसाली पर देशद्रोह के लिए मुकदमा चलाने के लिए गृह मंत्री से निवेदन किया है। इतिहासकारों ने विरोध प्रदर्शनों की आलोचना की है, जैसे आदित्य मुखर्जी ने विरोध प्रदर्शन को "बेतुका" कहा है। उनका कहना है कि "यह कथा और इतिहास दोनों का दुरुपयोग है। इस पद्मावती वाली घटना का कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं है। यह कहानी एक कवि की कल्पना है।" पौराणिक कथाकार देवदत्त पटनायक ने 2017 में विवादास्पद पद्मावती (फ़िल्म) पर एक बहस शुरू की, जब उन्होंने रानी पद्मिनी की कहानी पर अपनी आपत्ति जताई और इसे "स्वेच्छा से खुद को जलाने वाली महिला के विचारों का ग्लैमरेशन और मूल्य निर्धारण" कहा।[14]
भंसाली और मुख्य अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के खिलाफ खतरा बताया गया है, और भारतीय सिनेमाघरों में दंगारोधी पुलिस की तैनाती की जा सकती है। करणी सेना ने हिंसक हमलों और पादुकोण को मारने और उसके नाक काटने की धमकी दी है, साथ ही करनी सेना ने पादुकोण के सिर की कीमत 5 करोड़ रुपए रख दी है। करनी सेना के कछ सदस्यों ने भी भंसाली के सिर कलम कर देने की धमकी दी है। इन धमकियों के मद्देनजर मुम्बई पुलिस ने दीपिका पादुकोण को सुरक्षा मुहैया कराई है। हरियाणा बीजेपी के चीफ मीडिया को-ऑर्डिनेटर कुंवर सूरजपाल अमु ने दीपिका पादुकोण और संजय लीला भंसाली का सिर काट कर लाने वाले को दस करोड़ का इनाम देने का ऐलान किया था।[15]
करणी सेना के विरोध प्रदर्शन के बीच हाल ही में सेंसर बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफिकेशन ने भी फ़िल्म को लेकर आपत्ति जताई है। सेंसर बोर्ड ने फ़िल्म 'पद्मावती' को देखने से फिलहाल इंकार कर दिया। तकनीकी कमियों का हवाला देते हुए बोर्ड ने फ़िल्म का एप्लिकेशन वापस भेज दिया है। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा, "रिव्यू के लिए इसी हफ्ते फ़िल्म का आवेदन बोर्ड को मिला। मेकर्स ने खुद माना कि एप्लिकेशन अधूरा था। फ़िल्म काल्पनिक है या ऐतिहासिक इसका डिसक्लेमर तक अंकित नहीं किया गया था। ऐसे में बोर्ड पर प्रक्रिया को टालने का आरोप लगाना सरासर गलत है।"[16]
इस बीच यह विवाद तथा विरोध किसी दलविशेष से आगे बढ़कर विभिन्न दल के नेताओं तथा जनसामान्य के बड़े हिस्से से जुड़ चुका है।[17] चार मुख्यमंत्रियों के बाद अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी वर्तमान स्थिति में बिहार में फिल्म रिलीज़ न होने देने की बात कही है।[18] सीएम नीतीश का इस बाबत कहना है, “पद्मावती पर कई लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं। फिल्म के निर्देशक को इस पर अपना रुख साफ करना चाहिए। तब तक के लिए फिल्म बिहार में नहीं दिखाई जाएगी।” सीएम ने आगे यह भी कहा, “रानी पद्मावती को इसमें नाचते हुए नहीं दिखाया जाना चाहिए था।” सीएम नीतीश के इस बयान का बिहार के कला, संस्कृति, खेल और युवा मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “फिल्म से जब तक आपत्तिजनक सींस नहीं हटा लिए जाते, तब कर हम इसे राज्य में रिलीज होने की अनुमति नहीं देंगे।”[19]
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पर प्रतिबंध लागाने के कई प्रयासों को खारिज कर रखा है। कोर्ट ने आगे कहा कि राजनेताओं को सेंसर बोर्ड के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये।[20]
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