दीव किला
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दीव किला, जिसे स्थानीय रूप से पुर्तगाली किला भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी सागरतट पर दमन और दीव केन्द्र शासित प्रदेश के दीव क्षेत्र में है। दीव शहर किले के पश्चिमी छोर पर स्थित है। यह किला यहाँ पर पुर्तगाली उपनिवेशी काल के दौरान बनाया गया था। इसका निर्माण सन् १५३५ में आरम्भ हुआ जब उस समय के गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह ने मुग़ल साम्राज्य के बादशाह हुमायूँ द्वारा इस क्षेत्र को अपने अधीन कर लेने के प्रयासों से बचने के लिये पुर्तगालियों के साथ रक्षा-सन्धि कर ली। सन् १५४६ तक इस किले को अधिक मज़बूत करने का काम लगातार चलता रहा।
दीव किला | |
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दीव का भाग | |
दीव, भारत | |
![]() दीव का मानचित्र, सन् १७२९ | |
प्रकार | किला |
स्थल जानकारी | |
स्वामित्व | दमन और दीव सरकार |
नियंत्रक | पुर्तगाली साम्राज्य (१५३७-१९६१) भारत (१९६१-) |
दशा | खंडहर |
स्थल इतिहास | |
निर्मित | १६वीं शताब्दी |
निर्माता | पुर्तगाली |
सामग्री | बलुआ पत्थर और चूना मसाला |
१५३७ से किले और दीव शहर पर पुर्तगाली नियंत्रण आरम्भ हो गया और यह ४२४ वर्षों तक रहा, जो विश्व में किसी भी स्थान के लिये सबसे लम्बा उपनिवेशी राजकाल था। दिसम्बर १९६१ में भारत सरकार ने "ऑपरेशन विजय" नामक सैन्य कार्यवाई में यहाँ पुर्तगाली राज अन्त कर के इस क्षेत्र का फिर से भारत में विलय कर लिया और उस समय की गोवा, दमन और दीव केन्द्र शासित प्रदेश का भाग बनाया। गोवा को राज्य का दर्जा मिलने के बाद दमन और दीव केन्द्र शासित प्रदेश के रूप में संगठित करे गये।[1][2][3][4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
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