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कैल्शियम (Calcium) एक रासायनिक तत्व है। यह आवर्तसारणी के द्वितीय मुख्य समूह का धातु तत्व है। यह क्षारीय मृदा धातु है और शुद्ध अवस्था में यह अनुपलब्ध है। किन्तु इसके अनेक यौगिक प्रचुर मात्रा में भूमि में मिलते है। भूमि में उपस्थित तत्वों में मात्रा के अनुसार इसका पाँचवाँ स्थान है।
कैल्सियम / Calcium रासायनिक तत्व | |
नमूना | |
रासायनिक चिन्ह: | Ca |
परमाणु संख्या: | 20 |
रासायनिक शृंखला: | क्षारीय पार्थिव धातु |
आवर्त सारणी में स्थिति | |
अन्य भाषाओं में नाम: | Calcium (अंग्रेज़ी), Кальций (रूसी), カルシウム (जापानी) |
यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी चाहिए। खाने योग्य कैल्शियम दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के साथ-साथ कैल्शियम के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है। आवर्त सारणी में कैल्शियम का अणु क्रमांक 20 है और इसे अंग्रेजी शब्दों ‘Ca’ से इंगित किया गया है। 1808 में सर हम्फ्री डैवी ने इसे खोजा था। उन्होंने इसे कैल्सियम क्लोराइड से अलग किया था। चूना पत्थर, कैल्सियम का महत्वपूर्ण खनिज स्रोत है। पौधों में भी कैल्शियम पाया जाता है।[1]
अपने शुद्ध रूप में कैल्शियम चमकीले रंग का होता है। यह अपने अन्य साथी तत्वों के बजाय कम क्रियाशील होता है। जलाने पर इसमें से पीला और लाल धुआं उठता है। इसे आज भी कैल्शियम क्लोराइड से उसी प्रक्रिया से अलग किया जाता है जो सर हम्फ्री डैवी ने 1808 में इस्तेमाल की थी। कैल्शियम से जुड़े ही एक अन्य यौगिक, कैल्सियम कार्बोनेट को कंक्रीट, सीमेंट, चूना इत्यादि बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अन्य कैल्शियम कंपाउंड अयस्कों, कीटनाशक, दुर्गन्धहर, खाद, कपड़ा उत्पादन, कॉस्मेटिक्स, लाइटिंग इत्यादि में इस्तेमाल किया जाता है। जीवित प्राणियों में कैल्शियम हड्डियों, दांतों और शरीर के अन्य हिस्सों में पाया जाता है। यह रक्त में भी होता है और शरीर की अंदरूनी देखभाल में इसकी विशेष भूमिका होती है।
कैल्सियम अत्यंत सक्रिय तत्व है। इस कारण इसको शुद्ध अवस्था में प्राप्त करना कठिन कार्य है। आजकल कैल्सियम क्लोराइड तथा फ्लोरस्पार के मिश्रण को ग्रेफाइट मूषा में रखकर विद्युतविच्छेदन द्वारा इस तत्व को तैयार करते हैं।
शुद्ध अवस्था में यह सफेद चमकदार रहता है। परन्तु सक्रिय होने के कारण वायु के आक्सीजन एवं नाइट्रोजन से अभिक्रिया करता है। इसके क्रिस्टल फलक केंद्रित घनाकार रूप में होते हैं। यह आघातवर्ध्य तथा तन्य तत्व है। इसके कुछ गुणधर्म निम्नांकित हैं-
साधारण ताप पर यह वायु के ऑक्सीजन और नाइट्रोजन से धीरे धीरे अभिक्रिया करता है, परंतु उच्च ताप पर तीव्र अभिक्रिया द्वारा चमक के साथ जलता है और कैलसियम आक्साइड (CaO) बनाता है। जल के साथ अभिक्रिया कर यह हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है और लगभग समस्त अधातुओं के साथ अभिक्रिरिया कर यौगिक बनाता है।
इसके रासायनिक गुण अन्य क्षारीय मृदा तत्वों (स्ट्रांशियम, बेरियम तथा रेडियम) की भाँति है। यह अभिक्रिया द्वारा द्विसंयोजकीय यौगिक बनाता है। ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होने पर कैलसियम ऑक्साइड का निर्माण होता है, जिसे कली चूना और बिना बुझा चूना (quiklime) भी कहते हैं। पानी में घुलने पर कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड या शमित चूना या बुझा चूना (slaked lime) बनता है। यह क्षारीय पदार्थ है जिसका उपयोग गृह निर्माण कार्य में पुरतान काल से होता आया है। चूने में बालू, जल आदि मिलाने पर प्लास्टर बनता है, जो सूखने पर कठोर हो जाता है और धीरे-धीरे वायुमण्डल के कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया कर कैलसियम कार्बोनेट में परिणत हो जाता है।
कैलसियम अनेक तत्वों (जैसे हाइड्रोजन, फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन आयोडीन, नाइट्रोजन सल्फर आदि ) के साथ अभिक्रिया कर यौगिक बनता है। कैलसियम क्लोराइड, हाइड्रोक्साइड, तथा हाइपोक्लोराइड का एक मिश्रण [CaCI2 Ca (OH)2 H2O] और [CaOCI2] ब्लिचिंग पाउडर कहलाता है जो वस्त्रों आदि के विरंजन में उपयोगी है। कैलसियम कार्बोनेट तथा बाइकार्बोनेट भी उपयोगी है।
अपाचयक तत्व होने के कारण कैलसियम अन्य धातुओं के निर्माण में काम आता है। कुछ धातुओं में कैलसियम मिश्रित करने पर उपयोगी मिश्र धातुएँ बनती हैं।
कैलसियम के यौगिक के अनेक उपयोग हैं। कुछ यौगिक (नाइट्रेट, फॉसफेट आदि) उर्वरक के रूप में उपयोग में आते है। कैलसियम कार्बाइड का उपयोग नाइट्रोजन स्थिरीकरण उद्योग में होता है और इसके द्वारा एसिटिलीन गैस बनाई जाती है। कैलसियम सल्फेट द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाया जाता है। इसके अतिरक्ति कुछ यौगिक चिकित्सा, पोर्स्लोिन उद्योग, काच उद्योग, चर्म उद्योग तथा लेप आदि के निर्माण में उपयोगी है।
भारत के प्राचीन निवासी कैलसियम के यौगिक तत्वों से परिचित थे। उनमें चूना (कैलसियम आक्साइड) मुख्य है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के भग्नावशेषों से ज्ञात होता है तत्कालीन निवासी चूने का उपयोग अनेक कार्यों में करते थे। चूने के साथ कतिपय अन्य पदार्थों के मिश्रण से 'वज्रलेप' तैयार करने का प्राचीन साहित्य में प्राप्त होता है। चरक ने ऐसे क्षारों का वर्णन किया है जिनको विभिन्न समाक्षारों पर चूने की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता था। कुछ समय पूर्व उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में कोपिया नामक एक स्थान से काँच बनाने के एक प्राचीन कारखाने के अवशेष प्राप्त हुए हैं। उसका काल लगभग पाँचवी शती ईसवी पूर्व अनुमान किया जाता है। वहाँ से मिली काँच की वस्तुओं की परीक्षा से ज्ञात हुआ है कि उस काल के काँच बनाने में चूने का उपयोग होता था।
कैल्शियम एक ऐसा खनिज है जोकी मजबूत दांतों और हड्डियों के विकास के साथ-साथ मांसपेशियों के संकुचन और कुछ हार्मोन और एंजाइमों के स्राव के लिए बहुत आवश्यक है। वैसे तो कैल्शियम हर व्यक्ति के साथ शिशुओं के लिए कैल्शियम में उच्च खाद्य पदार्थ माना जाता है।
सफेद बीन्स फलियां हैं। फलियों में कैल्शियम और आयरन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। सफेद बीन्स का इस्तेमाल किसी भी तरह के खाने में किया जा सकता है। सफेद बीन्स डालकर आप कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बना सकते हैं।
अगर आप नॉनवेज खाते हैं तो शरीर में कैल्शियम की आपूर्ति के लिए सार्डिन मछली का सेवन जरूर करें। यह एक खास तरह की मछली होती है और इसमें कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इस सार्डिन मछली में कैल्शियम के अलावा विटामिन डी और ओमेगा 3 फैटी एसिड भी पाया जाता है। आप इस मछली को सलाद में मिलाकर भी खा सकते हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियों में कैल्शियम सहित कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। इन सब्जियों को सलाद के रूप में कच्चा भी खाया जा सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए सब्जियों का सूप भी जरूरी है। रोजाना ताजी पत्तेदार सब्जियों का सेवन जरूर करना चाहिए।
कैल्शियम युक्त भोजन की बात करें तो सबसे ज्यादा कैल्शियम डिब्बाबंद सालमन में पाया जाता है। डिब्बाबंद सालमन की हड्डी में कैल्शियम की मात्रा बहुत अधिक होती है। सालमन को डिब्बे में पूरी तरह से सील कर दिया जाता है, जिसके कारण सालमन की हाड़ियाँ नरम हो जाती हैं, और उन्हें सालमन के साथ अच्छी तरह से मसला जा सकता है। अगर आप सीधे सालमन नहीं खा सकते हैं, तो सालमन केक खाएं। वैसे सालमन केक बाजार में आसानी से मिल जाती है, यह कैल्शियम से भरपूर होता है।
कैल्शियम युक्त भोजन की बात करें तो काला गुड़ भी इसी श्रेणी में आता है। कैल्शियम के अलावा काला गुड़ में आयरन, मिनरल्स और कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। गुड़ का स्वाद मीठा होता है। काला गुड़ के इस्तेमाल से तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं। ब्राउन शुगर बनाने के लिए काले गुड़ का उपयोग किया जाता है। इसे आप तवे पर डालकर भी खा सकते हैं। गुड़ में छिपा है अच्छी सेहत का राज, इसलिए इसे जरूर खाएं।
दूध को कैल्शियम का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। बच्चों को बचपन से ही दूध पिलाया जाता है, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत रहती हैं। दूध पीने से शरीर में कैल्शियम की कमी दूर हो जाती है। रोजाना एक से दो गिलास दूध पीना चाहिए। जो बच्चे सादा दूध नहीं पीते हैं तो उन्हें चॉकलेट दूध दें। चॉकलेट दूध पीने में तो स्वादिष्ट होता ही है साथ ही इसमें कैल्शियम भी पाया जाता है।
रोजाना चिया सीड्स खाने से हमारे शरीर को 18% कैल्शियम मिलता है। चिया सीड्स को कच्चा और पका दोनों तरह से खाया जा सकता है। चिया सीड्स के सेवन से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रहता है। वजन घटाने और स्वस्थ दिल के लिए भी चिया सीड्स का सेवन करना चाहिए। आपको बता दे की प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को चिया सीड्स का सेवन नहीं करना चाहिए।
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