आर्यभटीय
आर्यभट द्वारा लिखित ग्रंथ / From Wikipedia, the free encyclopedia
आर्यभटीय प्राचीन भारतीय गणित का एक प्रसिद्ध ग्रंथ है जिसकी रचना आर्यभट प्रथम (४७६-५५०) ने की थी।[1] यह संस्कृत भाषा में आर्या छन्द में काव्यरूप में रचित गणित तथा खगोलशास्त्र का ग्रंथ है। इसकी रचनापद्धति बहुत ही वैज्ञानिक और भाषा बहुत ही संक्षिप्त तथा मंजी हुई है। इसमें चार अध्यायों में १२३ श्लोक हैं। आर्यभटीय, दशगीतिका पाद से आरम्भ होती है।
इसके चार अध्याय इस प्रकार हैं :-
1. दशगीतिका-पाद - सबसे छोटा अध्याय, केवल 13 श्लोकों का है, परन्तु इसमें बहुत सी सामग्री भर दी गई है।
2. गणित-पाद - खगोलीय अचर (astronomical constants) तथा ज्या-सारणी (sine table) ; गणनाओं के लिये आवश्यक गणित
3. काल-क्रिया-पाद - समय-विभाजन तथा ग्रहों की स्थिति की गणना के लिये नियम
4. गोल-पाद - त्रिकोणमितीय समस्याओं के हल के लिये नियम; ग्रहण की गणना