Loading AI tools
दार्शनिक, अर्थशास्त्री ओैर इतिहासज्ञ (1711-1776) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
डेविड ह्यूम (१७११-१७७६) आधुनिक काल के विश्वविख्यात दार्शनिक थे। वे स्काटलैंड (एडिनबरा) के निवासी थे। आपके मुख्य ग्रंथ हैं - 'मानव प्रज्ञा की एक परीक्षा' (An Enquiry Concerning Human Understanding) और 'नैतिक सिद्धांतों की एक परीक्षा' (An Enquiry Concerning the Principles of Morals)
व्यक्तिगत जानकारी | |
---|---|
जन्म | ७ मई NS [२६ अप्रैल OS] १७११ एडिनबरा, स्कॉटलैण्ड, Great Britain |
मृत्यु | 25 अगस्त 1776 65 वर्ष) एडिनबरा, स्कॉटलैण्ड, ग्रेट् ब्रिटेन | (उम्र
वृत्तिक जानकारी | |
युग | 18th-century philosophy |
क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
विचार सम्प्रदाय (स्कूल) |
|
राष्ट्रीयता | British (Scottish) |
मुख्य विचार |
|
प्रमुख विचार |
|
प्रभाव
| |
प्रभावित
|
ह्यूम का दर्शन अनुभव की पृष्ठभूमि में परमोत्कृष्ट है। आपके अनुसार यह अनुभव (impression) और एकमात्र अनुभव ही है जो वास्तविक है। अनुभव के अतिरिक्त कोई भी ज्ञान सर्वोपरि नहीं है। बुद्धि से किसी भी ज्ञान का आविर्भाव नहीं होता। बुद्धि के सहारे मनुष्य अनुभव से प्राप्त विषयों का मिश्रण (संश्लेषण) एवं विच्छेदन (विश्लेषण) करता है। इस बुद्धि से नए ज्ञान की वृद्धि नहीं होती।
प्रत्यक्षानुभूत वस्तुओं में संबंध होते हैं, जो तीन प्रकार के हैं - सादृश्य सन्निकर्ष (साहचर्य या सामीप्य) तथा कारणता। समानता के आधार पर एक वस्तु से दूसरी का स्मरण होना, निकटता के कारण घोड़े से घुड़सवार की याद आना और सूर्य को प्रकाश का कारण समझना, इन विभिन्न संबंधों के उदाहरण हैं।
उपर्युक्त तीन संबंधों में कारणता संबंध ने दार्शनिकों का ध्यान अधिक आकृष्ट किया। 'कारणता' के संबंध में ह्यूम का विचार है कि 'कारणता' का आरोप करना व्यर्थ है। कारण और कार्य का संबंध वास्तविक नहीं है। बाह्य जगत् में हम दो घटनाओं को साथ घटते देखते हैं। ऐसा सदैव होने की अनुभूति के आधार पर हम एक को कार्य और दूसरे को कारण समझ लेते हैं। सूर्य के चमकने से प्रकाश की सदैव प्राप्ति है, अवश्य; परंतु इससे एक को कारण और दूसरे को कार्य कैसे कहा जा सकता है? वास्तव में दोनों के मध्य किसी भी 'कारण संबंध' का अनुभव नहीं होता। इसीलिए ह्यूम के मतानुसार कार्य पूर्णतया कारण से भिन्न है और उन्हें एक को दूसरे में सन्निहित समझना मूर्खता है। 'प्रकृति समरूपता' और 'कारणता' का उद्भव मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि से होता है। दूसरे शब्दों में यों कहें कि इनका भावपक्ष ही प्रधान है, विषयपक्ष नहीं।
'कारणता' के सदृश ही द्रव्य (Substance) में आस्था रखना भ्रमपूर्ण है। किसी भी वस्तु में विभिन्न गुणों के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। 'ये गुण किसी 'आश्रय' (Support) में हैं,' ऐसा समझना उचित नहीं। इस प्रकार के 'आश्रय' का ज्ञान अनुभव के परे है। किसी वस्तु से एक एक कर यदि अन्यान्य गुणों को हटाया जाए तो अंत में शून्यता ही शेष रहती है। अत: द्रव्य का अस्तित्व दंतकथा मात्र है। इस प्रकार ह्यूम के विचार में 'कारणता' के समान ही द्रव्य में विश्वास का हेतु आत्मगत अभ्यास है, जिसे भ्रमवश विषयगत बनाया जाता है।
भौतिक द्रव्य की भाँति ही ह्यूम मानसिक द्रव्य को भी नहीं मानते। उनके अनुसार आत्मा या मन अनुभवों के एकीकरण के अलावा और कुछ नहीं है। मन एक रंगमंच मात्र ही है जहाँ भाव, विचार, अनुभव इत्यादि मानसिक व्यवस्थाएँ नृत्य करती दिखाई देती हैं; परंतु वह मन भी स्वत: अनुभव से परे रहता है। इन मानसिक विचारों का 'आश्रय' मन या आत्मा है, इसकी पुष्टि अनुभव से कतई नहीं होती।
धर्म के संबंध में ह्यूम की धारणा है कि इसकी उत्पत्ति मनुष्य की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से नहीं बल्कि भौतिक परिवेश से होती है। इसका आधार संवेदना है, भावना नहीं। मानवस्वभाव धर्म का उत्प्रेरक अवश्य है, पर वह स्वभाव बुद्धि पर आधारित नहीं है, अनुभव से पोषित है। इस स्वभाव का संचालन मानसिक चिंतन से नहीं होता, भय और शारीरिक सुख से नियंत्रित होता है। यह आशा और उत्सुकता ही है जो अदृश्य शक्ति में आस्था उत्पन्न करती है और उससे भविष्य में मंगल होने की कामना को जन्म देती है।
धर्म की धारणा के समान ही ह्यूम ने अनुभवागोचर ईश्वर का भी खंडन किया। प्राकृत वस्तुओं को देखकर उनके कारण की जिज्ञासा स्वाभाविक है। परंतु संसार को कार्य मानकर उसका कारण ईश्वर को मान लेना अनुभव के परे है। वास्तव में कार्यकारण-भाव तथा उसके द्वारा ईश्वर में आस्था का बोध स्वाभाविक नहीं है। निश्चय ही जो अनुभव से परे है उसे न हम जान सकते हैं और न सिद्ध ही कर सकते हैं। यह सही है कि ह्यूम ने ईश्वर के अस्तित्व में अविश्वास नहीं किया, परंतु वे अंत तक कहते रहे कि उसका ज्ञान संभव नहीं है। इस प्रकार ह्यूम ने दर्शन के क्षेत्र में अपने को समीचीन संशयवादी सिद्ध किया।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.