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झारखंड में स्थित इंजीनियरिंग संस्थान विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा (अंग्रेज़ी: Birla Institute of Technology Mesra ; जो बीआईटी मेसरा या बीआईटी राँची के नाम से भी प्रसिद्ध है) झारखंड के राँची में स्थित भारत का अग्रणी स्वायत्त अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी उन्मुख संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत एक डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्ज़ा हासिल है। मुख्य परिसर के अतिरिक्त लालपुर (रांची), इलाहाबाद, कोलकाता, नोएडा, जयपुर, चेन्नई, पटना और देवघर में बीआईटी के भारतीय विस्तार पटल हैं। इनके अतिरिक्त बहरीन, मस्कट, संयुक्त अरब अमीरात और मॉरिशस में बीआईटी के अंतरराष्ट्रीय केंद्र हैं। जून २००५ में एसी निलसन एवं इंडिया टुडे द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार इसे देश के दस श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में शुमार किया गया था।
बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान Birla Institute of Technology | |
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आदर्श वाक्य: | सा विद्या या विमुक्तये |
स्थापित | सन् १९५५ |
प्रकार: | निजी, मानद |
अध्यक्ष: | श्री सी॰ के॰ बिरला |
कुलाधिपति: | द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल, झारखंड |
कुलपति: | श्री एम॰ के॰ मिश्रा |
शिक्षक: | २०५ |
स्नातक: | २९५५ वार्षिक प्रवेश |
स्नातकोत्तर: | १०१३ वार्षिक प्रवेश |
अवस्थिति: | राँची, झारखंड, भारत |
सम्बन्धन: | AICTE, ACU, AIU, PCI |
जालपृष्ठ: | आधिकारिक जालस्थल विस्तार पटल, भारत लालपुर विस्तार पटल इलाहाबाद विस्तार पटल नोएडा विस्तार पटल पटना विस्तार पटल विदेशी केन्द्र बहरीन अंतरराष्ट्रीय केंद्र मस्कट, ओमान केंद्र संयुक्त अरब अमीरात केंद्र मॉरिशस अंतरराष्ट्रीय केंद्र |
संस्थान का ७८० एकड़ मुख्य परिसर राँची से १६ किलोमीटर दूर जुमार और स्वर्णरेखा नदियों के संगम पर मेसरा गाँव के सुरम्य वातावरण में स्थित है। यह देश के सबसे सुंदर शैक्षणिक परिसरों में से एक है। मेसरा परिसर पूरी तरह से आवासीय है जिसमें स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों और संकाय और स्टाफ के सदस्यों को आवास उपलब्ध है। इसके बृहत अवसंरचना में अनुसंधान प्रयोगशालायें, व्याख्यान कक्ष, कार्यशालायें, खेल के मैदान, व्यायामशाला और १ लाख से अधिक पुस्तकों, पत्रिकाओं और इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेसों से युक्त एक केन्द्रीय पुस्तकालय शामिल हैं। बीआइटी मेसरा के बड़े सांस्कृतिक उत्सव "बीटोत्सव" ने समृद्ध और रंगीन सांस्कृतिक वातावरण प्रदान किया है। इस उत्सव में विभिन्न कला, साहित्य, और परंपरागत प्रस्तुतियाँ देखने को मिलती हैं, जो छात्रों को सांस्कृतिक धाराओं के माध्यम से जोड़ता है।[1]
संस्थान एक अभिशासक परिषद के सम्पूर्ण पर्यवेक्षण, निदेशन एवं नियंत्रण में कार्यरत है। इस अभिशासक परिषद में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद, राज्य सरकार (झारखण्ड), कुलपति, हिंदुस्तान पुण्य न्यास एवं संस्थान के संकाय के प्रतिनिधि शामिल हैं। श्री गंगा प्रसाद बिरला इस परिषद के अध्यक्ष हैं। झारखण्ड प्रान्त के राज्यपाल संस्थान के कुलपति हैं। तकनीकी परिषद संस्थान की शैक्षणिक नीति तय करती है।
इस संस्थान में प्रवेश अखिल भारतीय इंजिनीयरिंग प्रवेश परीक्षा एवं अन्य प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं के परिणाम (मेरिट) के आधार पर होता है।
बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना सन् १९५५ में लोकोपकारक उद्योगपति श्री ब्रज मोहन बिरला ने की थी। प्रारंभिक वर्षों में संस्थान पटना विश्वविद्यालय से संबद्ध था। सन् १९६० में राँची विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद संस्थान की संबद्धता नये विश्वविद्यालय के साथ हुई। सन् १९८६ में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम १९५६ के अनुभाग ३ के तहत संस्थान को मानित विश्वविद्यालय घोषित किया गया।
संस्थान के निम्नलिखित शैक्षणिक विभाग हैं:
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