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हेडफ़ोन छोटे लाउडस्पीकरों की एक जोड़ी है, या आमतौर पर कम से कम एक स्पीकर होता है, इन्हें उपयोगकर्ता के कान के पास लगाया जाता है और यह ऑडियो ऐम्प्लीफायर, रेडियो या सीडी प्लेयर जैसे एकल स्रोत को इससे जोड़ने का साधन है. यह स्टीरियो फ़ोन, हेडसेट्स या बोलचाल की भाषा में कैन्स के रूप में भी जाना जाता है. कान में लगाये जानेवाले संस्करण इयरफ़ोन या इयरबड्स के रूप में जाने जाते हैं. दूरसंचार के संदर्भ में, हेडसेट शब्द का इस्तेमाल हेडफ़ोन और माइक्रोफ़ोन को मिला कर किया जाता है, उदाहरण के लिए टेलीफ़ोन, इसका उपयोग दोतरफा संचार के लिए होता है.
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20 वीं सदी के शुरूआत में टेलीफ़ोन का कान में लगाया जानेवाला हिस्सा जैसे कि दाहिनी ओर की तस्वीर में है, बहुत ही आम था. हेडफ़ोन को मूलत: कान में लगाये जानेवाले हिस्से से तैयार किया गया है और ऐम्प्लीफायर के विकसित होने से पहले इसका इस्तेमाल केवल कान से ऑडियो सिंग्नल सुनने के लिए होता था. सही मायने में विकसित पहला सफल सेट नथानिएल बाल्डविन द्वारा विकसित किया गया था, जिसे उन्होंने रसोईघर में हाथ से बनाया था और फिर उसे यूएस (U.S.) नौसेना को बेच दिया.[1][2]
बहुत ही संवेदनशील हेडफ़ोन, जैसे ब्रांडेस द्वारा 1919 के आस-पास निर्मित किए जाते थे और जिनका उपयोग प्रारंभिक रेडियो कार्य के लिए होता था. इन प्रारंभिक हैडफोन्स में एकल सिरे या संतुलित आर्मेचर, लौह चालकों का प्रयोग होता था. उच्च संवेदनशीलता की आवश्यकता का अर्थ था कि अवमंदन का उपयोग नहीं होता था, इस प्रकार ध्वनि की गुणवत्ता अपरिष्कृत थी. आधुनिक क्प्रस्कामों की तुलना में उनके पास सुविधाएं नगण्य थीं, कोई पैड नहीं होते थे, प्रायः उन्हें सिर के साथ अत्यधिक जोर से कसा जाता था. उनकी प्रतिबाधा परिवर्तनशील होती थी; टेलीग्राफ और टेलीफोन के कार्य में प्रयुक्त होने वाले हैडफोन की प्रतिबाधा 75 ओम होती थी. शुरुआती वायरलेस रेडियो के साथ प्रयुक्त होने वाले हैडफोन अधिक संवेदनशील होते थे और महीन तार के अधिक घुमावों से बनाए जाते थे; उनकी प्रतिबाधा आम तौर से 1,000 से 2,000 ओम होती थी, जो क्रिस्टल और ट्रायोड दोनों प्रकार के रिसीवरों के लिए अनुकूल थी.
शुरुआती बिजली से संचालित रेडियो में, हेडफोन वैक्यूम ट्यूब के प्लेट सर्किट का हिस्सा होता था और उस पर खतरनाक वोल्टेज रहता था. यह सामान्यतः उच्च वोल्टेज बैटरी के धन सिरे से सीधे जुड़ा होता था तथा बैटरी का दूसरा सिरा सुरक्षित रूप से अर्थ से जुड़ा होता था. बिजली के अनावृत संबंधों के उपयोग का मतलब है कि यदि प्रयोक्ता हैडसेट को संभालते समय हैडफोन के अनावृत संबंध को छू दे तो बिजली का शॉक लग सकता था.
हेडफोन का उपयोग सीडी या डीवीडी प्लेयर, होम थिएटर, निजी कंप्यूटर जैसे फिक्स्ड उपकरण और पोर्टेबल उपकरण (उदा. के लिए डिजिटल ऑडियो प्लेयर, एमपी3 प्लेयर, मोबाइल फोन आदि) दोनों में ही हो सकता है. कॉर्डलेस हेडफ़ोन तार के माध्यम से जुड़े नहीं होते हैं, ये कूटलेखन का इस्तेमाल कर रेडियो अवरक्त या ट्रांसमिशन लिंक जैसे कि एफएम, ब्लूटूथ या वाई-फाई से रेडियो या अवरक्त संकेत प्राप्त करते हैं. इन्हें दरअसल, बिजली रिसीवर प्रणालियों से बनाया गया है जिसमें केवल हेडफोन ही अकेला घटक होता है; इस तरह के कॉर्डलेस हेडफ़ोन का उपयोग अक्सर मूक डिस्को या मूक गिग में होता है.
पेशेवर ऑडियो क्षेत्र में हेडफोन का उपयोग लाइव स्थिति में डिस्क जॉकी द्वारा डीजे मिक्सर और ध्वनि इंजीनियर के साथ संकेत स्रोत को देखने के लिए होता है. रेडियो स्टूडियो में, डीजे एक जोड़ी हेडफ़ोन का उपयोग करते हैं, जब वे माइक्रोफोन पर बात करते हैं ध्वनि की प्रतिक्रिया प्राप्त करने और अपनी आवाज की निगरानी करने के लिए स्पीकरों को बंद कर दिया जाता हैं. स्टूडियो रिकॉर्डिंग में, संगीतकार और गायक पार्श्व संगीत के साथ गाने के लिए हेडफ़ोन का इस्तेमाल करते हैं. सेना में, हेडफोन का इस्तेमाल कर कई किस्मों के श्रव्य संकेतों की निगरानी की जाती है.
तार वाले हेडफ़ोन एक ऑडियो स्रोत से जुड़े होते हैं. सबसे आम कनेक्शन के मानक 6.35मि.मी. (¼ ") और 3.5एमएम टीआरएस (TRS) कनेक्टर और सॉकेट होते हैं. तुलनात्मक रूप से बड़ा 6.35 एमएम कनेक्टर स्थायी घर में या पेशेवर उपकरण में लगे हुए पाये जाते हैं. सोनी ने एक छोटा हेडफ़ोन शुरू किया और अब यह व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है, 1979 में 3.5मि.मी. "मिनीजैक" स्टीरियो कनेक्टर था, जो पुराने मोनोफोनिक 3.5 मि.मी. कनेक्टर को वॉकमैन पोर्टोबल स्टीरियो टेप प्लेयर के साथ अनुकूलित करते हुए इसका इस्तेमाल करता है और 3.5 मि.मी. कनेक्टर पोर्टेबल अनुप्रयोग के लिए सामान्य कनेक्टर रह जाता है. एडेप्टर 6.35 मि.मी. और 3.5 मि.मी. उपकरणों के बीच परिवर्तित करने के लिए उपलब्ध हैं.
श्रोता की विशेष जरूरतों के हिसाब से हेडफ़ोन का चुनाव होता है. सुवाह्यता की आवश्यकता छोटे, हल्के हेडफ़ोन की जरूरत का संकेत देती है, लेकिन इसका मतलब इसकी विश्वसनीयता के साथ समझौता हो सकता है. इस्तेमाल होनेवाले हेडफ़ोन घरेलू हाई-फाई के हिस्से के रूप में एक जैसे डिजाइनवाले नहीं होते हैं, बल्कि ये बड़े और वजनदार हो सकते हैं. स्वरूप के आधार पर हेडफ़ोन को चार अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: सर्कमऑरल (circumaural), सुप्रा-ऑरल (supra-aural), इयरबड (earbud) और इन-इयर (in-ear) .
सर्कमऑरल हेडफ़ोन (कभी-कभी फुल साइज हेडफ़ोन कहलाते हैं) में घुमावदार या दीर्घवृत्ताभ (ellipsoid) इयरपैड होते हैं जो कानों को घेरे हुए रहते हैं. चूंकि ये हेडफ़ोन कान को पूरी तरह से ढंक लेते हैं, इसीलिए सर्कमऑरल हेडफ़ोन का डिजाइन सिर के ऊपर पूरी तरह से सील होता है, ताकि बाहरी शोर को अंदर जाने से रोका जा सके. साइज के कारण, सर्कमऑरल हेडफ़ोन भारी हो सकते हैं, लेकिन कुछ सेट ऐसे है जो वजन में काफी भारी होते हैं.500 ग्राम (1 पौंड) वजन के कारण होनेवाली असुविधा को कम करने के लिए हेडबैंक और इयरपैड के लिए अच्छे डिजाइन जरूरी है.
सुप्रा-ऑरल हेडफ़ोन में पैड लगे होते हैं, जो कान के आसपास होने के बजाए इसके बिल्कुल ऊपर बैठते होते हैं. 1980 के दशक के दौरान ये आमतौर पर निजी स्टीरियो के साथ आते थे. सर्कमऑरल हेडफ़ोन की तुलना में इस प्रकार के हेडफ़ोन आमतौर पर छोटे और हल्के वजन के होते हैं, परिणामस्वरूप बाहरी शोर को कमजोर करने में सक्षम होते हैं.
इयरबड्स या इयरफ़ोन बहुत ही छोटे साइज के हेडफोन हैं जो कि कान की बाहरी नलिका में सीधे लगाये जाते हैं, लेकिन ये बगैर पूरी तरह से ढंके होते हैं. आमतौर पर ये सस्ते होते हैं और इनकी सुवाह्यता और सहूलियत के लिए इसे पसंद किया जाता है. अलग किए जाने की सुविधा प्रदान करने में अक्षमता के कारण उपयोगकर्ता के आसपास से शोर को मात देने के लिए अक्सर इसकी तीव्रता को बढ़ा दिया जाता है, इससे श्रवण क्षमता को नुकसान होने का जोखिम बढ़ जाता है.[3] 1990 और 2000 के दशक के दौरान, निजी संगी उपकरण के साथ इयरबड्स का दिया जाना आम बात हो गयी थी.
इन-इयर मॉनिटर्स (आईईएम्स (IEMs) या कैनलफ़ोन के रूप में भी जाना जाता है) एक इयरफ़ोन है, जो कानों की नलिका में सीधे डाला जाता है. कैनलफ़ोन भी इयरबड्स के ही समान सुवाह्यता प्रदान करता है और इयरप्लग्स की तरह बाहरी वातावरण के शोर को रोकने का काम करता है. दो मुख्य तरह के आईईएम्स होते हैं: युनिवर्सल और कस्टम. यूनिवर्सल कैनलफ़ोन, विभिन्न तरह के कानों की नलिका में फिट होने वाले दो या दो से अधिक साइजों में अतिरिक्त आवरण प्रदान किया जाता है.ये आमतौर पर सिलिकॉन रबर, इलेस्टोमेर या फोम से तैयार किए जाते हैं जिससे शोर का अलगाव हो जाता है.
कस्टम कैनलफ़ोन हरेक व्यक्ति के कानों में फिट हो जाते हैं. इयर कैनल ढलाई करके बनाये जाते हैं और निर्माता ढ़लाई का इस्तेमाल करके व्यवहारोपयोगी सिलिकॉन रबर या इलास्टमेर प्लग तैयार किया जाता है, जो अतिरिक्त आराम प्रदान करता है तथा शोर को रोकने का काम भी करता है. वैयक्तिक श्रम शामिल होने के कारण, युनिवर्सल आईईएम की तुलना में कस्टम आईईएम (IEMs) कहीं अधिक महंगे होते है और इसे वापस बेचने पर मूल्य बहुत कम मिलता है; क्योंकि अन्य लोगों में इसके फिट होने की संभावना कम होती है.
हेडसेट एक माइक्रोफोन के साथ जुड़ा हुआ हेडफ़ोन है. हेडसेट्स हस्त-मुक्त संचालन के साथ टेलीफ़ोन हैंडसेट की कार्यशीलता प्रदान करते है. हेडसेट का सबसे आम उपयोग कंसोल या पीसी गेमिंग, कॉल सेंटर और टेलीफ़ोन से जुड़ी अन्य नौकरियों में होता है तथा वार्तालापों और टाइपिंग में सुविधा प्रदान के लिए कंप्यूटर पर निजी उपयोग के लिए होता है. हेडसेट्स या तो सिंगल इयरपीस (मोनो) या डबल-इयरपीस (मोनो से इयर या स्टीरियो दोनों) से बना होता है. हेडसेट्स की माइक्रोफोन शाखाएं या तो बाहरी माइक्रोफोन की तरह होती हैं, जिसमें माइक्रोफ़ोन उपयोगकर्ता के मुंह के सामने लगे होते हैं, या फिर वॉयजट्यूब की तरह होते हैं जिसमें माइक्रोफ़ोन इयरपीस लगे होते हैं और बातचीत एक खोखले ट्यूब के जरिए पहुंचती हैं.
टेलीफोन हेडसेट फिक्स्ड लाइन के टेलीफोन प्रणाली से जुडती है. एक टेलीफोन का हेडसेट टेलीफ़ोन के हैंडसेट के परिवर्तित किये जाने पर काम करता है. सभी टेलीफोन हेडसेट्स आमतौर पर एक मानक 4पी4सी (4P4C) से बने होते हैं, जो आरजे-9 (RJ-9) कनेक्टर कहलाते हैं.
टेलीफोन के पुराने मॉडलों में हेडसेट माइक्रोफोन मूल हैंडसेट के अवरोध से भिन्न होता है, टेलीफोन हेडसेट के लिए ऐम्प्लीफायर की जरूरत होती है. एक टेलीफोन ऐम्प्लीफायर टेलीफ़ोन हेडसेट अनुकूलक की तरह बुनियादी पिन-संरेखण प्रदान करता है, लेकिन यह लाउडस्पीकरों के साथ ही माइक्रोफोन के लिए ध्वनि प्रवर्द्धन भी करता है. टेलीफोन एम्पलीफायरों के अधिकांश मॉडल में माइक्रोफोन, मूक करने और हेडसेट/हैंडसेट स्विचन के साथ लाउडस्पीकर के लिए तीव्रता नियंत्रण की सुविधा होती है. टेलीफोन एम्पलीफायर बैटरी या एसी अनुकूलक द्वारा संचालित होते हैं.
हेडफोन ट्रांसड्यूसर (transducers) का लगाया जाना ध्वनि के पुनरुत्पादन करने के विभिन्न तरीकों में से एक है.
गतिमान-कॉइल चालक, जो आमतौर पर "डायनामिक" ड्राइवर के नाम से कहीं अधिक जाना जाता है, का उपयोग ज्यादातर आम किस्म के हेडफोनों में होता है. इसके संचालन सिद्धांत में हेडफ़ोन के फ्रेम से चिपका हुआ एक स्थिर चुंबकीय तत्व शामिल रहता है, जो एक सुदृढ़ स्थैतिक चुंबकीय क्षेत्र बनाता है. हेडफ़ोन में चुंबकीय तत्व आमतौर पर फेराइट (ferrite) और नियोडायमियम (neodymium) से बना होता है. डायाफ्राम, आमतौर पर रेडियो सेलूलोज़ राशि, पॉलीमर, कार्बन सामग्री या ऐसी ही चीजों में हल्के से, पर बहुत ही सख्ती के साथ से लगे होते हैं, जो तार के कॉइल (स्वर-कॉइल) के साथ जुड़े होते हैं, यह सुदृढ़ चुंबक का स्थैतिक चुंबकीय क्षेत्र होता है. जब ऑडियो विद्युत प्रवाह कॉइल से होकर गुजरता है तो स्वर-कॉइल द्वारा जुड़ा हुआ डायाफ्राम सक्रिय हो जाता है. वैकल्पिक चुंबकीय क्षेत्र विद्युत द्वारा कॉइल के जरिए दूसरी ओर के स्थिर चुंबकीय क्षेत्र के खिलाफ प्रतिक्रिया करता है, जिससे कॉइल और इससे जुड़ा हुआ डायाफ्राम हवा को चला देता है, जिससे ध्वनि का निर्माण होता है. आधुनिक गतिमान-कॉइल हेडफ़ोन ड्राइवर माइक्रोफ़ोन कैप्सूल प्रौद्योगिकी से निकलकर आया है.
स्थिर विद्युत चालक एक पतले-से, विद्युत से चार्ज डायाफ्राम से बना होता है, आमतौर पर इसके ऊपर पीईटी (PET) फिल्म का आवरण चढ़ा होता है, छेदवाले दो धातु के प्लेट (इलेक्ट्रोड) के बीच लटका हुआ होता है. विद्युत क्षेत्र बनाने के लिए इलेक्ट्रोड पर विद्युतीय ध्वनि संकेत दिया जाता है; इस क्षेत्र की विरोधी वृत्तियों के आधार पर यह निर्भर करता है कि डायाफ्राम किस एक प्लेट की ओर आकर्षित होता है. छिद्र के माध्यम से हवा के बल के साथ लगातार बदलते विद्युतीय संकेत से झिल्ली एक प्रबल ध्वनि तरंग उत्पन्न करती है. स्थिर विद्युत (इलेक्ट्रोस्टैटिक) हेडफ़ोन आमतौर पर घूमनेवाले कॉइल की तुलना में कहीं अधिक महंगे होते हैं और अपेक्षाकृत रूप से असामान्य होते हैं. इसके अतिरिक्त, संकेत को परिवर्धित करने के लिए पर्दे को मोड़ने के लिए एक विशेष ऐम्प्लीफायर (प्रवर्धक) की आवश्यकता होती है, इसमें अक्सर 100 से 1000 वोल्ट के रेंज में विद्युतीय क्षमता की जरूरत होती है.
बहुत ही पतला और हल्का होने के कारण डायाफ्राम का पर्दा, जो अक्सर केवल कुछ माइक्रोमीटर मोटा होता है और घूमते हुए धातु का कार्य पूरी तरह से अनुपस्थित होता है, स्थिर विद्युत हेडफ़ोन की आवृत्ति प्रतिक्रिया आमतौर पर इतना बखूबी फैलाता है कि सुनाई पड़ने की सीमा 20 किलो हर्ट्ज से अधिक होती है. उच्च आवृत्ति प्रतिक्रिया का मतलब है कि कम मिडबैंड विरूपण स्तर सुनने लायक आवृत्ति बैंड के शीर्ष बनाये रखता है, आमतौर पर घूमते हुए कॉइल cha लाकों में जिसकी गुंजाइश नहीं होती है. इसके अलावा, घूमते हुए कॉइल चालकों के अनुपस्थित होने के साथ उच्च आवृत्ति क्षेत्र में नियमित तौर पर आवृत्ति प्रतिक्रिया को शीर्ष पर देखा जाता है. अगर ठीक से डिजाइन किया जाए तो इसके परिणामस्वरूप ध्वनि की गुणवत्ता काफी बेहतर होगी.
इलेक्ट्रोस्टाटिक्स हेडफ़ोन 100 वॉल्टेज से 1 किलोवोल्ट में से किसीसे भी संचालित होता हैं और लगभग इतने में ही एक उपयोगकर्ता के सिर के करीब होता है. इसे सुरक्षित बनाने की सामान्य विधि यह है कि प्रतिरोधकों के द्वारा संभावित फॉल्ट करंट को एक निम्न एवं सुरक्षित मान पर सीमित किया जाय.
इलेक्ट्रोस्टाटिक्स की तरह एक इलेक्ट्रेट चालक भी उसी विद्युत यांत्रिकी के माध्यम से काम करता है. हालांकि इलेक्टरेट चालक स्थायी तौर पर चार्ज कर निर्मित किए जाते है, जबकि इलेक्ट्रोस्टाटिक्स में एक बाहरी जनरेटर द्वारा चार्ज प्रयुक्त करने वाला चालक होता है. इलेक्ट्रोस्टाटिक्स जैसे इलेक्टरेट हेडफ़ोन अपेक्षाकृत असामान्य हैं. वे भी आमतौर पर सस्ते होते हैं और इलेक्ट्रोस्टाटिक्स की तुलना में तकनीकी क्षमता तथा विश्वसनीयता में कमतर होते हैं.
एक संतुलित आर्मेचर एक ध्वनि ट्रांसड्यूसर है जिसकी डिजाइन मुख्य रूप से अन्य कई चुंबकीय ट्रांसड्यूसर प्रणालियों के विशिष्ट डायाफ्राम पर से दबाव को हटा कर तत्व की विद्युत क्षमता में वृद्धि के निमित्त किया गया है. योजनाबद्ध ढंग से जैसा कि पहले डायाफ्राम में दिखाया गया है, इसमें घूमता हुआ चुंबकीय आर्मेचर होता है, जो धुरी पर इस तरह लगाया जाता है ताकि यह स्थायी चुंबकीय क्षेत्र में घूम सके. जब चुंबकीय क्षेत्र में ठीक से बीचोंबीच लगाया जाता है, तब आर्मेचर पर कोई कुल बल नहीं होता है, इसी कारण यह 'संतुलित' शब्दावली प्रचलन में आयी. जैसा कि दूसरे चित्र में दिखाया गया है, जब कॉइल के माध्यम से बिजली प्रवाहित होती है, तो यह आर्मेचर को एक तरफ से या दूसरी तरफ से चुंबकीय गुण प्रदान करता है, जिससे यह एक तरफ या धुरी पर थोड़ा-सा चक्कर लगाता है, इसलिए ध्वनि बनाने के लिए डायाफ्राम घूमता है.
यह डिजाइन यांत्रिक रूप से टिकाऊ नहीं है, एक मामूली असंतुलन आर्मेचर को चुबंक के एक ध्रुव से चिपके रहने देता है. एक संतुलित स्थिति में आर्मेचर थामे रहने के लिए बहुत सख्त प्रत्यावर्तित बल की आवश्यकता होती है. हालांकि यह इसकी क्षमता कम कर देता है, फिर भी अन्य की तुलना में यह डिजाइन कम बिजली में अत्यधिक ध्वनि उत्पन्न कर सकता है. 1920 के दशक में जैसा कि ब्लैडविन माइका डायाफ्राम रेडियो हेडफ़ोन लोकप्रिय हुआ था, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सेना में 'साउंड-पावर्ड' टेलीफ़ोन का इस्तेमाल करने के लिए संतुलित आर्मेचर ट्रांसड्यूसर को नए सिरे से परिभाषित किया गया. इनमें से कुछ ने संकीर्ण बैंडविड्थ स्वर संकेतों के लिए 20% से 40% की सीमा में विद्युत ध्वनि के रूपांतरण क्षमता को आश्चर्यजनक रूप से हासिल किया.
आकार और साइज में बहुत ही छोटे होने के कारण आज इनका उपयोग आम तौर पर केवल कैनलफ़ोन और श्रवण मशीन के लिए होता हैं. वे आम तौर पर सुनने की क्षमता के तरंग (20 हर्ट्ज से कम और 16 किलो हर्ट्ज से अधिक) के चरम पर सीमित होते हैं और अपनी पूरी क्षमता को समर्पित करने के लिए इन्हें अन्य किस्म के चालकों की तुलना में कहीं अधिक दृढ़ता की जरूरत होती है. उच्च-श्रेणी वाले मॉडल विविध आर्मेचर चालकों को काम में ला सकते है, निष्क्रिय क्रॉसओवर नेटवर्क का इस्तेमाल करके उनके बीच आवृत्ति रेंज का बंटवारा किया जाता है. बास आउटपुट में वृद्धि के लिए कुछ एक छोटे-से घूमते हुए कॉइल के साथ एक आर्मेचर को जोड़ देते हैं.
हेडफोन के लिए हेइल (Heil) एयर मोशन ट्रांसफॉर्मर (Air Motion Transformer) (एएमटी (AMT)), पिएजोइलेक्ट्रिक फिल्म (Piezoelectric film); रिबन प्लानर मैगनेटिक (Ribbon planar magnetic); मैग्नेटोस्ट्रिक्शन (Magnetostriction) और प्लाजमा-आयोनिसेशन (Plasma-ionisation) समेत ट्रांसड्यूसर (Transducer) प्रौद्योगिकी को नियोजित किया जाना कम आम है. पहला हेइल एएमटी हेडफोन का विपणन ईएसएस लैबोरेटरीज (ESS Laboratories) के द्वारा किया गया था और किसी कंपनी का स्पीकर पूरे रेंज में चलाये जाने पर इसे रोकने के लिए इसमें अनिवार्य रूप से ईएसएस एएमटी ट्वीटर लगा था. सदी के अंत तक, स्विट्जरलैंड के केवल प्रेसिड ने एएमटी हेडफोन का निर्माण किया. पिएजोइलेक्ट्रि फिल्म हेडफोन सबसे पहले पायनियर द्वारा विकसित किए गए, इनके दो मॉडल थे, दोनों में फ्लैट शीट फिल्म का इस्तेमाल किया गया, जो हवा, जितनी मात्रा में प्रवाहित हो सकती थी उसकी अधिकतम मात्रा को वह सीमित करता था. वर्तमान समय में टेकटी (TakeT) एक पिएजोइलेक्ट्रिक फिल्म हेडफोन का उत्पादन करता है, जिसका आकार एएमटी ट्रांसड्यूसर (AMT transducer) जैसा नहीं है, लेकिन अपने हेडफोन के लिए यह ड्राइवर के रूप प्रीसाइड का उपयोग करता है, जिसके डायाफ्राम के ट्रांसड्यूसर परतों के आकार में भिन्नता होती है. इसके साथ ही इसमें दोतरफा डिजाइन को शामिल किया गया है, इस समावेश के द्वारा यह ट्वीटर/सुपरट्वीटर पैनल को समर्पित हैं. एक बड़े सतह क्षेत्र के साथ तहाये हुए के आकार का डायाफ्राम ट्रांसड्यूसर को छोटे-से परिबद्ध जगह में फिट करने की अनुमति देता है. यह हवा की कुल मात्रा में वृद्धि करता है, ताकि ट्रांसड्यूसर के हर भ्रमण के बाद दिये जानेवाले फैले हुए क्षेत्र में यह बह सकता है.
मैग्नेटोस्ट्रिक्शन (Magnetostriction) हेडफोन कभी-कभी "बोनफॅन्स" के लेबल के तहत बेचा जाता है, जो हेड को साइड में कंपन के खिलाफ संचरण के जरिए काम करता है, ध्वनि का संचरण बोन कंडक्शन के जरिए होता है. यह उस परिस्थिति में विशेष रूप से उपयोगी है जहां कान को अबाधित छोड़ दिया जाता है या जब उनके द्वारा इस्तेमाल किया जाता है जो ऐसे कारणों से बधिर हैं जो उनके श्रवण संबंधी स्नायु तंत्र की प्रणाली को प्रभावित नहीं करता है. हालांकि मैग्नेटोस्ट्रिक्शन हेडफोन में पारंपरिक हेडफोन की तुलना में इसकी विश्वसनीयता की अपनी सीमाएं हैं, जो कान के सामान्य कार्यप्रणाली के माध्यम से काम करता है. इसके अतिरिक्त, 1990 के दशक में फ्रांस की कंपनी प्लाजमासोनिक्स द्वारा प्लाजमा-आयोनिशन हेडफोन का विपणन करने की कोशिश की गयी. ऐसा माना जाता है कि कार्यप्रणाली की कोई मिसाल नहीं छोड़ी गई है.
हेडफोन का उपयोग इस लिए किया जाता है ताकि किसी कि बात कोई दूसरा न सुन सकेजिसका कारण गोपनीयता या परेशानी से बचना हो सकता है, जैसे सार्वजनिक पुस्तकालय में सुनने के लिए हेडफोन का उपयोग. एक समान कीमत वाले लाउडस्पीकार की तुलना में ये ध्वनि के स्तर को कहीं अधिक विश्वसनीयता प्रदान कर सकते हैं. ऐसा करने की इसमें क्षमता तब आती है जब इसके लिए जरूरी बातों की कमी पूरा करने के लिए हेडफोन के साथ प्रदर्शन कक्ष में रद्दोबदल किया जाए. उच्च गुणवत्तावाले हेडफ़ोन में धीमी आवृत्ति में 3dB में 20 हर्ट्ज से नीचे एकदम से सपाट प्रतिक्रिया हो सकती है. बहरहाल, चरित्र उस नियत आवृत्ति में किस तरह की ध्वनि का पुनरुत्पादन करता है, नियत दरवाली आवृ्त्ति के विकृत रूप की प्रतिक्रिया इसकी सूचना नहीं प्रदान करता है. बाजार का 4 हर्ट्ज से 20 किलो हर्ट्ज तक का दावा आमतौर पर अतिश्योक्तिपूर्ण है; उत्पाद की प्रतिक्रिया की आवृत्ति सामान्य रूप से 20 हर्ट्ज से भी बहुत कम है. [4]
हेडफ़ोन वीडियो गेम के लिए भी उपयोगी होते हैं, जो कि त्रिआयामी स्थितीय ऑडियो प्रक्रमण एल्गोरिदम्स का उपयोग करता है, क्योंकि ये खिलाड़ी को ऑफ-स्क्रीन ध्वनि स्रोत (जैसे कि प्रतिद्वंद्वी के कदमों की आहट) की स्थिति को बेहतर रूप से समझने की अनुमति देता है.
हालांकि आधुनिक हेडफ़ोन जो विशेष रूप से व्यापक रूप से बिक्री होते हैं और वॉकमैन के आने से स्टीरियो रिकॉर्डिंग सुनने के लिए इसका इस्तेमाल होता है, इसमें स्टीरियो ध्वनि के पुनरुत्पादन के स्वरूप को लेकर व्यक्तिपरक बहस होती है. स्टीरियो रिकॉर्डिंग दो चैनलों के बीच ध्वनि की तीव्रता के अंतर के सवाल को संकेत के क्षैतिजीय गहराई की स्थिति के माध्यम से दर्शाता है. जब दो स्पीकारों से निकली ध्वनियों का मिश्रण होता है तो वे चरण के अंतर का निर्माण करते हैं, जिसका उपयोग दिमाग दिशा का पता लगाने के लिए करता है. ज्यादातर हेडफ़ोन के माध्यम से, गुम होते ही छाया के केंद्र के भ्रम को महसूस किया जा सकता है, क्योंकि दाएं और बाएं चैनल इस तरह से आपस में जुड़ते नहीं हैं. केवल तीखी तल्ख आवाज भी एक साइड के बजाए सिर्फ एक कान से सुनायी पड़ेगी. यह बादवाली बात पुराने स्टीरियो रिकॉर्डिंग के लिए विशेष रूप से महत्व रखती है, जो कम परिष्कृत थे, कभी-कभी एक चैनल के माध्यम गायकी और दूसरे के जरिए संगीत बजाये जाते हैं.
बाइनऑरल रिकॉर्डिंग एक डमी हेड का उपयोग करते हुए सांकेतिक निर्देश को बहुत ही कम आयामी अंतर (2 किलोहर्टज (kHz) से अधिक के सिवाय) से सीधे एक चरण के रूप बदलने के लिए एक भिन्न तरह के माइक्रोफ़ोन तकनीक इस्तेमाल करते हैं और हेडफ़ोन के जरिए जीवंत स्थानिक प्रभाव पैदा कर सकते हैं. वाणिज्यिक रिकॉर्डिंग लगभग हमेशा ही स्टीरियो रिकॉर्डिंग का उपयोग करती है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से हेडफ़ोन से सुनने के बजाए लाउडस्पीकर पर सुनना कहीं अधिक लोकप्रिय हो गया है. हेडफ़ोन पर चैनलों के बीच या—और भी बेहतर—बल्मलीन शफ्लर (एक कस्टम ईक्यू (EQ) जो एक स्टीरियो सिग्नल में विभिन्न सूचना सामग्री के धीमी आवृत्ति में कार्यरत हो) आवृत्ति निर्भर क्रॉस फीड का उपयोग करते हुए स्पीकर पुनरुत्पादन का लगभग बेहतर प्रस्तुति के लिए स्टीरियो ध्वनि के स्थानिक प्रभाव को बदलना संभव है. जबकि अप्रियता को क्रॉस-फीड कम करता है, जो कुछ श्रोताओं को हेडफोन में बहुत ही तीखी कर्कश स्टीरियो सुनने को मिलता है, रिकॉर्डिंग के दौरान डमी हेड कृत्रिम शीर्ष का उपयोग हेडफ़ोन के माध्यम से पार्श्व गायन, डमी हेड के ऊपरी शीर्ष पर लगी चीज के माध्यम से किसी परफॉर्मेशन को सुनने का अनुभव हासिल करने की अनुमति देता है. चूंकि कृत्रिम शीर्ष का आकार और साइज बहुत बड़ा होता हैं, इसीलिए श्रोता के हेड के साथ डमी हेड से मेल खा जाती है तो सर्वोतम ध्वनि हासिल होती है.
हैंडसेट हमारे परंपरागत टेलीफोन के हैंडसेट से श्रम दक्षता संबंधी लाभ दे सकते हैं. ये कॉल सेंटर के एजेंटों को हैंडसेट को सिर को एक ओर झुकाए हुए रखने के बजाय बेहतर मुद्रा बनाये रखने की सहूलियत प्रदान करते हैं.[5]
समय के साथ, हेडफ़ोन केबल विफल हो गया. एक आम परिदृश्य यह था, जिसमें खरीदे गए उपकरण में बिजली के तार (टीआरएस (TRS) जैक पर, या हेडफ़ोन के संयोग विंदु पर) की जुड़नेवाली बिंदु पर तांबे के तार के टूट जाने पर इसके बदलने की जरूरत हो सकती थी. तार के स्थल बहुत ही बड़े और सबसे तनावपूर्ण स्थिति है और इसलिए आमतौर पर ये कुछ हद तक तनाव में राहत देने की तरह फिट किए जाते हैं.
पर्याप्त तीव्रता स्तर पर हेडफ़ोन का इस्तेमाल करते हुए "प्रच्छादन" (masking) कहे जानेवाले प्रभाव के कारण हो सकता है अस्थायी या स्थायी तौर पर सुनने की क्षमता को नुकसान हो या बहरापन हो. हेडफ़ोन की तीव्रता को पृष्ठभूमि के शोर के बराबर होना ही होगा़ विशेष रूप से भूमिगत स्टेशनों, हवाई जहाज और भीड़-भाड़ जैसे अत्यधिक शोर-शराबे वाली जगह में. उच्च स्तर की तीव्रता से जुड़ी सामान्य पीड़ा[उद्धरण चाहिए] इससे गायब हो जाती है. विस्तारिक अवधि के लिए जरूरत से ज्यादा तेज तीव्रता नुकसानदायक हो सकती है;[6][7] हालांकि, एक श्रवण क्षमता विशेषज्ञ ने पाया कि "5% से भी कम उपयोगकर्ता अक्सर जिस तीव्रता के स्तर का चयन करते हैं और सुनते है वह सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाने वाला है."[8] पोर्टेबल संगीत उपकरण के कुछ निर्माता ऐसी सुरक्षात्मक सर्किट व्यवस्था को शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें तीव्रता का आउटपुट सीमित हो या जब उपयोगकर्ता खतरनाक तीव्रता का उपयोग कर रहा हो वह इसकी चेतावनी दे, लेकिन इस अवधारणा को ज्यादातर खरीदारों द्वारा अस्वीकार कर दिया, जो उच्च तीव्रता के लिए अपनी पसंद के पक्ष में हैं. कोस ने 1983 में "सेफलाइट" नाम से कैसेट की श्रेणी की शुरुआत की जिस पर इस तरह का एक चेतावनी प्रकाश था. रूचि में कमी के कारण इस लाइन को दो साल के बाद बंद कर दिया गया.
फ्रांस की सरकार ने देश में बिक्री होनेवाले सभी म्युजिक प्लेयर्स पर एक सीमा[9] लागू की है[9] कि वे 100dBA से अधिक ध्वनि उत्पादन में सक्षम न हों (सुनने के दौरान 80dB से अधिक ध्वनि बढ़ाया जाए तो यह सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचाने की सीमारेखा है और सैद्धांतिक रूप से इसकी पीड़ा की सीमारेखा, जो सुनने की क्षमता को तुरंत नुकसान पहुंचानेवाला होता है, वह 130dB है). बहुत सारे उपयोगकर्ता[कौन?] इसे अपनी व्यक्तिगत पसंद पर अतिक्रमण के रूप में देखते हैं और ऐसे उपकरण की तीव्रता की सीमा को सुरक्षित रखने के लिए तीसरे पक्ष विकल्पों का उपयोग करते हैं. उपयोगकर्ताओं की सेहत को ध्यान में रखते हुए सरकार के रवैए का अन्य लोग स्वागत करते हैं.
शोरगुल वाले माहौल में कैनलफ़ोन और इन-इयर मॉनिटर को सुनने में अक्षमता का कारण बनने के रूप में कम ही वर्णित किया जाता है, क्योंकि इन-इयर सील में लगे शोर को अलग करनेवाली सामग्री बाहरी शोर के एक बड़े हिस्से को स्वभाविक रूप से अवरुद्ध कर देती है. उपयोगकर्ता को यह कम तीव्रता के स्तर पर सुनने में सक्षम बनाता है.[उद्धरण चाहिए] हालांकि, उपयोगकर्ता खतरनाक तरीके से उच्च स्तर पर सुनने का विकल्प अब भी चुन सकते है.
बाहरी ध्वनि के प्रति कम जागरूकता अन्य जोखिम तब और बढ़ा देती है - कुछ जगहों में गाड़ी चलाते हुए हेडफ़ोन के इस्तेमाल पर पाबंदी होती है, आमतौर पर एक कान में इयरफ़ोन का इस्तेमाल सीमित होता है. बाहरी शोर से पूरी तरह अलग होना अपने आप में एक खतरा हो सकता है, क्योंकि उपयोगकर्ता गाड़ी के हॉर्न की ध्वनि को नहीं सुन पाता है, जिससे ट्रैफिक के बीच चलने से परिणाम घातक हो सकता है. स्थितिजन्य जागरूकता की कमी चोरी करवा सकती है, ख़ासकर व्यस्त माहौल जैसे भूमिगत स्टेशनों में, जहां कोई व्यक्ति किसी से टकराता है तो इसकी अनदेखी होती है.
मोटर साइकिल और पावर-स्पोट्स राइडर कानूनी तौर पर अतिरिक्त रास्ते में चले जाने, इंजिन और हवा के शोर आदि से बचने के लिए फोम के इयरप्लग लगाते हैं, इसका उन्हें लाभ मिलता है, लेकिन ऐसा करते हुए संगीत और इण्टरकॉम की बातचीत सुनने की उनकी क्षमता दरअसल बढ़ जाती है. सामान्यतया कान, वातावरण के ध्वनि दबाव स्तर के एक बिलियन वें हिस्से का पता लगा सकता है,[10] इसलिए यह अविश्वसनीय रूप से संवेदनशील होता है. बहुत ही उच्च ध्वनि दबाव के स्तर पर, कान की मांसपेशियां टाइम्पैनिक झिल्ली को सख्त कर देती हैं और इससे अस्थिका और रकाब की ज्यामिति में छोटा-सा परिवर्तन होता है, जिसके कारण कान के अंदरुनी हिस्से के अंडाकार झरोखे में स्थानांतरण की शक्ति कम हो जाती है.[11] चूंकि इयरप्लग, श्रवण नलिका में शोर को कम कर देता है, यह सुरक्षात्मक व्यवस्था के ट्रिगर में होने की संभावना कम ही होती है और कान की संवेदनशीलता पूरी तरह से बरकरार रहती है. सामान्य संवेदनशीलता के साथ, एक श्रोता जब इयरप्लग के जरिए हेलमेट स्पीकर से सुनता है तो उसकी श्रवण क्षमता उत्कृष्ट होती है.[उद्धरण चाहिए] यह तकनीक श्रवण क्षमता को नुकसान पहुंचाये बगैर बातचीत, संगीत और ज्यादातर बाहरी ध्वनि को चिरस्थायी स्तर पर श्रवण क्षमता को उत्कृष्ट बनाये रखता है.
व्यायाम करते हुए हेडफ़ोन के माध्यम से संगीत को सुनना खतरनाक हो सकता है. रक्त अंदरुनी कान के बजाए कान से होकर दूसरे अंगों की ओर राह बदल लेता है, इससे तीव्र ध्वनि नुकसान पहुंचा सकती है.[12] एक फिनिश अध्ययन[13] ने सुझाव दिया है कि व्यायाम करनेवाले अपने हेडफ़ोन की तीव्रता को अपने सामान्य तीव्रता से आधा रखें और इसका उपयोग केवल आधे घंटे के लिए करें.[12]
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