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हेनरी अष्टम (28 जून 1491-28 जनवरी 1547) 21 अप्रैल 1509 से अपनी मृत्यु तक इंग्लैंड के राजा थे। वे लॉर्ड ऑफ आयरलैंड (बाद में किंग ऑफ आयरलैंड) तथा फ्रांस के साम्राज्य के दावेदार थे। हेनरी ट्यूडर राजघराने के दूसरे राजा थे, जो कि अपने पिता हेनरी सप्तम के बाद इस पद पर आसीन हुए।
हेनरी अष्टम् | |
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इंग्लैंड के राजा (और...) | |
शासनावधि | 21 अप्रैल 1509 – 28 जनवरी 1547 ( साल, 282 दिन) | 37
राज्याभिषेक | 24 जून 1509 (उम्र 17) |
पूर्ववर्ती | हेनरी सप्तम |
उत्तरवर्ती | एडवर्ड षष्टम |
समाधि | सेंट जॉर्ज का प्रार्थनाघर, विंडसर किला |
जीवनसंगी | एरागॉन की कैथरीन ऐने बोलेन जेन सेमोर क्लीव्स की ऐने कैथरीन हॉवर्ड कैथरीन पार |
संतान औरों में | रानी मैरी हेनरी फित्ज़रॉए एलिज़ाबेथ प्रथम राजा एडवर्ड |
घराना | ट्यूडर राजघराना |
पिता | हेनरी सप्तम |
माता | यॉर्क की एलिज़ाबेथ |
धर्म | इसाई (ऐंग्लिकन, पहले रोमन कैथोलिक) |
हस्ताक्षर |
अपने छः विवाहों के अलावा, हेनरी अष्टम चर्च ऑफ इंग्लैंड को रोमन कैथोलिक चर्च से पृथक करने में उनके द्वारा निभाई गई भूमिका के लिये भी जाने जाते हैं। रोम के साथ हेनरी के संघर्षों का परिणामस्वरूप पोप के प्रभुत्व से चर्च ऑफ इंग्लैंड का पृथक्करण हुआ और मठों का विघटन हो गया और उन्होंने स्वयं को चर्च ऑफ इंग्लैंड के सर्वोच्च प्रमुख (Supreme Head of the Church of England) के रूप में स्थापित कर लिया। उन्होंने धार्मिक आयोजनों व रस्मों को बदल दिया तथा मठों का दमन किया और साथ ही वे कैथलिक धर्मशास्त्र की मूल-शिक्षाओं के समर्थक बने रहे, यहां तक कि रोमन कैथलिक चर्च के साथ उनके निष्कासन के बाद भी।[1] वेल्स ऐक्ट्स (Wales Acts) 1535-1542 के कानूनों के साथ हेनरी ने इंग्लैंड और वेल्स के वैधानिक मिलन का निर्देशन किया।
अपनी युवावस्था में हेनरी एक आकर्षक और करिश्माई पुरुष थे, शिक्षित व परिपूर्ण.[2] वे एक लेखक व संगीतकार थे। उन्होंने पूर्ण शक्ति के साथ शासन किया। इंग्लैंड को एक नर उत्तराधिकारी प्रदान करने की उनकी इच्छा-जो आंशिक रूप से उनके व्यक्तिगत घमण्ड से और आंशिक रूप से उनके विश्वास से उत्पन्न हुई थी कि एक पुत्री ट्युडर राजवंश और रोज़ेज़ के युद्धों (Wars of Roses) के बाद मौजूद नाज़ुक शांति को मज़बूत नहीं बना सकेगी-का परिणाम उन दो बातों के रूप में मिला, जिनके लिये हेनरी को आज याद किया जाता है: उनकी पत्नियां और इंग्लैंड का पुनरुत्थान, जिसने इंग्लैंड को एक अधिकांशतः प्रोटेस्टंट राष्ट्र बना दिया। अपने जीवन के उत्तर-काल में वे रूग्ण रूप से स्थूलकाय हो गए और उनका स्वास्थ्य खराब हो गया; अक्सर उनकी सार्वजनिक छवि का चित्रण कामुक, अहंवादी, कर्कश और असुरक्षित राजाओं में से एक के रूप में किया जाता है।[3]
सुविदित रूप से हेनरी को उनकी छः पत्नियां-जिनमें से दो का सिर उन्होंने कटवा दिया था-होने के कारण याद किया जाता है, जिसने एक सांस्कृतिक आदर्श बनने में उनकी सहायता की और उन पर व उनकी पत्नियों पर आधारित अनेक पुस्तकें, फिल्में, नाटक और टेलीविजन श्रृंखलाएं निर्मित हुईं।
ग्रीनविच पैलेस में जन्मे हेनरी अष्टम, हेनरी सप्तम व एलिज़ाबेथ ऑफ यॉर्क की तीसरी संतान थे।[4] युवा हेनरी के छः भाई-बहनों में से केवल तीन-आर्थर, प्रिंस ऑफ वेल्स; मार्गारेट; तथा मैरी-ही अपनी शैशवावस्था के बाद जीवित बच सके। सन 1493 में, दो वर्ष की आयु में, हेनरी को कॉन्स्टेबल ऑफ डोवर कैसल तथा लॉर्ड वार्डन ऑफ द सिंक पोर्ट्स (Cinque Ports) नियुक्त किया गया। सन 1494 में, उन्होंने ड्युक ऑफ यॉर्क बनाया गया। क्रमशः वे अर्ल मार्शल ऑफ इंग्लैंड तथा लॉर्ड लेफ्टिनेंट ऑफ आयरलैंड नियुक्त किये गये। हेनरी को श्रेष्ठ शिक्षकों द्वारा उच्च-श्रेणी की शिक्षा प्रदान की गई, तथा वे लैटिन, फ्रेंच व स्पैनिश भाषाओं में पारंगत हो गए।[5] चूंकि यह उम्मीद की जा रही थी कि ताज हेनरी के बड़े भाई प्रिंस आर्थर को मिलेगा, इसलिये हेनरी को चर्च में जीवन बिताने के लिये तैयार किया गया था। जब हेनरी 11 वर्ष के थे, तब उनकी मां एलिज़ाबेथ ऑफ यॉर्क का निधन हो गया। [6]
सन 1502 में, 15 वर्ष की आयु में, एरागॉन की कैथरीन से विवाह के केवल 20 सप्ताहों बाद ही आर्थर की मृत्यु हो गई। आर्थर की मृत्यु के कारण उनके सारे कर्तव्य अब उनके छोटे भाई, दस-वर्षीय हेनरी, पर आ पड़े, जो कि अब प्रिंस ऑफ वेल्स बने। हेनरी सप्तम ने इंग्लैंड और स्पेन के बीच एक वैवाहिक गठजोड़ को सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों का पुनर्नवीनीकरण करते हुए, अपने द्वितीय पुत्र का विवाह प्रिंस आर्थर की विधवा कैथरिन, जो कि ऐरागॉन के राजा फर्डिनैंड द्वितीय तथा कैस्टाइल की रानी इसाबेला प्रथम की जीवित बची संतानों में सबसे छोटी थी, से करने का प्रस्ताव रखा।[4] प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा अपने भाई की विधवा से विवाह करने के लिये, सामान्यतः पोप से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक था, ताकि इस वैवाहिक-संबंध की बाधाओं को खारिज किया जा सके क्योंकि बुक ऑफ लेविटिकस में बताया गया है कि "यदि कोई भाई अपने भाई की पत्नी से विवाह करता है, तो वे संतानहीन बने रहेंगे." कैथरीन ने शपथ ली कि प्रिंस आर्थर के साथ विवाह के बाद उनके बीच शारीरिक संबंध स्थापित नहीं हुए थे। फिर भी, अंग्रेज़ और स्पेनी दोनों ही पक्षों में इस विवाह के लिये पोप से एक अतिरिक्त अनुमति प्राप्त करने पर सहमति बनी, ताकि इस विवाह की वैधता से जुड़ी सभी आशंकाओं को दूर किया जा सके।
कैथरीन की मां, रानी इसाबेला प्रथम की अधीरता के कारण, पोप जुलियस द्वितीय पोप के एक आज्ञा-पत्र के रूप में अनुमति देने पर राज़ी हो गए। अतः अपने युवा पति के निधन के 14 माह पश्चात, कैथरिन अपने पति के छोटे भाई, हेनरी, की मंगेतर बनीं। लेकिन, सन 1505 तक, एक स्पेनी गठबंधन बनाने में हेनरी सप्तम की रुचि समाप्त हो गई और युवा हेनरी ने घोषणा कर दी कि उनकी सगाई उनकी सहमति के बिना आयोजित की गई थी।
प्रस्तावित विवाह के भविष्य को लेकर जारी कूटनीतिक दांव सन 1509 में हेनरी की मृत्यु तक रूका रहा। केवल 17 वर्ष के हेनरी ने 11 जून 1509 को कैथरिन से विवाह किया और 24 जून 1509 को वेस्टमिन्स्टर ऐबे में उन दोनों का राज्याभिषेक हुआ।
अपने राज्याभिषेक के दो दिनों बाद उन्होंने अपने पिता के दो अलोकप्रिय मंत्रियों, सर रिचर्ड एम्पसन और एडमंड डडली को गिरफ्तार कर लिया। उन पर गंभीर-राजद्रोह का आरोप लगाया गया और सन 1510 में उन्हें फांसी दे दी गई। यह अपने मार्ग में आने वालों से निपटने का हेनरी का तरीका बन गया।[4]
हेनरी ने अपनी छवि एक पुनर्जागरण पुरुष के रूप में विकसित की और उनका दरबार विद्वत्तापूर्ण तथा कलात्मक नवीनता तथा आकर्षण की प्रचुरता का केंद्र बन गया, द फील्ड ऑफ क्लॉथ ऑफ गॉड जिसका प्रतीक था। वे एक निपुण संगीतकार, लेखक व कवि थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध संगीतमय रचना "पास्टाइम विथ गुड कंपनी (Pastime with Good Company)" या "द किंजेस बैले (The Kynges Ballade)" है। वे एक उत्साही जुआरी और पांसे के खिलाड़ी थे और खेलों, विशेषतः घुड़सवारों के भाला-युद्ध (Jousting), शिकार व रियल टेनिस में निपुण थे। वे पारंपरिक ईसाई धर्मनिष्ठता के प्रति उनके द्वारा प्रदान किये जाने वाली दृढ़ समर्थन के लिये जाने जाते थे।[5] 7 जून 1520 को कालाइस के पास फ्रांसिस प्रथम से मिलने पर, उन्होंने पंद्रह दिनों तक शानदार मनोरंजन के साथ फ्रांसीसी राजा की खातिर की, ताकि पिछले दशक में हुए सैन्य टकरावों के बाद एक घनिष्ठ कूटनीतिक संबंध स्थापित किया जा सके।
सन 1511 में, पोप जुलियस द्वितीय ने फ्रांस के विरुद्ध एक पवित्र लीग (Holy League) की घोषणा की, यह नया गठबंधन तेज़ी से विकसित हुआ और इसमें न केवल स्पेन और पवित्र रोमन साम्राज्य, बल्कि इंग्लैंड भी शामिल हो गया। हेनरी ने इस अवसर का प्रयोग उत्तरी फ्रांस में अपनी संपत्तियों के विस्तार के लिये करने का निश्चय किया। नवंबर 1511 में उन्होंने वेस्टमिन्स्टर की संधि, फ्रांस के खिलाफ आपसी सहयोग के लिये स्पेन के साथ ली गई एक शपथ, स्थापित की और लीग ऑफ कैम्ब्राई के युद्ध में सहभागिता की तैयारी की।
सन 1513 में, हेनरी ने फ्रांस पर आक्रमण कर दिया और उनकी सैन्य-टुकड़ियों ने स्पर्स की लड़ाई (Battle of the Spurs) में फ्रांसीसी सेना को पराजित कर दिया। उनके जीजा, स्कॉटलैंड के जेम्स चतुर्थ, ने फ्रांस के लुईस द्वादश के आदेश पर इंग्लैंड पर आक्रमण कर दिया,[7] लेकिन वे हेनरी का ध्यान फ्रांस से हटाने में विफल रहे। 9 सितंबर 1513 को फ्लॉडेन फील्ड की लड़ाई (Battle of Flodden Field) में स्कॉट सेना की पराजय हुई। मृतकों में स्कॉटिश राजा भी शामिल थे, जिसके परिणामस्वरूप इस युद्ध में स्कॉटलैंड की संक्षिप्त सहभागिता समाप्त हो गई।
18 फ़रवरी 1516 को, महारानी कैथरिन ने हेनरी को शैशवावस्था पूर्ण कर पाने वाली उनकी पहली संतान, राजकुमारी मैरी, प्रदान की। (एक पुत्र, हेनरी, ड्युक ऑफ कॉर्नवेल, का जन्म सन 1511 में हुआ था, लेकिन वह केवल कुछ ही सप्ताहों तक जीवित रह सका। )
आर्थिक रूप से, हेनरी का शासन लगभग एक दुःस्वप्न था। हालांकि उन्हें उत्तराधिकार में एक समृद्ध अर्थव्यवस्था (जिसमें चर्च की भूमियों के अधिग्रहण से और भी वृद्धि हुई) प्राप्त हुई थी, लेकिन हेनरी के भारी-भरकम खर्च और अत्यधिक करों ने अर्थव्यवस्था को क्षतिग्रस्त कर दिया। [8][9] उदाहरण के लिये, हेनरी ने रॉयल नेवी का विस्तार 5 से 53 जहाजों तक कर दिया। उन्हें महलों से प्रेम था; उन्होंने एक दर्जन महलों के साथ शुरुआत की थी और उनकी मृत्यु के समय इनकी संख्या पचपन हो चुकी थी, जिनमें उन्होंने 2,000 चित्रयवनिकाएं लटका रखीं थीं।[10] तुलनात्मक रूप से, उनके पड़ोसी और भतीजे, स्कॉटलैंड के जेम्स पंचम के पास पांच महल तथा 200 चित्रयवनिकाएं थीं।[11] वे अपने हथियारों, जिनमें तीरंदाज़ी के आकर्षक उपकरण, 2,250 भूमि अध्यादेश तथा 6,500 पिस्तौल शामिल थे, का प्रदर्शन करने में गौरवान्वित महसूस करते थे।[12]
हेनरी ने अपने शासन की शुरुआत सलाहकारों पर अत्यधिक निर्भरता के साथ की और इसकी समाप्ति पूर्ण नियंत्रण के द्वारा हुई। सन 1514 से 1529 तक, थॉमस वॉल्सी (1473-1530), एक कैथलिक कार्डिनल, ने लॉर्ड चांसलर के रूप में अपनी सेवाएं दीं और व्यावहारिक रूप से युवा राजा के लिये घरेलू व विदेश नीति का नियंत्रण किया। उन्होंने फ्रांस के साथ युद्ध-विराम की संधि में वार्ता की, जिसका संकेत फील्ड ऑफ क्लॉथ ऑफ गॉड (1520) में मित्रता के नाटकीय प्रदर्शन से मिला। वे फ्रांस तथा पवित्र रोमन साम्राज्य के एक सहयोगी के रूप में इंग्लैंड को आगे-पीछे करते रहे। वॉल्सी ने राष्ट्रीय सरकार को केंद्रीकृत कर दिया और परिषदी अदालतों, विशिष्ट रूप से स्टार चेंबर, के अधिकार-क्षेत्र का विस्तार किया। विदेशी युद्धों के भुगतान के लिये जबरन कर्ज के उनके प्रयोग के कारण अमीर लोग क्रोधित हो गए, जो कि उनकी अत्यधिक संपत्ति व आडंबरपूर्ण जीवन-शैली के कारण भी नाराज़ थे। जब रानी कैथरिन से एक शीघ्र तलाक को बचा पाने में वॉल्सी विफल रहे, तो इससे राजा को निराशा हुई। वर्षों की फिज़ूलखर्ची के बाद खजाना खाली हो गया; सामंत व प्रजा असंतुष्ट थी और हेनरी को एक पूर्णतः नया तरीका अपनाने की आवश्यकता थी; वॉल्सी को प्रतिस्थापित किया जाना था। 16 वर्षों तक शीर्ष पर रहने के बाद उन्होंने सत्ता गंवा दी और सन 1530 में उन्हें राजद्रोह के झूठे आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया और हिरासत में ही उनकी मृत्यु हो गई। वॉल्सी का पतन पोप और इंग्लैंड के पादरी-वर्ग के लिये एक चेतावनी था कि राजा की इच्छाओं की पूर्ति में विफल रहने का परिणाम क्या हो सकता है। इसके बाद हेनरी ने अपनी सरकार का पूरा नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया, हालांकि दरबार में अनेक जटिल गुट एक दूसरे को नष्ट व समाप्त करने के प्रयासों में लगे रहे।
एल्टन (1962) का तर्क है कि सरकार में एक बड़ी ट्युडर क्रांति हुई थी। हेनरी को बुद्धिमानी और चालाकी का श्रेय देते हुए, एल्टन कहते हैं कि उनके अधिकांश सकारात्मक कृत्य, विशेषतः रोम के साथ संबंधों की समाप्ति, थॉमस क्रॉमवेल का कार्य था, राजा का नहीं। एल्टन हेनरी को एक सक्षम, परंतु किसी भी विस्तारित अवधि तक मामलों का प्रत्यक्ष नियंत्रण अपने अधीन रख पाने में अत्यधिक आलसी मानते हैं; अर्थात्, राजा एक अवसरवादी व्यक्ति थे, जो अपने अधिकांश विचारों और अधिकांश कार्य को करने के लिये अन्य लोगों पर निर्भर रहते थे। हेनरी के वैवाहिक साहस एल्टन के प्रमाणों की शृंखला के भाग हैं; एल्टन उल्लेख करते हैं कि एक पुरुष, जो छः पत्नियों से विवाह करता है, ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसका अपने स्वयं के भाग्य पर पूरा नियंत्रण हो। एल्टन यह दर्शाते हैं कि थॉमस क्रॉमवेल ने एक कॉमनवेल्थ ऑफ इंग्लैंड की कल्पना की थी, जिसमें संसद के माध्यम से लोकप्रिय सहभागिता शामिल थी और यह कि सामान्य रूप से इसे कानून की प्रस्तावना में व्यक्त किया गया था। संसदीय सहमति का अर्थ यह नहीं था कि राजा ने अपना कोई भी अधिकार छोड़ दिया था; हेनरी अष्टम एक पितृसुलभ (paternalistic) शासक थे, जो अपनी शक्ति का प्रयोग करने से झिझकते नहीं थे। लोकप्रिय "सहमति" शाही शक्ति को सीमित करने के बजाय इसे बढ़ाने का एक माध्यम था।[13]
हेनरी ने कभी भी औपचारिक रूप से रोमन कैथलिक चर्च को अस्वीकार नहीं किया, लेकिन सन 1534 में उन्होंने स्वयं को चर्च ऑफ इंग्लैंड का सर्वोच्च प्रमुख (Supreme Head) घोषित कर दिया। इस कार्य तथा इसके बाद हुए कृत्यों के परिणामस्वरूप अंततः चर्च ऑफ इंग्लैंड नामक एक पृथक चर्च अस्तित्व में आया। हेनरी और उनके सलाहकारों को लग कि पोप धर्मनिरपेक्ष मामलों में शामिल एक इतालवी राजकुमार की तरह कार्य कर रहे थे, जिससे उनकी धार्मिक भूमिका अस्पष्ट बन गई थी। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड के साथ रोम का व्यवहार एक नाबालिग सौतेली संतान जैसा था, उसे पचास में से केवल एक कार्डिनल पद दिया गया और उस कार्डिनल के पोप बनने की कोई संभावना नहीं थी। राज्य के कारणों के चलते हेनरी के लिये यह लगातार असहनीय होता गया कि इंग्लैंड के प्रमुख निर्णय इतालवी लोगों द्वारा निपटाए जा रहे थे। तलाक़ के मुद्दे ने इस समस्या का एक उदाहरण प्रस्तुत किया, लेकिन स्वयं में यह मुद्दा इस समस्या का कारण नहीं था।[14]
एक नई पत्नी और एक उत्तराधिकारी की उनकी इच्छा की तुलना में हेनरी द्वारा किये गये इंग्लिश चर्च के सुधार में अधिक जटिल उद्देश्य व विधियां शामिल थीं। हेनरी ने ज़ोर देकर कहा कि उनका पहला विवाह कभी भी वैध नहीं रहा था, लेकिन तलाक का मुद्दा चर्च के सुधार की हेनरी की इच्छा में केवल एक कारक मात्र था। सन 1532-37 में, उन्होंने अनेक कानून लागू किये-अपील का अधिनियम (1533 के रीस्ट्रेंट ऑफ अपील्स में लागू), उत्तराधिकार के विभिन्न अधिनियम (Acts of Succession) (1533, 1534 और 1536), प्रथम सर्वोच्चता का अधिनियम (Act of Supremacy) (1534), व अन्य-जो राजा तथा पोप के बीच संबंधों व चर्च ऑफ इंग्लैंड की संरचना से संबंधित थे। चर्च में सुधार के अपने प्रयासों के तहत इन वर्षों के दौरान, हेनरी ने मठों और तीर्थक्षेत्रों में स्थित धार्मिक स्थलों का दमन किया। धार्मिक नीति के निर्माण राजा सदैव ही प्रभावी शक्ति थे; उनकी नीति, जिसे उन्होंने कुशलतापूर्वक और संगत रूप से जारी रखा, का सर्वश्रेष्ठ वर्णन एक मध्यम मार्ग की खोज के रूप में किया गया है।[15]
सच्चे विश्वास से संबंधित प्रश्न ऑर्थोडॉक्स "ऐक्ट ऑफ सिक्स आर्टिकल्स" (1530) के अभिग्रहण तथा सन 1540 के बाद चरम गुटों के बीच तालमेल के एक सतर्क नियंत्रण के साथ सुलझा लिये गये। इसके बावजूद, इस काल में धार्मिक पुरातनवाद से पलायन का आंदोलन देखा गया, जिसका अधिक प्रभाव इसलिये पड़ा क्योंकि पुराने विश्वासों के आधार-स्तंभ, विशेषतः थॉमस मोर व जॉन फिशर, इस परिवर्तन को स्वीकार कर पाने में असफल रहे थे और पोप के प्राधिकार को अस्वीकार करने से इंकार करने पर उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। राजकुमार की आज्ञाओं के पालन का नया राजनीतिक धर्मशास्र हेनरी के सुधारों के लिये निर्णायक था, जिसे सन 1530 के दशक में चर्च ऑफ इंग्लैंड द्वारा उत्साहपूर्वक अपना लिया गया। यह चौथे धर्मादेश (fourth commandment) ("ऑनर दाय फादर एंड मदर [Honor thy father and mother]") की मार्टिन लूथर की नई व्याख्या को प्रतिबिंबित करता था और इसे अंग्रेज़ दर्शकों के बीच प्रस्तुत करने में विलियम टिंडेल ने मध्यस्थता की। दस धर्मादेशों (Ten Commandments) और इस प्रकार ईश्वर के वचन, पर शाही प्राधिकार की स्थापना इस सिद्धांत का विशिष्ट रूप से आकर्षक लक्षण था, जो हेनरी द्वारा स्थापित धर्म को परिभाषित करने वाला लक्षण बन गया। चर्च ऑफ इंग्लैंड के भीतर प्रतिस्पर्धी प्रवृत्तियों ने उनके विशिष्ट कार्यक्रमों की पूर्ति के प्रयास में इसका दुरुपयोग करने की कोशिशें की। सुधारकों ने लूथर के धर्मशास्र के अधिक व्यापक ढांचे के साथ इसके संबंध को बचाए रखने का प्रयास किया और उनका ज़ोर केवल वि्श्वास व ईश्वर के वचन पर था, जबकि रूढ़िवादियों ने अच्छे कार्यों, आयोजनों व परोपकार पर बल दिया। सुधारकों ने शाही श्रेष्ठता और ईश्वर के वचन को जोड़कर हेनरी को सन 1539 में ग्रेट बाइबिल (Great Bible), एक अंग्रेज़ी अनुवाद, जो उनके द्वारा नव-स्थापित उपाधि के लिये एक दुर्जेय अवलम्ब था, प्रकाशित करने के लिये उकसाया.[16]
सुधारों के प्रति मिश्रित प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। सुधारों, जिनके कारण मठ बंद हो गए, जो कि अशक्तों के एकमात्र आधार थे, ने लंदन के बाहर अधिकांश जनसंख्या को अपनी ओर खींचा और सन 1536-1537 के महान उत्तरी विद्रोह (great northern rising),[17] जिसे पिल्ग्रिमेज ऑफ ग्रेस (Pilgrimage of Grace) के नाम से जाना जाता है, को उकसाने में सहायता की। [18] यह अपने पूरे शासनकाल के दौरान हेनरी के ताज की सुरक्षा पर के लिये एकमात्र वास्तविक खतरा था। नौ समूहों में फैले लगभग 30,000 विद्रोहियों का नेतृत्व करिश्माई रॉबर्ट आस्के कर रहे थे, तथा अधिकांश उत्तरी अभिजात्य वर्ग उनके साथ था। शर्तों पर बातचीत के लिये आस्के लंदन गए; वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया, उन पर राजद्रोह का अभियोग लगाया गया और उन्हें फांसी दे दी गई। लगभग 200 विद्रोहियों को मौत की सज़ा दी गई और व्यवधान समाप्त हो गए।[19] अन्य स्थानों पर इन परिवर्तनों को स्वीकृत किया गया व इनका स्वागत हुआ और जो लोग कैथलिक रिवाजों से लिपटे रहे, वे शांत बने रहे या गुप्त रूप से चले गए। हेनरी की पुत्री मैरी (1553-1558) के शासनकाल में वे पुनः प्रकट हुए.
इंग्लैंड में ऐसे अनेक धार्मिक घर थे, जिनके पास बड़े भूमि-क्षेत्र थे, जिन पर किरायेदार काम किया करते थे। हेनरी ने उन्हें भंग कर दिया (1536-1541) और इंग्लैंड की भू-संपदा का पांचवा भाग नये हाथों में सौंप दिया। मुख्य रूप से इस कार्यक्रम की रचना ताज के प्रति कृतज्ञ ज़मींदारों के एक कुलीन वर्ग का निर्माण करने के लिये की गई थी, जो इन भूमियों का प्रयोग अधिक दक्षतापूर्वक करे.
हेनरी ने पारंपरिक धार्मिक पद्धतियों में मौलिक परिवर्तन किये। उन्होंने पादरियों को अंधविश्वासपूर्ण छवियों, शवों, जादू-टोने और चमत्कारों के खिलाफ उपदेश देने तथा अधिकांश मोमबत्तियां हटाने का आदेश दिया। सन 1545 की धार्मिक शिक्षा, जिसे किंग्ज़ प्राइमर (King's Primer) के नाम से जाना जाता है, से संतों को बाहर कर दिया गया। लैटिन अनुष्ठानों का स्थान अंग्रेज़ी अनुष्ठानों ने ले लिया। संतों के पूजा-स्थल ढहा दिये गये-कैंटरबरी के सेंट थॉमस के लोकप्रिय धर्मस्थल सहित-और शवों को मूल्यहीन पुरानी अस्थियां कहकर उनका उपहास किया गया।
अपनी लोकप्रिय छवि के बावजूद, संभव है कि हेनरी के विवाहेतर संबंधों की संख्या बहुत अधिक न रही हो। जिन महिलाओं से उन्होंने बाद में विवाह किया, उनके अलावा केवल दो प्रेमिकाओं की पहचान पूरी तरह अविवादित है: एलिज़ाबेथ ब्लाउंट और मैरी बोलीन.[20] हालांकि, यह असंभावित है कि प्रेमिकाओं की संख्या केवल दो ही थी; एलिसन वीयर के अनुसार, नीचे सूचीबद्ध पांच प्रेम-प्रकरणों के अलावा, अनेक संक्षिप्त अवधि वाले तथा गुप्त अवैध-संबंध रहे थे, जिनमें से अधिकांश राजा के नदी किनारे बने जॉर्डन हाउस महल में हुए.[21]
एलिज़ाबेथ "बेसी" ब्लाउंट ने हेनरी के अवैध पुत्र, हेनरी फिट्ज़रॉय को जन्म दिया। जून 1525 में इस युवा लड़के को ड्यूक ऑफ रिचमंड बनाया गया, कुछ लोगों का विचार था कि यह उसे वैधता प्रदान करने की ओर एक कदम था। सन 1533 में, फिट्ज़रॉय ने मैरी हॉवर्ड, एनी बोलीन की चचेरी बहन, से विवाह किया, लेकिन तीन वर्षों बाद ही बिना किसी संतान के उनकी मृत्यु हो गई। सन 1536 में फिट्ज़रॉय की मृत्यु के समय, संसद द्वितीय उत्तराधिकार अधिनियम (Second Succession Act) को लागू कर रही थी, जिसके द्वारा हेनरी के अवैध पुत्र को राजा बनने की अनुमति प्राप्त हो गई होती.
हेनरी द्वारा एनी को अपनी दूसरी पत्नी बनाए जाने से पूर्व मैरी बोलीन उनकी प्रेमिका थी। ऐसा माना जाता है कि सन 1519 और 1526 के बीच किसी समय वह कैथरिन की दासी रही थी। इस बात को लेकर अटकलें लगाईं जाती रही हैं कि मैरी की दो संतानों, कैथरिन व हेनरी, के पिता हेनरी ही थे, लेकिन इसे कभी साबित नहीं किया गया है और राजा ने उन्हें कभी उस तरह स्वीकार नहीं किया, जैसा कि उन्होंने हेनरी फिट्ज़रॉय को किया था।
सन 1510 में, यह बताया गया कि एडवर्ड स्टैफर्ड, बकिंघम के तृतीय ड्युक, की किसी एक बहन, या तो एलिज़ाबेथ या हंटिंग्टन की काउंटेस एनी हैस्टिंग्ज़, के साथ हेनरी का एक प्रेम-प्रकरण चल रहा था।[22] उनके भाई, बकिंघम के ड्युक, क्रोधित हो गए और उनके पति लॉर्ड जॉर्ज हैस्टिंग्ज़ ने उन्हें एक महिला मठ में भेज दिया। यूस्टेस चैपुइस (Eustace Chapuys) ने लिखा, "उस महिला का पति दूर चला गया, उसे अपने साथ ले गया और उसे यहां से साठ मील दूर एक महिला मठ में रख दिया, ताकि कोई उससे न मिल सके."[23]
ऐसा प्रतीत होता है कि सन 1535 में शेल्टन बहनों में से एक के साथ हेनरी का प्रेम-प्रकरण चल रहा था। परंपरागत रूप से, ऐसा माना जाता रहा है कि यह मार्गारेट ("मैज") थी,[24] लेकिन हालिया शोध इस दावे पर पहुंचा है कि वास्तव में वह मैरी थी।[25]
राजा हेनरी अष्टम की छ: पत्नियाँ |
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एरागॉन की कैथरीन |
ऐन बोलिन |
जेन सीमोर |
क्लीव्स की ऐन |
कैथरीन हॉवर्ड |
कैथरीन पार |
(The King's Great Matter) अर्थात् राजा का गंभीर मामला के नाम से जाना जाने वाला यह मसला हेनरी की वो समस्या थी जिसमें वह अपनी पत्नी कैथरीन से कानूनी अलगाव और उनकी परिचारिका एन बोलिन से विवाह करना चाहते थे। हेनरी उनके द्वारा वांछित पुरुष उत्तराधिकारी को जन्म दे पाने में कैथरीन की अक्षमता के कारण बहुत बेचैन हो गए। उनकी पुत्री राजकुमारी मैरी के अलावा, कैथरीन की सभी संतानों की शैशवावस्था में ही मृत्यु हो गई।[26] ट्युडर राजवंश की शक्ति को मज़बूत बनाने के लिये हेनरी एक पुरुष उत्तराधिकारी चाहते थे।
सन 1525 में, हेनरी और भी अधिक व्याकुल हो गए और रानी के परिचारकों में से एक करिश्माई युवा महिला, एन बोलीन के प्रति आसक्त हुए।[27] प्रारंभ में एन ने उसे बहकाने के हेनरी के प्रयासों का विरोध किया और उनकी प्रेमिका बनना अस्वीकार कर दिया, जैसी उसकी बहन मैरी बोलीन रही थी। उसने कहा कि "महामहिम मैं हाथ जोड़कर विनम्रतापूर्वक आपसे प्रार्थना करती हूं कि आप मुझे छोड़ दें और मेरा यह उत्तर अच्छे इरादे के लिये ही है। अपनी ईमानदारी का त्याग करने के बजाय मैं अपने जीवन का त्याग कर दूंगी"।[28] इस इंकार ने हेनरी को और अधिक आकर्षित किया और लगातार वे उसे पाने की कोशिश करते रहे।
अंततः एन ने हेनरी के मोह में अपने लिये एक अवसर देखा और वे इस बात पर अड़ गईं कि वे केवल इंग्लैंड की स्वीकृत रानी के रूप में ही उनका आलिंगन करेंगी।[29] इसके लिये कैथरीन को रानी के पद से हटाना आवश्यक हो गया। जल्द ही यह राजा की तीव्र इच्छा बन गई कि कैथरीन के साथ उनके विवाह को निरस्त किया जाए।[30]
कार्डिनल थॉमस वूल्सी, जिनसे उन्होंने एन के लिये अपनी योजनाओं को गुप्त रखा था, को बताए बिना हेनरी ने सीधे ही होली सी (Holy See) से प्रार्थना की। इसके बजाय, विवाह के निरस्तीकरण का निवेदन करने के लिये हेनरी के सचिव, विलियम नाइट, को पोप क्लीमेंट सप्तम के पास भेजा गया। इसके लिये आधार यह था कि पोप जुलियस द्वितीय का आदेश झूठे बहाने से प्राप्त किया गया था क्योंकि अस्वस्थ आर्थर के साथ कैथरिन के संक्षिप्त विवाह में उनके बीच शारीरिक संबंध भी रहे थे। हेनरी ने प्रार्थना की कि विवाह के निरस्तीकरण की स्थिति में उन्हें किसी भी महिला से पुनः विवाह करने की अनुमति दी जाए, भले ही वह संबंध की प्रथम श्रेणी में आती हो और चाहे वह संबंध वैध अथवा अवैध रिश्ते के द्वारा बना हो। यह स्पष्ट रूप से एन बोलीन के संदर्भ में था।[29]
हालांकि, चूंकि उस समय कैथरिन के भाई, सम्राट चार्ल्स पंचम, द्वारा पोप को बंदी बना लिया गया था, अतः उन तक पहुंच पाना नाइट के लिये कठिन था और वे केवल नए विवाह के लिये सशर्त छूट ही प्राप्त कर सके। अब हेनरी के पास इस मुद्दे को वूल्सी के हाथों में सौंपने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। इस निर्णय को राजा के पक्ष में सुरक्षित करने के लिये वूल्सी जो कुछ भी कर सकते थे वह उन्होंने किया, यहां तक कि उन्होंने एक चर्च संबंधी न्यायालय की इंग्लैंड में सुनवाई सभा भी आयोजित की जिसमें पोप का एक प्रतिनिधि भी शामिल था।[29] शेक्सपियर के नाटक, हेनरी अष्टम (Henry VIII), के दूसरे भाग के चौथे दृश्य में उस उल्लेखनीय न्यायालय में एरागॉन की कैथरिन के विस्मयकारी साहस को सटीकता से दर्ज किया गया है। वह, एक दुर्जेय और स्पष्टतः गलत समझी गई महिला, झुककर हेनरी को प्रणाम करती है, स्वयं को उसकी दया पर छोड़ देती है, निरुत्तर कर देने वाली वाक्पटुता के साथ अपनी बात कहती है और तेज़ी से उस अदालत के कमरे से बाहर निकल जाती है। हालांकि, अधिकांशतः इस क्षण ने वहां उपस्थित लोगों और शेष विश्व को उसके पक्ष में मोड़ दिया, लेकिन पोप का कभी भी अपने प्रतिनिधि को शक्ति प्रदान करने का इरादा नहीं रहा था। चार्ल्स पंचम ने अपनी चाची के विवाह के निरस्तीकरण का विरोध किया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पोप पर इसका कितना प्रभाव पड़ा. परंतु यह स्पष्ट है कि हेनरी ने देखा कि सम्राट की चाची से हुए विवाह के लिये उन्हें पोप द्वारा निरस्तीकरण दिया जाना असंभावित था।[31] पोप ने हेनरी को कोई नया विवाह करने से तब तक के लिये रोक दिया, जब तक कि रोम के न्यायालय में, न कि इंग्लैंड में, कोई निर्णय न दे दिया जाए। इस निरस्तीकरण के लिये वूल्सी को ज़िम्मेदार ठहराया गया। वूल्सी एक कैथोलिक जबकि ऐन एक प्रोटेस्टैंट विचारधारा वाली ईसाई थी और इंग्लैंड में सुधारवादी आंदोलन के प्रचार-प्रसार के लिये वो प्रमुख पदों पर आसीन कैथोलिकों को हटाना चाहती थी। एन बोलीन ने हेनरी पर तब तक दबाव बनाए रखा जब तक कि सन 1529 में वूल्सी को सार्वजनिक पद से बर्खास्त न कर दिया गया। बर्खास्त कर दिये जाने पर, कार्डिनल ने उससे पुनः पद पर लौटने में सहायता करने के लिए प्रार्थना की लेकिन ऐन ने इंकार कर दिया। तब उसने एन को निर्वासन के लिये बाध्य किये जाने की योजना पर कार्य करना शुरु किया और इसके लिये रानी कैथरिन व पोप से संपर्क करना प्रारंभ कर दिया। जब इस बात का पता चला, तो हेनरी ने वूल्सी की गिरफ्तारी का आदेश दिया और यदि सन 1530 में बीमारी के चलते उनकी मृत्यु न हो गई होती, तो संभवतः उन्हें राजद्रोह के लिये फांसी दे दी जाती।[32] उनके स्थान पर आये सर थॉमस मोर ने प्रारंभ में राजा की नई नीति के साथ सहयोग करते हुए संसद में वूल्सी की निंदा की और ऑक्सफोर्ड व कैम्ब्रिज के धर्मशास्रियों के इस मत का समर्थन किया कि कैथरिन के साथ हेनरी का विवाह ग़ैरक़ानूनी था। जब हेनरी ने ऐन के प्रभाव में आकर पोप के प्राधिकार को अस्वीकार करना व सुधारवादी आंदोलनों को बढावा देना शुरु कर दिया, तब कैथोलिक मत वाले मोर का पछतावा बढ़ा।
एक वर्ष बाद, रानी कैथरिन को दरबार से निकाल दिया गया और उसके पुराने कक्ष एन को दे दिये गए। वूल्सी के न होने के कारण, राजनीतिक मामलों में एन के पास पर्याप्त शक्ति थी। अपने समय के लिहाज से वह एक असामान्य रूप से शिक्षित व बुद्धिमान महिला थी और वह प्रोटेस्टेंट सुधारों के विचारों के प्रति अत्यधिक तल्लीन और सम्मिलित थी। जब कैंटरबरी के आर्चबिशप विलियम वॉरहैम की मृत्यु हो गई, तो एन ने बोलीन परिवार के चैप्लिन, थॉमस क्रैनमर को इस रिक्त पद पर नियुक्त करवा दिया। फ्रांस के राजा के हस्तक्षेप के माध्यम से, रोम द्वारा इसे मान्यता दे दी गई और क्लीमेंट ने उन्हें आधिकारिक वस्र (Pallium) प्रदान किया।[33]
इंग्लैंड में रोम की शक्ति को तोड़ने का कार्य धीरे-धीरे आगे बढ़ा। सन 1532 में, एक वकील थॉमस क्रॉमवेल, जो कि एनी के समर्थक थे, ने संसद के समक्ष अनेक कानून प्रस्तुत किये, जिनमें पादरी वर्ग के कानून (Submission of the Clergy) और अधीनता के विरुद्ध याचना (Supplication against the Ordinaries) का कानून भी शामिल था, जो कि चर्च की तुलना में शाही श्रेष्ठता को मान्यता प्रदान करता था। इन कानूनों के बाद, थॉमस मोर ने चांसलर के रूप में अपने पद से त्यागपत्र दे दिया और क्रॉमवेल हेनरी के प्रमुख मंत्री बन गए।[34]
सन 1532 की सर्दियों में, हेनरी ने फ्रांस के फ्रांसिस प्रथम के साथ कालाइ में एक मुलाकात आयोजित की, जिसमें उन्होंने अपने नए विवाह के लिये फ्रांसीसी राजा के समर्थन की मांग की।[35] इंग्लैंड के डोवर में लौटने के तुरंत बाद, हेनरी और एनी ने गुप्त रूप से विवाह कर लिया।[36] शीघ्र ही वह गर्भवती हो गई और 25 जनवरी 1533 को लंदन में दूसरी बार वैवाहिक कार्यक्रम हुआ। 23 मई 1533 को, क्रैनमर ने, एरागॉन की कैथरिन के साथ हुए राजा के विवाह की वैधता पर निर्णय देने के लिये डन्स्टेबल प्रायरी में आयोजित एक विशेष अदालत में निर्णय देते हुए हेनरी और कैथरिन के विवाह को शून्य व प्रभावहीन घोषित कर दिया। पांच दिनों बाद, 28 मई 1533 को क्रैनमर ने घोषणा की कि हेनरी व एन का विवाह वैध था।[37]
कैथरिन से औपचारिक रूप से रानी की पदवी छीन ली गई और 1 जून 1533 को एन को रानी का ताज पहनाया गया। 7 सितंबर 1533 को रानी ने, समय से कुछ पहले, एक पुत्री को जन्म दिया। हेनरी की माँ, यॉर्क की एलिज़ाबेथ, के सम्मान में इस पुत्री का नाम एलिज़ाबेथ रखा गया।[38] पोप के निर्णय को अस्वीकार करते हुए, संसद ने उत्तराधिकार अधिनियम 1533 (Act of Succession 1533) के द्वारा हेनरी और एन के विवाह को मान्यता प्रदान की। कैथरिन की पुत्री राजकुमारी मैरी को अवैध घोषित कर दिया गया और एन की संतान को उत्तराधिकार की पंक्ति में अगला स्थान दिये जाने की घोषणा की गई। इस घोषणा में एक धारा सबसे उल्लेखनीय थी, जो "किसी भी विदेशी प्राधिकार, राजकुमार या राजा" के आदेश को अस्वीकार करती थी। राज्य के सभी व्यस्कों के लिये इस कानून के प्रावधानों को शपथपूर्वक स्वीकार करना आवश्यक बना दिया गया। इससे इंकार करनेवाले आजीवन कारावास की सज़ा के पात्र थे। इस विवाह के अवैध होने का आरोप लगाने वाले किसी भी प्रकार के साहित्य का कोई भी प्रकाशक या मुद्रक स्वतः ही उच्च राजद्रोह का दोषी हो जाता और उसे मृत्यु-दंड दिया जा सकता था।
इस बीच हाउस ऑफ़ कॉमन्स ने रोम को अपील करने की मनाही कर दी और जिसने भी इंग्लैंड में पोप के आदेश प्रस्तुत किये, उन सभी के खिलाफ़ विदेशी सत्ता के प्रति वफ़ादारी रखने की सज़ा सुनाई गई। संसद ने राजा की सहमति के बिना कोई भी अधिनियम (कानून) बनाने से चर्च को प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद ही अंततः पोप क्लीमेंट ने हेनरी और थॉमस क्रैनमेर के खिलाफ बहिष्करण की घोषणा करने का कदम उठाया,[39][40] और निरस्तीकरण के लिये आर्चबिशप द्वारा दिये गए आदेश को भी उसी समय ग़ैरक़ानूनी करार दे दिया गया तथा एनी के साथ हुए विवाह को शून्य घोषित कर दिया गया तथा इंग्लैंड से पोप के दूत को वापस बुला लिया गया और रोम के साथ सभी कूटनीतिक संबंध तोड़ दिये गए।[33] इंग्लैंड में और भी कई कानून पारित किये गए। ऐक्लेसिएस्टिकल अपॉइन्टमेंट ऐक्ट 1534 (Ecclesiastical Appointments Act 1534) के अनुसार पादरी-वर्ग के लिये यह आवश्यक था कि वे राजा द्वारा नामित बिशपों को चुनें। सन 1534 में ऐक्ट ऑफ सुप्रीमसी (Act of Supremacy) ने यह घोषित किया कि राजा ही "चर्च ऑफ इंग्लैंड की भूमि पर एकमात्र सर्वोच्च प्रमुख (Supreme Head) थे" और ट्रीज़न्स ऐक्ट 1534 (Treasons Act 1534) के अनुसार राजा को इस रूप में स्वीकार करने से मना किया जाना गंभीर राजद्रोह माना गया, जिसके लिये मौत की सज़ा सुनाई जा सकती थी। बहिष्करण की प्रतिक्रिया के रूप में, पीटर'स पेंस ऐक्ट (Peter's Pence Act) पारित किया गया और इसके द्वारा पुनः यह बात दोहराई गई कि इंग्लैंड में "आपकी कृपा के अतिरिक्त ईश्वर के अधीन अन्य कोई भी उच्चतर नहीं था" और यह कि हेनरी के "शाही ताज" की शक्ति पोप के "अविवेकपूर्ण और दयाहीन अनधिकार ग्रहण व अपकर्षण" के द्वारा घटा दी गई थी।[41]
पोप को चुनौती देते हुए, चर्च ऑफ इंग्लैंड अब हेनरी के नियंत्रण में था, रोम के नहीं। प्रोटेस्टेंट सुधारक अभी भी उत्पीड़न का सामना कर रहे थे, विशिष्टतः हेनरी के विवाह के निरस्तीकरण को लेकर उठाई गई आपत्तियों को लेकर. उनमें से अनेक विदेशों में भाग गए, जहां उन्हें और भी अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, इनमें प्रभावशाली विलियम टिंडेल भी शामिल थे, जिन्हें राजा हेनरी के आदेश पर अंततः जला दिया गया। धर्मशास्रीय तथा व्यावहारिक सुधारक केवल हेनरी के उत्तराधिकारियों के अधीन ही आगे बढ़ सके (अंतिम भाग को देखें).
राजा और रानी विवाहित जीवन से खुश नहीं थे। शाही जोड़े ने शांति और स्नेह की अवधियों का आनंद उठाया, लेकिन एनी ने उनसे अपेक्षित अधीन भूमिका निभाने से इंकार कर दिया। जिस ज़िंदादिली और स्वच्छंद बुद्धि ने एक अवैध प्रेमिका के रूप में उसे इतना आकर्षक बनाया था, उसी ने एक शाही पत्नी की अत्यधिक रस्मी भूमिका के लिहाज से अत्यधिक स्वतंत्र बना दिया, यह देखते हुए कि हेनरी दरबार में किसी औपचारिक हैसियत से उनसे संपर्क करने वालों से पूर्ण आज्ञाकारिता की उम्मीद रखते थे। इसके कारण रानी के अनेक शत्रु बन गए। इस बात के कारण, हेनरी एनी के सतत चिड़चिड़ेपन और हिंसक गुस्से को नापसंद करते थे। सन 1534 में एक झूठी गर्भावस्था या गर्भपात के बाद, हेनरी ने उन्हें एक पुत्र दे पाने में एनी की विफलता को एक धोखे के रूप में लिया। सन 1534 के क्रिसमस के समय से ही, हेनरी कैथरिन की ओर वापस लौटे बिना एनी को छोड़ने की संभावनाओं के बारे में क्रैनमेर व क्रॉमवेल से चर्चा कर रहे थे।[42]
हेनरी की धार्मिक नीतियों के विरोध का इंग्लैंड में तेज़ी से दमन कर दिया गया। अनेक असहमत भिक्षुयों को यातनाएं दीं गईं और मार डाला गया। सबसे प्रमुख विरोधियों में जॉन फिशर, रोचेस्टर के बिशप और सर थॉमस मोर, हेनरी के पूर्व लॉर्ड चांसलर, शामिल थे और इन दोनों ने ही राजा के प्रति शपथ लेना अस्वीकार कर दिया था व इसके परिणामस्वरूप गंभीर राजद्रोह का आरोप लगाकर टॉवर हिल पर, टॉवर ऑफ लंदन के ठीक बाहर, उनके सिर कटवा दिये गए थे।
इन दमनों, 1536 के डिसॉल्यूशन ऑफ द लेसर मॉनेस्ट्रीज़ ऐक्ट (Dissolution of the Lesser Monasteries Act) सहित, के परिणामस्वरूप अंग्रेज जनता में प्रतिरोध और बढ़ा, जिनमें अक्टूबर 1536 में उत्तरी इंग्लैंड में पिल्ग्रिमेज ऑफ ग्रेस (Pilgrimage of Grace) में हुआ एक बड़ा विद्रोह सर्वाधिक उल्लेखनीय है। हेनरी अष्टम ने विद्रोहियों से वादा किया कि वे उन्हें क्षमादान देंगे तथा इन मुद्दों की जानकारी देने के लिये उनके प्रति आभार व्यक्त किया और इसके बाद विद्रोही नेता, रॉबर्ट आस्के, को एक शाही भोज के लिये आमंत्रित किया गया। उस भोज में, हेनरी ने आस्के से कहा कि जो कुछ भी हुआ था, उसे वह लिखित रूप में प्रस्तुत करे ताकि हेनरी को उन समस्याओं की एक बेहतर समझ मिल सके, जिन्हें वे "परिवर्तित" करेंगे। आस्के ने वैसा ही किया जैसा कि राजा ने कहा था, हालांकि उन्होंने जो कुछ भी लिखा था, उसे बाद में उनके ही खिलाफ स्वीकारोक्ति के रूप में प्रयोग किया गया। राजा के वचनों पर प्रश्न नहीं उठाए जा सकते थे (क्योंकि उन्हें ईश्वर द्वारा चयनित माना जाता था और स्वयं ईश्वर के बाद दूसरा स्थान दिया गया था), अतः आस्के ने विद्रोहियों को बताया कि वे सफल रहे थे और अब वे अलग-अलग होकर अपने घरों की ओर जा सकते थे। हालांकि, चूंकि हेनरी विद्रोहियों को राजद्रोहियों के रूप में देखते थे, अतः वे स्वयं को अपने वादे पर कायम रहने के लिये मजबूर नहीं मानते थे। विद्रोहियों को ये अहसास हुआ कि राजा अपने वादे नहीं निभा रहे थे और उन्होंने उसी वर्ष बाद में फिर विद्रोह कर दिया, लेकिन दूसरे प्रयास में उनकी शक्ति कम थी और राजा ने विद्रोह को कुचलने की आज्ञा दी। आस्के सहित, सभी नेताओं को राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार करके उन्हें फांसी दे दी गई।
8 जनवरी 1536 को राजा और रानी को यह समाचार मिला कि एरागॉन की कैथरिन की मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु का समाचार सुनकर, हेनरी और एनी ने कथित रूप से स्वयं को चमकीले पीले वस्रों से ढंक लिया, क्योंकि उन दिनों स्पेन में पीला रंग शोक का प्रतीक रंग हुआ करता था। रानी फिर एक बार गर्भवती थीं और वे जानती थीं कि यदि वे एक पुत्र को जन्म दे पाने में विफल रहीं, तो इसके परिणाम क्या होंगे। उनका जीवन खतरे में पड़ सकता था, क्योंकि यदि दोनों पत्नियों की मृत्यु हो जाती, तो हेनरी पुनर्विवाह करने के लिये स्वतंत्र हो जाते और तब कोई भी यह दावा नहीं कर सका होता कि वह संबंध अवैध था। बाद में, उसी माह एक प्रतियोगिता के दौरान राजा घोड़े से गिर पड़े और उन्हें बहुत चोट आई. एक बार तो ऐसा लगा कि राजा का जीवन खतरे में पड़ गया है। जब इस दुर्घटना की खबर रानी तक पहुंची तो उन्हें सदमा लगा और इसके परिणामस्वरूप, कैथरिन के अंतिम संस्कार के दिन 29 जनवरी 1536 को, उनका गर्भपात हो गया, जो कि 15 सप्ताह का एक नर शिशु था। अधिकांश पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह व्यक्तिगत हानि इस शाही विवाह की समाप्ति की शुरुआत थी।[37]
एक पुत्र की प्राप्ति के लिये राजा की अत्यधिक इच्छा को देखते हुए, ऐन की गर्भावस्थाओं के परिणाम ने बहुत अधिक ध्यान आकृष्ट किया। लेखक माइक ऐशले का अनुमान लगाया कि एलिज़ाबेथ के जन्म के बाद और सन 1536 में उनके गर्भपात के पूर्व एनी की दो संतानें हुईं थीं, जिनकी जन्म के तुरंत बाद ही मृत्यु हो गई।[43] अधिकांश स्रोत केवल सितंबर 1533 में एलिज़ाबेथ के जन्म, 1534 की गर्मियों में एक संभावित गर्भपात और जनवरी 1536 में एक नर शिशु, जो कि गर्भ-काल के लगभग चार माह पूरे कर चुका था, के गर्भपात की ही पुष्टि करते हैं।[44] जैसे ही एन अपने अंतिम गर्भपात से उबरी, हेनरी ने घोषणा कर दी कि उनका विवाह जादू-टोने का परिणाम था। राजा की नई प्रेमिका, जेन सीमोर, को शीघ्र ही नए निवास-स्थान में लाया गया। इसके बाद एन के भाई, जॉर्ज बोलीन, को दरबार का एक प्रतिष्ठित सम्मान, ऑर्डर ऑफ द गार्टर देना अस्वीकार कर दिया गया और उनके बजाय जेन सीमोर के भाई को दिया गया।[45]
स्वयं एन के भाई सहित पांच पुरुष कौटुम्बिक व्यभिचार और राजद्रोह के आरोप में गिरफ़्तार कर लिये गये और उन्हें रानी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अपराधी ठहराया गया।[46] 2 मई 1536 को एन को गिरफ्तार करके टॉवर ऑफ लंदन ले जाया गया। उन्हें पराये पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने, कौटुम्बिक व्यभिचार और गंभीर राजद्रोह का दोषी ठहराया गया।[47] हालांकि उनके खिलाफ प्रस्तुत प्रमाण अपुष्ट थे, लेकिन आरोपियों को दोषी करार दिया गया और उन्हें साथियों द्वारा मृत्युदंड दिये जाने की सज़ा सुनाई गई। जॉर्ज बोलीन और अन्य अभियुक्तों को 17 मई 1536 को फांसी दे दी गई। 19 मई 1536 को सुबह 8 बजे, रानी का टॉवर ग्रीन में सिर कलम करवा दिया गया। मृत्युदंड देने का यह कार्य तेज़ी से किया गया और एक झटके में ही पूरा हो गया।[48]
सन 1536 में एनी को फांसी दिये जाने के एक दिन बाद हेनरी ने जेन सीमोर, रानी की एक दासी जिसके प्रति राजा कुछ समय से रुचि प्रदर्शित कर रहे थे, से सगाई कर ली। 10 दिनों बाद उनका विवाह संपन्न हुआ। लगभग इसी समय, अपने तीसरे विवाह के समय, हेनरी ने वेल्स ऐक्ट 1535 के कानूनों (Laws in Wales Act 1535) पर अपनी सहमति प्रदान की, जिसने वेल्स को वैधानिक रूप से मिला लिया और इंग्लैंड तथा वेल्स मिलकर एक एकीकृत राष्ट्र बन गए। इसके बाद उत्तराधिकार अधिनियम 1536 (Act of Succession 1536) आया, जिसने रानी जेन से उत्पन्न होने वाली हेनरी की संतानों को उत्तराधिकार की पंक्ति में अगला स्थान दिया और लेडी मैरी व लेडी एलिज़ाबेथ दोनों को अवैध घोषित कर दिया और इस प्रकार उन्हें ताज से बेदखल कर दिया गया। राजा को आगे अपनी इच्छानुसार उत्तराधिकार की पंक्ति का निर्धारण करने की शक्ति प्रदान की गई। सन 1537 में, जेन ने एक पुत्र, राजकुमार एडवर्ड, भावी एडवर्ड षष्ठम, को जन्म दिया। इस जन्म के दौरान कुछ कठिनाई उत्पन्न हुई और एक संक्रमण के कारण 24 अक्टूबर 1537 को हैम्पटन कोर्ट महल में रानी की मृत्यु हो गई। जेन की मृत्यु के बाद, पूरे दरबार ने एक विस्तारित अवधि तक हेनरी के साथ शोक मनाया। हेनरी जेन को अपनी "सच्ची" पत्नी मानते थे, क्योंकि केवल वे ही उन्हें एक पुरुष उत्तराधिकारी प्रदान कर सकीं थीं, जिसे पाने की उनके मन में अत्यधिक चाह थी। राजा ने कहा कि उनकी मृत्यु होने पर उन्हें भी जेन के पास ही दफनाया जाए।
सन 1540 में, हेनरी ने संतों के धर्म-स्थलों को तोड़ने व संपत्तियाँ जब्त करने की अनुमति दी। उस समय, हेनरी की इच्छा पुनर्विवाह करने की थी, ताकि उत्तराधिकार को सुनिश्चित किया जा सके। थॉमस क्रॉमवेल, निर्मित अर्ल ऑफ एसेक्स, ने प्रोटेस्टेंट और क्लीव्स के ड्यूक, जिसे इंग्लैंड पर रोमन कैथलिक आक्रमण होने की स्थिति में एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखा जा रहा था, की बहन एन का नाम सुझाया। हैन्स हॉल्बिन द यंगर को राजा के लिये एन का चित्र बनाने के लिये क्लीव्स भेजा गया। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि उसने चित्र एक अधिक चापलूसी भरे अंदाज़ में बनाया था, लेकिन यह असंभावित है कि वह चित्र वास्तविकता से बहुत अधिक भिन्न रहा हो क्योंकि हॉल्बिन पर दरबार का अनुग्रह बना रहा। हॉल्बिन द्वारा किये गये चित्रण पर विचार करने तथा दरबारियों द्वारा किये गए एन के प्रशंसापूर्ण वर्णन से उत्सुक होकर हेनरी ने एन से विवाह करना स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि एन के इंग्लैंड आगमन पर हेनरी ने उसे पूरी तरह अनाकर्षक पाया और निजी तौर पर उसे एक "फ्लैंडर्स घोड़ी (Flanders Mare)" कहा।
हेनरी इस विवाह को अस्वीकृत करना चाहते थे, ताकि वे किसी और से विवाह कर सकें। क्लीव्स के ड्यूक पवित्र रोमन सम्राट के साथ एक विवाद में उलझ गए थे, जिनसे साथ किसी विवाद में पड़ने की हेनरी की इच्छा नहीं थी। रानी एन पर्याप्त रूप से इतनी बुद्धिमान थीं कि वे विवाह के निरस्तीकरण की हेनरी की इच्छा में बाधक नहीं बनी। विवाह के बाद होने वाले शारीरिक-संबंधों के प्रश्न पर, उन्होंने गवाही दी कि विवाह के बाद उन दोनों के बीच कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बने थे। उन्होंने कहा कि हर रात हेनरी उनके कमरे में आते थे और सोने से पहले केवल अपनी नई दुल्हन का माथा चूमते थे। इस प्रकार विवाह के निरस्तीकरण में आ सकने वाली सभी बाधाएं दूर हो गईं।
इसके परिणामस्वरूप विवाह को भंग कर दिया गया और एनी को "द किंग्ज़ सिस्टर" यानी राजा की बहन की उपाधि मिली और उन्हें हीवर का किला प्रदान किया गया, जो कि बोलीन परिवार का पूर्व-निवास था। इस दौरान, इस विवाह को निश्चित करने में क्रॉमवेल की भूमिका के कारण वे दरबार की कृपादृष्टि से वंचित हो गए और परिणामस्वरूप उनकी निंदा की गई और उनका सिर कटवा दिया गया। वाइसजेरेंट इन स्पिरिच्युअल्स (Vicegerent in Spirituals) का पद, जो विशेष रूप से उनके लिये निर्मित किया गया था, भरा नहीं गया।
28 जुलाई 1540 को (क्रॉमवेल की फांसी वाले दिन), हेनरी ने युवा कैथरिन हॉवर्ड, एनी बोलीन की चचेरी बहन व एनी की एक दासी से विवाह कर लिया।[49] वह अपनी नई रानी से अत्यधिक प्रसन्न थे। हालांकि विवाह के शीघ्र बाद ही दरबारी थॉमस कल्पेपर के साथ रानी कैथरिन का एक प्रेम-संबंध बन गया। उन्होंने फ्रांसिस डेरेहैम, जिसके साथ पहले उनकी अनौपचारिक रूप से सगाई हो चुकी थी और विवाह से पूर्व जिसके साथ उनका प्रेम-संबंध था, को अपना सचिव नियुक्त किया। थॉमस क्रैनमेर, जो कि शक्तिशाली रोमन कैथलिक हॉवर्ड परिवार के खिलाफ़ थे, ने रानी कैथरिन की गतिविधियों के प्रमाण राजा के समक्ष प्रस्तुत किये। हालांकि, पहले हेनरी ने इन आरोपों को सच मानने से इंकार कर दिया, लेकिन उन्होंने क्रैनमर को जांच करने की अनुमति दी, जिसके परिणामस्वरूप रानी कैथरिन फंस गईं। पूछताछ किये जाने पर, रानी डेरेहैम से विवाह के अपने पूर्व-अनुबंध को स्वीकार कर सकतीं थीं, जिसके परिणामस्वरूप बाद में हेनरी के साथ हुआ उनका विवाह अमान्य हो गया होता, लेकिन इसके बजाय उन्होंने दावा किया कि डेरेहैम ने उन्हें अवैध संबंध बनाने पर मजबूर किया था। इस बीच, डेरेहैम ने थॉमस कल्पेपर के साथ रानी कैथरिन के संबंधों को उजागर कर दिया। एनी बोलीन वाले मामले के विपरीत, यहां तकनीकी रूप से कैथरिन हॉवर्ड को विवाहेतर संबंध बनाने का दोषी नहीं ठहराया जा सकता था क्योंकि औपचारिक रूप से राजा के साथ उनका विवाह शुरु से ही शून्य व प्रभावहीन था। इस बिंदु को पुनः उपेक्षित कर दिया गया औअर 13 फ़रवरी 1542 को कैथरिन को फांसी दे दी गई। अपनी मृत्यु के समय उनकी आयु 17 से 22 वर्ष के बीच थी (उनके जन्म के वर्ष को लेकर मतभेद हैं). उसी वर्ष, इंग्लैंड के सभी शेष मठ भंग कर दिये गए और उनकी संपत्ति ताज को सौंप दी गई। मठाधीशों व महंतों ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स में अपने स्थान गंवा दिये; अब केवल आर्चबिशप व बिशप ही इस संस्था के चर्च-संबंधी तत्त्व थे। पहली बार लॉर्ड्स टेम्पोरल (Lords Temporal) की संख्या लॉर्ड्स स्पिरिचुअल (The Lords Spiritual), जैसा कि हाउस ऑफ लॉर्ड्स में स्थान पाने वाले पादरी-वर्ग के सदस्यों को कहा जाता था, की संख्या से अधिक हो गई।
सन 1543 में, हेनरी ने अपनी पत्नी, धनवान विधवा कैथरिन पार, से विवाह किया। धर्म को लेकर उनके व हेनरी के बीच मतभेद थे; वे एक सुधारक थीं, जबकि हेनरी एक रूढ़िवादी बने रहे। इस व्यवहार ने लगभग उनके विनाश का कारण साबित हुआ, लेकिन उन्होंने आज्ञाकारिता का प्रदर्शन करके स्वयं को बचा लिया। उन्होंने पहली दो पुत्रियों, लेडी मैरी व लेडी एलिज़ाबेथ, के साथ पुनः सामंजस्य बनाने में हेनरी की सहायता की। सन 1544 में, संसद के एक कानून के द्वारा इन पुत्रियों को उत्तराधिकार की पंक्ति में प्रिंस ऑफ वेल्स एडवर्ड के बाद पुनः स्थान दिया गया, हालांकि वे अभी भी अवैध संतानें ही मानी गईं। इसी कानून के द्वारा हेनरी को आगे अपनी इच्छानुसार उत्तराधिकारी के निर्धारण का अधिकार भी प्रदान किया गया।
सन 1513 में एडमंड डी ला पोल, ड्युक ऑफ सफोक (Edmund de la Pole, Duke of Suffolk), के साथ शुरु हुई राजनीतिक मृत्युदंडों की लहर जनवरी, 1547 में हेनरी अर्ल ऑफ सरे (Henry Earl of Surrey) के साथ समाप्त हुई। हालांकि, कुछ स्रोत दावा करते हैं कि हॉलिन्शेड के अनुसार इस शासन के दौरान मृत्युदंडों की संख्या 72,000 थी, इस आंकड़े में "बड़े चोर, छोटे चोर और बदमाश" शामिल थे तथा इसका स्रोत हॉलिन्शेड नहीं, बल्कि अंग्रेज़ पादरी-वर्ग के सदस्य विलियम हैरिसन थे। यह बढ़ा हुआ आंकड़ा जेरोलेमो कार्डानो से प्राप्त हुआ है, जिन्होंने इसे लाइसिएक्स के रोमन कैथलिक बिशप से प्राप्त किया था।[50]
अपने जीवन के अंतिम दौर में, हेनरी स्थूलकाय हो गए (उनकी कमर का माप 54 इंच/127 सेमी था) और उन्हें एक से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिये मशीनी आविष्कारों की सहायता ली जाती थी। उनका शरीर पीप से भरे दर्दनाक फोड़ों से भर गया और संभवतः वे गठिया से पीड़ित हो गए। उनके मोटापे और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का मूल सन 1536 में हुए घुड़सवा्र भाला-युद्ध (jousting) के एक खेल के दौरान हुए हादसे में ढूंढा जा सकता है, जिसमें उनके पैर में चोट लग गई थी। वास्तव में उस दुर्घटना ने वर्षों पहले उनके पैर में लगे एक पुराने घाव को फिर ताज़ा कर दिया और इतना अधिक बढ़ा दिया कि उनके चिकित्सकों ने पाया कि उसका उपचार करना अत्यधिक कठिन (लगभग असंभव) था। उनके शेष जीवनकाल में वह घाव तीव्रतर होता गया और उसमें फोड़े उत्पन्न हो गए, जिसके चलते वे शारीरिक गतिविधियों और दैनिक व्यायाम के उसी स्तर को बनाए रखने में असमर्थ हो गए, जिसका वे पहले आनंद उठाया करते थे। ऐसा माना जाता है कि घुड़सवार भाला-युद्ध के खेल के दौरान हुई दुर्घटना के कारण हेनरी की मनोदशा में भी बार-बार परिवर्तन होने लगे, जिनका उनके व्यक्तित्व और स्वभाव पर नाटकीय प्रभाव पड़ा होगा। [51] इसके साथ-साथ ही, हेनरी में अत्यधिक भोजन करने की आदत भी विकसित हो गई और उनकी खुराक में मुख्यतः वसायुक्त लाल मांस तथा कुछ सब्जियां शामिल होती थीं। ऐसा माना जाता है कि इस आदत का प्रयोग तनाव से निपटने के एक उपाय के रूप में किया जाता था। निश्चित रूप से हेनरी का मोटापा ही उनकी अकाल मृत्यु का कारण बना और 55 वर्ष की आयु में पैलेस ऑफ व्हाइटहॉल में 28 जनवरी 1547, जो कि उनके पिता का 90वां जन्मदिन रहा होता, को उनका निधन हो गया। दावा किया जाता है कि अपने इन अंतिम शब्दों को कहने के तुरंत बाद उनकी मृत्यु हो गई: "भिक्षु! भिक्षु! भिक्षु!"[52]
यह सिद्धांत को अधिकांश गंभीर इतिहासकारों द्वारा नकारा जा चुका है कि हेनरी उपदंश से पीड़ित थे।[53] उपदंश हेनरी के काल में एक प्रसिद्ध रोग था और हालांकि उनके समकालीन फ्रांस के फ्रांसिस प्रथम ने उपदंश का उपचार करवाया था, लेकिन हेनरी के चिकित्सकों द्वारा छोड़ी गई टिप्पणियां यह सूचित नहीं करतीं कि अंग्रेज़ राजा इस बीमारी से पीड़ित थे। एक अधिक हालिया और विश्वसनीय सिद्धांत के अनुसार हेनरी और उनकी बड़ी बहन मार्गारेट ट्युडर के चिकित्सीय लक्षण, अनुपचारित टाइप टू मधुमेह के लक्षण हैं।
हेनरी अष्टम को विंडसर कैसल में सेंट जॉर्ज'स चैपल में उनकी पत्नी जेन सीमोर के पास दफनाया गया।[54] सौ से भी अधिक वर्षों बाद चार्ल्स प्रथम को भी उसी कक्ष में दफनाया गया।
उनकी मृत्यु के एक दशक से कुछ अधिक समय के बाद, उनके तीनों शाही उत्तराधिकारी अंग्रेज़ी सिंहासन पर बैठे, लेकिन उनमें से किसी ने भी अपने पीछे कोई उत्तराधिकारी नहीं छोड़ा. उत्तराधिकार अधिनियम 1543 (Act of Succession 1543) के अंतर्गत, हेनरी के एकमात्र जीवित बचे वैध पुत्र, एडवर्ड, को ताज मि्ला और वे एडवर्ड षष्ठम बन गए। चूंकि उस समय एडवर्ड की आयु केवल नौ वर्ष की थी, अतः वे वास्तविक शक्ति का प्रयोग नहीं कर सके। हेनरी की वसीयत में 16 निष्पादकों को राज प्रतिनिधियों की एक समिति में तब तक कार्य करने के लिये नियुक्त किया गया था, जब तक कि एडवर्ड 18 वर्ष की आयु तक न पहुंच जाएं. निष्पादकों ने एडवर्ड सीमोर, फर्स्ट अर्ल ऑफ हर्टफोर्ड, जेन सीमोर के बड़े भाई, को राज्य के प्रमुख संरक्षक (Lord Protector) के रूप में चुना। एडवर्ड का कोई उत्तराधिकारी न होने की स्थिति में, राजसिंहासन ऐरागॉन की कैथरिन से हेनरी अष्टम को प्राप्त पुत्री, राजकुमारी मैरी और उनके उत्तराधिकारियों को दिया जाना था। यदि मैरी की संतान विफल हो जाए, तो ताज एनी बोलीन से हेनरी को प्राप्त पुत्री, राजकुमारी एलिज़ाबेथ, व उनके उत्तराधिकारियों को सौंपा जाना था। अंततः, यदि एलिज़ाबेथ की वंशावली भी समाप्त हो जाए, तो ताज हेनरी अष्टम की दिवंगत छोटी बहन, मैरी के उत्तराधिकारियों को दिया जाना था। अतः इस अधिनियम के अनुसार हेनरी की बहन मार्गारेट ट्युडर-स्कॉटलैंड का शाही परिवार-को उत्तराधिकार से वंचित रखा गया था। यह अंतिम प्रावधान उस समय विफल हो गया, जब एलिज़ाबेथ की मृत्यु के परिणामस्वरूप स्कॉटलैंड के जेम्स 6, इंग्लैंड के जेम्स प्रथम बने।
हेनरी ने अप्रतिवाद्य शासक और अनिवार्य अधिपति के रूप में अपनी छवि प्रस्तुत करने के लिये कठिन परिश्रम किया। वे अपनी इच्छा से फांसी दिया करते थे और उन्होंने उनसे पूर्व या उनके बाद बने किसी भी राजा की तुलना में अधिक अंग्रेज़ सरदारों की हत्या के आदेश दिए। जिन लोगों के सिर कटवा दिये गये, उनमें दो पत्नियां, एक कार्डिनल, बीस साथी, चार प्रमुख शासकीय अधिकारी और राजा के छः निकटवर्ती सेवक व मित्र, तथा इनके अलावा मठाधीशों के अनेक प्रमुख भी शामिल थे। इसके अतिरिक्त, कार्डिनल वोल्सी की कारागार में मृत्यु हो गई।
एक बड़े, शक्तिशाली पुरुष (छः फीट से अधिक ऊंचे और उसी अनुपात में चौड़े), हेनरी घुड़सवार भाला-युद्ध के खेल और शिकार में माहिर थे। मनोरंजन से अधिक, इनका प्रयोग राजनीतिक साधनों के रूप में किया जाता था, जो कि अनेक लक्ष्यों की पूर्ति में सहायता करते थे, जिनमें उनकी बलिष्ठ शाही छवि को बढ़ाना, विदेशी दूतों व शासकों को प्रभावित करना, तथा विद्रोह को कुचलने की हेनरी की क्षमता का संदेश देना शामिल हैं। इसी प्रकार उन्होंने सन 1517 में ग्रीनविच में घुड़सवार भाला-युद्ध की प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने भव्य कवच, घोड़े की भव्य कमान, तथा मखमल, सैटन और मोतियों व आभूषणों के साथ स्वर्णजड़ित वस्र धारण किये। इसने उपयुक्त रूप से विदेशी राजदूतों को प्रभावित किया, जिनमें से एक ने अपने घर भेजे गए पत्र में लिखा कि "विश्व की दौलत और सभ्यता यहां है और जो लोग अंग्रेज़ों को असभ्य कहते हैं, वो लोग खुद ही मुझे ऐसी उपाधि के लायक लगते हैं।" सन 1536 में, अपने घोड़े से गिरने पर लगी गंभीर चोट, जिसके कारण हेनरी दो घंटे तक बेहोश रहे, के बाद हेनरी ने स्वयं को सूचियों से अलग कर लिया, लेकिन उन्होंने प्रतिवर्ष दो शानदार प्रतियोगिताएं प्रायोजित करना जारी रखा। [55] इसके बाद उनक वज़न बढ़ने लगा और उन्होंने वह आकर्षक चुस्त छवि खो दी, जिसने उन्हें इतना सुंदर रूप प्रदान किया था; हेनरी के दरबारियों ने लगातार मोटे होते जा रहे अपने राजा का अनुकरण करने-और चापलूसी करने-के लिये अत्यधिक गद्दीदार कपड़े पहनना प्रारंभ कर दिया।
हेनरी एक बुद्धिजीवी थे। प्रथम सुशिक्षित अंग्रेज़ राजा के रूप में, वे अपने सु-सज्जित पुस्तकालय में स्वयं को पूरी तरह प्रसन्न महसूस करते थे; उन्होंने व्यक्तिगत रूप से अनेक पुस्तकों की व्याख्या की और स्वयं की पुस्तक लिखकर प्रकाशित भी की। सन 1546 में, उन्होंने क्राइस्ट चर्च कैथेड्रल स्कूल, ऑक्सफोर्ड की स्थापना की। चर्च के सुधार के लिये सार्वजनिक सहायता को प्रोत्साहित करने के लिये, हेनरी ने अनेक पर्चे व व्याख्यान तैयार करवाये. उदाहरणार्थ, रिचर्ड सैम्पसन का ओरैशियो (Oratio) (1534) दिव्य कानून व ईसाई प्रेम में निहित सांसारिक शक्तियों ("मेरे ईश्वरीय आदेशों का पालन करो [obey my commandments]) के प्रति पूर्ण आज्ञाकरिता के लिये एक विधि-सम्मत युक्तिवाद था। अपने इस दावे का समर्थन करने के लिये कि इंग्लिश चर्च सदैव ही रोम से स्वतंत्र रहता आया था, सैम्पसन ने ऐतिहासिक उदाहरणों का उल्लेख किय (जिनके बारे में अब ज्ञात हो चुका है कि वे झूठे थे).[56] लोकप्रिय स्तर पर ताज द्वारा वित्तपोषित थियेटर और लोकगायकों के समूह नई धार्मिक पद्धतियों का प्रचार करने के लिये व पुरानी पद्धतियों का उपहास करते हुए पूरे राज्य में घूमा करते थे। उनके द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले विवादास्पद नाटकों में, पोप व कैथलिक पादरियों व भिक्षुओं को विदेशी शैतान के रूप में चित्रित किया जाता था, जबकि सच्चे विश्वास के एक साहसी व वीर रक्षक के रूप में यशस्वी राजा की जयजयकार की जाती थी।[57]
हेनरी अष्टम एक उत्साही जुआरी और पांसे के खिलाड़ी थे। वे एक निष्णात संगीतकार, लेखक और कवि थे: उनकी सर्वश्रेष्ठ संगीत-रचना "पास्टाइम विथ गुड कंपनी [Pastime with Good Company]" ("द किंजेस बैले" [The Kynges Ballade"]) है। अक्सर "ग्रीनस्लीव्ज़ (Greensleeves)" के रचयिता के रूप में उनकी प्रशंसा की जाती है, लेकिन शायद वह उन्होंने नहीं लिखा था। राजा अनेक महत्वपूर्ण इमारतों के मूल निर्माण और सुधार में शामिल थे, जिनमें किंग'स कॉलेज चैपल, कैम्ब्रिज का नॉनसच पैलेस, तथा लंदन में वेस्टमिन्स्टर ऐबे शामिल हैं। हेनरी द्वारा सुधारी गई अनेक मौजूदा इमारतें वॉल्सी से ज़ब्त की गईं थीं, जैसे क्राइस्ट चर्च, ऑक्सफोर्ड, हैम्पटन कोर्ट पैलेस, पैलेस ऑफ व्हाइटहॉल तथा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज.
हेनरी अष्टम द्वारा पहने गए वस्रों में से एकमात्र उपलब्ध वस्र रखरखाव की एक टोपी है, जो सन 1536 में एक तलवार के साथ वॉटरफोर्ड के मेयर को उपहार-स्वरूप प्रदान की गई थी। वर्तमान में यह वॉटरफोर्ड म्यूज़ियम ऑफ ट्रेज़र्स में रखी हुई है। हेनरी के कवच का एक सूट टॉवर ऑफ लंदन में प्रदर्शन के लिये रखा हुआ है। उनकी मृत्यु के बाद वाली शताब्दियों में, हेनरी ने अनेक कलात्मक और सांस्कृतिक कृतियों को प्रेरित किया है या उनमें उनका उल्लेख किया गया है।
हेनरी ने पिता हेनरी सप्तम, जो अपने पुत्र के विपरीत धन के मामले में मितव्ययी और सतर्क रहा करते थे, से उत्तराधिकार में प्रचुर संपदा प्राप्त की। इस संपदा का मूल्य £1,250,000 (वर्तमान मानकों के अनुसार £375 मिलियन) आंका गया था।[58] हेनरी द्वारा इसमें से अधिकांश पूंजी अपने दरबार और घरेलू कार्यों पर व्यय की गई, जिनमें अनेक शाही महलों का निर्माण शामिल है। ट्युडर राजाओं को अपनी स्वयं की आय से ही समस्त सरकारी खर्चों को अनुदान देना होता था। यह आय ताज के अधिकार की भूमि से, जिसका स्वामित्व हेनरी के पास था और साथ ही प्रति टन और प्रति पाउंड लिये जाने वाले सीमा-शुल्कों से प्राप्त होती थी, जो संसद द्वारा राजा को जीवन-भर के लिये प्रदान किये गए थे। हेनरी के शासन-काल के दौरान ताज को मिलने वाला राजस्व (लगभग £100,000) स्थिर बना रहा,[59] लेकिन युद्ध के कारण उत्पन्न मुद्रास्फीति और महंगाई ने इसे धीरे-धीरे कम कर दिया। निश्चित ही युद्ध और यूरोप में हेनरी की राजवंशीय महत्वाकांक्षाओं के चलते ही उनके द्वारा अपने पिता से उत्तरादधिकार में प्राप्त अतिरिक्त पूंजी सन 1520 के दशक के मध्य तक आते-आते समाप्त हो चुकी थी। एक ओर जहां हेनरी सप्तम अपने मामलों में संसद को सम्मिलित नहीं किया करते थे, वहीं हेनरी को अपने शासन के दौरान संसद से धन की मांग करनी पड़ी, विशिष्ट रूप से अपने युद्धों को वित्त-पोषित करने के लिये आर्थिक सहायता की स्वीकृति प्राप्त करने हेतु. मठों के विघटन ने खजाने को फिर से भरने का एक साधन प्रदान किया और इसके परिणामस्वरूप राजा ने मठों की भूमियां अपने अधिकार में ले लीं, जिनका मू्ल्य £120,000 (£36 मिलियन) प्रतिवर्ष था।[60] लेकिन अपनी वित्तीय समस्याओं को सुलझाने के लिये हेनरी को सन 1526 और 1539 में मुद्रा का मूल्य घटाना पड़ा था और दरबार की लागत व अपव्यय में कमी लाने के उनके मंत्रियों के प्रयासों के बावजूद हेनरी की मृत्यु कर्ज में हुई।
हालांकि मुख्य रूप से राजवंशीय तथा व्यक्तिगत चिंताओं द्वारा प्रेरित होने, तथा रोमन कैथलिक चर्च के बुनियादी सिद्धांतों को वास्तव में कभी भी समाप्त न करने के बावजूद, हेनरी ने यह सुनिश्चित किया कि उनके शासन का सबसे बड़ा कार्य किसी भी अंग्रेज़ राजा द्वारा किये गये कार्यों की तुलना में सर्वाधिक उग्र और निर्णायक कार्यों में से एक हो। सन 1533-34 में रोम के साथ उनके संबंध-विच्छेद के ट्युडर राजवंश के बाहर भी इंग्लैंड के इतिहास की अनुवर्ती यात्रा पर गंभीर परिणाम हुए. न केवल एक शक्तिशाली (हालांकि बहुत अधिक विशिष्ट भी) राष्ट्र के रूप में इंग्लैंड के रूपांतरण में; बल्कि अभिजात्य वर्ग द्वारा, मुख्यतः मठों की भूमियों व संपत्तियों के अधिग्रहण के द्वारा, चर्च की आर्थिक व राजनीतिक शक्ति को रोकने में भी-जो कि छोटी-अवधि की एक रणनीति थी, जिसके सामाजिक परिणाम दीर्घकालिक थे। उनके पुत्र एडवर्ड की अवयस्कता के वर्षों में राज्य का प्रतिनिधित्व एक निर्णायक रूप से सुधार-केंद्रित राज-प्रतिनिधि परिषद, जिसमें एडवर्ड सीमोर का प्रभुत्व सर्वाधिक संभावित रूप से इस स्पष्ट नीतिगत कारण के चलते था कि सीमोर द्वारा राज्य के लिये सबसे शक्तिशाली नेतृत्व प्रदान किये जाने की संभावना दिखाई दे रही थी, को सौंपने के हेनरी के निर्णय ने यह सुनिश्चित कर दिया कि उनके पुत्र के शासन-काल में अंग्रेज़ी सुधार का कार्य पूर्ण होगा और आगे भी बढ़ेगा. ऐसे विरोधाभास उनकी विरासत के अन्य पहलुओं को चिह्नित करते हैं।
वे मानवतावादी शिक्षा के पोषक थे और फिर भी वे ही अनेक विशिष्ट अंग्रेज़ मानवतावादियों की हत्य के लिये भी ज़िम्मेदार थे। ताज के उत्तराधिकार की सुरक्षा की धुन में रहने वाले हेनरी ने अपने उत्तराधिकारियों के रूप में केवल एक युवा पुत्र (जिसकी मृत्यु अपने सोलहवें जन्मदिवस से पूर्व ही हो गई) और भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाली दो पुत्रियां छोड़ीं थीं। राज्य की शक्ति को बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया था। हेनरी ने इंग्लैंड को फिर एक बार यूरोपीय परिदृश्य में एक मुख्य खिलाड़ी बनाने में कुछ सफलता प्राप्त की, लेकिन ऐसा करने में उनका खजाना खाली हो गया, यह एक ऐसी विरासत है जो उसी समय से अंग्रेज़ राजाओं के लिये एक मुद्दा रहा है।
स्कैरिसब्रिक (1968) का निष्कर्ष है कि हेनरी एक दुर्जेय, मोहक पुरुष थे, जो "एक भव्य दृढ़ निश्चय के साथ राजसी शान धारण" किये हुए थे। लेकिन उनकी अत्यधिक तीव्र प्रसन्नता अनिश्चित ढंग से गुस्से और चिल्लाहट में बदल सकती थी क्योंकि वे अत्यधिक अनुभूत व अस्थिर थे; रोगभ्रमी और क्रूरता की एक तीव्र प्रवृत्ति वाले पुरुष. उनके गुस्से के खतरनाक दौरों और गहन व भयानक संदेह की प्रवृत्ति को देखते हुए स्मिथ (1971) उन्हें एक पागलपन की हद तक अहंवादी पुरुष मानते हैं, जिसमें एक मशीनी व पारंपरिक, लेकिन अत्यधिक गहराई तक समाई हुई धर्मनिष्ठा थी और इन विरोधाभासी शक्तियों को नियंत्रण में रख पाने के लिये अधिकतम "एक औसत बुद्धि" थी।
आल्फ्रेड महान और चार्ल्स द्वितीय के साथ ही, रॉयल नेवी के संस्थापकों में से एक के रूप में पारंपरिक रूप से हेनरी का उल्लेख किया जाता है। उनके शासन-काल में कुछ नौसैनिक युद्ध हुए और, अधिक उल्लेखनीय रूप से, जहाज-निर्माण (मैरी रोज़ जैसे कुछ दर्शनीय विशाल जहाजों सहित), गोदी-निर्माण (जैसे एचएमएनबी पोर्ट्समाउथ [HMNB Portsmouth]) और नौसैनिक आविष्कारों (जैसे तैरते हुए जहाजों पर तोपों का प्रयोग-हालांकि अभी भी मध्यकालीन-शैली के फोरकैसल [forecastle] व बोकैसल [bowcastle] पर तैनात तीरंदाज़ों का ही प्रयोग जहाज की मुख्य शस्रधारी सेना के रूप में, या जहां तोपों का प्रयोग किया गया हो, वहां सहायक-सेना के रूप में, किया जाता था), के लिये बड़ा शाही निवेश किया गया। हालांकि, कुछ तरीकों से यह एक गलत धारणा है क्योंकि हेनरी ने अपने बाद आए उत्तराधिकारियों को संरचनाओं, पदों व औपचारिक शस्र संरचनाओं के रूप में कोई नौसेना नहीं दी, बल्कि वह केवल जहाजों के समूह के रूप में थी। इसके बावजूद एलिज़ाबेथ प्रथम को स्पैनिश अर्माडा (जिसमें लगभग 130 युद्धपोत और रूपांतरित वाणिज्यिक पोत थे) से लड़ने के लिये निजी स्वामित्व वाले जहाजों का एक समूह एकत्र करना पड़ा था और पूर्व, औपचारिक अर्थ में आधुनिक ब्रिटिश नौसेना, रॉयल नेवी, मुख्यतः सत्रहवीं सदी की आंग्ल-डच नौसैनिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम थी। फिर भी, हेनरी के शासन ने ही अंग्रेज़ी नौसैनिक शक्ति को जन्म दिया और यह बाद में स्पैनिश अर्माडा पर इंग्लैंड की जीत में एक प्रमुख कारक था।
रोम के साथ हेनरी के संबंध विच्छेद से एक बड़े फ्रांसीसी या स्पैनिश आक्रमण का खतरा उत्पन्न हो गया। इससे रक्षा करने के लिये, उन्होंने मौजूदा तटीय सुरक्षा दुर्गों, जैसे डोवर कैसल (Dover Castle) तथा डोवर (Dover), मोल बुलवार्क (Moat Bulwark) और आर्चक्लिफ़ फोर्ट (Archcliffe Fort) को शक्तिशाली बनाया, जिनका निरीक्षण करने के लिये उन्होंने कुछ महीनों तक इनकी यात्रा की (जैसा कि संरक्षित डोवर कैसल की आधुनिक प्रदर्शनी में स्मरण किया गया है). उन्होंने ब्रिटेन के दक्षिणी व पूर्वी तटों पर ईस्ट एंग्लिया से कॉर्नवॉल तक नए 'महलों' (वस्तुतः बुर्ज-युक्त व सेना-युक्त बड़ी तोपखाना ईकाइयों), जो कि मुख्यतः मठों के विध्वंस से प्राप्त सामग्री से निर्मित किये गए थे, की एक शृंखला का निर्माण किया। इन्हें हेनरी अष्टम के योजना दुर्गों (Device Forts) के नाम से जाना जाता था।
साँचा:House of Tudor
उनके शासनकाल के दौरान शाही शैली में अनेक परिवर्तन किये गए। हेनरी द्वारा मूल रूप से शैली "हेनरी अष्टम, ईश्वर की कृपा से, इंग्लैंड के राजा, फ्रांस के राजा व आयरलैंड के लॉर्ड (Henry the Eighth, by the Grace of God, King of England, France and Lord of Ireland)" का प्रयोग किया जाता था। सन 1521 में, हेनरी द्वारा मार्टिन लूथर पर आक्रमण करते हुए लिखित एक पुस्तक, डिफेन्स ऑफ द सेवन सैक्रामेंट्स (Defence of the Seven Sacraments) के लिये पुरस्कार स्वरूप पोप लियो दशम द्वारा प्रदत्त अनुमति के अनुरूप, शाही शैली बदलकर "हेनरी अष्टम, ईश्वर की कृपा से, इंग्लैंड, फ्रांस के राजा, विश्वास के रक्षक व आयरलैंड के लॉर्ड (Henry the Eighth, by the Grace of God, King of England, France, Defender of the Faith and Lord of Ireland)" बन गई। हेनरी के बहिष्कार के बाद, पोप पॉल तृतीय ने "विश्वास के रक्षक (Defender of the Faith)" की उपाधि के प्रयोग की अनुमति रद्द कर दी, लेकिन संसद के एक अधिनियम द्वारा घोषणा की गई की यह अभी भी वैध थी; और आज भी यह शाही रिवाज में इसका प्रयोग जारी है।
सन 1535 में, हेनरी ने "प्रमुखता वाक्यांश" जोड़ा, जिससे शाही शैली अब "हेनरी अष्टम, ईश्वर की कृपा से, इंग्लैंड और फ्रांस के राजा, विश्वास के रक्षक, आयरलैंड के तथा पूरी पृथ्वी पर चर्च ऑफ इंग्लैंड के सर्वोच्च प्रमुख लॉर्ड (Henry the Eighth, by the Grace of God, King of England and France, Defender of the Faith, Lord of Ireland and of the Church of England in Earth Supreme Head) बन गई। सन 1536 में, वाक्यांश "चर्च ऑफ इंग्लैंड के" को बदलकर "चर्च ऑफ इंग्लैंड के तथा आयरलैंड के भी" कर दिया गया।
सन 1541 में, हेनरी ने आयरिश संसद के माध्यम से क्राउन ऑफ आयरलैंड ऐक्ट 1542 के द्वारा उपाधि "लॉर्ड ऑफ आयरलैंड" परिवर्तित करके "किंग ऑफ आयरलैंड" करवाई, क्योंकि उन्हें यह पता चला था कि कई आयरिश लोग पोप को उनके देश का वास्तविक प्रमुख मानते थे और लॉर्ड को केवल एक प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत माना जाता था। आयरिश लोगों द्वारा पोप को अपना सर्वोच्च प्रमुख (overlord) माने जाने का कारण यह था कि मूल रूप से आयरलैंड बारहवीं सदी में पोप एड्रियन चतुर्थ द्वारा इंग्लैंड के राजा हेनरी द्वितीय को पोप की सर्वोच्च प्रमुखता के अंतर्गत एक सामंती क्षेत्र के रूप में दिया गया था। आयरिश संसद की जिस बैठक में हेनरी अष्टम को आयरलैंड का राजा घोषित किया गया, वह पहली बैठक थी जिसमें गैलिक आयरिश प्रमुखों ब साथ ही आंग्ल-आयरिश कुलीनों ने भाग लिया था। शैली "हेनरी अष्टम, ईश्वर की कृपा से, इंग्लैंड, फ्रांस व आयरलैंड के राजा, विश्वास के रक्षक, पूरी पृथ्वी पर चर्च ऑफ इंग्लैंड के तथा आयरलैंड के भी सर्वोच्च प्रमुख लॉर्ड (Henry the Eighth, by the Grace of God, King of England, France and Ireland, Defender of the Faith and of the Church of England and also of Ireland in Earth Supreme Head)" हेनरी के शासन-काल के अंत तक प्रयोग में बनी रही।
हेनरी का आदर्श वाक्य "कोयूर लॉयल (Coeur Loyal)" ("सच्चा हृदय [true heart]") था और उन्होंने कढ़ाई करवाकर इसे अपने वस्रों पर दिल के एक चिह्न और "लॉयल (loyal)" शब्द के साथ लगवाया था। उनका प्रतीक-चिह्न ट्युडर गुलाब तथा ब्यूफोर्ट पोर्टकलिस था।
ड्यूक ऑफ योर्क के रूप में, हेनरी अपने पिता के हथियारों (अर्थात राज के हथियारों) का प्रयोग किया, जिसमें लेबल ऑफ थ्री पॉइन्ट्स अर्माइन (label of three points ermine) के द्वारा अंतर किया गया था। राजा के रूप में, हेनरी के हथियार भी हेनरी चतुर्थ के समय से ही उनके पूर्वजों द्वारा प्रयोग किये जा रहे हथियारों जैसे ही थे: Quarterly, Azure three fleurs-de-lys Or (फ्रांस के लिये) and Gules three lions passant guardant in pale Or (इंग्लैंड के लिये) .
Coat of Arms of the Tudor Princes of Wales (1489-1574).svg | प्रिस ऑफ़ वेल्स के रूप में राज्य - चिह्न Coat of Arms of Henry VIII of England (1509-1547).svg | शासनकाल के शुरु में हेनरी अष्टम का राज्य - चिह्न Coat of Arms of England (1509-1554).svg | शासनकाल के अन्त में हेनरी अष्टम का राज्य - चिह्न }}
ब्रिटिश लाइब्रेरी में सन 2009 में आयोजित हेनरी VIII: मैन एंड मोनार्च नामक एक प्रदर्शनी, जिसके निरीक्षक डेविड स्टार्की[61] थे। सन 2009 में, हेनरी के राज्याभिषेक की पांच सौवीं वर्षगांठ का आयोजन टेम्स नदी पर उनके प्रिय स्थानों पर किया गया था।
नाम | जन्म | मृत्यु | टिप्पणी |
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कैथरिन ऑफ ऐरागॉन से (11 जून 1509 को ग्रीनविच पैलेस में विवाहबद्ध; 23 मई 1533 को विवाह निरस्त हुआ) | |||
अनाम बेटी | 31 जनवरी 1510 | 2 फ़रवरी 1510 | |
हेनरी, ड्युक ऑफ कॉर्नवेल | 1 जनवरी 1511 | 22 फ़रवरी 1511 | |
हेनरी, ड्युक ऑफ कॉर्नवेल | दिसंबर 1514 | जन्म के एक माह के भीतर ही मृत्यु हो गई | |
क्वीन मैरी प्रथम | 18 फ़रवरी 1516 | 17 नवम्बर 1558 | 1554 में स्पेन के फिलिप द्वितीय के साथ विवाहबद्ध; कोई संतान नहीं |
अनाम बेटी | नवंबर 1518 | जन्म के एक सप्ताह के भीतर मृत्यु हो गई | |
एनी बोलीन से (25 जनवरी 1533 को वेस्टमिंस्टर ऐबे में विवाहबद्ध; 17 मई 1536 को विवाह निरस्त हुआ) 19 मई 1536 को उन्हें फांसी दे दी गई | |||
महारानी एलिजाबेथ प्रथम | 7 सितम्बर 1533 | 23 मार्च 1603 | कभी विवाह नहीं किया; कोई संतान नहीं |
जेन सीमोर से (30 मई 1536 को यॉर्क पैलेस में विवाहबद्ध; 24 अक्टूबर 1537 को जेन सीमोर की मृत्यु हो गई) | |||
राजा एडवर्द षष्ठम | 12 अक्टूबर 1537 | 6 जुलाई 1533 | अविवाहित; कोई संतान नहीं |
ऐनी ऑफ क्लीव्ज़ से (6 जनवरी 1540 को ग्रीनविच पैलेस में विवाहबद्ध; 9 जुलाई 1540 को विवाह निरस्त हुआ) | |||
कोई संतान नहीं | |||
कैथरिन हॉवर्ड से (28 जुलाई 1540 को ओटलैंड्स पैलेस में विवाहबद्ध; 23 नवम्बर 1541 को विवाह निरस्त हुआ) 13 फ़रवरी 1542 को उन्हें फांसी दे दी गई | |||
कोई संतान नहीं | |||
कैथरिन पार से (12 जुलाई 1543 को हैम्पटन कोर्ट पैलेस में विवाहबद्ध; 28 जनवरी 1547 को हेनरी की मृत्यु हो गई) | |||
कोई संतान नहीं | |||
एलिज़ाबेथ ब्लाउंट से | |||
हेनरी फिट्ज़रॉय, फर्स्ट ड्युक ऑफ रिचमंड एंड समरसेट | 14 जून 1519 | 23 जुलाई 1536 | अवैध; सन 1533 में लेडी मैरी हॉवर्ड से विवाह किया; कोई संतान नहीं |
मैरी बोलीन से पितृत्व को लेकर इतिहासकारों के बीच विवाद है | |||
कैथरिन कैरी, लेडी नॉलिस | c. 1524 | 15 जनवरी 1569 | सर फ्रांसिस नॉलिस से विवाह; संतान थी |
हेनरी कैरी, बैरोन हन्सडन | 4 मार्च 1526 | 23 जुलाई 1596 | सन 1545 में ऐन मॉर्गन से विवाह; संतान थी |
पोप का शासनकाल | चित्र | हेनरी अष्टम के साथ सहभागिता |
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जूलियस द्वितीय 31 अक्टूबर 1503 - 21 फ़रवरी 1513 हेनरी अष्टम की आयु के 12वें और 21वें वर्ष के बीच हेनरी और पोप निकट सहयोगी थे। |
हेनरी को अपने भाई की विधवा से विवाह करने की अनुमति प्रदान की। जूलियस एक योद्धा पोप थे। सन 1511 में, इटली को फ्रांसीसी शासन से मुक्त करवाने के लिये पवित्र लीग का गठन किया गया। 17 नवम्बर 1511 को इंग्लैंड इस लीग में शामिल हुआ। | |
लियो दशम 9 मार्च 1513 - 1 दिसम्बर 1521 हेनरी अष्टम की आयु के 21वें और 30वें वर्ष के बीच. हेनरी और पोप निकट सहयोगी थे। |
अपने जीवन के अंतिम सप्ताह में हेनरी अष्टम को विश्वास के रक्षक (Defender of the Faith) की उपाधि प्रदान की। मार्टिन लूथर को बहिष्कृत किया। | |
एड्रियन षष्ठम 9 जनवरी 1522 - 14 सितम्बर 1523 हेनरी अष्टम की आयु के 30वें और 32वें वर्ष के बीच संक्षिप्त धर्माध्यक्षकाल |
एकमात्र डच पोप. धर्माध्यक्ष के रूप में इनका कार्यकाल केवल 613 दिनों का था। | |
क्लीमेंट सप्तम 26 नवम्बर 1523 - 25 सितम्बर 1534 हेनरी अष्टम की आयु के 32वें और 42वें वर्ष के बीच. हेनरी ने एंग्लिकन चर्च का गठन किया |
सन 1527 में हेनरी अष्टम का तलाक का निवेदन अस्वीकार कर दिया। [62] | |
पॉल तृतीय 13 अक्टूबर 1534 - 10 नवम्बर 1549 हेनरी अष्टम की आयु के 42वें वर्ष और मृत्यु के बीच. पोप से अंतिम संबंध-विच्छेद. |
इनकी नियुक्ति के 15 महीनों बाद कैथरिन ऑफ ऐरागॉन की मृत्यु हो गई। 17 दिसम्बर 1538 को, धर्माध्यक्ष के रूप में अपने चौथे वर्ष में, पॉल तृतीय ने हेनरी अष्टम को बहिष्कृत कर दिया। |
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