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अजितनाथः
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अजितनाथः( ( शृणु) /ˈədʒɪtənɑːθəhə/) (हिन्दी: अजितनाथ,आङ्ग्ल: Ajitnatha) जैनधर्मस्य चतुर्विंशतितीर्थङ्करेषु द्वितीयः तीर्थङ्करः अस्ति[1] । तस्य चिह्नं गजः अस्ति ।
त्वरिततथ्यानि अजितनाथः, विवरणम् ...
अजितनाथः | |
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द्वितीयः जैनतीर्थङ्करः | |
![]() अजितनाथस्य प्रतिमा | |
विवरणम् | |
ऐतिहासिककालः | ५ × १०२२३ वर्षाणि पूर्वम् |
परिवारः | |
पिता | राजा जितशत्रुः |
माता | विजयादेवी |
वंशः | इक्ष्वाकुः |
स्थानम् | |
जन्म | अयोध्या |
निर्वाणम् | सम्मेदशिखरम् |
लक्षणम् | |
वर्णः | स्वर्णः |
चिह्नम् | गजः |
औन्नत्यम् | ४५० धनुर्मात्रात्मकम् (१३५० मीटर्) |
आयुः | ७२,००,००० पूर्व (५०८.०३२ × १०१८ वर्ष) |
शासकदेवः | |
यक्षः | महायक्षः |
यक्षिणी | अजितबाला |
पिदधातु
त्वरिततथ्यानि धर्मावलम्बीनां संख्या, प्रवर्तकः ...
![]() जैनध्वजः | |
![]() जैनधर्मस्य प्रतीकम् | |
धर्मावलम्बीनां संख्या | |
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प्रायः ५० लक्षजनाः | |
प्रवर्तकः | |
आदिनाथः | |
विस्तारः | |
भारतम्, बेल्जियम्, केनडा, हांग् कांग्, जपान्, सिङ्गापुरम्, उत्तर-अमेरिकाखण्डः | |
शिल्पकृतयः | |
जैनागमः | |
भाषा(ः) | |
प्राकृतम्, संस्कृतम्, कन्नड, तमिऴ्, गुजराती, हिन्दी |
पिदधातु