दीव

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दीव दीव जिले में स्थित एक क़स्बा है जो कि केन्द्रशासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव में है। यह दीव द्वीप के पूर्वी किनारे पर है जो कि पुर्तगाली किले व कैथ्रेडल के लिए जाना जाता है।

सामान्य तथ्य
दीव
  क़स्बा  
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Location of दीव
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव
जनसंख्या
घनत्व
21,576 (2001)
• 540/किमी2 (1,399/मील2)
लिंगानुपात 0.85 /
आधिकारिक भाषा(एँ) गुजराती,हिन्दी
क्षेत्रफल 40 km² (15 sq mi)
जलवायु
वर्षा

     1,500 mm[3] mm (एक्स्प्रेशन त्रुटि: अज्ञात शब्द "mm" in)
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इतिहास

दीव पुर्तगाली आगमन के समय एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था। १५१३ और १५३१ में यहाँ पर पुर्तगालियों ने यहाँ चौकियां बनाने की कोशिश की, किन्तु वे असफल रहे। बाद में गुजरात के बादशाह बहादुर शाह ने मुगल सम्राट हुमायूँ अपने राज्य की रक्षा के लिए पुर्तगालियों के साथ समझौता किया, जिसके तहत दीव द्वीप १५३५ में पुर्तगालियों को दे दिया गया। पुर्तगालियों ने यहाँ पर दीव किला बनाया और चारों ओर एक चारदिवारी बनाई. परन्तु गुजरात के सुल्तान को अपनी उदारता पर जल्द ही पछतावा हुआ और उसने पुर्तगालियों से युद्ध किया। इस युद्ध में वह मारा गया। १५३७ और १५४६ के मध्य सुल्तान के द्वारा पुर्तगालियों को हटाने का प्रयास विफल हुआ। १५३८ में तुर्क साम्राज्य दीव की घेराबंदी, जो की पुर्तगालियों ने की थी, तोड़ने में असफल रहा।

कोजा सोफार ने दूसरी बार दीव की घेराबंदी की और इसे तुर्क तोड़ने में असफल रहे। इसके बाद दीव की किलेबंदी हो गयी और १७वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसने अरब और डचों के आक्रमण सहे.

दीव १५३५ से १९६१ तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहा। १९६१ में भारत सरकार द्वारा चलाये ऑपरेशन विजय के तहत गोवा और दमन के साथ यह द्वीप भी भारत में शामिल हो गया।

पर्यटन स्थल

दीव का किला

यह १५३५ से १५४१ के मध्य पुर्तगालियों के द्वारा बनाया गया। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा है। किले में एक बड़ा लाइट हाउस भी बना है[4].

सेंट पॉल चर्च

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सेंट पॉल चर्च

इसका निर्माण १६०१ में प्रारंभ हुआ और १६१० में यह बनकर तैयार हो गया। यह भारत के कुछ पुर्तगाली चर्चो में से एक है[5].

नगवा समुद्र तट

यह समुद्र तट दीव के बूचड़वाड़ा ग्राम में स्थित है। यह एक उत्तम समुद्र तट है। यहाँ पर समुद्र में वाटर स्पोर्ट की भी सुविधा उपलब्ध है[6].

गंगेश्वर मंदिर

यह शिव जी का अतिप्राचीन मंदिर है। यह फुदम से ३ कि॰मी॰ दूर है। यहाँ पर पाँच शिवलिंग है। यहाँ के लोगो का यह मानना है की पांडवो ने १३ वर्ष के वनवास के दौरान कुछ समय यहाँ बिताया था.[7]

अन्य स्थल

  • घोघला समुद्र तट
  • जालंधर समुद्र तट
  • सेंट थॉमस चर्च
  • सेंट फ्रांसिस चर्च
  • सी शेल अजायबघर
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गंगेश्वर मंदिर
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१६वी शताब्दी का दीव

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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