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मिस्र देश की राजधानी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
क़ाहिरा (अरबी: الْقَاهِرَة) मिस्र की राजधानी है। नील नदी के किनारे बसा क़ाहिरा अफ्रीका महाद्वीप का सबसे बड़ा नगर है। अपने 3000 सालों के इतिहास में यह विभिन्न मिस्र शासकों के राज्य की राजधानी रहा। ब्रिटिश काल में भी इसका महत्व बरकरार रहा। मिस्र की राजधानी काहिरा आज औद्योगिकीकरण का प्रतीत है। यह मिस्र की राजनीति, अर्थव्यवस्था और सांस्कूतिक गतिविधियों का केंद्र व प्रमुख पर्यटन केंद्र है।
यहां के पिरामिड तो विश्व प्रसिद्ध हैं ही, यहां के संग्रहालयों और मस्जिदों में मिस्र की संस्कृति के दर्शन होते हैं। यहां के कुछ प्रमुख जगहों का जिक्र किया जाए तो ये नाम सामने आते हैं:
मिस्र के सभी स्मारकों में स्फिंक्स सबसे अद्भुत और सबसे डरावना है। ग्रीक दंतकथाओं में एक ऐसे जीव का उल्लेख मिलता है जिसका सिर औरत का और शरीर सिंह का था। उसी जीव से समानता के कारण इस स्थान का नाम स्फिंक्स पड़ा। अरब के लोग इस स्थान को अबु अल-होल यानि डर का पिता के नाम से पुकारते हैं। गीजा के पिरामिडों के सामने बना स्फिंक्स 22 मीटर ऊंचा और 50 मीटर लंबा है। इसकी नाक और दाढ़ी मेमीलुक समूह द्वारा क्षतिग्रस्त कर दी गई थी। वे लोग स्फिंक्स का प्रयोग निशानेबाजी के प्रशिक्षण के लिए करते थे। पर्यटक इस स्मारक के ऊपर नहीं चढ़ सकते लेकिन यहां एक स्थान बनाया गया है जहां से चारों ओर देखा जा सकता है। समय: सुबह 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक
यह गिजा पठार पर स्थित पिरामिडों में से सबसे बड़ा और सबसे पुराना है। इसका निर्माण चौथे फैरो वंश खुफु, जिन्हें चिओप्स के नाम से जाना जाता है, ने ईसा पूर्व 2570 शताब्दी में कराया था। 140 मीटर ऊंचें इस स्मारक को किस उद्देश्य से बनाया गया था, इस बात में मतभेद है। कुछ का मानना है कि यहां फैरो और उनकी बेगम को दफनाया गया था जबकि कुछ का मानना है कि इसका प्रयोग ज्योतिष यंत्र के रूप में होता था। आज इस पर चढ़ना मना है लेकिन इसके अंदर जा सकते हैं। गिजा पठार में प्रवेश के लिए प्रवेश शुल्क देना पड़ता है। अलग-अलग पिरामिडों के अंदर जाने के लिए अतिरिक्त टिकट लेनी होती है। समय: सुबह 8.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक
जमाल अब्देल नस्सर के राष्ट्रपति काल में सोवियत सहायता से बनी यह इमारत काहिरा की शान है। 187 मीटर ऊंची इस इमारत से काहिरा शहर का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। यहां पर टेलिस्कोप की सुविधा भी उपलब्ध है। समय: सर्दियों में सुबह 9 बजे से आधी रात तक, गर्मियों में सुबह 9 बजे से रात 1 बजे तक
यह काहिरा की सबसे प्रमुख मस्जिद है। इसका निर्माण 1356 में सुल्तान हसन बिन मोहम्मद बिन कुआलोन ने करवाया था। यह सिर्फ मस्जिद ही नहीं है बल्कि सुन्नी मुसलमानों के लिए यहां मदरसा भी शुरु किया गया था। इस मस्जिद के निर्माण के दौरान एक हादसा हुआ था जिसमें मस्जिद की एक मीनार गिरने से 300 लोगों की जान चली गई थी। यहां आने के लिए प्रवेश शुल्क देना पड़ता है। समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
=== सक्कारा का सीढ़ीनुमा पिरामिड ===y इस पिरामिड का डिजाइन तृतीय वंश के फराओ जोसर के मुख्य वास्तुकार इम्होटेप ने बनाया था। इस छ: मंजिला इमारत के अंदर मिस्र के शासकों को दफनाया जाता था। बाद में इस जगह का प्रयोग शासक गीजा और आसपास की जगहों को देखने के लिए करने लगे। इसे पहला पिरामिड भी माना जाता है। यहां पर एक हॉल और ग्रेट साउथ कोर्ट है। पिरामिड में प्रवेश के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है। समय: सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक
इस संग्रहालय के दो भाग हैं जिनका निर्माण क्रमश: 1540 और 1632 में हुआ था। 1930 में एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश सेना के मेजर ने इन दोनों भागों को खरीद लिया और यहां पूर्व के फर्नीचर और कलाकृतियों का संग्रह प्रदर्शित किया। इस संग्रहालय में आप संगमरमर के खूबसूरत फव्वार, डार्क वुड फर्नीचर और तुर्की के आरामदायक तकियों को देख सकते हैं।
सिटाडेल मिस्र के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इसका निर्माण सला अल-दिन ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। इसका संबंध 19वीं शताब्दी के नेता मोहम्मद अली से भी जोड़ा जाता है जिन्होंने मिस्र को मैमीलुक से मुक्त कराया था। इनके बारे में प्रचलित कहानियों के अनुसार मोहम्मद अली ने 740 मेमीलुक को भोज पर आमंत्रित किया और एक संकरी सुरंग में उन्हें कैद कर लिया। सिर्फ एक मेमीलुक उनकी कैद से भागने में सफल रहा। सिटाडेल परिसर के मुख्य आकर्षण हैं: अल-गोहारा महल, मोहम्मद अली मस्जिद, पुलिस संग्रहालय, सुल्ताल अल-नसीर मस्जिद, सेना संग्रहालय, कैरिज म्यूजियम, सुलेमन पाशा मस्जिद और बाब अल-अजाब। समय: सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक
684 ईसवी में बने इस चर्च का निर्माण एक अमीर लेखक अथनासिउस ने करवाया था। मूल रूप से यह चर्च अबु कीर और योहान्ना को समर्पित है। जब संत बारबरा (निकोमेडिया की युवती थीं जिन्हें उनके पिता ने पीट पीटकर इसलिए मार दिया क्योंकि वे ईसाई धर्म कबूल करना चाहती थीं) के अवशेषों को यहां लाया गया तब उनके लिए अलग से स्थान बनाया गया। अब यहां दो चर्च हैं। यहां पर संत कैथरीन के अवशेष भी सुरक्षित रखे गए हैं। यहां आने के लिए शालीन वस्त्र पहनें। समय: सुबह 9 बजे से शाम 4.30 तक
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