न्यूमोनिया
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फुफ्फुसशोथ या फुफ्फुस प्रदाह (निमोनिया) फेफड़े में सूजन वाली एक परिस्थिति है—जो प्राथमिक रूप से अल्वियोली (कूपिका) कहे जाने वाले बेहद सूक्ष्म (माइक्रोस्कोपिक) वायु कूपों को प्रभावित करती है।[1][2] यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु और कम आम तौर पर सूक्ष्मजीव, कुछ दवाओं और अन्य परिस्थितियों जैसे स्वप्रतिरक्षित रोगों द्वारा संक्रमण द्वारा होती है।[1][3]
फुफ्फुसशोथ (निमोनिया) वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
A chest X-ray showing a very prominent wedge-shaped bacterial pneumonia in the right lung. | |
आईसीडी-१० | J12., J13., J14., J15.,J16., J17., J18., P23. |
आईसीडी-९ | 480-486, 770.0 |
डिज़ीज़-डीबी | 10166 |
मेडलाइन प्लस | 000145 |
ईमेडिसिन | topic list |
एम.ईएसएच | D011014 |
आम लक्षणों में खांसी, सीने का दर्द, बुखार और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।[4] नैदानिक उपकरणों में, एक्स-रे और बलगम का कल्चर शामिल है। कुछ प्रकार के निमोनिया की रोकथाम के लिये टीके उपलब्ध हैं। उपचार, अन्तर्निहित कारणों पर निर्भर करते हैं। प्रकल्पित बैक्टीरिया जनित निमोनिया का उपचार प्रतिजैविक द्वारा किया जाता है। यदि निमोनिया गंभीर हो तो प्रभावित व्यक्ति को आम तौर पर अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
वार्षिक रूप से, निमोनिया लगभग 45 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है जो कि विश्व की जनसंख्या का सात प्रतिशत है और इसके कारण लगभग 4 लाख मृत्यु होती हैं। 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को "मौत बाँटने वाले पुरुषों का मुखिया" कहा गया था,[5] लेकिन 20वीं शताब्दी में एण्टीबायोटिक उपचार और टीकों के आने से बचने वाले लोगों की संख्या बेहतर हुई है।[6]बावजूद इसके, विकासशील देशों में, बहुत बुजुर्गों, बहुत युवा उम्र के लोगों और जटिल रोगियों में निमोनिया अभी मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है ।[6][7]