वसन्त पञ्चमी
वसंत ऋतु की पंचमी को मनाए जाने वाला पर्व / From Wikipedia, the free encyclopedia
बसंत पंचमी या श्री पंचमी हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती, कामदेव और विष्णु की पूजा की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से भारत, बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है।
वसन्त पंचमी | |
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देवी सरस्वती (राजा रवि वर्मा द्वारा चित्रित) | |
आधिकारिक नाम | वसन्त पंचमी |
अन्य नाम |
श्रीपंचमी सरस्वती पूजा |
अनुयायी | हिन्दू |
Liturgical Color | पीला, राजा रवि वर्मा द्वारा बनाया गया चित्र |
अनुष्ठान | पूजा व सामाजिक कार्यक्रम |
तिथि | माघ शुक्ल पंचमी |
2023 date | 26 जनवरी |
2024 date | 14 फरवरी[1] |
समान पर्व | आम का पत्ता |
प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिन छह ऋतुओं में बाँटा जाता था उनमें वसंत लोगों का सबसे मनचाहा मौसम था। जब फूलों पर बहार आ जाती, खेतों में सरसों का फूल मानो सोना चमकने लगता, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगतीं, आमों के पेड़ों पर मांजर (बौर) आ जाता और हर तरफ रंग-बिरंगी तितलियाँ मँडराने लगतीं। भर-भर भंवरे भंवराने लगते। वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा उत्सव मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।