प्रथम चीन-जापान युद्ध
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चीन-जापान युद्ध 1894-95 के दौरान चीन और जापान के मध्य कोरिया पर प्रशासनिक तथा सैन्य नियंत्रण को लेकर लड़ा गया था। जापान की मेइजी सेना इसमें विजयी हुई थी और युद्ध के परिणाम स्वरूप कोरिया, मंचूरिया तथा ताईवान का नियंत्रण जापान के हाथ में चला गया। इस युद्ध में हारने के कारण चीन को जापान के आधुनिकीकरण का लाभ समझ में आया और बाद में चिंग राजवंश के खिलाफ़ 1911 मे क्रांति हुई।
प्रथम चीन-जापान युद्ध | |||||||
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चीन-जापान युद्ध के दौरान लड़ते जापानी सैनिक प्रथम चीन-जापान युद्ध, प्रमुख युद्धस्थल और सेना गतिविधियाँ | |||||||
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योद्धा | |||||||
चिंग राजवंश | जापानी साम्राज्य | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
630,000 योद्धा |
240,000 योद्धा | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
35,000 घायल या मृत | 1,132 मृत, 3,973 घायल 11,894 बीमारी के कारण मौत |
इसे प्रथम चीन-जापान युद्ध का नाम भी दिया जाता है। 1937-45 के मध्य लड़े गए युद्ध को द्वितीय चीन-जापान युद्ध कहा जाता है।
द्वितीय चीन-जापान युद्ध चीन तथा जापान के बीच 1937-45 के बीच लड़ा गया था। 1945 में अमेरिका द्वारा जापान पर परमाणु बम गिराने के साथ ही जापान ने समर्पण कर दिया और युद्ध की समाप्ति हो गई। इसके परिणामस्वरूप मंचूरिया तथा ताईवान चीन को वापस सौंप दिए गए जिसे जापान ने प्रथम चीन-जापान युद्ध में उससे लिया था।
1941 तक चीन इसमें अकेला रहा। 1941 में जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर किए गए आक्रमण के बाद यह द्वितीय विश्व युद्ध का अंग बन गया।