भारत का इस्लामी लोकतांत्रिक राजनैतिक दल विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन या एआईएमआईएम (हिंदी अनुवादः अखिल भारतीय मुस्लिम एकता संघ) भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित एक मान्यताप्राप्त राजनीतिक दल है,[4][5]जिसका हैदराबाद के पुराने शहर में प्रधान कार्यालय है,[6] जिसकी जड़ें मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन से हैं जो 1927 में ब्रिटिश भारत के हैदराबाद स्टेट में स्थापित हुई थी।।[7] यह भारतीय राज्यों तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार में भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दल है। एआईएमआईएम ने 1984 से हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र लोकसभा सीट जीती है। 2014 के तेलंगाना विधानसभा चुनावों में, एआईएमआईएम ने सात सीटों पर जीत हासिल की और भारत के चुनाव आयोग द्वारा 'राज्य पार्टी' के रूप में मान्यता प्राप्त की। इस पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी हैं।[8] ...
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन | |
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संक्षेपाक्षर | एआईएमआईएम (AIMIM) |
नेता लोकसभा | असदुद्दीन ओवैसी |
गठन | 12 नवम्बर 1927 |
मुख्यालय | दारुस्सलाम बोर्ड, हैदराबाद, तेलंगाना, भारत - 500001 |
गठबंधन |
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (2008-2012) |
लोकसभा मे सीटों की संख्या |
2 / 543 |
राज्यसभा मे सीटों की संख्या |
0 / 245 |
राज्य विधानसभा में सीटों की संख्या |
7 / 119 तेलंगाना विधानसभा
2 / 288 महाराष्ट्र विधानसभा
1 / 243 बिहार विधानसभा |
विचारधारा |
समग्र राष्ट्रवाद[1] |
रंग | हरा |
जालस्थल |
aimim |
Election symbol | |
भारत की राजनीति राजनैतिक दल चुनाव |
मजलिस के इतिहास को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। 1928 में नवाब महमूद नवाज़ खान के हाथों स्थापना से लेकर 1948 तक जबकि यह संगठन हैदराबाद को एक अलग मुस्लिम राज्य बनाए रखने की वकालत करता था। 1938 में, बहादुर यार जंग एमआईएम के अध्यक्ष चुने गए, जिसका सांस्कृतिक और धार्मिक घोषणापत्र था। इसने जल्द ही राजनीतिक रंग ले लिया और 1944 में बहादुर यार जंग की मृत्यु के बाद कासिम रिजवी को नेता के रूप में चुना गया।[9] इस संगठन के संस्थापक सदस्यों में हैदराबाद के राजनेता सैयद कासिम रिजवी भी शामिल थे जो रजाकार नाम के हथियारबंद हिंसक संगठन के सरगना भी थे। एमआईएम को खड़ा करने में इन रजाकारों की अहम भूमिका थी।[10]।[11]
उस पर 1948 में हैदराबाद स्टेट के भारत में विलय के बाद भारत सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया था।[12]
और दूसरा भाग जो 1957 में इस पार्टी की बहाली के बाद शुरू हुआ जब उस ने अपने नाम में "ऑल इंडिया" जोड़ा और साथ ही अपने संविधान को बदला। कासिम राजवी ने, जो हैदराबाद राज्य के विरुद्ध भारत सरकार की कारवाई के समय मजलिस के अध्यक्ष थे और गिरफ्तार कर लिए गए थे, पाकिस्तान चले जाने से पहले इस पार्टी की बागडोर उस समय के एक मशहूर वकील अब्दुल वहाद ओवैसी के हवाले कर गए थे।
उसके बाद से यह पार्टी इसी परिवार के हाथ में रही है। अब्दुल वाहेद के बाद सलाहुद्दीन ओवैसी उसके अध्यक्ष बने और अब उनके पुत्र असदुद्दीन ओवैसी उस के अध्यक्ष और सांसद हैं जब उनके छोटे भाई अकबरुद्दीन ओवैसी विधान सभा में पार्टी के नेता हैं।
इस परिवार और मजलिस के नेताओं पर यह आरोप लगते रहे हैं की वो अपने भड़काओ भाषणों से हैदराबाद में साम्प्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते रहे हैं। लेकिन दूसरी और मजलिस के समर्थक उसे भारतीय जनता पार्टी और दूसरे हिन्दू संगठनों का जवाब देने वाली शक्ति के रूप में देखते हैं।
राजनैतिक शक्ति के साथ साथ ओवैसी परिवार का एक मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज, कई दूसरे कालेज और दो अस्पताल भी शामिल हैं।
एइएमइएम ने अपनी पहली चुनावी जीत 1960 में दर्ज की जब की सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद नगर पालिका के लिए चुने गए और फिर दो वर्ष बाद वो विधान सभा के सदस्य बने तब से मजलिस की शक्ति लगातार बढती गई
सन 2018 में, एआईएमआईएम ने महाराष्ट्र में प्रकाश आम्बेडकर की नयी पार्टी वंचित बहुजन आघाड़ी के साथ गठबंधन किया हैं। यह राजनीतिक दल महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2019 में राज्य के कुल 48 सीटों में से 47 सीटों पर चुनाव लड़ रहा है, और औरंगाबाद की 1 सिट पर एआईएमआईएम जीत दर्ज़ की है।[13][14]
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