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क्रिकेट विश्व कप विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
आईसीसी (ICC) क्रिकेट विश्व कप २०११, दसवां क्रिकेट विश्व कप था और इसकी मेजबानी टेस्ट क्रिकेट खेलने वाले तीन दक्षिण एशियाई देशों द्वारा की गई थी: भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश। यह विश्व कप भारत ने जीता था।
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप २०११ | |||
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आई.सी.सी. क्रिकेट विश्व कप का आधिकारिक प्रतीक चिह्न | |||
दिनांक | १९ फ़रवरी – २ अप्रैल | ||
प्रशासक | अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट समिति | ||
क्रिकेट प्रारूप | एक दिवसीय क्रिकेट | ||
टूर्नमेण्ट प्रारूप | राउण्ड रॉबिन एवं नॉक आउट | ||
आतिथेय |
भारत श्रीलंका बांग्लादेश | ||
विजेता | भारत (२ पदवी) | ||
प्रतिभागी | १४ (१०४ प्रतियोगियों में से) | ||
खेले गए मैच | ४९ (खेले गए) | ||
शृंखला का श्रेष्ठ क्रीड़क | युवराज सिंह | ||
सर्वाधिक रन | तिलकरत्ने दिलशान (५००) | ||
सर्वाधिक विकेट |
ज़हीर खान (२१) शाहिद अफरीदी (२१) | ||
जालस्थल | आईसीसी क्रिकेट विश्व कप २०११ | ||
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क्रिकेट विश्व कप की संयुक्त मेजबानी करने का यह बांग्लादेश का पहला अवसर था। 14 निर्धारित राष्ट्रीय टीमों के बीच प्रतिस्पर्धा के साथ यह विश्व कप अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय क्रिकेट की तर्ज पर था।[1] विश्व कप का आयोजन फरवरी और अप्रैल 2011 की शुरुआत के बीच था, जिसके अंतर्गत पहला मैच 19 फ़रवरी 2011 को संयुक्त मेजबान भारत और बांग्लादेश के बीच मीरपुर, ढाका के शेर-ए-बांगला राष्ट्रीय स्टेडियम में खेला गया। [2] इसका उद्घाटन समारोह प्रतियोगिता के शुरू होने के दो दिन पूर्व 17 फ़रवरी 2011 को था।[3] विश्व कप का अंतिम मैच 2 अप्रैल 2011 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में था।
पाकिस्तान द्वारा भी विश्व कप की मेजबानी में भाग लिए जाने का अनुमान था लेकिन लाहौर में श्रीलंका की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम पर 2009 में किये गए हमलों के मद्देनज़र अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट समिति (ICC) ने पाकिस्तान को मेजबानी के अधिकार से वंचित रखने का निर्णय लिया। [4] आरम्भ में आयोजन समिति का मुख्यालय लाहौर में स्थित था लेकिन अब इसे मुंबई में स्थानांतरित कर दिया गया। [5] पाकिस्तान द्वारा 14 मैचों की मेजबानी किये जाने के अनुमान था, जिसमे सेमिफाइनल मैच भी शामिल था।[6] पाकिस्तान की मेजबानी वाले मैचों में से 8 मैच भारत को, 4 श्रीलंका को और 2 बांग्लादेश को दे दिए गए। [7]
पहला ओवर का पहला बाल का स्पीड 143 km/h था
कौन से देश २०११ विश्व कप की मेजबानी करेंगे इसके सम्बन्ध में आईसीसी ने मूलतः ३० अप्रैल २००६ को अपने निर्णय की घोषणा कर दी थी। भारत और ऑस्ट्रेलिया भी प्रतियोगिता के लिए बोली लगायी थी और २०११ विश्व कप के लिए एक सफल ऑस्ट्रेलेसियन बोली के फलस्वरूप खेल में ५०-५० का विभाजन हो सकता था, जिसमे अंतिम मैच का सौदा अभी भी बाकी रहता| ट्रांस टैस्मान द्वारा लगायी गयी बोली, सीमाओं से परे, २०११ के लिए एकमात्र ऐसी बोली थी जो दुबई में आईसीसी (ICC) के मुख्यालय पर १ मार्च की निर्धारित समय-सीमा से पहले पहुंच गयी थी। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य प्रबंधन अधिकारी जेम्स सदरलैंड के अनुसार, ऑस्ट्रेलेसियन बोली की महत्त्वपूर्ण विशेषताएं बढ़िया प्रतियोगिता स्थल और अवसंरचना तथा प्रतियोगिता के दौरान टैक्स (कर) और कस्टम (सीमाशुल्क) संबंधी मुद्दों पर ऑस्ट्रेलिया और भारत की सरकार की ओर से पूर्ण समर्थन था।[8] न्यूज़ीलैंड की सरकार ने इस बात का भी आश्वासन दिया था कि ज़िम्बाब्वे को भी प्रतियोगित में हिस्सा लेने का मौका दिया जायेगा, ऐसा देश में चल रहे उस राजनीतिक विवाद के कारण था जिसमे यह चर्चा हो रही थी कि उनके देश को २००५ में ज़िम्बाब्वे के दौरे पर जाने की आज्ञा मिलनी चाहिए या नहीं। ऑस्ट्रेलियाई बोली को पूर्व वेस्ट इंडीज कप्तान शिवनारायण चंद्रपॉल का भी समर्थन प्राप्त था।[9]
आईसीसी अध्यक्ष एहसान मनी ने कहा कि बोली हेतु अपनी स्वीकृति पुस्तिका देने में एशियाई ब्लॉक द्वारा लिए गए अतिरिक्त समय के कारण चार-देशों की बोलियों को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, जब मतदान का समय आया तो एशिया ने तीन मतों की तुलना में सात मत प्राप्त करके मेजबानी का अधिकार जीत लिया। [8] पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने यह तथ्य प्रकट किया कि वह वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड का निर्णायक मत था जिसने पूरे मामले को परिवर्तित कर दिया क्योंकि इससे एशिया की बोली के साथ बोली लगाने वाले चार देशों का समर्थन था जिसमे कि दक्षिण अफ्रीका और ज़िम्बाब्वे भी शामिल थे। [10] पाकिस्तानी अखबार डॉन में यह खबर दी गयी कि एशियाई देशों ने २००७ विश्व कप के दौरान वेस्ट इण्डियन क्रिकेट के लिए कोष एकत्रित करने का वचन दिया है, जिसने मतदान की प्रक्रिया को प्रभावित किया। [11] हालांकि, एशियाई बोली की पर्यवेक्षण समिति के अध्यक्ष, आई. एस. बिंद्रा ने कहा कि इस क्षेत्र में उनके द्वारा ४० करोड़ यू.एस. डॉलर के अतिरिक्त लाभ का वचन ही मत परिवर्तन का कारण रहा[12] और यह "यह उनके समर्थन के बदले में नहीं किया गया था",[13] साथ ही यह भी कि "वेस्ट इंडीज़ के खेलने का विश्व कप की बोली से कोई सम्बन्ध नहीं था"।[13]
आईसीसी विश्व कप के कार्यक्रम स्थल को क्रिकेट खेलने वाले प्रमुख देशों के बीच परिवर्तित करते रहने को प्राथमिकता देती है। अब तक विश्व कप की मेजबानी, इंग्लैंड (तीन बार १९७५, १९७९, १९८३), भारत / पाकिस्तान १९८७, ऑस्ट्रेलिया / भारत १९९६, इंग्लैंड (यूके, नीदरलैंड्स) १९९९, दक्षिण अफ्रीका (ज़िम्बाब्वे, केन्या) २००३, वेस्ट इंडीज़ २००७, द्वारा की गयी है। २०११ के विश्व कप के लिए भारत / पाकिस्तान / श्रीलंका / बांग्लादेश के सामने ऑस्ट्रेलिया और न्यू जीलैंड दो सशक्त प्रतियोगी थे क्योंकि उन्होंने १९९२ से किसी भी विश्व कप की मेजबानी नहीं की थी। अंतिम मतदान में भारत जीत गया क्योंकि उन्होंने अपने पक्ष में यह तर्क रखा कि उन्हें विश्व कप की मेजबानी के अधिक अवसर मिलने चाहिए क्योंकि उनके राष्ट्रों का समूह अधिक बड़ा है। इस कारण, ऑस्ट्रेलिया / न्यूजीलैंड को २०१५ के विश्व कप की मेजबानी दे दी गयी।
२००७ में ही बाद में, यह चारों राष्ट्र २०११ विश्व कप के एक नए संशोधित प्रारूप के लिए राजी हो गए जोकि १९९६ विश्व कप के समान था, इसमें एक मात्र अंतर यह था कि १९९६ में हिस्सा लेने वाली टीमों की संख्या १२ थी जबकि २०११ में हिस्सा लेने वाली टीमों की संख्या १४ हो गयी। प्रतियोगिता का पहला चरण एक राउन्ड रॉबिन होगा जिसमे १४ टीमें २ समूहों में विभाजित की जायेंगी, प्रत्येक समूह में ७ टीमें होंगी| सभी ७ टीमें एक-एक बार, एक दूसरे के साथ खेलेंगी और दोनों समूहों में से शीर्ष चार टीमें क्वार्टर फाइनल में खेलने के लिए अहर्ता प्राप्त करेंगी। [14] यह प्रारूप यह सुनिश्चित करता है कि यदि कोइ टीम प्रतियोगिता की शुरुआत में ही हार के कारण प्रतियोगिता से बाहर हो जाये तो भी वह कम से कम ६ मैच अवश्य खेलेगी।
आईसीसी के नियमों के अनुसार, सभी १० पूर्णकालिक सदस्य स्वतः ही विश्व कप के लिए अहर्ता प्राप्त कर लेते हैं, जिसमे जिमबाब्वे भी शामिल है जिन्होंने अपनी टीम के स्तर में सुधार होने तक अपने टेस्ट क्रिकेट खेलने के दर्जे को त्याग दिया है।[15]
आईसीसी ने २०११ विश्व कप में हिस्सा लेने वाली सहयोगी टीमों के निर्धारण के लिए दक्षिण अफ्रीका में एक अहर्ता प्रतियोगिता का भी आयोजन किया था। आयरलैंड, जो पिछले विश्व कप से अब तक सर्वाधिक उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाला राष्ट्र रहा है, ने अंतिम मैच में कनाडा को हराकर इस प्रतियोगिता को जीत लिया। नीदरलैंड्स और केन्या ने भी तीसरा और चौथा स्थान प्राप्त करते हुए अहर्ता अर्जित कर ली। [16]
निम्नलिखित १४ टीमों ने अंतिम प्रतियोगिता के लिए अर्हता प्राप्त की, वे देश जिनके सम्मुख * का चिन्ह हैं वे सहयोगी सदस्य हैं।
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१७ अप्रैल २००९ को आईसीसी ने पाकिस्तान से विश्व कप की संयुक्त मेजबानी के अधिकार वापस ले लिए,[17][18] ऐसा वहां व्याप्त "अनिश्चित सुरक्षा व्यवस्था" पर चल रही चिंता के कारण किया गया, विशेषतः २००९ में श्रीलंका के दौरे के दौरान लाहौर में हुए आतंकवादी हमलों के परिणामस्वरूप ही ऐसा हुआ।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने यह संकेत दिए कि यदि उनसे भारत में खेलने को कहा गया तो वह विश्व कप में हिस्सा लेने से इनकार सकते हैं। [19] हालांकि, इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि क्या वास्तव में ऐसा होगा।
यह अनुमानित है कि प्रतियोगिता की मेजबानी छिन जाने से पीसीबी (PCB) को १ करोड़ ५ लाख डॉलर का नुकसान होगा। [20] यह आंकड़ा सिर्फ ७,५०,००० डॉलर की मैच फीस अंतर्भुक्त है जिसकी आईसीसी ने गारंटी दी थी। पीसीबी (PCB) और पाकिस्तानी सरकार का कुल नुकसान इससे कहीं अधिक होने की उम्मीद है।
९ अप्रैल २००९ को, पीसीबी (PCB) के अध्यक्ष इजाज़ बट ने यह बताया कि उन्होंने आईसीसी के निर्णय के विरोध में एक कानूनी नोटिस जारी किया है। [21] हालांकि, आईसीसी का यह दावा है कि पीसीबी (PCB) अब भी एक संयुक्त मेज़बान है, उन्होंने ने तो केवल मैचों के स्थान बदलकर पाकिस्तान से बाहर कर दिए हैं। [22] पाकिस्तान ने यह प्रस्ताव रखा है कि दक्षिण एशिया २०१५ के विश्व कप की मेजबानी करे और ऑस्ट्रेलिया / न्यूजीलैंड २०११ के विश्व कप की मेजबानी करे, हालांकि उसके अन्य संयुक्त मेज़बान इस विकल्प से सहमत नहीं हुए और इसलिए यह रूपायित नहीं हो सका।[23]
11 अप्रैल 2005 को पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष शहरयार खान ने मैचों के आवंटन पर सहमति की घोषणा की। [24] मूल योजना के अनुसार अंतिम मैच की मेजबानी भारत को करनी थी, जबकि पाकिस्तान और श्रीलंका सेमिफाइनल की मेजबानी करने वाले थे। [25] और उद्घाटन समारोह बांग्लादेश में होना था।[26]
संयुक्त मेजबानी के दर्जे से वंचित किये जाने के बाद, पाकिस्तान ने अपने देश में होने वाले मैचों को संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित करने के लिए बोली लगायी क्योंकि वह एक निष्पक्ष प्रतियोगिता स्थल हो सकता था। यह पिछले महीनों में पाकिस्तान द्वारा आबू धाबी, दुबई और शारजाह में मैच खेले जाने के परिणामस्वरूप हुआ था। इन स्टेडियम की पिचें भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों के अनुकूल विकसित की गयी थीं। इससे समय सारिणी में भी कोई छेड़खानी नहीं होती क्योंकि मुंबई शहर से नियमित रूप से दुबई के लिए विमान चलते रहते हैं।
हालांकि, 28 अप्रैल 2009 को, आईसीसी (ICC) ने उन मैचों के स्थान बदलने की घोषणा की जो पाकिस्तान में खेले जाने वाले थे। इसके फलस्वरूप, अब भारत 8 प्रतियोगिता स्थलों के बीच 29 मैचों की मेजबानी करेगा जिसमे अंतिम (फाइनल) और एक सेमिफाइनल मैच भी शामिल है; श्रीलंका तीन प्रतियोगिता स्थलों के बीच 12 मैचों की मेजबानी करेगा जिसमे एक सेमीफाइनल भी होगा; जबकि बांग्लादेश 2 प्रतियोगिता स्थलों के बीच 8 मैचों की मेजबानी करेगा और साथ ही साथ 17 फ़रवरी 2011 को उद्घाटन समारोह का आयोजन भी बांग्लादेश में ही होना है।[27]
1 जून 2010 को मुंबई में प्रतियोगिता की केन्द्रीय आयोजन समिति की बैठक के बाद 2011 विश्व कप के लिए टिकटों की बिक्री का पहला चरण भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में शुरू किया गया। समिति ने कहा कि टिकट की कीमत वहनीय है, सबसे सस्ते टिकट की कीमत श्रीलंका में 20 सेंट है। [28] जनवरी 2011 में, आईसीसी ने भारत के कोलकाता स्थित ईडेन गार्डेन्स को अनुपयुक्त घोषित कर दिया और कहा कि इसके 27 फ़रवरी जिस दिन वहां भारत और इंग्लैंड के बीच मैच होना है, तक पूर्ण हो जाने की सम्भावना है। इसके परिणामस्वरूप, अब यह मैच दूसरे स्थान पर होगा।[29]
उद्घाटन समारोह का आयोजन बांग्लादेश में होगा। इस समारोह का कार्यक्रम स्थल ढाका, बांग्लादेश में स्थित बंगबंधु राष्ट्रीय स्टेडियम होगा। यह समारोह 17 फ़रवरी 2011 को, विश्व कप के प्रथम मैच के दो दिन पूर्व हुआ।
आईसीसी (ICC) क्रिकेट विश्व कप 2011 के आधिकारिक राजदूत सचिन तेंदुलकर हैं।[30]
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप 2011, जोकि विश्व की तीसरी सबसे बड़ी क्रीड़ा प्रतियोगिता है और बांग्लादेश, भारत व श्रीलंका में 19 फ़रवरी 2011 से 2 अप्रैल 2011 तक आयोजित होगी, के राजदूत की भूमिका में उन्हें प्रतियोगिता के लिए आईसीसी की अगुआई में विभिन्न कार्यकर्मों के प्रोत्साहन और समर्थन के लिए बुलाया जायेगा।
स्टम्पी[31] 2011 विश्व कप का आधिकारिक शुभंकर है। इसका अनावरण 2 अप्रैल 2010 को शुक्रवार के दिन, कोलम्बो, श्रीलंका में एक समारोह में किया गया था। यह एक 10 वर्षीय हाथी है जो बहुत छोटा, उत्साही और दृढ़निश्चयी है। संपूर्ण विश्व के सभी क्रिकेट प्रेमी शुभंकर का नाम रखे जाने की एक प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते थे। [32] शुभंकर के आधिकारिक नाम की घोषणा 2 अगस्त 2010 को अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद द्वारा जुलाई 2010 के अंतिम सप्ताह में संचालित एक ऑनलाइन प्रतिस्पर्धा के बाद की गयी थी।[33] इसका अनावरण सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी और कुमार संगाकारा जैसे खिलाड़ियों द्वारा विश्व कप शुरू होने के 200 दिन पूर्व किया गया था।[34]
2011 विश्व कप का आधिकारिक गीत "दे घुमा के" की संगीत रचना शंकर-एहसान-लॉय द्वारा की गयी है और इसे हिंदी, बांग्ला और सिंहाला भाषाओँ में गाया गया है।[35] यह शंकर महादेवन और दिव्य कुमार द्वारा गाया गया है और इसका विपणन ओजैल्वी एंड मैथर द्वारा किया गया है। इसमें भारतीय लय की लदी शामिल है और साथ ही साथ रॉक और हिप-हॉप के मसाले भी हैं। यह गीत प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में बजाया जायेगा जो 17 फ़रवरी 2011 को बांग्लादेश में होना है।[36]
सचिन तेंदुलकर आईसीसी क्रिकेट विश्व कप २०११ के आधिकारिक दूत हैं।[37]
प्रत्येक प्रतियोगिता के साथ विश्व कप एक मीडिया कार्यक्रम के रूप में विकसित होता गया है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने 2011 विश्व कप के प्रसारण अधिकार लगभग 2 बिलियन यूएस डॉलर में ईएसपीएन (ESPN) स्टार स्पोर्ट्स और स्टार क्रिकेट को बेच दिए हैं। इस प्रतियोगिता का प्रसारण पूरे विश्व में, लगभग 220 देशों में होगा।[38][उद्धरण चाहिए]
आईसीसी क्रिकेट विश्व कप ट्रॉफी एक चलायमान ट्रॉफी है, जो 1999 से विजेता टीम को दी जाती आ रही है। इसकी डिजाइन गेरार्ड एंड कम्पनी द्वारा 2 महीने के अन्दर तैयार की गयी थी। वास्तविक ट्रॉफी आईसीसी के दुबई स्थित मुख्यालय में रखी हुई है। विजेता टीम को इसकी एक प्रतिकृति दी जाती है। इन दोनों के बीच एकमात्र अंतर यह है कि वास्तविक ट्रॉफी में सभी पिछले विजेताओं के नाम लिखे गए हैं।
2011 विश्व कप की विजेता टीम अपने साथ 3 मिलियन यूएस डॉलर की पुरस्कार राशि लेकर जायेगी और द्वीतीय विजेता बनने वाली टीम 1.5 मिलियन यूएस डॉलर की पुरस्कार राशि प्राप्त करेगी, इस पर भी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद इस बेहद मांग पूर्ण प्रतियोगिता के लिए कुल आवंटन को दुगना कर 10 मिलियन यूएस डॉलर तक भी कर सकता है। यह निर्णय 20 अप्रैल 2010 को दुबई में आयोजित आईसीसी (ICC) बोर्ड की बैठक में लिया गया था।[39][40]
साँचा:Section images needed 2011 विश्व कप के लिए सभी भारतीय स्टेडियम का चुनाव[41] पहले ही हो चुका है और बांग्लादेश व श्रीलंका के प्रतियोगिता स्थलों का चुनाव 2009 के अक्टूबर महीने के अंत में हो गया था। 2 नवम्बर 2009 को मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषदद्वारा 2011 विश्व कप हेतु सभी प्रतियोगिता स्थलों की घोषणा की जा चुकी थी। श्रीलंका में दो नए स्टेडियम विशेषरूप से 2011 विश्व कप के लिए ही बनाये गए हैं। ये कांडी और हम्बनटोटा में स्थित हैं। [42]
कोलकाता | कोलंबो | नई दिल्ली | कैंडी | अहमदाबाद |
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ईडन गार्डन क्षमता: 82,000 (उन्नत किया जा रहा है) |
आर. प्रेमदासा स्टेडियम क्षमता: 35,000 (उन्नत किया जा रहा है) |
फिरोज शाह कोटला क्षमता: 48,000 |
मुथैया मुरलीधरन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम क्षमता: 35,000 (नया स्टेडियम) |
सरदार पटेल स्टेडियम क्षमता: 50,000 |
चितागोंग | चेन्नई | ढाका | ||
चितागोंग डिविजनल स्टेडियम क्षमता: 20,000 |
एम. ए. चिदंबरम स्टेडियम क्षमता: 46,000 (उन्नत किया जा रहा है) |
शेर-ए-बांग्ला क्रिकेट स्टेडियम क्षमता: 35,000 |
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मुंबई | हमबनटोटा | मोहाली | नागपुर | बंगलौर |
वानखेड़े स्टेडियम योजनाबद्ध क्षमता: 45,000 (उन्नत किया जा रहा है) |
महिंदा राजपक्षा इंटरनैशनल स्टेडियम क्षमता: 37,000 (नया स्टेडियम) |
पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम क्षमता: 35,000 |
विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम क्षमता: 45,000 |
एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम क्षमता: 42,000 |
अम्पायर चयन दल ने विश्व कप के लिए 18 अम्पायरों का चुनाव किया, इस संख्या में एक आरक्षित अम्पायर, इनामुल हक़ शामिल नहीं है: 5 ऑस्ट्रेलिया से, 6 एशिया से, 3 इंग्लैंड से, 2 न्यू जीलैंड से और दक्षिण अफ्रीका तथा वेस्ट इंडीज़ से एक-एक हैं।
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प्रत्येक देश ने, प्रतियोगिता के लिए अपने अंतिम दल के चयन से पूर्व एक 30 सदस्यीय प्रारंभिक दल का चुनाव किया, फिर इसके सदस्यों की संख्या घटाकर 15 की गयी। सभी 14 सदस्यों ने अपने अंतिम दल की घोषणा 19 जनवरी 2011 से पूर्व कर दी थी।
प्रत्येक समूह से सेमी फायनल में पहुंचने वाले शीर्ष चार दल (हरे रंग में दिखाये गये हैं।
दल | Pld | W | L | T | NR | NRR | Pts |
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पाकिस्तान | 6 | 5 | 1 | 0 | 0 | 0.758 | 10 |
श्रीलंका | 6 | 4 | 1 | 0 | 1 | 2.582 | 9 |
ऑस्ट्रेलिया | 6 | 4 | 1 | 0 | 1 | 1.123 | 9 |
न्यूज़ीलैंड | 6 | 4 | 2 | 0 | 0 | 1.135 | 8 |
ज़िम्बाब्वे | 6 | 2 | 4 | 0 | 0 | 0.030 | 4 |
कनाडा | 6 | 1 | 5 | 0 | 0 | −1.987 | 2 |
केन्या | 6 | 0 | 6 | 0 | 0 | -3.042 | 0 |
बनाम |
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बनाम |
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प्रत्येक समूह से सेमी फायनल में पहुंचने वाले शीर्ष चार दल (हरे रंग में दिखाये गये हैं।
दल | Pld | W | L | T | NR | NRR | Pts |
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दक्षिण अफ़्रीका | 6 | 5 | 1 | 0 | 0 | 2.026 | 10 |
भारत | 6 | 4 | 1 | 1 | 0 | 0.900 | 9 |
इंग्लैण्ड | 6 | 3 | 2 | 1 | 0 | 0.072 | 7 |
वेस्ट इंडीज़ | 6 | 3 | 3 | 0 | 0 | 1.066 | 6 |
बांग्लादेश | 6 | 3 | 3 | 0 | 0 | −1.361 | 6 |
आयरलैंड | 6 | 2 | 4 | 0 | 0 | −0.696 | 4 |
नीदरलैंड | 6 | 0 | 6 | 0 | 0 | −2.045 | 0 |
विस्कान्सिन 222 (47.4 overs) |
बनाम |
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बनाम |
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बनाम |
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बनाम |
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बनाम |
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क्वार्टर फाइनल | सेमीफाइनल | फाइनल | |||||||||||
B4 | वेस्ट इंडीज़ | 112 | |||||||||||
A1 | पाकिस्तान | 113/0 | |||||||||||
A1 | पाकिस्तान | 231 | |||||||||||
B2 | भारत | 260/6 | |||||||||||
A3 | ऑस्ट्रेलिया | 260/6 | |||||||||||
B2 | भारत | 261/5 | |||||||||||
B2 | भारत | 277/4 | |||||||||||
A2 | श्रीलंका | 274/6 | |||||||||||
A4 | न्यूज़ीलैंड | 221/8 | |||||||||||
B1 | दक्षिण अफ़्रीका | 172 | |||||||||||
A4 | न्यूज़ीलैंड | 217 | |||||||||||
A2 | श्रीलंका | 220/5 | |||||||||||
B3 | इंग्लैण्ड | 229/6 | |||||||||||
A2 | श्रीलंका | 231/0 |
विस्कान्सिन 112 (43.3 overs) |
बनाम |
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मोहम्मद हफीज़ 61* (64) |
बनाम |
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बनाम |
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जैक्स कैलिस 47 (75) जैकब ओरामी 4/39 (9 ओवर) |
बनाम |
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बनाम |
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बनाम |
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२०११ क्रिकेट विश्व कप का विजेता |
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भारत द्वितीय खिताब |
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