भारत
दक्खिन एशिया में एगो देस From Wikipedia, the free encyclopedia
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भारत (आधिकारिक नाँव: भारत गणराज्य), दक्खिनी एशिया में एगो देस बा। प्राचीन भारतीय साहित्य में एकरा के जम्बूद्वीप, आर्यावर्त आ अजनाभवर्ष कहल गइल बा। भारत, भूगोलीय क्षेत्रफल के हिसाब से बिस्व के सातवाँ सबसे बड़हन अउरी जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़ देस बाटे। 2011 के भारतीय जनगणना के हिसाब से इहाँ के कुल जनसंख्या 1.2 अरब बाटे।
भारत गणराज्य रिपब्लिक ऑफ इण्डिया (Republic of India) | |
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मोटो: "सत्यमेव जयते" | |
![]() हरियर रंग से देखावल जगहा भारत नियंत्रित करेला।; अइसन हिस्सा जवना प नियंत्रण नईखे लेकिन दावा कइल जाला ओकरा हल्का हरियर रंग से देखावल गइल बा। | |
राजधानी | नई दिल्ली 28°36.8′N 77°12.5′E |
सभसे बड़ शहर | मुंबई |
ऑफिशियल भाषा | |
दर्जाप्राप्त क्षेत्रीय भाषा | |
राष्ट्रभाषा | कवनो भाषा नइखे । |
लोग कहाला | भारतीय |
सरकार | संघीय संसदीय संवैधानिक गणराज्य[8] |
द्रौपदी मुर्मू | |
जगदीप धनखड़ | |
नरेंद्र मोदी | |
• लोकसभा अध्यक्ष | ओम बिरला |
• भारत के मुख्य न्यायाधीश | धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ |
बिधायिका | भारतीय संसद |
• ऊपरी सदन | राज्यसभा |
• निचला सदन | लोक सभा |
आजादी | |
• अधिराज्य | 15 अगस्त 1947 |
• गणराज्य | 26 जनवरी 1950 |
रकबा | |
• कुल | 3,287,263[5] किमी2 (1,269,219 वर्ग मील)[नोट 3] (7वाँ) |
• जल (%) | 9.6 |
जनसंख्या | |
• 2011 अनुमान | 1,210,193,422 (दूसरा) |
जीडीपी (पीपीपी) | 2014 अनुमान |
• कुल | $5.302 महाशंख[9] (तीसरा) |
• प्रति ब्यक्ति | $4,209[9] (133वीं) |
जीडीपी (नॉमिनल) | 2014 अनुमान |
• कुल | $1.842 महाशंख[9] (10वीं) |
• Per capita | $1,389[9] (148वाँ) |
गिनी (2010) | 33.9[10] medium |
एचडीआइ (2017) | 0.640[11] medium · 130वाँ |
करेंसी | भारतीय रुपया (₹) (INR) |
टाइम जोन | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
• गर्मीं में (डीएसटी) | बदलाव ना (यूटीसी+5:30) |
तारीख प्रारूप | dd-mm-yyyy (CE) |
ड्राइविंग | left |
कालिंग कोड | +91 |
इंटरनेट टीएलडी | डॉट इन
अन्य टी॰ऍल॰डी॰
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भारत के उत्तर में हिमालय पहाड़, दक्खिन में हिन्द महासागर, पच्छिम में अरब सागर आ पूरुब ओर बंगाल के खाड़ी बाटे। भारत के जमीनी सीमा जेवन देसन के संघे साझा बा उनहन में पच्छिम में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तर-पूरब में चीन, नेपाल, आ भूटान अउरी पूरुब ओर बांग्लादेश आ म्याँमार देस बाड़ें। हिंद महासागर में एकरी दक्खिन-पश्चिम में मालदीव, दक्खिन में श्री लंका अउर दक्खिन-पूरब में इंडोनेशिया हऽ।
हिमालय से निकले वाली नद्दी कुल के ले आवल निक्षेप से उत्तरी भारत के मैदान बनल बा जेवन बहुत ऊपजाऊ बा। एही मैदान के पच्छिमी तटीय हिस्सा बिस्व के सबसे पुरान सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता के जनम भइल रहे आ एही उत्तर भारत के मैदान में बिस्व के चार गो प्रमुख धर्म:हिंदू, बौद्ध, जैन अउरी सिख धर्म जनम लिहलन अउर विकसित भइलें। गंगा नदी भारत के रास्ट्रीय नदी बाटे जेवन इहाँ के संस्कृति में बहुत पबित्र मानल जाले।
जहाँ तक भारत के लोगन के सवाल बा जनसंख्या के हिसाब से ई बिस्व के सबसे बड़हन लोकतंत्र ह। इहवाँ संसदीय प्रणाली के आधार पऽ शासन चलेला आ देस के मुखिया राष्ट्रपति होलें लेकिन परधानमंत्री सभसे शक्तिशाली पद होला। 1991 ई. मे आर्थिक सुधार के बाद भारत के अर्थव्यवस्था में तेज वृद्धि देखल गइल बा। भारत नामिक सकल घरेलू उत्पाद के अनुसार बिस्व में दसवां सबसे बड़हन आ क्रय शक्ति समता के हिसाब से दुनिया में तीसरा सबसे बड़हन अर्थव्यवस्था हऽ।
भारतीय संस्कृति के सभसे मुख्य बिसेसता बा एकर बहुरंगी रूप। भारत में बहुत प्रकार के जाति, प्रजाति आ धर्म के लोग बाड़े आ भारत के एक क्षेत्र से दूसरा क्षेत्र में खान-पान, रहन-सहन जइसन चीजन में बहुत अंतर देखे के मिलेला। एकरा बावजूद भारतीय संस्कृति के एगो अलग पहचान बा। अंग्रेज लोग भारत के एही भूगोलिक आ सांस्कृतिक बिविधता के देख के ए के एगो उप-महाद्वीप के लोग हालाँकि अब भारतीय एकता आ अखंडता के समर्थक ए शब्द के प्रयोग ना कइल चाहेला लोग।
भारत, एगो भूगोलीय पहिचानक बाटे जवन भारत के संबिधान द्वारा देस के नाँव के रूप में स्वीकार कइल गइल बाटे,[12] कई ठो भारतीय भाषा सब में कुछ हेर-फेर के साथ इस्तेमाल होला। ई नाँव, पुरान भारतवर्ष के आधुनिक रूप हवे जवन 19वीं सदी के बिचला समय में भारत के देशी नाँव के रूप में प्रचलन में महत्व पवलस।[13] बिद्वान लोग के मान्यता बाटे की ई नाँव दूसरका सदी ईसा पूर्व के वैदिक जन भारत लोग के नाँव से उपजल हवे।[14] परंपरागत रूप से ई नाँव कथा में बर्णित राजा भरत के साथ भी जोड़ल जाला।[15] गणराज्य (शब्दशः, जनता के राज्य) संस्कृत/हिंदीमें रिपब्लिक खातिर प्रयोग होखे वाला प्राचीन शब्द हवे।[16][17][18]
इंडिया (अंग्रेजी: India) शब्द इंडस (अंग्रेजी: Indus) से पड़ल हवे, जवन पुरान फ़ारसी भाषा भाषा के शब्द सिंधी से निकलल हवे।[19] सिंधी शब्द खुदे संस्कृत के सिंधु, जवन इतिहासी रूप से सिंधु नदी खातिर इस्तेमाल होखे, से निकलल।[20] प्राचीन यूनानी लोग भारत के लोग के इंडोई (Ινδοί) कहे जवना के शाब्दिक अरथ होखे "सिंधु (के इलाका) के लोग"।[21]
हिंदुस्तान तीसरी सदी ईसा पूर्व के, एगो प्राचीन फारसी नाँव हवे, जवन मुगल लोग के समय एह इलाका में चलन में आइल, आ तबसे ब्यापक रूप से इस्तेमाल होला, अक्सरहा एकर अरथ "हिंदू लोग के देस" के रूप में भी कइल जाला। एकर मतलब परिवर्तनशील रहल बाटे, कबो ख़ाली उत्तरी भारत आ पाकिस्तान खातिर आ कबो पूरा भारत खातिर।[13][22][23]
मानव के सभसे पुरान अवशेष दक्खिन एशिया में मिलले के प्रामाणिक तिथि 30,000 साल पहिले के बतावल जाला।[24] लगभग एही काल के मेसोलिथिक रॉक आर्ट के साइट सभ भारत के कई सारा भाग में पावल गइल बाड़ी, जवना में मध्य प्रदेश में मौजूद भीमबेटका के गुफा उल्लेख जोग बाड़ी सऽ।[25] उपमहादीप में, लगभग 7,000 ईसा पूर्व के नियोलिथिक आबादी के पहिला चीन्हा मेहरगढ़ आ कुछ अन्य पच्छिमी पाकिस्तानी इलाका में मिले ला।[26] ईहे क्रमशः बिकास करिके सिंधु घाटी सभ्यता के निर्माण कइलें,[27] जवन दक्खिनी एशिया में पहिला शहरी संस्कृति रहल;[28] ई लगभग 2500-1900 ईपू के समय में वर्तमान समय के पाकिस्तान आ पच्छिमी भारत के इलाका में फलल-फुलाइल।[29] मुअनजोदारो (मोहनजोदड़ो), हड़प्पा, धौलावीरा, राखीगढ़ी आ कालीबंगा जइसन शहरन के इर्द-गिर्द केंद्रित, बिबिध प्रकार के रोजगार पर आजीविका खातिर निर्भर, ई सभ्यता शिल्प उत्पादन आ तरह-तरह के बाणिज्य-ब्यापार में काफी आगे रहल।[28]
2000-500 ईपू के समय में संस्कृति में मामिला में, उपमहादीप के कई गो क्षेत्र चाल्कोलिथिक से लोहा जुग में प्रवेश कइलें।[30] हिंदू लोग के सभसे पुरान ग्रंथ वेद[31] एही काल में रचल गइलें [32] आ इतिहासकार लोग पंजाब क्षेत्र आ ऊपरी गंगा मैदान में एगो वैदिक संस्कृति प्रकल्पित कइले बा।[30] ज्यादातर इतिहासकार लोग एह काल के दौरान, उपमहादीप में कई ठे लहर के रूप में इंडो-आर्यन माइग्रेशन भइले के भी स्वीकार करे ला।[33][31] कास्ट सिस्टम एही काल में पैदा भइल आ समाज में ऊँच-नीच के बिभाजन भइल जवना में क्रम से पुजारी, जुद्ध करे वाला आ खेती आ बाणिज्य करे वाला, आ सबसे नीचे अशुद्ध मानल जाये वाला पहिले के लोग; आ छोट जनजातीय इकाई सभ एकट्ठा हो के धीरे-धीरे राजसत्ता वाले राज्य में बदलत गइल।[34][35] पुरातत्व के खोज में, दक्कन पठार इलाका में एह काल में मुखिया आधारित राजनीतिक इकाई होखला के परमान मिलल बा।[30] दक्खिनी भारत में एह समय के स्थाईत्व वाली जिनगी के परमान के रूप में कई ठे मेगालिथिक स्मारक मिलल बानें,[36] संगहीं अगल-बगल खेती के परमान मिलल बा, सिंचनी खातिर बनल तालाब, आ कारीगरी के परमान भी मिलल बाटे।[36]
लेट वैदिक काल में, छठवीं सदी ईसा पूर्व के आसपास, गंगा के मैदान आ उत्तरी पच्छिमी इलाका के छोट-छोट राज्य मिल के 16 गो "महाजनपद", जिनहना में कुछ राजतन्त्र वाला रहलें कुछ गणतंत्र नियर, में समाहित हो गइलें।[37][38] एही काल में नगरीकरण के उपज के बाद गैर-वैदिक धार्मिक आंदोलन के परिणाम के रूप में दू गो नया स्वतंत्र धर्म पैदा भइलें। जैन धर्म एकरे उपदेशक महावीर के समय में महत्व हासिल कइलस।[39] गौतम बुद्ध के उपदेश पर आधारित बौद्ध धर्म के अनुयायी समाज के सगरी वर्ग से आ के जुड़लें, मध्य वर्ग के छोड़ के; बुद्ध के जीवन के घटना के संग्रह से भारत में रेकार्डेड इतिहास के सुरुआत भइल।[40][41][42] शहरी संपन्नता के एह युग में त्याग के आदर्श घोषित कइलें,[43] आ दुनों धर्म लंबा समय खातिर एगो संन्यासी परंपरा के अस्थापना कइलें। राजनीतिक रूप से, तीसरी सदी ईसा पूर्व में, मगध राज ज्यादातर छोट राज्यन के अपना में मिला के एगो बिसाल राज के स्थापना कइलस जवना के मौर्य साम्राज्यके नाँव से जानल जाला।[44] ई साम्राज्य ओह समय में सुदूर दक्खिन के कुछ इलाका के छोड़ के बाकी पूरा उपमहादीप पर शासन कइलस; हालाँकि,अब इहो मानल जाए लागल बा कि एकर कोर इलाका के बीच-बीच में कई गो बड़हन स्वशासित (ऑटोनॉमस) इलाका भी रहलें।[45][46] मौर्य राजा लोग के उनहन लोग के साम्राज्य-स्थापना खातिर लगन आ पब्लिक सुबिधा के मैनेजमेंट खातिर भी ओतने जानल जाला जेतना कि अशोक के जुद्ध के त्याग आ बौद्ध धम्म के परचार-प्रसार खातिर जानल जाला।[47][48]
तमिल भाषा के संगम साहित्य ई उजागिर करे ला की 200 ईपू से 200 ईसवी के बीच, दक्खिनी प्रायदीप पर चेर, चोल, आ पांड्य लोग के शासन रहल, आ ई राज्य सभ बड़ा पैमाना पर रोमन साम्राज्य, पच्छिम आ दक्खिन पूर्ब एशिया के साथ ब्यापार करें।[49][50] उत्तरी भारत में, हिंदू धर्म के अंदर परिवार पर पितृसत्तात्मक कंट्रोल मजबूत भइल आ, औरतन के स्थिति पहिले से कमोजर भइल।[51][44] 4थी-5वीं सदी ले गुप्त साम्राज्य, बृहत् गंगा मैदान के इलाका में प्रशासन आ टैक्स कलेक्शन के एगो ब्याबस्थित सिस्टम दिहलस जवन बाद के राजा लोग खातिर मॉडल के काम कइलस।[52][53] गुप्त लोग के शासन में, हिंदू धर्म के पुनरुत्थान भइल आ ई भक्ति आ श्रद्धा पर आधारित हो गइल बजाय कर्मकांड पर जोर दिहले के आ ई फिर से महत्व हासिल करे शुरू कइलस।[54] एह नवीनीकरण के चीन्हा मूर्तिकला आ आर्किटेक्चर में प्रगट होला, जवन नगरीय अभिजात वर्ग के संरक्षण पा के बिकसित भइल।[53] क्लासिकल संस्कृत साहित्य में उत्कर्ष भइल, आ भारतीय बिज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद, आ गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति भइल।[53]
12वीं शताब्दी के शुरुआत में, भारत पर इस्लामी आक्रमणन के बाद, उत्तरी अउर केन्द्रीय भारत के अधिकांश भाग दिल्ली सल्तनत के शासनाधीन हो गइल; आ बाद में, अधिकांश उपमहाद्वीप मुगल वंश के अधीन हो गइल। दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य शक्तिशाली बनल। मुगलन के संक्षिप्त अधिकार के बाद सत्रहवीं सदी में दक्षिण आ मध्य भारत में मराठन का उत्कर्ष भयल। उत्तर पश्चिम में सिक्खन के शक्ति में बढ़त भइल।
17वीं शताब्दी के मध्यकाल में पुर्तगाल, डच, फ्रांस, ब्रिटेन सहित अनेक यूरोपीय देशन, जे भारत से व्यापार करे के चाहत रहलन, देश के आतंरिक शासकीय अराजकता के फायदा उठईलन। अंग्रेज दूसरे देशों से व्यापार के चाहे वाला लोगन के रोके में सफल भइलेन और 1840 तक लगभग पूरा देश पर शासन करे में सफल भइलेन। 1857 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के विरुद्ध असफल विद्रोह, जे भारत के आजादी के प्रथम संग्राम के रूप में भी जानल जला, के बाद भारत के अधिकांश भाग सीधे अंग्रेजी शासन के प्रशासनिक नियंत्रण में आ गइल।[55]
बीसवी सदी के प्रारम्भ में आधुनिक शिक्षा क प्रसार और विश्वपटल पर बदलती राजनीतिक परिस्थितियन के चलते भारत में एक बौद्धिक आन्दोलन क सूत्रपात भयल जे सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर अनेक बदलाव और कई आन्दोलन क नीव रखलस। 1885 में इन्डियन नेशनल कांग्रेस क स्थापना स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक गतिमान स्वरूप देहलस। बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में लम्बा समय तक स्वतंत्रता प्राप्ति के लिये बहुत बड़ा अहिंसावादी संघर्ष चलल, जेकर नेतृत्व महात्मा गांधी, जिनके आधिकारिक रुप से आधुनिक भारत क 'राष्ट्रपिता' के रूप में संबोधित करल जाला, कइलेन। एकरे साथ-साथ चंद्रशेखर आजाद, सरदार भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सावरकर आदि के नेतृत्व में चलल क्रांतिकारी संघर्ष के फलस्वरुप 15 अगस्त, 1947 के भारत ने अंग्रेजी शासन से पूर्णतः स्वतंत्रता प्राप्त कईलस। ओकरे बाद 26 जनवरी, 1950 के भारत एक गणराज्य बनल।
भारत के पड़ोसी राष्ट्रन के साथ अनसुलझा सीमा विवाद ह। एही खातिर एके छोटा पैमाना पर युद्ध का भी सामना करे के पड़ल। 1962 में चीन के साथ, अउर 1947, 1965, 1971 अउर 1999 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई हो चुकल बा।
भारत गुटनिरपेक्ष आन्दोलन अउर संयुक्त राष्ट्र संघ के संस्थापक सदस्य देशन में से एक बाटे। 1974 में भारत आपन पहिला परमाणु परीक्षण कइले रहल जेकरे बाद 1998 में 5 अउर परीक्षण भयल। 1990 के दशक में भयल आर्थिक सुधारीकरण क बदौलत आज देश सबसे तेज़ी से विकासशील राष्ट्रन क लिस्ट में आ गयल बा।
भारत एगो संघ (फेडरेशन) हवे जे संसदीय ब्यवस्था के तहत भारत के संबिधान आधारित शासित होला। भारतीय संबिधान भारत के सबसे ऊँच कानूनी दस्तावेज हवे। ई देस एगो संबैधानिक रिपब्लिक हवे आ प्रतिनिधिक लोकतंत्री सिस्टम वाला शासन में "बहुमत के शासन होला आ अल्पमत के हित के संरक्षण कानून द्वारा सुनिश्चित कइल जाला।"[नोट 4] भारत में संघवाद द्वारा ई परिभाषित कइल जाला कि राज्य आ केंद्र के बीच कामकाज के बँटवारा कवना बिधी से होखी। दुनो स्तर पर सरकार संबिधान में बतावल कामकाज के बँटवारा के अधीन काम करे लीं। भारत के संबिधान, जे 26 जनवरी 1950[56] के लागू भइल अपना उद्देशिका में कहे ला कि भारत एगो संप्रभु, सोशलिस्ट, सेकुलर, लोकतंत्रात्मक रिपब्लिक हवे।[57] भारत के सारकार के स्वरुप, परंपरागत रूप से "अध-फेडरल" (क्वाशी-फेडरल) बताबल जाला जेह में मजबूत केंद्र आ कमजोर राज्य[58] बाने आ 1990के दशक के बाद से राजनीतिक, आर्थिक आ सामाजिक बदलाव के चलते संघीय स्वरुप अउरीओ मजबूत भइल बा।[59][60]
संघ के शासन में तीन गो शाखा बाड़ी स:
1. आंध्र प्रदेश | 10. | 19. नागालैंड | 28. उत्तराखंड |
2. अरुणाचल प्रदेश | 11. झारखंड | 20. ओडिशा | 29. पच्छिम बंगाल |
3. आसाम | 12. कर्नाटक | 21. पंजाब | A. अंडमान अउरी निकोबार दीपसमूह |
4. बिहार | 13. केरल | 22. राजस्थान | B. चंडीगढ़ |
5. छत्तीसगढ़ | 14. मध्य प्रदेश | 23. सिक्किम | C. दादरा अउरी नगर हवेली |
6. गोवा | 15. महाराष्ट्र | 24. तमिल नाडु | D. दमन अउरी दीव |
7. गुजरात | 16. मणिपुर | 25. तेलंगाना | E. लक्षदीप |
8. हरियाणा | 17. मेघालय | 26. त्रिपुरा | F. दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र |
9. हिमाचल प्रदेश | 18. मिजोरम | 27. उत्तर प्रदेश | G. पुद्दुचेरि |
भारत एगो संघ (फेडरेशन) ह जेह में 28 राज्य आ 9 गो संघ राज्यक्षेत्र (यूनियन टेरिटरी) शामिल बाने।[79] सगरी राज्यन में आ जम्मू काश्मीर, पुद्दुचेरी आ दिल्ली (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में चुनल गइल बिधायिका आ सरकार होले जे वेस्टमिन्स्टर मॉडल पर आधारित स्वरुप वाली होलीं। बाकी छह गो संघ राज्यक्षेत्र के शासन सीधे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक लोग के माध्यम से होला। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत राज्यन के भाषा के आधार पर सीमांकन भइल।[80] एकरे बाद से 2019 के अक्टूबर में सभसे नया बदलाव में जम्मू अउरी काश्मीर राज्य के बिभाजन कइल गइल आ एकरा के राज्य से बदल के दू गो संघ राज्यक्षेत्र बनावल गइल। हर राज्य प्रशासन खातिर जिला आ तहसील (तालुका) में बाँटल गइल बा आ अंत में सभसे छोट इकाई गाँव बाने।
भारत, भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट के ऊपर स्थित बा, आ इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट के हिस्सा हवे।[81] भारत के बर्तमान रूप के रचना करे वाली भूबिज्ञानिक प्रक्रिया सभ के सुरुआत अबसे 75 मिलियन बरिस पहिले भइल जब भातरीय प्लेट, ओह समय के गोंडवाना नाँव के महामहादीप के हिस्सा, अपना जगह से उत्तर-पूरुब ओर घुसुके सुरु कइलस। एकर वजह समुंद्रतल फइलाव रहल जे एकरा दक्खिन-पच्छिम में, आ बाद में, दक्खिन आ दक्खिन पूरुब में सुरू भइल।[81] साथै-साथ, बिसाल आकार के टीथियन समुंद्री क्रस्ट, जे एकरा उत्तर-पूरुब में रहल, यूरेशियन प्लेट के नीचे धँसके सुरू हो गइल।[81] ईहे दुन्नों प्रासेस, जवन पृथ्वी के मैंटल में चले वाली तरंग के परिणाम रहली, हिंद महासागर के निर्माण आ भारतीय महादीपी क्रस्ट के यूरेशिया के नीचे पेस के एह हिस्सा के ऊपर उठा के हिमालय के उठान, दुन्नों चीज के कारन बनली।[81] भारतीय प्लेट के धँसाव जहाँ यूरेशियन प्लेट के नीचे होत रहे आ जवना से हिमालय के उठान होत रहल ओही इलाकाके ठिक दक्खिन में एगो बिसाल दोना के आकार के धँसल हिस्सा के रचना भइल जे नदी सभ के ले आइल गाद-माटी से तेजी से भर गइल[82] बर्तमान समय के सिंधु-गंगा मैदान के रूप लिहलस[83] प्राचीन अरावली परबत द्वारा मैदान से बिलग होखे वाला पच्छिमी हिस्सा थार के रेगिस्तान के रूप में मौजूद बाटे।[84]
मूल आ पुरान भारतीय प्लेट अब प्रायदीपीय भारत के रूप में बाँचल बाटे आ ई भारत के सभसे पुरान आ भूबिज्ञान के हिसाब से सभसे स्थाई हिस्सा हवे। ई उत्तर के ओर अपना बिस्तार में मध्य भारत के सतपुड़ा परबत श्रेणी आ बिंध्याचल परबत श्रेणी ले बिस्तार लिहले बाटे। ई दुनों, लगभग समानांतर श्रेणी, गुजरात राज्य के अरब सागर के तट से ले के झारखंड राज्य में मौजूद छोटानागपुर के पठार ले फइलल बाड़ी।[85] दक्खिन में, बाकी के पठारी हिस्सा, दक्कन पठार अपना पच्छिम सीमा पर पच्छिमी घाट से आ पूरुब में पूरबी घाट नाँव के पहाड़ी कड़ी से बनल सीमा वाला बाटे;[86] पठार भारत के कुछ सभसे पुरान चट्टान वाला बाटे जेवना में से कुछ एक बिलियन बरिस से भी पुरान बाड़ी। एह प्रकार के संरचना वाला भारत बिसुवत रेखा के उत्तर में 8°4' आ 37°6' उत्तर अक्षांस[नोट 5] आ 68° 7' से 97° 25' पूरबी देशांतर ले बिस्तार वाला बाटे।[87]
भारत के समुंद्री तट के लंबाई 7,517 किलोमीटर (4,700 मील) बाटे; एकर 5,423 किलोमीटर (3,400 मील) लंबा हिस्सा प्रायदीपी भारत के हवे आ 2,094 किलोमीटर (1,300 मील) लंबा हिस्सा अंडमान निकोबार दीपसमूह आ लक्षदीप के टापू सभ के समुंद्र तट से बनल बाटे।[88] भारतीय नेवी के हाइड्रोग्राफिक चार्ट सभ के मोताबिक भारत के मुख्य जमीन के समुंद्री किनारा, 43 % बलुआ बीच वाला; 11 % चट्टानी किनारा, जवना पर क्लिफ बाड़ी; आ 46 % कीच तट आ दलदली इलाका वाला बाटे।[88]
भारत में बहे वाली प्रमुख हिमालयी नदी सभ में गंगा आ ब्रह्मपुत्र बाड़ी, दुन्नों बंगाल के खाड़ी में पानी छोड़े ली।[89] गंगा के मुख्य सहायिका नदिन में यमुना आ कोसी बाड़ी; जहाँ कोसी बहुत कम ढाल वाला मैदान में बहे ले आ बेर-बेर आपन रस्ता बदले आ भयावन बाढ़ खातिर जानल जाले।[90] प्रायदीपी भारत के मुख्य नदी, जिनहन के ढाल तेज होखे से के कारन ई बाढ़ के परभाव से फिरी बाड़ी, गोदावरी महानदी, कृष्णा आ कावेरी बाड़ी जे बंगाल के खाड़ी में गिरे ली;[91] आ नर्मदा आ ताप्ती अरब सागर में गिरे ली।[92] समुंद्र किनारे के हिस्सा में दलदली जमीन वाला कच्छ के रन पच्छिम में आ सुंदरबन के जलोढ़ मैदान पूरुब में बा; सुंदरबन के कुछ हिस्सा बंगलादेश में पड़े ला।[93] भारत के हिस्सा में दू गो दीपमाला बा: लक्षदीप, जे मूंगा के एटॉल हवे आ पच्छिमी किनारा से कुछ दूर पर बा; आ अंडमान आ निकोबार दीपसमूह, जे अंडमान सागर में ज्वालामुखी कड़ी के ऊपर बा।[94]
भारत के जलवायु हिमालय आ थार के रेगिस्तान से बहुत प्रभावित बा, दुन्नों मिल के भारत खातिर आर्थिक आ सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण मानसून के संचालन में आपन परभाव छोड़े लें।[95] हिमालय, बिचला एशिया के ठंढा कैटाबेटिक हवा सभ से बचाव करे ला आ इनहन के भारत में प्रवेश करे से रोके ला, भारत, एही अक्षांस वाला बाकी जगहन के तुलना में जाड़ा में गरम रहे ला।[96][97] थार के रेगिस्तान, मानसून के हवा सभ के खींचे ला आ नमी से भरल ई हवा जून से अक्टूबर के बीच भारत के ज्यादातर हिस्सा में बरखा करे लीं।[95] भारत में मुख्य रूप से चारि गो जलवायु प्रकार मिले ला: उष्णकटिबंधीय नम, उष्णकटिबंधीय सूखल, उप-उष्णकटिबंधीय नम, आ परबती।[98]
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइऍमऍफ़) के अनुसार, साल 2015 में भारत के अर्थब्यवस्था US$2.183 ट्रिलियन नौमिनल कीमत वाली रहल; बजार ऍक्सचेंज रेट के हिसाब से ई दुनिया के 7वीं, आ US$8.027 ट्रिलियन कीमत के साथ, परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के हिसाब से तीसरी सभसे बड़ अर्थब्यवस्था रहल[9] पछिला दू दसक में औसत सालाना जीडीपी बढ़ती 5.8 % के दर से रहल जे 2011-12 में बढ़ के 6.1 % हो गइल[99] आ एह तरे भारत दुनिया के सभसे तेज बढ़ती करे वाला अर्थब्यवस्था बा।[100] हालाँकि, प्रति बेकती जीडीपी के हिसाब से एकर दुनिया में 140वाँ स्थान बा आ पीपीपी पर गिनल प्रति बेकती जीडीपी के हिसाब से ई 129वाँ नंबर पर बा।[101] साल 1991 ले, भारत में सगरी सरकार सभ संरक्षणवादी आर्थिक नीति के लागू कइलीं जे सोशलिस्ट अर्थशास्त्र से प्रभावित रहे। ब्यापक पैमाना पर सरकारी हस्तक्षेप आ रेगुलेशन सभ, बैस्विक अर्थब्यवस्था आ भारतीय अर्थब्यवस्था के बिचा में देवाल नियन खड़ा रहलें। साल 1991 में पैदा भइल एक ठो आर्थिक संकट के बाद भारतीय अर्थब्यवस्था के खोलल गइल;[102] आ एकरे बाद से ई बजार-आधारित अर्थब्यवस्था के ओर बढ़े लागल[103][104] जेकरा खातिर बिदेसी ब्यापार आ बिदेसी निवेस के आगमन के बढ़ावा दिहल गइल।[105] भारत के हाल के आर्थिक मॉडल पूँजीवादी बाटे।[104] भारत 1 जनवरी 1995 से डब्लूटीओ के मेंबर बा।[106]
2011 तक ले [update], 4,866 लाख कार्यशील लोग के साथ भारतीय श्रमिक दल दुनिया के दुसरा सभसे बड़ बा।[107] सर्विस सेक्टर द्वारा जीडीपी के 55.6 %, उद्योग सेक्टर द्वारा 26.3 % खेती सेक्टर द्वारा 18.1 % हिस्सेदारी कइल जात बा। भारत के फॉरेन एक्सचेंज रिमिटेंस साल 2014 में US$70 बिलियन रहल जे दुनिया में एक नंबर रहल आ ई 250 लाख भारतीय लोग द्वारा कमा के ले आइल गइल रहल जे लोग बिदेस में नोकरी करत बा।[108] खेतीबारी से पैदा होखे वाला प्रमुख चीज में चाउर, गोहूँ, तेलहन, कपास, जूट, चाय, ऊख, आ आलू बा।[109] प्रमुख उद्योग सभ में कपड़ा-उद्योग, टेलीकम्युनिकेशन, केमिकल, फार्मास्यूटिकल, बायोटेक्नोलॉजी, फ़ूड प्रोसेसिंग, स्टील, परिवहन के साधन, सीमेंट, खनन, पेट्रोलियम, मशीनरी, आ सौफ्टवेयर उद्योग बाने।[109] साल 2006 में, भारत के जीडीपी में बिदेसी ब्यापार के हिस्सा बढ़ के 24 % हो गइल जवन कि सन् 1985 में खाली 6 % भर रहल।[103] साल 2008 में, बिस्व ब्यापार में भारत के भागीदारी 1.68 % रहल;[110] साल 2011 में, दुनिया के दसवाँ सभसे बड़ आयातक आ उन्नईसवाँ सभसे बड़ निर्यातक देस रहल।[111] मुख्य निर्यात (बाहर भेजल जाए वाला सामान) में पेट्रोलियम उत्पाद, कपड़ा उद्योग के उत्पाद, गहना, सॉफ्टवेयर, इंजीनियरी के सामान, केमिकल, आ चमड़ा के उत्पाद सामिल रहलें;[109] आयात में कच्चा पेट्रोलियम, मशीनरी, रतन, खाद, आ केमिकल रहल।[109] साल 2001 से 2011 के बिचा में, कुल निर्यात में पेट्रोलियम उत्पाद के हिस्सेदारी 14 % से बढ़ के 42 % हो गइल।[112] साल 2013 में भारत कपड़ा उद्योग के चीज बाहर भेजे के मामिला में, चीन के बाद, दुसरा नंबर के सभसे बड़ निर्यातक देस रहल।[113]
भारतीय संविधान कौनों एक राष्ट्रभाषा के वर्णन ना करेला। भारत में कउनो एक राष्ट्रभाषा न हऽ। संविधान के अनुसार केंद्रीय सरकार में काम हिंदी आ अंग्रेज़ी भाषा में होला, आ राज्यन में हिंदी या फिर आपन-आपन क्षेत्रीय भाषा में काम होला। ईहाँ मुख्यतः बोलल जाये वाली भाषवन के लिस्ट नीचे दिहल बाटे:
भारत के सांस्कृतिक इतिहास 4,500 साल से ढेर लमहर बाटे।[114] वैदिक काल (c. 1700 — 500 BCE) में हिंदू दर्शन, पौराणिक कथा, धर्मदर्शन आ साहित्य के नेंइ रखाइल, आ बहुत सा परंपरा सभ के स्थापना भइल जिनहन के आज भी पालन हो रहल बा, जइसे कि धर्म, कर्म, योग, आ मोक्ष।[21] भारत देस अपना धार्मिक बिबिधता खातिर जानल जाला, जहाँ हिंदू, बौद्ध, सिख, इस्लाम, ईसाइयत, आ जैन प्रमुख धर्म बाने।[115] सबसे प्रमुख, हिंदू धर्म, इतिहासी रूप से कई मत आ संप्रदाय सभ के बिकास से, आ उपनिषद,[116] योग सूत्र, भक्ति आंदोलन,[115] आ बौद्ध दर्शन के परभाव[117] आज के वर्तमान रूप में आइल बा।
भारत के भवन निर्माण कला, जेह में ताजमहल, अन्य दूसर मुग़ल आर्किटेक्चर, आ दक्खिन भारतीय आर्किटेक्चर सामिल बा, प्राचीन स्थानीय परंपरा आ बाहरी शैली सभ के सुघर मेरवन हवे।[118] भारत के देसी भवन निर्माण कला में भी बिबिध रंग देखाई पड़े लें। संस्कृत ग्रंथ वास्तु शास्त्र से ले के तमिल मामुनि मायन तक ले[119] एह बात के खोज करे लें कि कइसे प्रकृति के शक्ति सभ मानव आवास के निर्धारित करे लीं;[120] इनहन में सटीक ज्यामिति आ दिशा आधारित योजना बतावल गइल बा जेकरा अनुसार ब्रह्मांड के ताकत सभ के साथ समरस बइठा के भवन बनावल जा सके लें।[121] शिल्प शास्त्र, कई ठो मिथकीय ग्रंथ सभ के लड़ी हवे जेकरा से प्रभावित हिंदू मंदिर आर्किटेक्चर में "पूर्ण" के संकल्पना आधारित वर्ग, "वास्तु-पुरुष मंडल", के बिधान मिले ला।[122] आगरा के ताजमहल, जे शाह जहाँ के आदेश पर उनके पत्नी मुमताज महल के याद में 1631 से 1648 के बीच में बनावल गइल, "भारत में मुस्लिम कला के गहना आ बैस्विक रूप से प्रशंसित मास्टरपीस बिस्व धरोहर" के रूप में यूनेस्को के बिस्व धरोहर लिस्ट में शामिल बा।[123] 19वीं सदी में अंग्रेजी शासन में बिकसित इंडो-सारसेनिक आर्किटेक्चर मूल रूप से इंडो-मुस्लिम आर्किटेक्चर के आगे बढ़ावे वाला शैली हवे।[124]
भारत में साहित्य के रचना के सुरुआत सभसे पुरान समय में संस्कृत भाषा में भइल जे 1700 ईसा पूर्व से 1200ईसवी के बीच के बा।[125][126] संस्कृत साहित्य में प्रमुख रचना सभ में रामायण आ महाभारत नियर महाकाव्य, कालिदास के नाटक, जइसे कि अभिज्ञानशाकुन्तलम्, आ अन्य महाकाव्य गिनावल जा सके ला।[127][128][129] साहित्य के बिबिध रूप देखे के मिले ला आ कामसूत्र नियर रचना भारते में सभसे पहिले भइल। दक्खिनी भारत में 600 ईसा पूर्व से 300 ईसवी के बीचे के संगम साहित्य के रचना में 2,381 कविता सभ तमिल साहित्य के पूर्ववर्ती मानल जालीं।[130][131][132][133] 14वीं से 18वीं सदी के बीचे में, भारतीय साहित्य में भक्ति आंदोलन के जोर लउके ला आ कबीरदास, तुलसीदास, आ गुरु नानक नियर संत आ कवि लोग एह काल के प्रतिनिधि के रूप में देखल जाला। एह काल के रचना सभ में बिबिध बिचार आ भाव के निरूपण भइल आ ई क्लासिकल (शास्त्रीय) युग के रचना सभ से पर्याप्त रूप से अलग किसिम के बाड़ी सऽ।[134] 19वीं सदी में, भारतीय लेखक लोग के रूचि सामाजिक बराबरी आ मनोबैज्ञानिक बिबरन नियर बिसय में जागल। बीसवीं सदी में बंगाली लेखक रबींद्रनाथ टैगोर के परभाव साहित्य पर देखे के मिले ला[135] जिनका के साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिलल रहल।
भारतीय संगीत कई तरह के परंपरा आ क्षेत्रीय शैली सभ के कारण बहुत बिस्तार लिहले बाटे। शास्त्रीय संगीत के दू ठो प्रमुख शैली: उत्तर भारत में हिंदुस्तानी संगीत, आ दक्खिन भारत में कर्नाटक संगीत के रूप में बा।[136] इलाकाई पापुलर संगीत में फिलिमी आ लोकसंगीत के परंपरा बा; बहुलता लिहले बाउल गीत लोकगीत के एक ठो सुघर उदाहरण बाने। भारत में नाच के भी लोक आ शास्त्रीय शैली बा। कुछ परसिद्ध लोक नाच शैली में पंजाब के भांगड़ा, आसाम के बिहू, ओडिशा, पच्छिम बंगाल आ झारखंड के छऊ, गुजरात के गरबा आ डांडिया, राजस्थान के घूमर, आ महाराष्ट्र के लावनी के नाँव गिनावल जा सके ला। भारत में आठ गो नाच सभ, जिनहना में कई थे में कथा आ मिथक के निरूपण भी होला, के भारत में शास्त्रीय नाच के दर्जा भी 'संगीत नाटक अकादमी' द्वारा दिहल गइल बा। इआ आठ गो नाच बाड़ें: तमिलनाडु के भरतनाट्यम, उत्तर प्रदेश के कथक, केरल के कथकली आ मोहिनीअट्टम, आंध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी, मणिपुर के मणिपुरी, आ ओडिशा के ओडिसी नाच आ आसाम के सत्तारिया नाच।[137] भारत में थियेटर यानि नाटक कला के अंदर संगीत, गीत आ सहज भा लिखल डायलाग के मिलल-जुलल परंपरा बिकसित भइल बा।[138] परंपरागत नाटकन के शैली में ज्यादातर हिंदू मिथक आधारित नाटक बाने, हालाँकि मध्यकाल के भी पर्याप्त परभाव इनहन पर देखे के मिले ला। इनहन में कुछ प्रमुख बाने: गुजरात के भवाई, बंगाल के जात्रा, उत्तरी भारत के नौटंकी आ रामलीला, महाराष्ट्र के तमाशा, आंध्रप्रदेश के बुर्रा कथा, तमिलनाडु के तेरुकुट्टू आ कर्नाटक के यक्षगान।[139]
भारत के फिलिम इंडस्ट्री में दुनिया के सभसे ढेर देखल जाए वाला सिनेमा बने ला।[140] भारत में क्षेत्रीय स्तर पर सिनेमा के धनी परंपरा बिकसित भइल बा जेह में असमिया, बंगाली, भोजपुरी, हिंदी कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, गुजराती, मराठी, ओडिया, तमिल आ तेलुगु भाषा सभ में सिनेमा का आपन ख़ास पहिचान बन चुकल बाटे।[141] भारत में राष्ट्रीय स्तर पर होखे वाला आय में से 75 % हिस्सा दक्खिन भारतीय सिनेमा के बा।[142]
भारत में टीवी प्रसारण के सुरुआत 1959 में सरकारी स्तर पर भइल आ एकरे बाद दू दसक ले एह में बढ़ती के दर बहुत धीरे रहल।[143][144] 1990 के दसक में सरकार के चैनल दूरदर्शन के एकाधिकार खतम भइल आ एकरे बाद से सैटेलाईट चैनल सभ में तेजी से बढ़ती देखल गइल आ एकर भारत के समाज के पापुलर संस्कृति के रूप निर्धारित करे में लगातार बढ़त मात्रा में परभाव देखल जा सके ला।[145] आज, भारत में टीवी, समाज में सभसे ढेर घुसल मीडिया बा; एह इंडस्ट्री के अनुमान के मोताबिक 2012 तक ले [update] 5,540 लाख से ढेर टीवी उपभोक्ता बा लोग आ एह में 4,620 लाख लोग के लगे सैटेलाईट टीवी/केबिल कनेक्शन के सुबिधा बा, आ ई पहुँच अन्य माध्यम सभ, जइसे कि प्रेस (3500 लाख), रेडियो (1560 लाख) या इंटरनेट (370 लाख) से काफी ढेर बाटे।[146]
भारतीय खाना में क्षेत्रीय आ परंपरागत पकवान सभ में बहुत बिबिधता पावल जाला आ अक्सरहा इहाँ कौनों राज्य या क्षेत्र के नाँव के आधार पर ओह इलाका के खाना के पहिचान भी होला (उदाहरण खातिर बिहारी खाना या भोजपुरी खाना)। मुख्य भोजन के हिस्सा के रूप में इहाँ चावल, बजरा, गोहूँ के आटा आ बिबिध प्रकार के दलहन सभ (रहर, मूंग, मसुरी, उर्दी वगैरह) बाटे। मसुरी आ मूंग के खड़ा भी पकावल जाला आ दाल के रूप में भी। ज्यादातर दलहन सभ के दाल के रूप में, यानी कि, दर के दू टुकड़ा में हो जाए के बाद पकावल जाला।[147] भारतीय खाना के एक ठो प्रमुख बिसेसता इहाँ के मसाला भी बा। भारतीय मसाला के महत्त्व के अंजाद लगावे खातिर इहे काफी बा कि कुछ बिद्वान लोग यूरोप के साथ भारतीय मसाला के ब्यापार के यूरोप में खोज के जुग के उत्पत्ती के प्रमुख कारण में से एक माने ला।[148]
परंपरागत भारतीय समाज के बहुधा सामाजिक स्तर के हिसाब से परिभाषित कइल जाला जहाँ जाति आधारित ऊँच-नीच बहुत तरह के सामाजिक रोक-टोक लगावे ला आ लोगन के सामाजिक स्थिति के परिभाषित करे ला। सामाजिक बर्ग के रूप में भारत में हजारन गो समूह बाने जे अपना से बाहर नातेदारी ना करे लें, जिनहन के जाति कहल जाला।[149] आजादी में बाद भारत केहू के अछूत माने के गैरकानूनी घोषित क दिहलस[150] आ 1947 के बाद अउरी कई ठो कानून पास कइल गइल ताकि जाति आधारित भेदभाव खतम कइल जा सके। शहरी भारत में अब बड़-बड़ कंपनी में काम करे वाला लोग के बीच ऑफिस में जाति आधारित पहिचान के भावना नइखे रह गइल।[151][152]
पारिवारिक मूल्य सभ के महत्व भारत में बहुत बाटे आ कई पीढ़ी ले चले वाला संजुक्त परिवार इहाँ आम चीज रहल बा, हालाँकि, अब शहरी इलाका में एकल परिवार के बढ़ती देखल जा रहल बाटे।[153] भारत में अभिन भी ज्यादातर लोग के बियाह परिवार आ नात रिश्तेदारी के बड़ लोग के सहमती से अरेंज कइल जाला।[154] बियाह जीवन भर निभावे के चीज मानल जाला,[154] आ तलाक के दर बहुत कम बा।[155] 2001 तक ले [update], बस 1.6 प्रतिशत भारतीय औरत लोग के तलाक होखे हालाँकि अब ई आँकड़ा शिक्षा आ आर्थिक आजादी के चलते बढ़ रहल बाटे।[155] बाल बियाह अभिन भी देहाती इलाका में प्रचलित बा जहाँ लड़की लोग के बियाह कानूनी उमिर 18 साल से पहिलहीं हो जाला।[156] गर्भ में लड़िकिन के हत्या इहाँ के बहुत गंभीर समस्या बा आ एकरे कारण लिंगानुपात में बहुत बिसमता पैदा हो चुकल बा, 2005 तक ले [update] के अनुमान के मोताबिक 500 लाख पुरुष फाजिल बाने औरतन के तुलना में।[157][158] हालाँकि, 2011 के रिपोट कुछ सुधार होत देखावत बाटे।[159] दहेज, गैर-कानूनी होखले के बावजूद काफी मात्रा में प्रचलन में बा आ चोरी-छिपल तरीका से चालू बा।[160] दहेज हत्या के मामिला में भी 2013 के खबर के मोताबिक बढ़ती भइल बा।[161]
भारत में ज्यादातर पब्लिक छुट्टी सभ धार्मिक तिहुआर के होलीं जेह में कुछ प्रमुख बा, दिपावली, होली, गणेश चउथ, पोंगल, दुर्गा पूजा, ईद, बकरीद, क्रिसमस आ बैसाखी।[162][163] स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस आ गाँधी जयंती नियर कुछ राष्ट्रीय परब भी बाने जे पूरा भारत में मनावल जालें।
लगभग 4000 ईसापूर्व के समय में भारत में कपास आ सूती कपड़ा के चलन सुरू हो गइल रहल। परंपरागत रूप से भारतीय पहिनावा रंग आ स्टाइल के हिसाब से एक इलाका से दुसरा इलाका के बीच काफी अंतर लिहले होला आ ई कई तरह के चीज पर निर्भर होला जइसे कि ओह जगह के जलवायु या फिर लोग के धार्मिक मान्यता। औरतन के सभसे प्रचलित परिधान साड़ी हवे आ मर्दाना लोग के धोती भा लुंगी। एकरे बाद बदलाव के तौर पर सलवार-सूट आ कुरता-पैजामा चलन में आइल। पैंट-बुशर्ट आ जींस टी-शर्ट के चलन भी आ गइल बा।[164] गहना के साथ साथ असली फूल सभ के सिंगार में इस्तेमाल के परंपरा भारत में लगभग 5,000 साल पुरान बाटे; आ रतन सभ के इहाँ ग्रह-दसा के हिसाब से टोटका के तौर पर पहिरल जाला।[165]
भारत में कई ठे पुरान परंपरागत खेल सभ जे एही जा पैदा भइलें, अभिन ले काफी चलन में बाने, उदाहरण खातिर कबड्डी, खो-खो, पहलवानी, आ गुल्ली-डंडा। कई ठे भारतीय मार्शल आर्ट जे एशिया के सुरुआती मार्शल आर्ट में गिनल जा सके लें, जइसे कि कलारियपट्टू, मुष्टियुद्ध, सिलम्बम, आ मार्मा आदि, भारत में जनमल हवें। शतरंज के खेल भारत में चतुरंग के नाँव से जनमल आ नया जमाना में दोबारा इहाँ लोकप्रिय हो गइल बा आ कई गो भारतीय ग्रैंडमास्टर लोग भी हो चुकल बाटे।[166][167] पचीसी के खेल, बिसाल संगमरमर के चबूतरा पर बादशाह अकबर द्वारा खेलल जाय।[168]
भारतीय डेविस कप में खेलाड़ी लोग के प्रदर्शन आ अन्य जगह पर भी खेल के पापुलर होखे के सुरुआत के कारण 2010 के बाद से देस में टेनिस के महत्व बढ़ल बाटे आ अब एहू में भारतीय लोग रूचि देखावत बा।[169] शूटिंग यानि निशानेबाजी में भारत के महत्वपूर्ण स्थान बा आ ओलंपिक खेलन में, बिस्व शूटिंग चैंपियनशिप में आ कॉमनवेल्थ खेल में भारत कई पदक हासिल कइले बाटे।[170] अन्य कहल जेह में भारतीय खेलाडी लोग के अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर सफलता मिलल बाटे, बैडमिंटन[171] (साइना नेहवाल आ पी वी सिंधु दुनिया में टॉप रैंक के बाड़ी), मुक्केबाजी,[172] आ कुश्ती[173] बाड़ें। भारत में फुटबाल के खेल पच्छिम बंगाल, गोवा, तमिलनाडु, केरल आ पूर्वोत्तर के राज्य सभ में पापुलर हवे।[174] फीफा के अंडर-17 वल्ड कप भारत में होखे जा रहल बाटे।[175]
हाकी भारत के राष्ट्रीय खेल हवे आ भारत में एकर प्रबंधन हाकी इंडिया के हाथ में बाटे। भारतीय पुरुष हाकी टीम 1975 में हाकी के बिस्व कप जितल, आ 2016 तक ले [update], आठ गो गोल्ड, एक ठो सिल्बर, आ दू गो ब्रोंज मेडल ओलंपिक में जीत चुकल बा, आ ई खेल ओलंपिक में सभसे सफल रहल बाटे।
भारत के योगदान क्रिकेट के मशहूर बनावे में भी रहल बा। एही कारन, भारत में ई खेल सभसे ढेर पापुलर बाटे। भारतीय क्रिकेट टीम 1983 आ 2011 में बिस्व कप आ 2007 के टी20 बिस्वकप जीत चुकल बा 2012 में आइसीसी चैम्पियंस ट्राफी श्रीलंका के साथे साझा कइलस आ 2013 में जीतले रहल। भारत में क्रिकेट के प्रबंधन बीसीसीआई के हाथ में बा; रणजी ट्राफी, दिलीप ट्राफी, देवधर ट्राफी आ इरानी ट्राफी इहाँ के घरेलू प्रतियोगिता हईं सऽ। बीसीसीआइ हर साल टी20 के मुकाबला, आईपीएल के नाँव से भी करवावे ले।
भारत अकेले या फिर दुसरा देस के साथे मिल के कई गो अंतर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता सभ के आयोजन करा चुकल बाटे: 1951 आ 1982 के एशियाई खेल; 1987, 1996 आ 2011 के क्रिकेट बिस्व कप; 2003 के एफ्रो एशियाई खेल; 2006 आईसीसी चैम्पियंस ट्राफी; 2010के हाकी बिस्व कप आ 2010 के कॉमनवेल्थ खेल इहाँ आयोजित हो चुकल बाने। भारत में हर साल आयोजित होखे वाला अंतर्राष्ट्रीय मुकाबला सभ में चेन्नई ऑपन, मुंबई मैराथन, दिल्ली आधा-मैराथन आ इंडियन मास्टर्स प्रमुख बाने। भारत में पहिला फार्मूला 1 रेस इंडियन ग्रां प्री के सुरुआत 2011 में भइल बाकी ई 2014 के बाद से बंद हो गइल बा।[176]
दक्खिन एशियाई खेलन में भारत के दबदबा रहल बा। एकर एक ठो उदाहरण देखल जा सके ला कि भारतीय बास्केटबाल टीम दक्खिन एशियाई खेल में अब तक ले आयोजित चार में से तीन मुकाबला जीतल बाटे।[177]
राजीव गाँधी खेल रत्न आ अर्जुन पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिहल जाए वाला सभसे बड़हन सम्मान हवे जवन खेलकूद के क्षेत्र में खेलाड़ी लोग के दिहल जालें; जबकि द्रोणाचार्य पुरस्कार खेलकूद के कोचिंग देवे वाला गुरु लोग के दिहल जाला।
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