Remove ads
उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक नगर विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
नंदगाँव (Nandgaon) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा ज़िले में स्थित एक ऐताहिसक नगर है।[1][2]
नंदगाँव Nandgaon | |
---|---|
नंदगाँव का एक दृश्य | |
निर्देशांक: 27.711°N 77.386°E | |
देश | भारत |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 11,517 |
भाषाएँ | |
• राजकीय | हिंदी |
• उपभाषा | बृजभाषा |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
नंदगांव मथुरा ज़िले में प्रसिद्ध पौराणिक ग्राम बरसाना के पास एक बडा नगरीय क्षेत्र है। यह नंदीश्वर नामक सुन्दर पहाड़ी पर बसा हुआ है। यह कृष्ण भक्तों के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। किंवदंती के अनुसार यह गांव भगवान कृष्ण के पिता नंदराय द्वारा एक पहाड़ी पर बसाया गया था। इसी कारण इस स्थान का नाम नंदगांव पड़ा। गोकुल को छोड़ कर नंदबाबा श्रीकृष्ण और गोप ग्वालों को लेकर नंदगाँव आ गए थे।
नंदगांव की स्थिति 27.72°N 77.38°E पर है। यहां की औसत ऊंचाई 184 मीटर (603 फीट) है। नंदगांव मथुरा से 56 कि॰मी॰ और बरसाना से 8.5 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। यह स्थान मथुरा, बरसाना और कोकिला वन से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है।
2019 की जनगणना के अनुसार नंदगाँव की कुल आबादी 19956 है| इस जनसँख्या में ५४ प्रतिशत पुरुष और ४६ प्रतिशत आबादी स्त्रियों की है| यहाँ की साक्षरता ४६ प्रतिशत है जो राष्ट्रीय दर ५४ प्रतिशत से कहीं कम है| पुरुष साक्षरता 59% और स्त्री साक्षरता 29% है| नंदगांव की १९ प्रतिशत आबादी ६ वर्ष से कम आयु के बच्चों की है|
यहां नंदराय (नंदबाबा) का एक मंदिर प्रसिद्ध है, इसी नन्दीश्वर पर्वत पर कृष्ण भगवान व उनके परिवार से संबंधित अनेक दर्शनीय स्थल भी हैं जिनमें नरसिंह, गोपीनाथ, नृत्य गोपाल, गिरधारी, नंदनंदन और माता यशोदा के मंदिर हैं| पर्वत के साथ ही पावन सरोवर तथा पास ही में एक बड़ी झील है जिस पर मसोनरी घाट निर्मित है। मान्यता है कि यहां पर भगवान कृष्ण अपनी गायों को स्नान कराने लाया करते थे। पास ही खदिरवन, बूढ़े बाबू, नंदीश्वर, हाऊ-बिलाऊ, पावन सरोवर, उद्धव क्यारी नामक दूसरे स्थान भी यहाँ कृष्ण के जीवन की विभिन्न घटनाओं से सम्बद्ध माने जाते हैं।
यह मंदिर 18वीं शताब्दी में भरतपुर के जाट राजा रूपसिंह द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर कृष्ण के पिता नंदराय को समर्पित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी पर थोड़ी सी चढ़ाई करनी पड़ती है।
पान सरोवर से कुछ ही दूरी पर कोकिला वन में स्थित प्राचीन शनि मंदिर है। मान्यता है कि शनि जब यहां आये तो कृष्ण ने उन्हें एक जगह स्थिर कर दिया ताकि ब्रजवासियों को उनसे कोई कष्ट न हो। प्रत्येक शनिवार को यहां पर आने वाले श्रद्धालु शनि भगवान की 3 कि॰मी॰ की परिक्रमा करते हैं। शनिश्चरी अमावस्या को यहां पर विशाल मेले का आयोजन होता है। कोकिलावन के शनि मंदिर से नंदगांव का नजारा भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। जब कि नंदराय मंदिर के ऊपर से आप ब्रज के हरे भरे भूभाग, इसके प्राकृतिक सौंदर्य, कोकिलावन के शनि मंदिर और बरसाना के राधारानी के महल का दर्शन कर सकते हैं।
नंद भवन में भगवान कृष्ण की काले रंग के ग्रेनाइट में उत्कीर्ण प्रतिमा है। उन्ही के साथ नंदबाबा, यशोदा, बलराम और उनकी माता रोहिणी की मूर्तियां भी है।
नंदगांव में भगवान शंकर का मंदिर नंदीश्वर महादेव है। कृष्ण जन्म के बाद भगवान शंकर साधु के वेश में उनके दर्शन के लिए नंदगांव आए थे। पर यशोदा ने उनका विचित्र रूप देख कर इस आशंका से कि शिशु उन्हें देख कर डर न जाए उन्हें अपना बालक नहीं दिखाया। भगवान शंकर वहां से चले गये और जंगल में जाकर ध्यान लगा कर बैठ गए। इधर भगवान श्रीकृष्ण अचानक रोने लगे और सब ने उन्हें चुप कराने की बहुत कोशिश पर भी वह जब चुप ही नहीं हुए तब यशोदा के मन में विचार आया कि जरूर वह साधु कोई तांत्रिक रहा होगा जिसने बालक पर जादू-टोना कर दिया है। यशोदा के बुलाने पर एक बार फिर शंकर जी वहां आये। तत्काल भगवान कृष्ण ने रोना बंद कर उन्हें आया देख कर मुस्कुराना शुरू कर दिया। साधु ने से माता यशोदा से बालक के दर्शन करने और उसका जूठा भोजन प्रसाद रूप में माँगा। तभी से यह परम्परा चली आ रही है कि भगवान कृष्ण को लगाया गया भोग बाद में नंदीश्वर मंदिर में शिवलिंग पर भी चढ़ाया जाता है। वन में जिस जगह शंकर जी ने कृष्ण का ध्यान किया था वहीं नन्दीश्वर मंदिर बनवाया गया है|
यह सरोवर नंदीश्वर पर्वत की तलहटी में स्थित है। कहा जाता है माता यशोदा कृष्ण भगवान को इसी सरोवर में स्नान करवाया करती थी। नंदराय और अन्य पुरूष लोग यहीं पर स्नान किया करते थे। इस सरोवर का जीर्णोद्धार संवत 1804 में वर्धमान की रानी ने कराया था। इस सरोवर का जल साफ है- इस कारण इसका नाम पावन सरोवर है। इसका पुनुरुद्धार ब्रज फाउंडेशन ने किया है|
पावन सरोवर के पास ही में पावन बिहारी जी का मंदिर है। भगवान कृष्ण ने गोस्वामी जी को स्वप्न में बताया था कि नंदीश्वर पर्वत की गुफा में नंदबाबा, यशोदा और बलराम की मूर्तियां रखी हुई हैं। इसके बाद सनातन गोस्वामी ने यहां ला कर उन तीन मूर्तियों को स्थापित किया बताया।
नंदीश्वर पहाड़ और पावन सरोवर से कुछ दूरी पर ही स्थित कुंड जहाँ राधा और कृष्ण का मंदिर है। मान्यता है कि यहीं राधा के पिता वृषभानु ने कृष्ण के पिता नंदराय को सोने के आभूषण और मोती भेंटस्वरुप दिए थे।
यह मंदिर भी नंदीश्वर पहाड़ी की तलहटी में स्थित है। यह मंदिर पावन सरोवर के विपरीत दिशा में है। नंदराय इसी मंदिर में नृसिंह | नरसिंह और वराह भगवान की पूजा किया करते थे। नंदराय को वराह और नरसिंह भगवान की पूजा करने की सलाह गर्गाचार्य ने दी थी।
नरसिंह मंदिर से 300 मी. की दूरी पर यशोदा कुण्ड स्थित है। कहा जाता है यशोदा इसी कुण्ड में स्नान किया करती थीं। यशोदा कुण्ड नंदीश्वर पर्वत से आधा कि॰मी॰ की दूरी पर है।
नंद बैठक वह स्थान है जहां नंदराय अपने सहयोगी मित्रों और हितैषियों से विचार- विमर्श किया करते थे। इसी स्थान के समीप नंद कुण्ड है जहाँ नंदराय स्नान किया करते थे।
यह स्थान नंदगांव से दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। इस स्थान पर भगवान कृष्ण के चरणचिन्ह हैं।
कहा जाता है कि नंदगांव से 1 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित इस स्थान पर भोर के समय राधा-कृष्ण गुप्त रूप से मिला करते थे। दोपहर के समय में वे राधा कुण्ड और रात्रि के समय में वृंदावन में भेंट करते थे। यहीं पर एक सुंदर मंदिर है जिसके अन्दर माता वृंदा (तुलसी) की प्रतिमा है। गुप्त कुण्ड ब्रज के महत्वपूर्ण कुण्डों में से एक है। यह ब्रज के तीन योग पीठों मे से एक माना जाता है।
कहा जाता है ललिता जहाँ झूला-झूला करती थी वहां राधा की सखी ललिता ने राधा की कृष्ण से एक बार गुप्त भेंट कराई थी। कुण्ड के आगे एक मंदिर है जिसमें राधा-कृष्ण और ललिता की मूर्तियां है।
अपने लोकगीतों को गाते हुए नंदगांव में होली लोग बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। यहां के गोप ध्वज पताका को साथ में लेकर राधारानी के गांव बरसाना पर प्रतीकात्मक 'चढाई' करते हैं। बरसाना की गोपिकाओं और नंदगांव के गोपों के बीच प्रतिवर्ष लट्ठमार होली खेली जाती है।
नंदगांव का नजदीकी हवाई अड्डा आगरा विमानक्षेत्र और दिल्ली विमानक्षेत्र है। दिल्ली और आगरा से मथुरा तक के लिए लगातार प्राइवेट और सरकारी बस सेवा है। अपने निजी वाहन के जरिए भी नंदगांव तक पहुंचा जा सकता है।
निकट ही मथुरा पश्चिम केन्द्रीय रेलवे की मुख्य बड़ी लाइन पर है। यह स्टेशन रेल द्वारा भारत के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
नंदगांव मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना और कोसी से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। कोसी दिल्ली से 100 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित है। आप कोसी/ मथुरा/ भरतपुर/ गोवर्धन/ हो कर भी नंदगांव पहुंच सकते हैं। वैसे मथुरा से नंदगाव तक जाने के लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग/ उत्तर प्रदेश रोडवेज की सीधी बस सुविधा भी उपलब्ध है।
Seamless Wikipedia browsing. On steroids.
Every time you click a link to Wikipedia, Wiktionary or Wikiquote in your browser's search results, it will show the modern Wikiwand interface.
Wikiwand extension is a five stars, simple, with minimum permission required to keep your browsing private, safe and transparent.