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वायरस का उप परिवार विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
कोरोनाविषाणु कई प्रकार के विषाणुओं (वायरस) का एक समूह है जो स्तनधारियों और पक्षियों में रोग उत्पन्न करता है। यह आरएनए वायरस होते हैं। इनके कारण मानवों में श्वास तंत्र संक्रमण पैदा हो सकता है जिसकी गहनता हल्की (जैसे सर्दी-जुकाम) से लेकर अति गम्भीर (जैसे, मृत्यु) तक हो सकती है। [1][2][3] गाय और सूअर में इनके कारण अतिसार हो सकता है जबकि इनके कारण मुर्गियों के ऊपरी श्वास तंत्र के रोग उत्पन्न हो सकते हैं। इनकी रोकथाम के लिए कोई टीका (वैक्सीन) या विषाणुरोधी अब उपलब्ध है और उपचार के लिए प्राणी की अपने प्रतिरक्षा प्रणाली पर निर्भर करता है। अभी तक रोगलक्षणों (जैसे कि निर्जलीकरण या डीहाइड्रेशन, ज्वर, आदि) का उपचार किया जाता है ताकि संक्रमण से लड़ते हुए शरीर की शक्ति बनी रहे।
कोरोनाविषाणु Coronavirus | |
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2019 नवल कोरोनावायरस virion का चित्र द्वारा प्रदर्शन
██ लाल: स्पाइक प्रोटीन ██ भूरा: लिपिड द्विपरत आवरण ██ पीला: आवरणीय प्रोटीन उभार ██ नारंगी: झिल्ली प्रोटीन | |
विषाणु वर्गीकरण | |
Group: | Group IV ((+)एसएसआरएनए) |
अधिजगत: | वायरस (Virus) |
जगत: | राइबोविरिया (Riboviria) |
संघ: | अनिश्चित (Aniścit) |
गण: | नीडोविरालीस (Nidovirales) |
कुल: | कोरोनाविरिडाए (Coronaviridae) |
उपकुल: | ऑर्थोकोरोनाविरिनाए (Orthocoronavirinae) |
वंश | |
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चीन के वूहान शहर से उत्पन्न होने वाला 2019 नोवेल कोरोनावायरस इसी समूह के वायरसों का एक उदहारण है, जिसका संक्रमण सन् 2019-20 काल में तेज़ी से उभरकर 2019–20 वुहान कोरोना वायरस प्रकोप के रूप में फैलता जा रहा है।[4][5][6] हाल ही में WHO ने इसका नाम COVID-19 रखा।[7]
(लातीनी भाषा) में "कोरोना" का अर्थ "मुकुट" होता है और इस वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए कांटे जैसे ढाँचों से इलेक्ट्रान सूक्षमदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखता है, जिस पर इसका नाम रखा गया था। सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चन्द्रमा के चारों ओर किरण निकलती प्रतीत होती है उसको भी कोरोना कहते हैं।
यह विषाणु भी प्राणियों से आया है। अधिकतर लोग जो चीन शहर के केंद्र में स्थित हुआनन सीफ़ूड होलसेल मार्केट में खरीदारी के लिए आते हैं या फिर प्रायः काम करने वाले लोग जो जीवित या नव वध किए गए प्राणियों को बेचते थे जो इस वायरस से संक्रमित थे। चूँकि यह वुहान, चीन से आरम्भ हुआ, इसलिये इसे वुहान कोरोनावायरस के नाम से भी जाना जाता है। हालाँकि डब्ल्यूएचओ ने इसका नाम सार्स-कोव २ (SARS-CoV-2) रखा है।
ये बड़े गोलाकार कणों के रूप में होते हैं।[8] वायरस के कणों का व्यास लगभग 120 नैनोमीटर होता है।[9] वायरल कैप्सूल में एक लिपिड बाईलेयर होती है। जहां मेम्ब्रेन(झिल्ली), आवरण, और स्पाइक संरचनात्मक प्रोटीन डले होते हैं।[10] कोरोना वायरस का एक उपसमूह (विशेष रूप से betacoronavirus उपसमूह A के सदस्य) हेमग्लगुटिनिन एस्टरेज़ नामक एक छोटा स्पाइक जैसी सतह भी प्रोटीन है।
कैप्सूल के अंदर न्यूक्लियोकैप्सिड होते है, जो कि न्यूक्लियोकैप्सिड (एन) प्रोटीन की कई प्रतियों से बनता है। ये RNA युक्त विषाणु होते हैं।[11] जब यह होस्ट सेल के बाहर होता है तो लिपिड बाईलेयर कैप्सूल, झिल्ली प्रोटीन और न्यूक्लियोकैप्सिड वायरस की रक्षा करते हैं।[12]
इस विषाणु में एकल आरएनए युक्त जीनोम पाया जाता है। कोरोनावायरस के जीनोम का आकार लगभग 27 से 34 किलोबेस तक होता है।[13]
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