वाराह पुराण
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वराहपुराण में भगवान् श्रीहरि के वराह अवतार की मुख्य कथा के साथ अनेक तीर्थ, व्रत, यज्ञ, दान आदि का विस्तृत वर्णन किया गया है। इसमें भगवान् नारायण का पूजन-विधान, शिव-पार्वती की कथाएँ, सोरों सूकर(वराह)क्षेत्रवर्ती आदित्यतीर्थ, चक्रतीर्थ, वैवस्वततीर्थ, शाखोटकतीर्थ, रूपतीर्थ, सोमतीर्थ, योगतीर्थ आदि तीर्थों की महिमा, मोक्षदायिनी नदियों की उत्पत्ति और माहात्म्य एवं त्रिदेवों की महिमा आदि पर भी विशेष प्रकाश डाला गया है।[1]