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स्कन्दगुप्त(455-467) प्राचीन भारत में तीसरी से पाँचवीं सदी तक शासन करने वाले गुप्त राजवंश के सातवें राजा थे। इनकी राजधानी पाटलिपुत्र थी जो वर्तमान समय में पटना के रूप में बिहार की राजधानी है। हूणों ने गुप्त साम्राज्य पर धावा बोला। परंतु स्कन्दगुप्त ने उनका सफल प्रतिरोध कर उन्हें खदेड़ दिया। हूणों के अतिरिक्त उसने पुष्यमित्रों को भी विभिन्न संघर्षों में पराजित किया। सकंदगुप्त ने 466 ईसवी में हूणों को पराजित किया था। यह गुप्त वंश का अंतिम प्रतापी सम्राट था।
यद्यपि स्कन्दगुप्त का शासन काल महान संक्रान्ति का युग रहा था और उसे दीर्घकाल तक उन संकटों से जूझना पड़ा| हमे ज्ञात होता है कि अपने सिंहासनारोहण के शीघ्रबाद उसने योग्य प्रान्तपतियो को नियुक्त कि जुनागढ अभिलेख से पता चलता है कि सौराष्ट्र प्रांत का शासक चुनने के लिए अनेक दिन रात उसने चिंता में बिताई अन्त में पर्न दत्त को वहाँ का गोप्ता नियुक्त किया तब उसके हृदय को शान्ति मिली एक लेखक लिखता है कि उशने शासन काल में न तो कोइ विद्रोह हुआ न कोइ बेघर हुआ।
सुदर्शन झील का निर्माण - स्कन्दगुप्त के शासन काल की सबसे मह्त्वपूर्ण घटना सुदर्शन झील के बांध को बनवाना था इस झील का इतिहास बहुत पुराना है सर्वप्रथम चन्द्रगुप्त ने एअक पर्वर्ति नदी के जल को रोककर इस झील का निर्मान लोकहित केद्रिस्ति से बनवाया बाद में सम्राट अशोक ने सिच्हाइ के लिये उसमे से नहर निकालि एअक बार १५० ई. में बान्ध टूट गया। तब रुद्रदामन ने ब्यक्तिगत कोश से उसका जिर्णोद्धार करवाया था। ४५६ ई. में उस झील का बांध फिर टूट गया जिससे सौराष्ट्र के लोगो कष्ट का सामना करना पड़ा । तब स्कन्दगुप्त ने अपने कोश से अपार धन राशि व्यय कर पुनः निर्माण करवाया इस निर्माण के साथ उसने उसी जगह विष्णुजी का एक मन्दिर बनवाया दुर्भाग्य से वह झील तथा मन्दिर वर्तमान में अवस्थित नहीं है। स्कन्दगुप्त सिंचाई के साधनों का पूरा ख्याल रखता था। स्कन्दगुप्त एक महान राजा था।
स्कन्दगुप्त वैष्णव धर्म का था परन्तु अपने पुर्वजो की भाति उसने भी धार्मिक क्षेत्र उदारता तथा सहिविस्नुता कि नीति का पालन किया वह जॅन तिर्थकरो कि पाच पासान प्रतिमाओ का निर्मान करवाया था और वह सुर्य मन्दिर में दीपक जलाने के लिये अत्यधिक धन दान में दिया था।
यह हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक 'स्कंदगुप्त' का नायक है। यह एक स्वाभिमानी, नीतिज्ञ, देशप्रेमी, वीर और स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने वाला शासक है।
राजसी उपाधियाँ | ||
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पूर्वाधिकारी कुमारगुप्त प्रथम |
गुप्त सम्राट ४५५-४६७ ई० |
उत्तराधिकारी पुरुगुप्त |
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