स्तोत्र
From Wikipedia, the free encyclopedia
संस्कृत साहित्य में किसी देवी-देवता की स्तुति में लिखे गये काव्य को स्तोत्र कहा जाता है (स्तूयते अनेन इति स्तोत्रम्)। संस्कृत साहित्य में यह स्तोत्रकाव्य के अन्तर्गत आता है।
हिन्दू धर्म |
![]() |
इतिहास · देवता |
सम्प्रदाय · पूजा · |
आस्थादर्शन |
---|
पुनर्जन्म · मोक्ष की इच्छा |
कर्म · माया |
दर्शन · धर्म |
वेदान्त ·योग |
शाकाहार शाकम्भरी · आयुर्वेद |
युग · संस्कार |
भक्ति {{हिन्दू दर्शन}} |
ग्रन्थशास्त्र |
वेदसंहिता · वेदांग |
ब्राह्मणग्रन्थ · आरण्यक |
उपनिषद् · श्रीमद्भगवद्गीता |
रामायण · महाभारत |
सूत्र · पुराण |
विश्व में हिन्दू धर्म |
गुरु · मन्दिर देवस्थान |
यज्ञ · मन्त्र |
हिन्दू पौराणिक कथाएँ · हिन्दू पर्व |
विग्रह |
प्रवेशद्वार: हिन्दू धर्म |
हिन्दू मापन प्रणाली |
महाकवि कालिदास के अनुसार 'स्तोत्रं कस्य न तुष्टये' अर्थात् विश्व में ऐसा कोई भी प्राणी नहीं है जो स्तुति से प्रसन्न न हो जाता हो। इसलिये विभिन्न देवताओं को प्रसन्न करने हेतु वेदों, पुराणों तथा काव्यों में सर्वत्र सूक्त तथा स्तोत्र भरे पड़े हैं। अनेक भक्तों द्वारा अपने इष्टदेव की आराधना हेतु स्तोत्र रचे गये हैं। विभिन्न स्तोत्रों का संग्रह स्तोत्ररत्नावली के नाम से उपलब्ध है।
निम्नलिखित श्लोक 'सरस्वतीस्तोत्र' से लिया गया है-
- या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
- या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
- या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता
- सा मां पातु सरस्वति भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
स्तोत्रों की रचना मुख्यतः संस्कृत भाषा मे की गई है परन्तु सर्वसामान्य लोगों की सुविधा हेतु आधुनिक भाषाओं में भी स्त्रोत्र रचे गए हैं।