टनकपुर
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टनकपुर भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख नगर है। चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित टनकपुर नेपाल की सीमा पर बसा हुआ है। टनकपुर, हिमालय पर्वत की तलहटी में फैले भाभर क्षेत्र में स्थित है। शारदा नदी टनकपुर से होकर बहती है।
इस नगर का निर्माण १८९८ में नेपाल की ब्रह्मदेव मंडी के विकल्प के रूप में किया गया था, जो शारदा नदी की बाढ़ में बह गई थी। कुछ समय तक यह चम्पावत तहसील के उप-प्रभागीय मजिस्ट्रेट का शीतकालीन कार्यालय भी रहा। १९०१ में इसकी जनसंख्या ६९२ थी।
सुनियोजित ढंग से निर्मित बाजार, चौड़ी खुली सड़कें, फैले हुए फुटपाथ, खुली हवादार कालोनियां इस नगर की विशेषताएं हैं। पूर्णागिरि मन्दिर के मुख्य द्वार के रूप में शारदा नदी के तट पर बसा हुआ यह नगर पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों के आकर्षण का केन्द्र है।
यह क्षेत्र उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध तक पूर्णतः वनों से आच्छादित था। नेपाल की सीमा से संलग्न टनकपुर एक छोटा सा गांव था। यहां से तीन मील की दूरी पर ब्रह्मदेव मंडी थी, जिसे कत्यूरी राजाओं ने बसाया था। कालान्तर में भूस्खलन होने के कारण मंडी पूर्ण रूप से दब गई और कुछ समय बाद यहां पर पुनः एक व्यापारिक कस्बा विकसित होने लगा।
सन् १८९० में एक अंग्रेज सैलानी टलक अपने मित्र मंजर हसी के साथ जब इस स्थान पर आए, तो इस स्थल की प्राकृतिक सुन्दरता से प्रभावित होकर सर्वप्रथम टलक व हसी ने बगडोरा (सैलानी गोठ) में तथा एक अन्य अंग्रेज मेटसिन ने पुरानी टंकी के निकट आवास के लिए बंगले बनवाये। इसके पश्चात् सुनियोजित ढंग से इस नगर को बसाने का प्रयास किया जाने लगा। लार्ड टलक के नाम से पहले इसे टलकपुर कहा गया, किन्तु बाद में यह स्थान टनकपुर कहा जाने लगा। पहले यह क्षेत्र जनपद अल्मोड़ा में सम्मिलित था। ब्रिटिश काल में टनकपुर से तवाघाट तक ६ फीट चौड़ा पैदल मार्ग बनाया गया था, जिससे आवागमन की काफी सुविधा हो गई।
ब्रिटिशकाल तथा स्वतंत्रता के कई वर्षों बाद तक डर्मा और ब्याँस घाटियों के भोटिया व्यापारी यहां आकर ऊन का व्यापार करते थे। नेपाल से भी यहां आयात-निर्यात होता रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यहां अवध-तिरहुत रेल कंपनी द्वारा पीलभीत को जोड़ती रेल लाईन बिछाई गई। साथ ही यह नगर सड़क मार्ग से दिल्ली, देहरादून, मुरादाबाद, बरेली और लखनऊ आदि से जुड़ गया। बागेश्वर रेल परियोजना, टनकपुर-जौलजीबी मोटर मार्ग, पंचेश्वर बांध आदि महत्वाकांक्षी परियोजनायें इस क्षेत्र में प्रस्तावित है।
टनकपुर की जलवायु हल्की गर्म और समशीतोष्ण हैं। टनकपुर भारी बारिश वाला शहर है; यहां तक कि सबसे शुष्क महीने में भी काफी वर्षा होती है। कोपेन जलवायु वर्गीकरण के अनुसार नगर का कोड 'Cfa' है। टनकपुर का वार्षिक औसत तापमान २४.४ है, और औसत वार्षिक वर्षा १७३९ मिमी है। ३०.८ डिग्री सेल्सियस औसत तापमान के साथ मई साल का सबसे गर्म महीना होता है। जनवरी का औसत तापमान १५.६ है, जो पूरे वर्ष का सबसे कम औसत तापमान है। सबसे काम वर्षापात अप्रैल में ७ मिमी होती है जबकि ५२८ मिमी औसत के साथ सबसे अधिक वर्षापात जुलाई में होता है। सबसे शुष्क माह, और सबसे नम माह के बीच वर्षा में अंतर ५२१ मिमी रहता है। पूरे वर्ष के दौरान, तापमान में १५.२ डिग्री सेल्सियस तक का अंतर देखा जा सकता है।
टनकपुर के जलवायु आँकड़ें | |||||||||||||
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माह | जनवरी | फरवरी | मार्च | अप्रैल | मई | जून | जुलाई | अगस्त | सितम्बर | अक्टूबर | नवम्बर | दिसम्बर | वर्ष |
औसत उच्च तापमान °C (°F) | 21.7 (71.1) |
25 (77) |
30.8 (87.4) |
36.9 (98.4) |
38.5 (101.3) |
36.7 (98.1) |
32.7 (90.9) |
32.1 (89.8) |
32 (90) |
30.8 (87.4) |
26 (79) |
22.1 (71.8) |
30.44 (86.85) |
दैनिक माध्य तापमान °C (°F) | 15.6 (60.1) |
17.9 (64.2) |
23.2 (73.8) |
28.4 (83.1) |
30.8 (87.4) |
30.7 (87.3) |
28.6 (83.5) |
28.3 (82.9) |
28.1 (82.6) |
25.2 (77.4) |
19.6 (67.3) |
15.8 (60.4) |
24.35 (75.83) |
औसत निम्न तापमान °C (°F) | 9.6 (49.3) |
10.8 (51.4) |
15.6 (60.1) |
20 (68) |
23.1 (73.6) |
24.7 (76.5) |
24.6 (76.3) |
24.6 (76.3) |
24.2 (75.6) |
19.6 (67.3) |
13.3 (55.9) |
9.6 (49.3) |
18.31 (64.97) |
औसत वर्षा मिमी (इंच) | 41 (1.61) |
26 (1.02) |
23 (0.91) |
7 (0.28) |
38 (1.5) |
230 (9.06) |
528 (20.79) |
502 (19.76) |
246 (9.69) |
77 (3.03) |
7 (0.28) |
14 (0.55) |
1,739 (68.48) |
स्रोत: Climate-Data.org[2] |
टनकपुर नगर उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जनपद के दक्षिणी भाग में स्थित है। नगर कुल १.२ वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। टनकपुर शारदा नदी के तट पर स्थित है, और, समुद्र तल से २५५ मीटर की ऊंचाई पर है।
टनकपुर के धार्मिक आंकड़े (2011)[3] | ||||
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धर्म | प्रतिशत | |||
हिन्दू धर्म | 80.32%% | |||
इस्लाम | 18.22% | |||
अन्य | 1.46% |
२००१ की जनगणना के अनुसार, टनकपुर की जनसंख्या १५,८१० थी,[4] जो २०११ में बढ़कर १७,६२६ हो गई।[3] २०११ की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या में ५२.५% पुरष और ४७.५% महिलाएं हैं।[3] टनकपुर में औसत साक्षरता दर ७८.२४% है: ८४.०६% पुरुष और ७१.८४% महिलाएं साक्षर है।[3] कुल जनसंख्या के १२.६८% की उम्र ६ साल से कम है।[3]
२०११ की जनगणना के अनुसार, टनकपुर में ८०.३२% लोग हिंदू हैं।[3] १८.२२% लोग इस्लाम का अनुसरण करते हैं, जो नगर में सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह हैं। इसके अतिरिक्त नगर में ईसाई धर्म के अनुयाइयों का प्रतिशत ०.५५%, जैन धर्म के अनुयाइयों का ०.०८%, सिख धर्म के अनुयाइयों का ०.६९% और बौद्ध धर्म के अनुयाइयों का ०.०१% था।[3] लगभग ०.१३% लोग किसी भी धर्मं से सम्बन्ध नहीं रखते।
टनकपुर ब्रिटिश भारत में कुमाऊँ प्रान्त का प्रमुख व्यापारिक बाजार था। क्षेत्र के स्थानीय उत्पादों में इमारती लकड़ी, कत्था, पेड़ों की छाल, शहद और अन्य छोटे जंगली उत्पाद शामिल थे, जिनका व्यापार नवंबर और मई के बीच होता था। भोटिया व्यापारी तिब्बत से ऊन और सुहागा नीचे लाया करते थे, और बदले में शक्कर और कपड़े वापस ले जाते थे। दूसरी ओर, चीनी और नमक को हल्दी, मिर्च और घी के बदले अल्मोड़ा और नेपाल के पहाड़ी बाजारों से आयात किया गया था। १८९० तक, भोटिया व्यापारियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले तकलाकोट-टनकपुर व्यापार मार्ग का मानसरोवर क्षेत्र के ऊन व्यापार पर पूर्ण नियंत्रण था।[5][6][7]
इसके अतिरिक्त परिवहन तथा पर्यटन भी टनकपुर की अर्थव्यवस्था के प्रमुख अंग हैं। पर्वतों की तलहटी में स्थित यह नगर चम्पावत तथा पिथौरागढ़ की यात्रा में पड़ने वाला अंतिम रेलवे स्टेशन तथा मैदानी नगर है। इस कारण पहाड़ों की ओर जाने वाले हज़ारों पर्यटक टनकपुर में रुकते हैं। टनकपुर पूर्णागिरी मन्दिर का प्रवेश द्वार है, और वहां लगने वाले वार्षिक पूर्णागिरी मेले के समय भी नगर में काफी चहल पहल रहती है। टनकपुर बस डिपो को उत्तराखण्ड परिवहन निगम की आय के प्रमुख स्रोतों में से एक माना जाता है।[8]
टनकपुर के विद्यालय निम्नलिखित हैं:
राष्ट्रीय राजमार्ग ९ टनकपुर से होकर गुजरता है, जो इसे रुद्रपुर, खटीमा, चम्पावत और पिथौरागढ़ नगरों से जोड़ता है। व सितारगंज के पास राष्ट्रीय राजमार्ग ९ से लिंक होकर कुमाऊँ मण्डल के महानगर हल्द्वानी से जोड़ता है इसके अतिरिक्त टनकपुर रेल मार्ग से पीलीभीत तथा बनबसा से भी जुड़ा है।
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