थिम्फू
भूटान देश की राजधानी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
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थिम्फू या थिम्पू (ज़ोंगखा भाषा:ཐིམ་ཕུ), पर्वतीय राष्ट्र भूटान की राजधानी और सबसे बड़ा शहर है। यह भूटान के पश्चिमी मध्य भाग में स्थित है, और आसपास की घाटी भूटान के ज़ोंगखाओं मे से एक थिम्फू जिला है। 1955 में थिम्पू को भूटान की प्राचीन राजधानी पुनाखा के स्थान पर राजधानी बनाया गया था, और 1961 में भूटान के तीसरे ड्रुक ग्याल्पो जिग्मे दोरजी वांगचुक ने थिम्पू को भूटान साम्राज्य की राजधानी घोषित किया था।
थिम्फू | ||
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ख्रोमस्दे | ||
ऊपर बाएं से: ताशीचो ज़ोंग, भूटान का राष्ट्रीय पुस्तकालय, थिम्पू का एक हवाई दृश्य, घंटाघर चौराहे का दृश्य | ||
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भूटान में थिम्फू की अवस्थिति | ||
निर्देशांक: 27°28′20″N 89°38′10″E | ||
देश | Bhutan | |
ज़िला | थिम्फू | |
गेओक | चांग | |
राजधानी के रूप में स्थापित | 1955 | |
बस्ती | 1961 | |
नगर पालिका | 2009 | |
शासन | ||
• ड्रुक ग्याल्को | जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक | |
• Thrompon | किनले दोर्जी | |
क्षेत्रफल | ||
• कुल | 26.1 किमी2 (10.1 वर्गमील) | |
ऊँचाई | 2320 मी (7656 फीट) | |
जनसंख्या (2017) | ||
• कुल | 114,551 | |
• घनत्व | 4389 किमी2 (11,370 वर्गमील) | |
समय मण्डल | BTT (यूटीसी+06:00) | |
दूरभाष कोड | +975-2 | |
जलवायु | Cwb | |
वेबसाइट | thimphucity.bt |
शहर रैडक नदी द्वारा बनाई गई घाटी के पश्चिमी तट पर उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला हुआ है, जिसे भूटान में वांग चू या थिम्फू चू के नाम से जाना जाता है। थिम्फू दुनिया की पाँचवीं सबसे ऊँची राजधानी है और जिसकी ऊँचाई 2,248 मीटर (7,375 फुट) से लेकर 2,648 मीटर (8,688 फुट) तक है। थिम्फू का अपना कोई हवाई अड्डा नहीं है और निकततम और भूटान का एकमात्र हवाई अड्डा यहाँ से लगभग 54 किलोमीटर (34 मील) की दूरी पर पारो में स्थित है।
भूटान के राजनीतिक और आर्थिक केंद्र के रूप में थिम्फू, एक प्रमुख कृषि और पशुधन आधार है, जिसका देश के जीएनपी में 45% योगदान है। पर्यटन हालाँकि अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन उसे कड़ाई से विनियमित किया जाता है ताकि परंपरा, विकास और आधुनिकीकरण के बीच संतुलन बना रहे। थिम्फू में भूटान के अधिकांश महत्वपूर्ण राजनीतिक भवन स्थित हैं, जिसमें राष्ट्रीय सभा जो कि भूटान के नवगठित लोकतन्त्र प्रणाली का सदन है, और शहर के उत्तर में स्थित भूटान नरेश का आधिकारिक निवास डेचनचोलिंग महल शामिल है। थिम्पू "थिम्पू संरचना योजना", एक शहरी विकास योजना द्वारा समन्वित है जो 1998 में घाटी के नाजुक पारिस्थितिकी की रक्षा के उद्देश्य से विकसित हुई थी। यह विकास विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक से वित्तीय सहायता के साथ चल रहा है।
भूटान की संस्कृति पूरी तरह से इसके साहित्य, धर्म, रीति-रिवाजों, राष्ट्रीय परिधान संहिता, मठों, संगीत, और नृत्य, और मीडिया में परिलक्षित होती है। षेचू एक महत्वपूर्ण त्योहार है जब मुखौटा नृत्य, जिसे लोकप्रिय रूप से चाम नृत्य के नाम से जाना जाता है, थिम्फू में ताशिचो ज़ोंग के आंगन में किया जाता है। यह हर साल सितंबर या अक्टूबर में आयोजित होने वाला एक चार दिवसीय त्योहार है, जो भूटानी कैलेंडर के अनुसार चलता है।
1960 से पहले, थिम्फू छोटे छोटे पुरवाओं में बंटा हुआ था जिनमें मोतिथांग, चांगान्ग्खा, चांग्लीमिथांग, लांगछुपाखा, और तबा शामिल हैं और आधुनिक थिम्फू के जिलों की रचना करते हैं। आज जहाँ चांग्लीमिथांग खेल का मैदान स्थित है वहाँ पर 1885 में एक लड़ाई लड़ी गई थी जिसमें उगयेन वांगचुक की निर्णायक जीत ने उन्हें भूटान के पहले राजा के रूप में स्थापित कर दिया। उस समय के बाद से शहर में इस खेल के मैदान का बड़ा महत्व है; यहाँ फुटबॉल, क्रिकेट और तीरंदाजी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आधुनिक चांग्लीमिथांग स्टेडियम का निर्माण 1974 में किया गया था। वांगचू राजवंश के सुधारवादी राजाओं के शासनकाल में, देश ने लगातार शांति बनी रही और देश प्रगति को ओर अग्रसर रहा। तीसरे भूटान नरेश जिग्मे दोरजी वांगचुक ने पुरानी छद्म सामंती व्यवस्थाओं में सुधार करते हुए कृषिदासता को समाप्त कर भूमि का किसानों में पुनर्वितरण किया और कराधान में सुधार किया। उन्होंने कई कार्यकारी, विधायी और न्यायपालिका सुधारों की शुरुआत की। सुधार जारी रहे और 1952 में राजधानी को पुनाखा से थिम्पू में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया। चौथे नरेश, जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने देश को विकास के लिए खोला और भारत ने इस प्रक्रिया में भूटान को वित्तीय और अन्य प्रकार की सहायता प्रदान करने के साथ आवश्यक प्रोत्साहन भी दिया । 1961 में, थिम्पू आधिकारिक रूप से भूटान की राजधानी बन गई।
भूटान 1962 में कोलम्बो योजना, 1969 में सार्वभौम डाक संघ में शामिल हो गया और 1971 में संयुक्त राष्ट्र संघ का सदस्य बन गया। थिम्पू में राजनयिक मिशनों और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग संगठनों की उपस्थिति के परिणामस्वरूप महानगर के रूप में थिम्पू का तेजी से विस्तार हुआ।
चौथे राजा, जिन्होंने 1953 में राष्ट्रीय सभा (नेशनल असेंबली) का गठन किया, ने 1998 में जनता द्वारा चुने गए मंत्रियों की एक परिषद को सभी कार्यकारी शक्तियों को सौंप दिया। उन्होंने राजा पर अविश्वास मत देने की एक प्रणाली शुरू की, जिसने संसद को सम्राट को हटाने का अधिकार दिया। थिम्पू में राष्ट्रीय संविधान समिति ने 2001 में भूटान साम्राज्य के संविधान का मसौदा तैयार करना शुरू किया। 2005 में, भूटान के चौथे राजा ने अपने राज्य की बागडोर अपने बेटे युवराज जिग्मे खेसर भाग्यल वांगचुक को सौंपने के अपने फैसले की घोषणा की। राजा का राज्याभिषेक नवीकृत चांग्लीमिथांग स्टेडियम थिम्पू में हुआ और वांगचुक राजवंश की स्थापना के शताब्दी वर्ष के साथ हुआ। 2008 में, इसने पूर्ण सकल राजतंत्र से संसदीय लोकतांत्रिक संवैधानिक राजतंत्र में परिवर्तन के लिए मार्ग प्रशस्त किया, और थिम्फू नई सरकार का मुख्यालय बन गया। "सकल राष्ट्रीय खुशी" (GNH) के राष्ट्रीय परिभाषित उद्देश्य के साथ सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) में वृद्धि प्राप्त करने का संकल्प लिया गया।
मनोकवारी, इंडोनेशिया
होक्काइडो, जापान
थिम्फू (/tɪmˈpuː/;[1] तिब्बती लिपि: ཐིམ་ཕུ[2][3] [tʰimpʰu]), पहले थिम्बु के नाम से जाना जाता था। [4][5] यह भूटान का सबसे बड़ा शहर तथा भूटान देश की राजधानी भी है।। [6][7] थिम्फू भूटान के पश्चिमी केन्द्रीय भाग में स्थित हैं।
थिम्पू, भूटान के पश्चिमी मध्य भाग में स्थित है। भूटान की प्राचीन राजधानी पुनाखा थी जिसे १९६१ में बदलकर थिंपू को राजधानी बनाया गया। यह नगर, रैडक नदी द्वारा बनाई गई घाटी के पश्चिमी तट पर उत्तर-दक्षिण दिशा में फैला हुआ है जिसे भूटान में 'वांग चू' या 'थिम्पू चू' के रूप में जाना जाता है। थिम्फु दुनिया में चौथी सबसे ऊँची राजधानी है (2,248 मीटर से 2,648 मीटर तक)। थिम्पू का अपना हवाई अड्डा नहीं है, लेकिन लगभग 54 किलोमीटर दूर पारो हवाई अड्डा है जो थिम्पू से सड़क से जुड़ा है। थिम्फू वास्तव में एक कस्बे के रूप में तब तक मौजूद नहीं था जब तक कि यह 1961 में भूटान की राजधानी नहीं बन गया। थिम्पू में 1962 में पहला वाहन दिखाई दिया और शहर 1970 के दशक के अन्त तक बहुत कुछ गाँव जैसा था। 1990 के बाद से जनसंख्या नाटकीय रूप से बढ़ी है, और अब अनुमानतः 90,000 होने का अनुमान है। यहाँ का ताशी छो डोज़ोंग (पहाड़ी दुर्ग) पारम्परिक दुर्ग और मठ है जिसे जिसे शाही सरकार के कार्यालयों के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यह पारम्परिक भूटानी वास्तुकला के श्रेष्ठ नमूना है। शाही महल के आस-पास के खेत कृषि को दी जाने वाली उच्च प्राथमिकता को दर्शाते हैं। क्षेत्र में प्रमुख फसलें चावल, मक्का और गेहूं हैं। 1966 में एक जलविद्युत संयंत्र का संचालन शुरू हुआ। शहर में हवाई जहाज उतारने की एक पट्टी है। भारत-भूटान राष्ट्रीय राजमार्ग (1968 को खोला गया) थिम्फू को भारत के भूटान के मुख्य प्रवेश द्वार, फंटशोलिंग से जोड़ता है।
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