कौनों जीवधारी भा जीव सभ के चारों ओर के दशा From Wikipedia, the free encyclopedia
पर्यावरण (अंग्रेजी: environment) कौनो जीवधारी के चारों ओर पावल जाये वाली सगरी जैविक आ अजैविक चीजन क एकट्ठा रूप हउवे जेवना से ओ जीवधारी के जीवन परभावित होला।
पर्यावरण में सगरी प्राकृतिक आ मनुष्य क बनवाल चीज भी आ जाला; सगरी जिंदा जीव-जंतु से लेके बेजान चीज ले, सभ कुछ आ जाला।[1] एही से पर्यावरण में दू तरह क चीज गिनावल जाला: 'जैविक संघटक' - सगरी जिंदा जीव-जंतु, पेड़-पौधा, बैक्टीरिया आ कीड़ा-मकोड़ा सभ; आ 'अजैविक संघटक' - सगरी बेजान भौतिक आ रासायनिक चीज, जइसे पहाड़, मैदान, माटी, हवा, पानी वगैरह।[2]
प्राकृतिक पर्यावरण क मतलब होला अइसन कुल चीज जेवन प्रकृति में अपने आप मिलेलीं आ मनुष्य द्वारा ना बनावल हईं। एगो अउरी अर्थ में ओइसन सारा जगहन की पर्यावरण के प्राकृतिक पर्यावरण कहल जाला जहाँ मनुष्य क बहुत कम हस्तछेप भइल होखे। प्राकृतिक पर्यावरण की अंग की रूप में कौनो जगह क जमीनी रचना, जलवायु, नदी, झील, प्राकृतिक बनस्पति, जीव-जंतु आ इन्हन से जुडल सभ तरह क क्रिया के अध्ययन होला। प्राकृतिक पर्यावरण की बिपरीत बनावटी पर्यावरण एगो अइसन पर्यावरण होला जेवना क रचना आदमी अपनी हिसाब से करेला। बनावटी पर्यावरण में उहे क्रिया-प्रक्रिया होले जेवन प्राकृतिक पर्यावरण में होले लेकिन ई आदमी द्वारा बहुत ढेर नियन्त्रित आ परभावित होले।
पर्यावरण अवनयन क मतलब होला पर्यावरण की गुणवत्ता में कमी। एही क एगो प्रकार हवे प्रदूषण जेवना में प्राकृतिक पर्यावरण में कौनो अइसन चीज क प्रवेश मनुष्य की काम द्वारा होला जेवना से प्राकृतिक पर्यावरण क ब्यवस्था गड़बड़ा जाला आ एकरी गुणवत्ता में कमी होला। हवा, पानी अउरी माटी में मनुष्य द्वारा फईलावल गंदगी से होखे वाला प्रदूषण अइसने एगो घटना बा।[3][4]
पर्यावरण क पढ़ाई करे वाला बिज्ञान के पर्यावरण बिज्ञान कहल जाला। एकरी आलावा भूगोल में एकर जनरल अध्ययन भी होला आ पर्यावरण भूगोल नाँव के शाखा में भी होला।
इकोलॉजी में जीव सभ आ उनहन के पर्यावरण के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया क अध्ययन आ बैज्ञानिक बिस्लेषण कइल जाला। ए बिज्ञान के पर्यावरणीय-जीव बिग्यान भी कहल जाला। मुख्य रूप से इ बिग्यान कौनो आस्थान की पर्यावरण के एगो सिस्टम मान के ओकर अध्ययन करे ला।
सिस्टम चाहे तंत्र क मतलब होला अइसन इकाई जेवना क सगरी हिस्सा एक-दुसरा से जुडल होखे आ आपस में क्रिया-प्रतिक्रिया करत होखे आ एही वजह से ऊ सिस्टम कई टुकड़न से मिल के बनला की बावजूद एगो सिंगल इकाई की रूप में ब्यवहार करत होखे।
ए नजरिया से देखल जाय त हमनी की पृथ्वी क पर्यावरणो एगो बहुत बड़हन सिस्टम के रूप में काम करेला। पर्यावरण क रचना कई चीज से मिल के भइल बा जिनहन के एकर अंग (पार्ट भा एलिमेंट) कहल जा सकेला आ तबो पर ई अलग-अलग अंग कौनों न कौनो क्रिया-प्रक्रिया द्वारा एक दुसरा से जुड़ के पुरा पर्यावरण के एगो सिंगल ज़िंदा इकाई की रूप में काम करे लायक बनावेला। एही से पर्यावरण के एगो पारिस्थितिक तंत्र कहल जाला। एकरे बाद दुसरा स्तर पर दुनिया के अलग-अलग इलाका में अलग-अलग किसिम के पर्यावरण दसा के कारण अलग तरह के बायोम पावल जालें। या फिर अउरी छोट स्तर पर भी पृथ्वी के कौनों हिस्सा के इकोसिस्टम मान के ओकर अध्ययन आ बिस्लेषण कइल जा सके ला।
इकोसिस्टम की रूप में पर्यावरण के मान लिहला पर एकरी अध्ययन में कई तरह क सुबिधा हो जाला। सबसे बड़ बात ई कि तब ई मान लिहल जाला की पर्यावरण की कौनो छोट से छोट अंग में कौनो बदलाव होई त ओकर परभाव पूरा पर्यावरण पर पड़ी। ए तरह से पर्यावरण में होखे वाला बदलाव क अध्ययन करे में बहुत सुबिधा हो जाला।
प्राकृतिक पर्यावरण प्रकृति में अपने आप, यानि प्राकृतिक रूप से पावल जाए वाली सगरी जिंदा आ बेजान चीजन के एकट्ठा रूप हवे। अइसन प्राकृतिक दसा जेह में आदमी क हस्तक्षेप बहुत कम भइल होखे। पूरा ब्रह्मांड प्राकृतिक बा, बाकी ई शब्द अकसर पृथ्वी खातिर इस्तमाल कइल जाला, या पृथ्वी के कौनों खास इलाका खातिर। एह तरह के पर्यावरण में पृथ्वी पर पावल जाए वाली सगरी जीव सभ के प्रजाति, चट्टान, जलवायु, मौसम आ अन्य प्राकृतिक संसाधन सभ के शामिल कइल जाला जेकरा से मनुष्य के जीवन संभव बा आ जवना पर मनुष्य के सगरी वर्तमान आर्थिक गतिबिधि सभ मूल रूप से निर्भर बा।[5] प्राकृतिक पर्यावरण के बिपरीत, मनुष्य के बनावल पर्यावरण बा। पृथ्वी के बहुत सारा इलाका में मनुष्य अपना गतिबिधि से मूल प्राकृतिक दसा सभ के एतना बदल दिहले बा, जइसे कि खेती खातिर या शहर बसावे खातिर, कि अब उहाँ के प्राकृतिक पर्यावरण बदल के मनुष्य-निर्मित पर्यावरण बन गइल बाटे। इहाँ तक कि बहुत मामूली बुझाए वाला बदलाव, जइसे कौनों रेगिस्तानी इलाका में माटी के देवाल आ छान छप्पर डाल के घर बना लिहल भी आसपास के पर्यावरण के आर्टिफिशियल पर्यावरण में बदल देला, ऊ प्राकृतिक ना रहि जाला। हालाँकि, बहुत सारा जियाजंतु आपन घर बनावे लें आ बहुत बड़ आकार के रचना भी क देलें, उनहन के कइल बदलाव प्राकृतिक पर्यावरण के हिस्सा मानल जाला।
वास्तव में पूर्ण रूप से प्राकृतिक पर्यावरण पृथ्वी पर साइदे कहीं मिले, आ कौनों भी जगह के प्राकृतिकता 100% प्राकृतिक से 0% प्राकृतिक के बीच कहीं होला। वास्तव में प्राकृतिक पर्यावरण के चीजन के एह तरीका से देखल जा सके ला कि इनहन के प्राकृतिकता मनुष्य के कामकाज के परभाव से केतना सुरक्षित बा।[6] कुछ लोग के कहनाम इहो बा कि जब मनुष्य के काम से पूरा पृथ्वी के जलवायु सिस्टम आ हवा के बनावट में बदलाव हो रहल बा, पृथ्वी के कौनों हिस्सा आज अइसन नइखे बचल जवना के सही अरथ में प्राकृतिक कहल जा सके।
एक ठो दूसर संर्दभ में, प्राकृतिक पर्यावरण शब्द के प्रयोग जीवजंतु के आवास (हैबिटाट) खातिर भी होला। उदाहरण खातिर, जब ई कहल जाय कि जिराफ सभ के प्राकृतिक पर्यावरण सवाना घास के मैदान हवे।
पृथ्वी बिज्ञान आ भौतिक भूगोल जइसन बिसय जे मुख्य रूप से एह तरह के पर्यावरण के अध्ययन करे लें, प्राकृतिक पर्यावरण के चार हिस्सा में बाँटे लें: थलमंडल, वायुमंडल, जलमंडल आ जीमंडल। कुछ बिद्वान लोग हिममंडल (क्रायोस्फीयर, बर्फ वाला हिस्सा) आ मृदामंडल (पेडोस्फीयर, माटी वाला हिस्सा) के अलग से गिने लें आ पृथ्वी के छह गो मंडल में बाँटे लें।
जइसे पृथिवी पर हर जीव-जंतु अपनी पर्यावरण की संघे क्रिया-प्रतिक्रिया (अन्तर्क्रिया) करेला ओइसहीं मनुष्यो अपनी पर्यावरण की संघे अन्तर्क्रिया करेला। मनुष्य आ ओकरी पर्यावरण की बीच की संबंध क अध्ययन दू तरह से कइल जाला इतिहासी रूप से, मने कि 'समय की साथ बदलाव'; आ भूगोलीय रूप से, मने कि अस्थान की संघे बदलाव।
इतिहास देखल जाय त ई पता चलि की मानव क आपनी पर्यावरण की संघे कई तरह का संबंध रहि चुकल बा। पहिले मनुष्य अउरी जीव जंतु की तरे हर तरह से पर्यावरण पर निर्भर रहे आ पर्यावरण की क्रिया से मनुष्य क जीवन नियंत्रित होखे। आज मानव समाज पर्यावरण में बहुत भारी बदलाव क सकत बा आ क इले बा।आज मानव समाज की लगे एतना घातक परमाणु बम आ हाइड्रोजन बम बा कि ऊ पुरा पृथ्वी क (मने सगरी पर्यावरण क) बिनास करे में सक्षम बा। ई पूरा बिकास कइसे भइल एकर अध्ययन बहुत रोचक आ ज्ञान देवे वाला विषय हो सकेला।
भूगोल की हिसाब से देखल जाय त अलग-अलग जगह पर मानव समाज का ओकरी पर्यावरण की संघे अलग तरह क संबंध मिली। मनुष्य आ पर्यावरण की बिचा में होखे वाला क्रिया-प्रतिक्रिया आ ओकर परभाव कइसे एक जगह से दूसरी जगह बदलत जाला एकर अध्ययन भूगोल में कइल जाला।
पर्यावरण बिज्ञान, चाहे पर्यावरणी बिज्ञान, एगो नया जमाना क बिज्ञान हवे जेवना में पर्यावरण कइसे काम करे ला, मनुष्य आ पर्यावरण के संबंध का बा, आ पर्यावरण के मनुष्य कइसे नुकसान पहुँचावत बा आ एकर कइसे मैनेजमेंट कइल जा सकेला, एही कुल क अध्ययन कइल जाला।
पर्यावरणी मुद्दा या पर्यावरणी समस्या, पर्यावरण पर मनुष्य के नोकसानदेह परभाव हवे। बहुत लंबा समय से ई चिंता के बिसय रहल बाड़ें, बाकी अभिन ले इनहन के सुलझाव पूरा तरीका से ना हो पवले बा।[7]
एकर पूरक बिचार हवे पर्यावरण संरक्षण, मने कि पर्यावरण के सुरक्षा, में अइसन काम के शामिल कइल जाला जे ब्याक्तिगत, संस्थागत भा सरकारी या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राकृतिक पर्यावरण के दसा के मनुष्य के परभाव से सुरक्षा देवे खाती कइल जा रहल बाने; चाहे पर्यावरण के लाभ खातिर भा मनुष्य के फायदा खाती। पर्यावरणवाद, एक तरह के सामाजिक आ पर्यावरणी आंदोलन हवे जवना के तहत पर्यावरणी मुद्दा सभ के साथ निपटे बदे जागरुकता, शिक्षा आ सामाजिक सक्रियता बढ़ावे खातिर काम कइल जाला।[8]
प्रदूषण जब कौनो तरह के हानिकारक तत्व प्रकृति में पावल जाये वाला हवा, पानी चाहे माटी जैसन उपयोगी चीजन में मिल के ओके गंदा कर देला आ ओके आदमी के उपयोग लायक ना रहे देला त एही के प्रदूषण कहल जाला। एकर सीधा बुरा असर आदमी आ सगरी जीव-जंतु पेड़-पौधा पर पड़ेला। जवन नुक्सानदेह पदार्थ की मिलला से प्रदूषण होला, माने कि जवन पदार्थ प्रदूषण के कारण होला, ओके प्रदूषक कहल जाला।
प्रदूषण के एइसन घटना अपने-आप प्राकृतिक रूप से भी हो सकेला आ एह में आदमी के भी हाथ हो सकेला। आदमी द्वारा होखे वाला प्रदूषण में जबसे आदमी बिज्ञान आ तकनीक में आगे बढल बा तबे से ढेर इजाफा भइल बा। एक परकार से आदमी खुदे अपनी पर्यावरण में नुकसानदेह पदार्थन के पहुँचा के प्रदूषण फइला रहल बा जेवना से पर्यावरण आ प्रकृति में नुकसानदेह परिवर्तन देखेके मिलत बा।
नदी की पानी में शहरी नाला अउरी फैक्टरी के जहरीला पानी मिलले से नदी के पानी पिए लायेक ना रहि जाला। अगर एइसन जहरीला पदार्थन के बहुत अधिक मात्रा पानी में मिल जाला त ऊ पानी नहाये लायक भी ना रहि जाला आ ओ में रहे वाला जीव-जंतु भी मरे लागेलन आ ऊ पानी गाय-गोरू के भी पिए लायक ना बचेला। नदी, ताल, तलही आ झील में ए तरह क प्रदूषण जल प्रदूषण कहल जाला।
एही तरह से हवा प्रदूषण, शोर प्रदूषण, माटी प्रदूषण, ठोस-कचड़ा प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण आदि कई परकार के प्रदूषण आजकाल पूरा विश्व खातिर समस्या बनल बा।
जलवायु बदलाव भा जलवायु परिवर्तन (Climate change), पृथ्वी के जलवायु में लंबा समय के दौरान होखे वाला बदलाव हवे। खासतौर पर वर्तमान समय में मनुष्य के क्रियाकलाप से भूमंडलीय तापन के कारन जलवायु में होखे वाला परिवर्तन एगो प्रमुख चर्चा के बिसय बाटे आ कुछ लोग के हिसाब से निकट भबिस्य में पृथ्वी आ मानवता खातिर एगो खतरा बाटे।
बैस्विक गरमाव आ एकरे कारण जलवायु में बदलाव पछिला लगभग एक सदी के समय में धरती के जलवायु सिस्टम में औसत तापमान के बढ़ती आ एकरा से जुड़ल परभाव सभ खातिर इस्तेमाल होखे वाला शब्दावली हवे। कई तरह के बैज्ञानिक सबूत ई देखा रहल बाने कि जलवायु सिस्टम गरम हो रहल बाटे।
पर्यावरण दर्शन दर्शनशास्त्र के शाखा हवे जे एह बात पर विचार करे ले की आदमी क अपनी पर्यावरण की बारे में का सोच आ बिचार बा, लोग आपनी पर्यावरण की बारे में कइसे सोचेला। पर्यावरण दर्शन ए बारे में चिंतन करे ला कि पर्यावरण के मनुष्य की संदर्भ में कइसे देखल जात बा आ मनुष्य अपना के पर्यावरण की संदर्भ में कइसे देखत बा।
आसन भाषा में कहल जाय त ई ए बात क अध्ययन करे ला की हमनी क अपनी पर्यावरण की बारे में का सोचत बाड़ीं आ हमहन क अपनी पर्यावरण की बारे में जेवन सोच बा ऊ केतना ठीक बा आ केतना गलत बा। पर्यावरण दर्शन क कुछ मुख्य सवाल नीचे दिहल गइल चीजन से संबधित बा:[9]
पर्यावरण प्रबंधन क अर्थ होला अइसन सारा चीज क मैनेजमेंट जेवना से पर्यावरण पर परभाव पड़त होखे। एकर मतलब पर्यावरण की प्रबंधन से नाहीं बलुक पर्यावरण के प्रभावित करे वाला चीजन की मैनेजमेंट से बा।
पर्यावरण नीति या पालिसी पर्यावरण की सुरक्षा आ एके प्रभावित करे वाला चीजन की बारे में योजना बनावे खातिर आधार देला। पर्यावरण नीति कौनों भी संस्था (जेह में कौनों राष्ट्र के सरकार से ले के कौनों प्राइवेट कंपनी ले सामिल बा) के द्वारा घोषित, ओह संस्था के पर्यावरण के बारे में सोच, बिचार, उद्देश्य वगैरह के जाहिर करे वाला चीज हवे आ ई एह बात के वक्तव्य भा साफ-साफ कथन होला कि संस्था के पर्यावरणी मुद्दा सभ पर का पोजीशन बा आ पर्यावरण के मामिला में ऊ कवना किसिम के नैतिक भाव रखत बा, साथे-साथ पर्यावरण के सुरक्षा खातिर बनावल कानून आ रेगुलेशन सभ के ऊ संस्था कवना तरीका से पालन करी आ एकरे खातिर केतना तत्पर बाटे।
पर्यावरण कानून में ऊ सगरी अंतर्राष्ट्रीय संधि, समझौता आ कौनों देस में बनावल कानून आ जालें जेवन पर्यावरण की रक्षा खातिर बनावल गइल होखें। एकर मेन मकसद होला आदमी की क्रियाकलाप से प्राकृतिक पर्यावरण के होखे वाला नोकसान के रोकल आ पर्यावरण क टिकाऊपन बचावल।
पर्यावरणवाद एक तरह के दर्शन, बिचारधारा आ सामाजिक आंदोलन ह जे पर्यावरण के सुरक्षा खातिर आ एकर मूल रूप बचावे खातिर बा। ई एक तरह के सामाजिक आ पर्यावरणी आंदोलन हवे जवना के तहत पर्यावरणी मुद्दा सभ के साथ निपटे बदे जागरुकता, शिक्षा आ सामाजिक सक्रियता बढ़ावे खातिर काम कइल जाला।[10]
यूनाइटेड नेशंस के द्वारा घोषित बिस्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून के मनावल जाला। ई यूनाइटेड नेशंस के द्वारा दुनिया भर में हमनी के प्राकृतिक पर्यावरण के रक्षा सुरक्षा खातिर जागरूकता ले आवे खातिर मनावल जाला। पहिली बेर ई 1974 में मनावल गइल आ आज 143 से ज्यादा देसन में हर साल मनावल जा रहल बाटे। हर साल एकरा खातिर एक ठो थीम चुनल जाले। दुनिया भर के सरकारी, गैर-सरकारी संस्थान आ इस्कूल कॉलेज में ई दिवस मनावल जाला।
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