पृथ्वी
सौर मंडल में सुरुज के ओर से तिसरा ग्रह; हमनी के आवास / From Wikipedia, the free encyclopedia
पृथ्वी (प्रतीक: ) सौर मंडल में सूर्य के ओर से बुध अउरी शुक्र की बाद तिसरका ग्रह हवे। पृथ्वी से मिलत जुलत संरचना वाला ग्रहन के पार्थिव ग्रह कहल जाला जिनहन में पृथ्वी सबसे बड़हन बाटे आ बाकी अउरी तीन गो बुध, शुक्र आ मंगल बाड़ें। पृथ्वी समुद्र के उपर नीला रंग के लउकेले एही से एकरा के नीला ग्रह[24] भी कहल जाला। वैज्ञानिक प्रमाण की हिसाब से पृथ्वी के उत्पत्ति अब से करीब साढ़े चारि अरब बरिस पहिले भइल रहल।
परिकरमा कक्षा बिसेसता | |||||||||||||||||
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ऍपक J2000[n 1] | |||||||||||||||||
अपसौर | 152100000 किमी[n 2] (94500000 मील; 1.017 AU) | ||||||||||||||||
उपसौर | 147095000 किमी[n 2] (91401000 मील; 0.98327 AU) | ||||||||||||||||
सेमी-मेजर एक्सिस | 149598023 किमी[1] (92955902 मील; 1.00000102 AU) | ||||||||||||||||
इस्सेंट्रीसिटी | 6998167086000000000♠0.0167086[1] | ||||||||||||||||
ऑर्बिटल पीरियड | 365.256363004 d[2] (1.00001742096 yr) | ||||||||||||||||
औसत ऑर्बिटल गति | 29.78 किमी/से[3] (107200 किमी/घं; 66600 मील/घं) | ||||||||||||||||
औसत एनामली | 7000625904740362451♠358.617° | ||||||||||||||||
ऑर्बिटल झुकाव |
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उदय संपात के देशांतर | 3000803464756118225♠−11.26064°[3] J2000 एक्लिप्टिक से | ||||||||||||||||
उपसौर के आर्गुमेंट | 7000199330266505796♠114.20783°[3] | ||||||||||||||||
उपग्रह | |||||||||||||||||
भौतिक लच्छन | |||||||||||||||||
औसत रेडियस | 6371.0 किमी (3958.8 मील)[6] | ||||||||||||||||
बिसुवतरेखीय रेडियस | 6378.1 किमी (3963.2 मील)[7][8] | ||||||||||||||||
ध्रुवीय रेडियस | 6356.8 किमी (3949.9 मील)[9] | ||||||||||||||||
चपटापन | 6997335280000000000♠0.0033528[10] 1/7002298257222101000♠298.257222101 (ETRS89) | ||||||||||||||||
परिधि | |||||||||||||||||
सतह क्षेत्रफल | |||||||||||||||||
आयतन | 7021108320999999999♠1.08321×1012 km3 (7011259876000000000♠2.59876×1011 cu mi)[3] | ||||||||||||||||
द्रब्यमान | 7024597237000000000♠5.97237×1024 किg (7024597236001731600♠1.31668×1025 पाउंड)[15] (7024596565000000000♠3.0×10−6 M☉) | ||||||||||||||||
औसत घनत्व | 5.514 ग्रा/सेमी3 (0.1992 lb/cu in)[3] | ||||||||||||||||
सतही गुरुत्व | 9.807 मी/से2 (7000100000000000000♠1 g; 32.18 फुट/से2)[16] | ||||||||||||||||
इनर्शिया फैक्टर के मूमेंट | 0.3307[17] | ||||||||||||||||
इस्केप वेलासिटी | 11.186 किमी/से[3] (40270 किमी/घं; 25020 मील/घं) | ||||||||||||||||
साइडेरियल घुमरी काल | |||||||||||||||||
बिसुवतरेखी घुमरी बेग | 0.4651 किमी/से[19] (1674.4 किमी/घं; 1040.4 मील/घं) | ||||||||||||||||
एक्सिस के झुकाव | 6999409092629495479♠23.4392811°[2] | ||||||||||||||||
अल्बेडो | |||||||||||||||||
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वायुमंडल | |||||||||||||||||
सतही दाब | 7005101325000000000♠101.325 किलोपास्कल (समुंद्र तल पर) | ||||||||||||||||
आयतन अनुसार घटक |
पृथ्वी के सबसे बड़ बिसेसता बा इहाँ जीवित जीव जंतु आ पेड़ पौधा के मिलल। अबहिन ले पूरा ब्रह्माण्ड में अउरी कौनो अइसन पिण्ड नइखे मिलल जेवना पर जीवन मिलला के सबूत होखे। खाली मनुष्ये ना बालुक अउरी हजारन लाखन परकार के जीवित परानी पृथ्वी पर निवास करेलन। एकरी खातिर कई गो कारण जिम्मेवार बा जइसे कि पृथ्वी के सूर्य से दूरी एकदम सही बा ए से ई न ढेर गरम रहेले न ढेर ठंढा हो जाले, पृथ्वी के वायुमंडल में गैसन के मात्रा एकदम सही अनुपात में बा, ओजोन परत आ पृथ्वी के चुंबकीय मण्डल सूर्य की हानिकारक किरण से जीवित परानिन के रक्षा करे लें।
पृथ्वी के जीवन धारण कइला कि क्षमता की कारण आ मनुष्य कि एकरी ऊपर निर्भर रहला की कारण एकरा के भारतीय संस्कृति में धरती माई कहल जाला काहें कि सगरी जीव जंतु आ पेड़ पौधा एही पृथ्वी के संतान हवे लोग । संसार की प्राचीनतम ग्रन्थ वेद में पृथ्वी कि आराधना में एगो पूरा सूक्त बा जेवना के पृथिवी सूक्त कहल जाला। पुरानन में पृथ्वी के शेषनाग की फन पर स्थित बतावल गइल बा।
पृथ्वी के अध्ययन करे वाला विज्ञानन के पृथ्वी विज्ञान कहल जाला। इन्हन में सबसे पुरान विज्ञान के भूगोल कहल जाला जेवन पृथ्वी के अलग-अलग अस्थान के रूप आ उहाँ पावल जाए वाला पर्यावरण आ लोगन के अध्ययन आ वर्णन करे वाला विषय हवे। पृथ्वी की अन्दर की जानकारी के खोज करे वाला बिज्ञान भूगर्भशास्त्र कहल जाला। भूगोल में पृथ्वी की ज़मीन वाला हिस्सा के स्थलमंडल, पानी वाला हिस्सा के जलमंडल, पृथ्वी की चारो ओर की गैस से बनल हिस्सा के वायुमंडल आ ए बाकी तीनों में व्याप्त ओ हिस्सा के जे में जीव पावल जालें, जैवमंडल कहल जाला।
पृथ्वी पर पावल जाए वाला पर्यावरण मनुष्य आ बाकी सभ जीव जंतु खातिर बहुत महत्व के चीज बा काहें से कि एकरी अन्दर गड़बड़ी से एकर संतुलन बिगड़ जाई टा सारा जीव जंतु के अस्तित्व समाप्त हो जाई। एही से पृथ्वी की पर्यावरण के सुरक्षा खातिर बहुत व्यापक चर्चा होत बा काहें से कि मनुष्य की क्रियाकलाप से पृथ्वी की प्राकृतिक पर्यावरण के खतरा पैदा हो गइल बा।
हर साल अप्रैल महीना की 22 तारिख के पृथ्वी दिवस आ 5 जून के पर्यावरण दिवस मनावल जाला।