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रुद्रदमन का गिरनार शिलालेख
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रुद्रदमन का गिरनार शिलालेख पश्चिमी छत्रप नरेश रुद्रदमन द्वारा लिखवाया गया शिलालेख है। यह शिलालेख गिरनार पर्वतों पर है जो जूनागढ़ के निकट स्थित है। यह १३०-से १५० ई॰ के मध्य लिखा गया था। जूनागढ़ शिलाओं पर अशोक के १४ शिलालेख तथा स्कन्दगुप्त के शिलालेख भी है।
रुद्रदामन का गिरनार शिलालेख उच्च कोटि के संस्कृत गद्य का स्वरूप प्रकट करता है जिसमें सुबन्धु, दण्डी और बाण की गद्यशैली का पूर्वरूप देखा जा सकता है। इसकी भाषा सरल और प्रवाहपूर्ण है। इसमें दीर्घ समासों का भी प्रयोग देखते बनता है। अलंकृत शैली, नादात्मकता इसकी अन्य विशेषताएँ है।
इस शिलालेख में एक बहुत बड़े सुदर्शन तड़ाग सरोवर के निर्माण की बात कही है। इस क्षेत्र में पानी की कमी है। यह कार्य भी जनहित के लिए प्रशंसनीय प्रयास है। गिरनार के जूनागढ़ अभिलेख में इस सन्दर्भ में कहा गया है-
पंक्ति ९ : "मौर्यस्य राज्ञः चन्द्रगुप्तस्य राष्ट्रियेण वैश्येन पुष्यगुप्तेन कारितम अशोकस्य मौर्यस्य कृते यवनराजेन तुषाष्फेनाधिष्ठाय प्रणालीभिरलं कृतम्" [1][2]
~रुद्रदामन, जूनागढ़ अभिलेख (गुजरात)
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