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सृजन मिथक
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सृजन मिथक संसार के निर्माण और लोगों के उसमें बसने के प्रतीकात्मक वर्णन को कहते हैं।[1][2] हालाँकि मिथक शब्द सामान्य उपयोग में अक्सर झूठी या काल्पनिक कहानियों को संदर्भित करता है, पर औपचारिक रूप से इसका मतलब झूठ नहीं होता है। आम तौर पर संस्कृतियाँ अपने सृजन मिथकों को सत्य मानती हैं।[3][4]
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सृजन मिथकों में आम तौर पर बहुत चीज़ें समान होती हैं। ये सभी धर्मों में पाये जाते हैं और इन्हें अक्सर पवित्र माना जाता है।[5] इन कथाओं के पात्र अक्सर देवता, इंसान और बोलने वाले जानवर होते हैं। ये पात्र अक्सर आसानी से रूप बदल सकते हैं।[6] ये कथाएँ अक्सर धुंधले या अविशिष्ट अतीत में घटती हैं।[5][7] सृजन मिथक उन सवालों का व्याख्यान करते हैं जो उनमें विश्वास करने वाले समाज के लिए सबसे महत्वपूर्ण हों। इन से हमें उस समाज के वैश्विक दृष्टिकोण और संसार में अपनी जगह के ढांचे का पता चलता है।[8]
सृजन मिथक मौखिक रूप में विकसित होते हैं। इसलिए इनके एक से ज्यादा संस्करण होते हैं।[2] सृजन मिथक सभी मानव संस्कृतियों में पाए जाते हैं, ये मिथक के सबसे सामान्य प्ररूप हैं।[9]