१९७१ का भारत-पाक युद्ध
भारत की जीत / From Wikipedia, the free encyclopedia
१९७१ भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान को बड़ी हार का सामना करना पड़ा।[24] पूर्वी पाकिस्तान आजाद हो गया और बांग्लादेश के रूप में एक नया देश बना। १६ दिसंबर को ही पाकिस्तानी सेना ने सरेंडर किया था।
भारत-पाक युद्ध १९७१ | |||||||||
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बांग्लादेश मुक्ति युद्ध और भारत पाकिस्तान युद्ध का भाग | |||||||||
लेफ़्टिनेंट जनरल ए ए के नियाज़ी, पाकिस्तान पूर्वी कमान के कमाण्डर, ढाका में १६ दिसम्बर, १९७१ को भारतीय लेफ़्ट.जन. जगजीत सिंह अरोड़ा की उपस्थिति में समर्पण अभिलेख पर हस्ताक्षर करते हुए। एकदम पीछे बाएं से दाएं:- भारतीय नौसेना वाइस-एडमिरल नीलकान्त कृष्णन, भारतीय वायुसेना एयर मार्शल हरिचन्द दीवान, भारतीय थल सेना लेफ़्टि जन सगत सिंह, मेज जन.जे एफ़ आर जैकब। | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
भारत
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पाकिस्तान
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सेनानायक | |||||||||
वी वी गिरी (भारत के राष्ट्रपति) इन्दिरा गांधी (भारत के प्रधानमंत्री) स्वरण सिंह (भारतीय विदेश मंत्री) जगजीवन राम (भारतीय रक्षा मंत्री) जन. सैम मानेकशॉ (भारतीय थलसेना प्रमुख) लेफ़्टि.जन. जगजीत सिंह अरोड़ा (GOC-in-C, पूर्वी कमान) लेफ़्टि.जन. जी जी बेवूर (GOC-in-C, दक्षिणी कमान) लेफ़्टि.जन. के पी कॅन्डेथ (GOC-in-C, पश्चिमी कमान) लेफ़्टि.जन. मनोहर लाल छिब्बर (GOC-in-C, उत्तरी कमान) लेफ़्टि.जन. प्रेमेन्द्र सिंह भगत (GOC-in-C, मध्य कमान) लेफ़्टि.जन. सगत सिंह (GOC-in-C, चतुर्थ कोर) लेफ़्टि.जन. टी एन रैना (GOC-in-C, द्वितीय कोर) लेफ़्टि.जन. सरताज सिंह (GOC-in-C, १५वीं कोर) लेफ़्टि.जन. करण सिंह (GOC-in-C, प्रथम कोर) लेफ़्टि.जन. देपिन्दर सिंह (GOC-in-C, द्वादश कोर) मेज.जन. फ़र्ज आर जैकब (COS, पूर्वी कमान) मेज.जन.ओम मल्होत्रा (COS, चतुर्थ कोर) एड्मि. एस एम नन्दा (नौसेना अध्यक्ष) ए.सी.एम प्रताप सी.लाल (वायुसेनाध्यक्ष) रामेश्वर काओ (निदेशक रॉ) ताजुद्दीन अहमद (प्र.मंत्री प्रावधानिक सरकार) कर्नल एम ए जी उस्मानी (कमाण्डर, मुक्ति बाहिनी) मेजर क़ाज़ी शफ़ीउल्लाह (कमाण्डर, बांग्ला.सेनाएँ) मेजर ज़ियाउर रहमान (कमाण्डर, ज़ेड फ़ोर्स) मेजर खालिद मुशर्रफ़ (कमाण्डर, क्रॅक पल्टन) |
याह्या खान (पाकिस्तान के राष्ट्रपति) नूरुल अमीन (पाकिस्तान के प्रधानमंत्री) जन. ए एच खान ( थल सेनाध्यक्ष, सेना GHQ) लेफ़्टि.जन. ए ए कि नियाज़ी (कमाण्डर, पूर्वी कमान) लेफ़्टि.जन. गुल हसन खान (चीफ़-जनरल स्टाफ़) लेफ़्टि.जन. अब्दुल अली मलिक (कमाण्डर, प्रथम कोर) लेफ़्टि.जन. टिक्का खान (कमाण्डर, द्वितीय कोर) लेफ़्टि.जन. शेर खाँ (कमाण्डर, चतुर्थ कोर) मेज.जन. इफ़्तिखार जन्जुआ † (GOC, २३वीं पैदल डिवी.) मेज.जन. खादिम हुसैन (GOC, १४वीं पैदल डिवी.) मेज.जन. राव फ़रमान (सैन्य सलाह, ई.पाक राई. ई.पाक.पोलीस, ईपीसीजी) वाइस एडमि. मुज़फ़्फ़र हसन (कमा-इन-चीफ़, नौसेना) वा.एड्मि. सै.मु.अहसान (नौसेनाध्यक्ष, नौसेना NHQ) रि.एड्मिरल मो.शरीफ़ (कमाण्डर, पूर्वी नौसेना कमान) रि.एड्मिरल हसन अहमद (कमाण्डर कराची कोस्ट) रि.एड्मिरल लेज़्ली नॉर्मन (कमाण्डर, पाक मैरीन्स) एयर मार्शल अब्दुल रहीम खान (पाक वायुसेनाध्यक्ष) एयर वा.मा ज़ुल्फ़ीकार अली खान (COS, वायु सेना मुख्यालय, ढाका) ए.वा.मार्शल पी डी कॅलाघन (कमा.पूर्वी वायु कमान) अब्दुल मुतालिब मलिक (पूर्वी पाक गवर्नर) | ||||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||||
भारतीय सशस्त्र सेनाएँ: ५,००,००० मुक्ति बाहिनी: १,७५,००० कुल: ६,७५,००० |
पाकिस्तानी सशस्त्र सेनाएँ: ३,६५,००० | ||||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||||
२,५००[8]–३,८४३ मृत।[9]
पाकिस्तानी दावे भारतीय दावे
तटस्थ दावे |
९,००० मृत[17] २५,००० घायल[18]
पाकिस्तानी दावे भारतीय दावे तटस्थ दावे |
१९७१ का भारत-पाक युद्ध भारत एवं पाकिस्तान के बीच एक सैन्य संघर्ष था। इसका आरम्भ तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम के चलते ३ दिसंबर, १९७१ से दिनांक १६ दिसम्बर, १९७१ को हुआ था एवं ढाका समर्पण के साथ समापन हुआ था। युद्ध का आरम्भ पाकिस्तान द्वारा भारतीय वायुसेना के ११ स्टेशनों पर रिक्तिपूर्व हवाई हमले से हुआ, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेशी स्वतंत्रता संग्राम में बंगाली राष्ट्रवादी गुटों के समर्थन में कूद पड़ी।[25][26] मात्र १३ दिन चलने वाला यह युद्ध इतिहास में दर्ज लघुतम युद्धों में से एक रहा। [27][28]
युद्ध के दौरान भारतीय एवं पाकिस्तानी सेनाओं का एक ही साथ पूर्वी तथा पश्चिमी दोनों फ्रंट पर सामना हुआ और ये तब तक चला जब तक कि पाकिस्तानी पूर्वी कमान ने समर्पण अभिलेख पर[29] १६ दिसम्बर, १९७१ में ढाका में हस्ताक्षर नहीं कर दिये, जिसके साथ ही पूर्वी पाकिस्तान को एक नया राष्ट्र बांग्लादेश घोषित किया गया। लगभग ~९०,०००[30] से ~९३,००० पाकिस्तानी सैनिकों को भारतीय सेना द्वारा युद्ध बन्दी बनाया गया था। इनमें ७९,६७६ से ९१,००० तक पाकिस्तानी सशस्त्र सेना के वर्दीधारी सैनिक थे, जिनमें कुछ बंगाली सैनिक भी थे जो पाकिस्तान के वफ़ादार थे।[30][31][32] शेष १०,३२४ से १५,००० युद्धबन्दी वे नागरिक थे, जो या तो सैन्य सम्बन्धी थे या पाकिस्तान के सहयोगी (रज़ाकर) थे। [30][33][34][35] एक अनुमान के अनुसार इस युद्ध में लगभग ३०,००० से ३ लाख बांग्लादेशी नागरिक हताहत हुए थे।[36][37][38][39][40] इस संघर्ष के कारण, ८०,००० से लगभग १ लाख लोग पड़ोसी देश भारत में शरणार्थी रूप में घुस गये। [41]