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पूर्वी हिमालय में स्थित दक्षिण एशियाई देश विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
भूटान ( जोङखा में : འབྲུག་ཡུལ་ / थुक युल) दक्षिण एशिया के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में भारत और चीन के बीच स्थित एक देश है। इसका आधिकारिक नाम ’किंगडम ऑफ भूटान ' (जोङखा ]] में : འབྲུག་རྒྱལ་ཁབ་ / थुक ग्याल खाप) है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह विश्व का १३३वाँ देश है जबकि जनसंख्या की दृष्टि से १६०वाँ देश है। शासन व्यवस्था की दृष्टि से यहाँ संवैधानिक राजतन्त्र है।
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किंगडॉम ऑफ भूटान འབྲུག་ཡུལ (जोङखा) |
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राष्ट्रगान: द्रुक सेन्देन | ||||||
राजधानी और सबसे बड़ा नगर | थिम्फू 28°34′N 77°12′E | |||||
राजभाषा(एँ) | जोङखा | |||||
सरकार | गणतंत्र पारंपरिक राजतंत्र | |||||
- | राजा | जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक | ||||
- | प्रधानमंत्री | लोतेय त्शेरिंग | ||||
वांग्चुक साम्राज्य | ||||||
क्षेत्रफल | ||||||
- | कुल | 38394 km2 (131वाँ) | ||||
- | जल (%) | आंकडे अनुपलब्ध | ||||
जनसंख्या | ||||||
- | 2007 जनगणना | 672,425 (2005) (117) | ||||
- | 2005 जनगणना | 2,162,546 | ||||
सकल घरेलू उत्पाद (पीपीपी) | 2007 प्राक्कलन | |||||
- | कुल | $439 करोड़ (₹3,58,56,99,32,000) (160वां) | ||||
- | प्रति व्यक्ति | $5,477 (117वां) | ||||
मानव विकास सूचकांक (2013) | 0.612[1] मध्यम · 136वाँ |
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मुद्रा | ङुलत्रुम भारतीय रुपया (बीटीएन आईएनआर) | |||||
समय मण्डल | भूटान समय बी.टी.टी (यू॰टी॰सी॰+6:00) | |||||
- | ग्रीष्मकालीन (दि॰ब॰स॰) | (यू॰टी॰सी॰+6) | ||||
दूरभाष कूट | 975 | |||||
इंटरनेट टीएलडी | .bt |
भूटान का धरातल विश्व के सबसे ऊबड़-खाबड़ धरातलों में से एक है, जो 100 किमी की दूरी के बीच में 150 से 7000मी की ऊँचाई पायी जाती है ! भूटान पहले भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा मालदीव से कोई प्रवेश-कर नहीं लेता था, पर अब लेना शुरू कर दिया है।[2]
कुछ लोगों के अनुसार भूटान संस्कृत के भू-उत्थान से बना शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ है ऊंची भूमि. कुछ के अनुसार यह भोट-अन्त (भोटान्त) (यानि तिब्बत का अन्त) का बिगड़ा रूप है। यहां के निवासी भूटान को ड्रुग-युल (अझ़दहा का देश) तथा इसके निवासियों को ड्रुगपा कहते हैं। इसके अलावा भी भूटान के कई नाम रहे हैं पूर्व में।
सत्रहवीं सदी के अंत में भूटान ने बौद्ध धर्म को अंगीकार किया। 1865 में ब्रिटेन और भूटान के बीच सिनचुलु संधि पर हस्ताक्षर हुआ, जिसके तहत भूटान को सीमावर्ती कुछ भूभाग के बदले कुछ वार्षिक अनुदान के करार किए गए। ब्रिटिश प्रभाव के तहत 1907 में वहाँ राजशाही की स्थापना हुई। तीन साल बाद एक और समझौता हुआ, जिसके तहत ब्रिटिश इस बात पर राजी हुए कि वे भूटान के आंतरिक मामलों में हस्त्क्षेप नहीं करेंगे लेकिन भूटान की विदेश नीति इंग्लैंड द्वारा तय की जाएगी। बाद में 1947 के पश्चात यही भूमिका भारत को मिली। दो साल बाद 1949 में भारत भूटान समझौते के तहत भारत ने भूटान की वो सारी जमीन उसे लौटा दी जो अंग्रेजों के अधीन थी। इस समझौते के तहत भारत का भूटान की विदेश नीति एवं रक्षा नीति में काफी महत्वपूर्ण भूमिका दी गई।[2]
भूटान का राजप्रमुख राजा अर्थात द्रुक ग्यालपो होता है, जो वर्तमान में जिग्मे खेसर नामग्याल वांग्चुक हैं। हालांकि यह पद वंशानुगत है लेकिन भूटान के संसद शोगडू के दो तिहाई बहुमत द्वारा हटाया जा सकता है। शोगडू में 154 सीटे होते हैं, जिसमे स्थानीय रूप से चुने गए प्रतिनिधि (105), धार्मिक प्रतिनिधि (12) और राजा द्वारा नामांकित प्रतिनिधि (37) और इन सभी का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है। राजा की कार्यकारी शक्तियाँ शोगडू के माध्यम से चुने गए मंत्रिपरिषद में निहित होती हैं। मंत्रिपरिषद के सदस्यों का चुनाव राजा करता है और इनका कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है। सरकार की नीतियों का निर्धारण इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि इससे पारंपरिक संस्कृति और मूल्यों का संरक्षण हो सके। हालांकि भूटान में रहने वाले नेपाली मूल के अल्पसंख्यक समुदायों में कुछ असंतोष है, जो अपनी संस्कृति पर भूटानी संस्कृति लादे जाने के खिलाफ हैं। इस व्यवस्था का विरोध करने वाले नेपाली भूटानी नेपाल तथा भारत के विभिन्न हिस्सों में शरणार्थी बनने को विवश हैं। पूर्वी नेपाल में करीब एक लाख से ज्यादा व भारत में ३० हजार के करीब भूटानी नेपाली शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। उनकी देखभाल शरणार्थी संबंधी राष्ट्रसंघीय उच्चायुक्त से मिलकर नेपाल सरकार कर रही है।[3]
भूटान बीस जिलों (ज़ोंगखाग) में विभाजित है।
भूटान चारों तरफ से स्थल से घिरा हुआ पर्वतीय क्षेत्र है। उत्तर में पर्वतों की चोटियाँ कहीं-कहीं 7000 मीटर से भी ऊँची हैं, सबसे ऊँची चोटी कुला कांगरी जो 7553 मीटर है। गांगखर पुएनसुम की ऊँचाई 6896 मीटर है, जिस पर अभी तक मानवों के कदम नहीं पहुँचे हैं। देश का दक्षिणी हिस्सा अपेक्षाकृत कम ऊँचा है और यहाँ कई उपजाऊ और सघन घाटियाँ हैं, जो ब्रह्मपुत्र की घाटी से मिलती है। देश का लगभग 70% हिस्सा वनों से आच्छादित है। देश की ज्यादातर आबादी देश के मध्यवर्ती हिस्सों में रहती है। देश का सबसे बड़ा शहर, राजधानी थिम्फू है, जिसकी आबादी 50,000 है, जो देश के पश्चिमी हिस्से में स्थित है। यहाँ की जलवायु मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय है।[4]
विश्व के सबसे छोटी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भूटान का आर्थिक ढाँचा मुख्य रूप से कृषि और वन क्षेत्रों और अपने यहाँ निर्मित पनबिजली के भारत को विक्रय पर निर्भर है। ऐसा माना जाता है कि इन तीन चीजों से भूटान की सरकारी आय का 75% आता है। कृषि जो यहाँ के लोगों का आधार है, इस पर 90% से ज्यादा लोग निर्भर हैं। भूटान का मुख्य आर्थिक सहयोगी भारत हैं क्योंकि तिब्बत से लगने वाली भूटान की सीमा बंद है। भूटान की मुद्रा ङुल्ट्रम है, जिसका भारतीय रुपया से आसानी से विनिमय किया जा सकता है। औद्योगिक उत्पादन लगभग नगण्य है और जो कुछ भी है, वे कुटीर उद्योग की श्रेणी में आते हैं। ज्यादातर विकास परियोजनाएँ जैसे सड़कों का विकास इत्यादि भारतीय सहयोग से ही होता है। भूटान की पनबिजली और पर्यटन के क्षेत्र में असीमित संभावनाएँ हैं।[5]
भूटान की लगभग आधी आबादी भूटान के मूलनिवासी हैं, जिन्हें गांलोप कहा जाता है और इनका निकट का संबंध तिब्बत की कुछ प्रजातियों से है। इसके अलावा अन्य प्रजातियों में नेपाली है और इनका सम्बन्ध नेपाल राज्य से है। उसके बाद शरछोगपा और ल्होछमपा हैं। यहाँ की आधिकारिक भाषा जोङखा है, इसके साथ ही यहाँ कई अन्य भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें कुछ तो विलुप्त होने के कगार पर हैं।[6]
भूटान में आधिकारिक धर्म बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा है, जिसका अनुपालन देश की लगभग ७५% जनता करती है। भूटान की अतिरिक्त २५ प्रतिशत जनसंख्या हिंदू धर्म की अनुयायी है। भूटान के हिंदू धर्मी नेपाली मूल के लोग है, जिन्हे ल्होछमपा भी कहा जाता है।[2] भूटान, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भारत के सर्वाधिक करीब है।
भूटान दुनिया के उन कुछ देशों में है, जो खुद को शेष संसार से अलग-थलग रखता चला आ रहा है और आज भी काफी हद तक यहाँ विदेशियों का प्रवेश नियंत्रित है। देश की ज्यादातर आबादी छोटे गाँव में रहते हैं और कृषि पर निर्भर हैं। शहरीकरण धीरे-धीरे अपने पाँव जमा रहा है। बौद्ध विचार यहाँ की ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं। तीरंदाजी यहाँ का राष्ट्रीय खेल है।[7]
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